रविवार, 1 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की काव्य कृति "वीरों का वंदन" की मेजर अवध किशोर शर्मा द्वारा की गई समीक्षा


सर झुके बस उनकी शहादत में ,
जो शहीद हुए हमारी हिफाजत में ।

समीक्षा का अर्थ है गुणों को प्रोत्साहन और दोषों का निवारण । आश्वासनों के बीच घिसटते जीवन की जगमगाहट को कवयित्री डॉ. रीता सिंह ने श्रद्धांजलि स्वरूप रचित पुलवामा के शहीदों को समर्पित अपने काव्य संग्रह ' वीरों का वंदन ' में बूंद बूंद सहेजा है । निराशा का ताप भट्टी सा दाहक बन जाता यदि जीवन के आक्रोश को निकलने का रास्ता न मिलता । व्यवस्था के प्रति आक्रोश जनित विद्रोहों को कवयित्री ने रचनात्मक बनाने की पहल की । कवयित्री की मूल चेतना में समर्पित राष्ट्रीयता की अग्नि अपेक्षाकृत ज्यादा है । राजनैतिक स्थितियों के प्रदूषणों को भी कवयित्री ने भरपूर बचाया है । मरघट के अवसन्न भयावहता त्रासदी पथ दीपों की रोशनी में बदलने का प्रयास किया है । कविताओं में प्रसारित राष्ट्रीयता के ध्रुव बिंबों ने उनकी दृष्टि को प्रखरता दी है । राष्ट्रीयता बोध के साथ साथ शहीदों को नमन दीपक से उठती चुपचाप जलती हुई निष्कंप किरण है जिसके जीवन की सार्थकता दूसरों को अंधकार से ज्योति की ओर प्रवृत करने में हैं । कला कला के लिए या अपने पांडित्य प्रदर्शन जैसे भावों की तुष्टि की भावना कहीं दृष्टिगोचर नहीं होती । कविताएं लयात्मक हैं और गेयता का आकर्षण उत्पन्न करने के लिए अपनी रचना तुकांत छंदों में की है । अपनी समूची रचना यात्रा में आपने किसी का अनुकरण नहीं किया और न ही किसी की अनुगामी बनी । अलंकार स्वतः समाहित हो गए हैं । मानवीकरण का प्रयोग सौंदर्य की अभिवृद्धि करता है । कहीं कहीं वज़्न कम होने के कारण काफिया खटकता है । वर्तनी संबंधी दोष मुक्त रचनाएं उत्सर्जक व प्रेरक हैं । श्रेष्ठ , सामयिक एवं प्रासंगिक ' वीरों का वंदन ' श्लाघनीय हैं इसकी सराहना होनी ही चाहिए ।

कृति - वीरों का वंदन (काव्य संग्रह)
रचनाकार - डॉ. रीता सिंह
प्रकाशक - साहित्यपीडिया पब्लिशिंग
मूल्य - ₹ 150
प्रथम संस्करण - 2020
**समीक्षक - मेजर अवध किशोर शर्मा
चन्दौसी ,जिला सम्भल
उत्तर प्रदेश, भारत

5 टिप्‍पणियां: