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शनिवार, 2 मई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की कविता------श्रम देवता


तुम्हारे द्वारा कराये गये
हर अहसास को
महसूस किया है मैंने ।
तुम बनकर मेरी प्रेरक शक्ति
कराते हो हर पल
मुझे उन अहसासों को
जो जीवन पथ में आने वाली
हर मुश्किलों को सुलझाने में
मेरे किसी अच्छे मित्र के समान
सहायक होंगे ।
सूरज निकलने से सूरज ढलने तक
तुम्हारे द्वारा किए जाने वाले
श्रम के पश्चात
उसका मनोनुकूल फल भी
जब तुम्हें नहीं मिलता
तब मैं तुम्हारा अधिकार
तुम्हें दिलाने के लिए
तुम्हारे साथ होना चाहती हूँ ,
लेकिन किसी मजबूरी का
बहाना लेकर
सिर्फ अपनी सहानुभूति को
तुम्हारे साथ कर देती हूँ ।
जब संध्या ढले घर पहुँचने पर
तुम्हारी नन्हीं गुड़िया
ढेर सारी बचपनी आशाों के साथ
तुम्हारे खाली हाथ देखती है
तब मेरे प्यार , दुलार और
ममत्व का अहसास
तुम्हारी उस गुड़िया के साथ होता है ।
तुम्हारी पत्नी की
पुरानी सी मटमैली धोती में
लिपटे हुए तुम्हारे
गोदी के बालक को देखकर
मन करता है
मैं गोद लेकर उस भावी नागरिक का
पालन पोषण करूँ
और बचा लूँ उसे
विचलित कर देने वाले
दुःखों के हर उन थपेड़ों से
जिनका तुम मुझे
कदम कदम पर
अहसास कराते हो ।

✍️  डॉ रीता सिंह
एन के बी एम जी कॉलेज
चन्दौसी (सम्भल)

रविवार, 1 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की काव्य कृति "वीरों का वंदन" की मेजर अवध किशोर शर्मा द्वारा की गई समीक्षा


सर झुके बस उनकी शहादत में ,
जो शहीद हुए हमारी हिफाजत में ।

समीक्षा का अर्थ है गुणों को प्रोत्साहन और दोषों का निवारण । आश्वासनों के बीच घिसटते जीवन की जगमगाहट को कवयित्री डॉ. रीता सिंह ने श्रद्धांजलि स्वरूप रचित पुलवामा के शहीदों को समर्पित अपने काव्य संग्रह ' वीरों का वंदन ' में बूंद बूंद सहेजा है । निराशा का ताप भट्टी सा दाहक बन जाता यदि जीवन के आक्रोश को निकलने का रास्ता न मिलता । व्यवस्था के प्रति आक्रोश जनित विद्रोहों को कवयित्री ने रचनात्मक बनाने की पहल की । कवयित्री की मूल चेतना में समर्पित राष्ट्रीयता की अग्नि अपेक्षाकृत ज्यादा है । राजनैतिक स्थितियों के प्रदूषणों को भी कवयित्री ने भरपूर बचाया है । मरघट के अवसन्न भयावहता त्रासदी पथ दीपों की रोशनी में बदलने का प्रयास किया है । कविताओं में प्रसारित राष्ट्रीयता के ध्रुव बिंबों ने उनकी दृष्टि को प्रखरता दी है । राष्ट्रीयता बोध के साथ साथ शहीदों को नमन दीपक से उठती चुपचाप जलती हुई निष्कंप किरण है जिसके जीवन की सार्थकता दूसरों को अंधकार से ज्योति की ओर प्रवृत करने में हैं । कला कला के लिए या अपने पांडित्य प्रदर्शन जैसे भावों की तुष्टि की भावना कहीं दृष्टिगोचर नहीं होती । कविताएं लयात्मक हैं और गेयता का आकर्षण उत्पन्न करने के लिए अपनी रचना तुकांत छंदों में की है । अपनी समूची रचना यात्रा में आपने किसी का अनुकरण नहीं किया और न ही किसी की अनुगामी बनी । अलंकार स्वतः समाहित हो गए हैं । मानवीकरण का प्रयोग सौंदर्य की अभिवृद्धि करता है । कहीं कहीं वज़्न कम होने के कारण काफिया खटकता है । वर्तनी संबंधी दोष मुक्त रचनाएं उत्सर्जक व प्रेरक हैं । श्रेष्ठ , सामयिक एवं प्रासंगिक ' वीरों का वंदन ' श्लाघनीय हैं इसकी सराहना होनी ही चाहिए ।

