सोमवार, 2 दिसंबर 2019

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग जी की पुण्यतिथि के अवसर पर एक दिसंबर 2019 को आयोजित समारोह में साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी को 'राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति साहित्य साधक सम्मान' से किया गया सम्मानित

 मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग जी की पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार एक दिसंबर 2019 को आयोजित समारोह में महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी को 'राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति साहित्य साधक सम्मान' से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें मानपत्र, अंगवस्त्र, प्रतीक चिह्न, श्रीफल एवं सम्मान-राशि भेंट की गई। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार  माहेश्वर तिवारी ने की। मुख्य अतिथि महाराजा हरिश्चन्द्र महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ मीना कौल एवं विशिष्ट अतिथि  सागर तरंग प्रकाशन के संचालक साहित्यकार  अशोक विश्नोई, श्री रामदत्त द्विवेदी, प्रख्यात हास्य व्यंग्य कवि डॉ मक्खन 'मुरादाबादी' एवं श्रीमती शिखा रस्तोगी रहे। माँ शारदे की वंदना  मयंक शर्मा ने प्रस्तुत की तथा संचालन संयुक्त रूप से सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' एवं संस्था के कार्यकारी महासचिव राजीव 'प्रखर' ने किया।

राजीव 'प्रखर' द्वारा सम्मानित साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित आलेख का वाचन किया गया।

 माहेश्वर तिवारी ने कहा कि डॉ मनोज रस्तोगी  ने  अपनी लेखनी के माध्यम से हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया है। मुरादाबाद के साहित्यकारों पर किया गया उनका शोधकार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिये डॉ मनोज रस्तोगी मुरादाबाद के साहित्य को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में प्रयासरत हैं । डॉ मीना कौल ने कहा कि डॉ मनोज रस्तोगी मुरादाबाद की साहित्यिक विरासत को सहेजने का बहुमूल्य कार्य कर रहे हैं । अशोक विश्नोई ने कहा कि डॉ मनोज रस्तोगी के पास मुरादाबाद के साहित्य का अमूल्य भंडार है । इतिहासकार डॉ अजय अनुपम ने कहा कि  डॉ मनोज रस्तोगी मुरादाबाद के साहित्यिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत व इतिहास को उजागर करते हुए उसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का सराहनीय कार्य कर रहे हैं ।

वक्ताओं ने स्मृतिशेष श्री राजेन्द्र मोहन जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर भी प्रकाश डाला ।

  इस अवसर पर काव्य-गोष्ठी का आयोजन भी किया गया जिसमें जितेन्द्र कुमार जौली (सचिव, हिन्दी साहित्य संगम), नेपाल सिंह पाल, मोनिका मासूम, हेमा तिवारी भट्ट, मीनाक्षी ठाकुर, रामवीर सिंह वीर, अशोक विद्रोही, राशिद मुरादाबादी, राजीव 'प्रखर', मनोज 'मनु', योगेन्द्र वर्मा व्योम, रवि चतुर्वेदी, शिशुपाल 'मधुकर', वीरेंद्र 'ब्रजवासी', रामवीर सिंह 'वीर', रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, ज़िया ज़मीर, डॉ० अजय 'अनुपम', राम दत्त द्विवेदी, मयंक शर्मा, अशोक विश्नोई, डॉ० मीना कौल, माहेश्वर तिवारी, डॉ मनोज रस्तोगी आदि ने काव्य पाठ किया। संस्था के अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी ने आभार-अभिव्यक्त किया। 


























































