तुम्हारे द्वारा कराये गये
हर अहसास को
महसूस किया है मैंने ।
तुम बनकर मेरी प्रेरक शक्ति
कराते हो हर पल
मुझे उन अहसासों को
जो जीवन पथ में आने वाली
हर मुश्किलों को सुलझाने में
मेरे किसी अच्छे मित्र के समान
सहायक होंगे ।
सूरज निकलने से सूरज ढलने तक
तुम्हारे द्वारा किए जाने वाले
श्रम के पश्चात
उसका मनोनुकूल फल भी
जब तुम्हें नहीं मिलता
तब मैं तुम्हारा अधिकार
तुम्हें दिलाने के लिए
तुम्हारे साथ होना चाहती हूँ ,
लेकिन किसी मजबूरी का
बहाना लेकर
सिर्फ अपनी सहानुभूति को
तुम्हारे साथ कर देती हूँ ।
जब संध्या ढले घर पहुँचने पर
तुम्हारी नन्हीं गुड़िया
ढेर सारी बचपनी आशाों के साथ
तुम्हारे खाली हाथ देखती है
तब मेरे प्यार , दुलार और
ममत्व का अहसास
तुम्हारी उस गुड़िया के साथ होता है ।
तुम्हारी पत्नी की
पुरानी सी मटमैली धोती में
लिपटे हुए तुम्हारे
गोदी के बालक को देखकर
मन करता है
मैं गोद लेकर उस भावी नागरिक का
पालन पोषण करूँ
और बचा लूँ उसे
विचलित कर देने वाले
दुःखों के हर उन थपेड़ों से
जिनका तुम मुझे
कदम कदम पर
अहसास कराते हो ।
✍️ डॉ रीता सिंह
एन के बी एम जी कॉलेज
चन्दौसी (सम्भल)
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