कृति - वीरों का वंदन (काव्य संग्रह)
रचनाकार - डॉ. रीता सिंह
प्रकाशक - साहित्यपीडिया पब्लिशिंग
मूल्य - ₹ 150
प्रथम संस्करण - 2020
**समीक्षक - मेजर अवध किशोर शर्मा
चन्दौसी ,जिला सम्भल
उत्तर प्रदेश, भारत

रविवार, 16 फ़रवरी 2020

डॉ रीता सिंह की काव्यकृति वीरों का वंदन का लोकार्पण

पुलवामा में शहीद हुए जवानों के प्रथम बलिदान दिवस पर उनको समर्पित कवयित्री डॉ रीता सिंह द्वारा रचित काव्य संग्रह "वीरों का वंदन"का विमोचन शुक्रवार 14 फरवरी 2020 को चन्दौसी में दर्जा राज्यमंत्री सूर्य प्रकाश पाल ,जिलाधिकारी संभल अविनाश कृष्ण सिंह,नवगीतकार  माहेश्वर तिवारी ,डॉ महेश दिवाकर, रूप किशोर गुप्ता , डॉ महेश दिवाकर, जितेंद्र कमल आनन्द, डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ अर्चना गुप्ता, डॉ मक्खन मुरादाबादी, डॉ डीएन शर्मा, पंकज दर्पण , डॉ अजय अनुपम आदि ने किया । इस मौके पर अमर वीर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए ।
 प्रख्यात साहित्यकार माहेश्वर तिवारी की अध्यक्षता  तथा डॉ सौरभ कांत शर्मा के संचालन  में आयोजित कार्यक्रम में कवयित्री डॉ रीता सिंह का परिचय कार्यक्रम संयोजक डॉ टी एस पाल ने प्रस्तुत किया।
 मुख्य अतिथि  राज्य निर्माण सहकारी संघ के सभापति सूर्य प्रकाश पाल ने कहा कि एक वर्ष पूर्व आज ही के दिन पुलवामा में सीआरपीएफ के सैनिकों पर आतंकी हमला किया गया जिसमें हमारे 40 जवान शहीद हुए, इसका बदला भारत सरकार ने 13 वें दिन दुश्मनों के घर में घुसकर तीन सौ से ज्यादा आतंकी एयर स्ट्राइक से मार गिरा कर लिया और यह साबित कर दिया कि देश के सम्मान के साथ कोई समझौता,हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।
   विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने कहा कि देश के अमर "वीरों का वंदन" काव्य कृति का प्रत्येक पाठक अपने देश एवं सेना पर गर्व महसूस करेगा। पुस्तक की समीक्षा  डॉ शिखा बंसबाल,अवध किशोर शर्मा,राजीव प्रखर प्रस्तुत की। डॉ रीता सिंह ने काव्यपाठ करते हुए कहा
 "वीरों का वंदन माथे का चन्दन,आओ करें नमन इनको करें नमन।सीमा के प्रहरी माने नहीं थकन,लाते सदा अमन इनको करें नमन"।
धामपुर से आये राजेश कुमार ने कहा --
"दिलों में हमेशा हमारे रहेंगे,जो अपने वतन को सँवारे रहेंगे"।नैनीताल से आये सत्यपाल सिंह सजग ने कहा- "रंगा वीरों के लहू बसंत,शोक लहरों का दिखे न अंत,रंगा वीरों के लहू बसंत"।मुरादाबाद की डॉ अर्चना गुप्ता ने कहा- "कलम तुम गाओ उनके गान,तिरंगे की जो रखते आन",।
   डॉ पंकज दर्पण ने "अगर पीठ पर वार करेगा,मुँह की हमसे खायेगा।जिसने भी अपराध किया है,अंत समय पछतायेगा"।डॉ टी एस पाल ने "देख जवानों की कुर्बानी,आज तिरंगा भी रोया है।सुरक्षा बल का लहू देश में,वहशत के हाथों खोया है"।हरीश कठेरिया ने "जहाँ चाह है वहाँ राह है,सदियो से सुनते आते हैं।बढ़ते क़दमों को तूफाँ भी रोक भला कहाँ पाये है"
   डॉ जय शंकर दुवे ने "जिनको अपनी मातृभूमि पर,रहा सदा ही है अभिमान।धीर-वीर सुत जननी के ही,पाते हैं जग में सम्मान"। हिमांशी शर्मा ने "है कसम अपने ही बाँकपन की हमें,लाज रखनी  है अपने वतन की हमें।
   इसके अतिरिक्त रूप किशोर गुप्ता, मक्खन मुरादाबादी, डॉ अजय अनुपम ,सुखपाल कौर,  कुशाग्र चौहान , डॉ डीएन शर्मा, अनिल सारस्वत,राजकुमार चौहान, विवेक कुमार, डॉ मनोज रस्तोगी डॉ अनुपम गुप्ता आदि ने काव्य पाठ एवं विचार व्यक्त किये ।
     कार्यक्रम में मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार केपी सिंह सरल, श्री कृष्ण शुक्ल, रविशं










कर रवि, रामेश्वर सिंह,हेमेन्द्र सिंह, मीनाक्षी सागर, शुभम अग्रवाल, संजय सैनी, तरुण नीरज, सुधीर मल्होत्रा,डॉ अनुपम गुप्ता,शालिनी शर्मा, संगीता भार्गव, डॉ अलका अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

:::::::::प्रस्तुति:::::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

राष्ट्रप्रेम की अलख जगाती डॉ रीता सिंह की काव्य कृति 'वीरों का वंदन'


एक रचनाकार के अंतस में उमड़ते भावों का कृति के रूप में समाज के सम्मुख आना, सदैव साहित्य-जगत की परम्परा रही है। ऐसी अनगिनत कृतियों ने समाज को एक सार्थक संदेश देते हुए साहित्य-जगत में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करायी है। डॉ रीता सिंह जी की उत्कृष्ट लेखनी से निकला काव्य-संग्रह, 'वीरों का वंदन' एक ऐसी ही कृति कही जा सकती है। बहुत अधिक समय नहीं बीता है, जब मानवता के दुश्मनों ने पुलवामा में  अमानवीयता का उदाहरण प्रस्तुत किया था परन्तु, नमन भारत माँ के उन लाडलों को, जिन्होंने इन तत्वों को मुँहतोड़ उत्तर देकर इनके हौसले पस्त कर दिये। यद्यपि, इस घटना में अनेक वीरों को अपने प्राणों का बलिदान करना पड़ा परन्तु, उनका शौर्य एवं जीवटता देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गयी। डॉ रीता सिंह का काव्य-संग्रह 'वीरो का वंदन' उन्हीं सपूतों को श्रद्धांजलि के रूप में हमारे सम्मुख है। कुल तीस ओजस्वी रचनाओं से सुसज्जित इस श्रद्धांजलि-माला का प्रत्येक मनका, वीरों के शौर्य को नमन करता हुआ राष्ट्रप्रेम की अलग जगाता है। संकलन की प्रथम रचना 'जय भारत जय भारती' शीर्षक से हमारे सम्मुख आती है। माँ भारती को नमन करती यह रचना  एक सुंदर गीत है जो सहज ही मातृभूमि के प्रति उमड़ रहे भावों को सजीव अभिव्यक्ति प्रदान कर रही है। भावुक कर देने वाली इस रचना की कुछ पंक्तियाँ देखें -
"महा सिंधु है चरण पखारे
घाटी इसका रूप सँवारे
मुखमण्डल अनुपम है इसका,
काली माटी नज़र उतारे।"

सशक्त प्रतीकों से सजी यह रचना न केवल उत्कृष्ट काव्य-सौन्दर्य का उदाहरण है अपितु, पाठक को देशप्रेम से ओतप्रोत होकर गुनगुनाने पर भी बाध्य कर देती है। इसी क्रम में पृष्ठ 13 पर 'वीरों का वंदन' शीर्षक रचना उन कठिन परिस्थितियों का चित्रण करती है जिनके मध्य रहकर हमारे शूरवीर देश की सीमाओं को सुरक्षित रखते हैं। रचना की कुछ पंक्तियाँ -
"धूप में ये खड़े
शीत से भी लड़े
करते कहाँ गमन
रहते सदा मगन
इनको करें नमन
'कलम तुम गाओ उनके गान', शीर्षक रचना कलम के सिपाहियों को सीमा के योद्धाओं का स्मरण कराती हुई, उनसे आह्वान करती है कि अगर वे सीमा के प्रहरी हैं तो आप कलमकार भीतर के रक्षक। कलम के योद्धाओं से वार्तालाप करती इस रचना की कुछ पंक्तियाँ देखें -
"कलम तुम गाओ उनके गान
तिरंगे की जो रखते आन
मातृभूमि पर बिन आहट ही
हुए न्योछावर जिनके प्रान।
कलम तुम गाओ उनके गान।"

इसी क्रम में, आतंक का नग्न एवं वीभत्स नृत्य करने वाले शत्रुओं को ललकारने एवं व्यवस्था से कड़े प्रश्न करने से भी कवयित्री संकोच नहीं करती।  रचना "आज तिरंगा भी रोया है", इसी तथ्य का समर्थन कर रही है। रचना की कुछ पंक्तियाँ -
"देख जवानों की कुर्बानी
आज तिरंगा भी रोया है
सुरक्षा बल का लहू देश ने
दहशत के हाथों खोया है।
भर विस्फ़ोटक घूम रहे क्यों
सड़कों पर गद्दार यहाँ
घाटी पूछ रही शासन से
हैं कैसे ये हालात यहाँ।"

इसी कड़ी में एक अन्य उत्कृष्ट रचना, "सीमा से आयी पाती थी" पाठकों के सम्मुख आती है। इस रचना की विशेषता यह है कि यह राष्ट्र प्रेम एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का सुन्दर मिश्रण लिये अन्तस को स्पर्श कर जाती है। रचना की कुछ पंक्तियाँ -

"पीत चुनरिया लहराती थी
हवा बसन्ती इतराती थी
धरती यौवन पर है अपने
सजी संवरकर इठलाती थी
सीमा से आयी पाती थी।"

इसी श्रृंखला में - "बसन्त तुमको दया न आयी", "पूछ रही घाटी की माटी", "तम की बीती रजनी काली", "आज़ादी का दिन आया" आदि ओजस्वी एवं हृदयस्पर्शी रचनाएं, कवयित्री  द्वारा किये गये इस साहित्यिक अनुष्ठान की उत्कृष्टता को प्रमाणित करती हैं।
राष्ट्रप्रेम की अलग जगाती यह ओजस्वी रचना-यात्रा, पृष्ठ 39 पर उपलब्ध रचना, "जय हिन्द!" पर विश्राम लेती है। इस गीत की पंक्तियाँ सहज ही पाठक को इसे गुनगुनाने पर बाध्य कर रही हैं, पंक्तियाँ देखें -

"सब नारों में मानो अरविन्द
जय हिन्द! जय हिन्द! जय हिन्द!
खिली पंखुरी जन सरवर से
जय हिन्द! जय हिन्द! जय हिन्द!"
कृति की एक अन्य विशेषता यह भी है कि इसमें पृष्ठ 40 से 49 तक, पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए वीर जवानों की सूची उनके पते सहित दी गयी है जिस कारण यह कृति स्वाभाविक रूप से और भी अधिक महत्वपूर्ण बन गयी है।
व्याकरण एवं छन्द-विधान के समर्थक रचनाकार बन्धु यह कह सकते हैं कि, कहीं-कहीं कवयित्री की उत्कृष्ट लेखनी भी छंद, मात्राओं इत्यादि की दृष्टि से डगमगाती सी प्रतीत हुई है परन्तु, मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि, कृति की सभी रचनाओं का भाव-पक्ष इतना प्रबल एवं उच्च स्तर का है कि वह इस असन्तुलन को भी पछाड़ते हुए, राष्ट्रप्रेम की अलख जगाने में सफल रही है। निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि, डॉ रीता सिंह जी की उत्कृष्ट लेखनी एवं साहित्यपीडिया जैसे उत्तम प्रकाशन संस्थान से सुन्दर स्वरूप में तैयार होकर, एक ऐसी कृति समाज तक पहुँच रही है, जो देश के लिये बलि हो जाने वाले वीरों का स्मरण कराते हुए, पाठकगणों को राष्ट्र के प्रति समर्पित रहने को प्रेरित करेगी।

** पुस्तक : वीरों का वंदन (काव्य)
** रचनाकार : डॉ रीता सिंह
**प्रकाशक : सहित्यपीडिया पब्लिशिंग, नोएडा(भारत),  दूरभाष-(+91)9618066119, ईमेल-publish@sahityapedia.com
**  समीक्षक : राजीव 'प्रखर', डिप्टी गंज, मुरादाबाद -244001,उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर  8941912642

बुधवार, 23 अक्तूबर 2019

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था श्री गोविन्द हिन्दी साहित्य सेवा समिति की ओर से मंगलवार 22 अक्टूबर 2019 को रमेश विकट, डॉ अर्चना गुप्ता एवं डॉ रीता सिंह के सम्मान में काव्य संध्या का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था श्री गोविन्द हिन्दी साहित्य सेवा समिति के तत्वावधान में मंगलवार 22 अक्टूबर 2019 को आयोजित सम्मान समारोह एवं काव्य-संध्या में वरिष्ठ साहित्यकार  रमेश विकट (बरेली), डॉ अर्चना गुप्ता (मुरादाबाद) एवं डॉ रीता सिंह (मुरादाबाद) को मान पत्र, अंग वस्त्र, एवं प्रतीक चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।  अध्यक्षता रमेश विकट ने की। मुख्य अतिथि डॉ आर सी शुक्ला एवं विशिष्ट अतिथि डॉ महेश दिवाकर, ओंकार सिंह 'ओंकार', योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई एवं वीरेंद्र सिंह 'बृजवासी' थे। माँ शारदे की वंदना राम सिंह निशंक ने प्रस्तुत की । संचालन संयुक्त रूप से राजीव 'प्रखर' एवं श्रीकृष्ण शुक्ल द्वारा किया गया।

काव्य संध्या में शायर मुरादाबादी, राजीव 'प्रखर,' रघुराज निश्चल, हेमा तिवारी भट्ट, उदय प्रकाश उदय, श्रीकृष्ण शुक्ल, रामसिंह निशंक, रामवीर सिंह वीर, डॉ मनोज रस्तोगी, अशोक विश्नोई, डॉ अर्चना गुप्ता, डॉ रीता सिंह, रवि चतुर्वेदी, ओंकार सिंह ओंकार, वीरेंद्र बृजवासी, योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई, डॉ महेश दिवाकर, डॉ आरसी शुक्ला एवं श्री रमेश विकट ने काव्य पाठ किया। संस्था के अध्यक्ष श्री राम वीर सिंह वीर ने आभार-अभिव्यक्त किया।