बुधवार, 23 अक्तूबर 2019

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था श्री गोविन्द हिन्दी साहित्य सेवा समिति की ओर से मंगलवार 22 अक्टूबर 2019 को रमेश विकट, डॉ अर्चना गुप्ता एवं डॉ रीता सिंह के सम्मान में काव्य संध्या का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था श्री गोविन्द हिन्दी साहित्य सेवा समिति के तत्वावधान में मंगलवार 22 अक्टूबर 2019 को आयोजित सम्मान समारोह एवं काव्य-संध्या में वरिष्ठ साहित्यकार  रमेश विकट (बरेली), डॉ अर्चना गुप्ता (मुरादाबाद) एवं डॉ रीता सिंह (मुरादाबाद) को मान पत्र, अंग वस्त्र, एवं प्रतीक चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।  अध्यक्षता रमेश विकट ने की। मुख्य अतिथि डॉ आर सी शुक्ला एवं विशिष्ट अतिथि डॉ महेश दिवाकर, ओंकार सिंह 'ओंकार', योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई एवं वीरेंद्र सिंह 'बृजवासी' थे। माँ शारदे की वंदना राम सिंह निशंक ने प्रस्तुत की । संचालन संयुक्त रूप से राजीव 'प्रखर' एवं श्रीकृष्ण शुक्ल द्वारा किया गया।

काव्य संध्या में शायर मुरादाबादी, राजीव 'प्रखर,' रघुराज निश्चल, हेमा तिवारी भट्ट, उदय प्रकाश उदय, श्रीकृष्ण शुक्ल, रामसिंह निशंक, रामवीर सिंह वीर, डॉ मनोज रस्तोगी, अशोक विश्नोई, डॉ अर्चना गुप्ता, डॉ रीता सिंह, रवि चतुर्वेदी, ओंकार सिंह ओंकार, वीरेंद्र बृजवासी, योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई, डॉ महेश दिवाकर, डॉ आरसी शुक्ला एवं श्री रमेश विकट ने काव्य पाठ किया। संस्था के अध्यक्ष श्री राम वीर सिंह वीर ने आभार-अभिव्यक्त किया। 



















सोमवार, 7 अक्तूबर 2019

वाट्स एप पर संचालित साहित्यिक मुरादाबाद समूह में रविवार 6 अक्टूबर 2019 को हुआ 170 वां वाट्स ऍप हस्तलिपि कवि सम्मेलन एवं मुशायरा

मेरे द्वारा वाट्स ऍप पर संचालित साहित्यिक मुरादाबाद समूह में  रविवार को हस्तलिपि वाट्सएप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाता है। समूह की ओर से यह अनोखी शुरुआत सन 2016 में की गई थी । इस शुरुआत को प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया पर जमकर सराहा भी गया । यह आयोजन निरंतर जारी  है। इन आयोजन में मुरादाबाद मंडल के साहित्यकार सादे कागज पर  स्वरचित काव्य रचना अपनी हस्तलिपि में लिखते हैं । रचना के अंत में हस्ताक्षर करते हैं । अपना नाम, पता और मोबाइल फोन नंबर लिखते हैं ।  कागज के एक कोने में अपना पासपोर्ट साइज का फ़ोटो भी चिपकाते हैं । अब इसका चित्र लेकर उसे साहित्यिक मुरादाबाद में  साझा कर देते हैं ।

6 अक्टूबर 2019 को  170 वां वाट्स एप  हस्तलिपि कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया था । प्रस्तुत है इस आयोजन में शामिल रचनाकारों डॉ मीना नकवी, रवि प्रकाश जी, राहुल शर्मा, अलका अग्रवाल, मनोज मनु, अभिषेक रुहेला, राजीव प्रखर, डॉ रीता सिंह, श्री कृष्ण शुक्ल, बलवीर सिंह, नृपेंद्र शर्मा सागर और मेरी रचनाएं उन्हीं की हस्तलिपि में .....















बुधवार, 31 जुलाई 2019

मुरादाबाद में भी की थी महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना

धार्मिक और सांस्कृतिक नव जागरण के अग्रदूत महर्षि दयानन्द सरस्वती ने मुरादाबाद प्रवास के दौरान न केवल अपनी ओजस्वी वाणी से वैदिक धर्म का प्रचार किया बल्कि पादरी पार्कर (इन्हीं के नाम पर यहां पार्कर इंटर कालेज है)से कई दिन तक लिखित शास्त्रार्थ भी किया था। यही नहीं उन्होंने यहां आर्य समाज की स्थापना भी की । आर्य संस्कृति के प्रचार- प्रसार में इस आर्य समाज का उल्लेखनीय योगदान रहा है । वर्तमान में यह मंडी बांस में संचालित हो रहा है । महर्षि दयानन्द सरस्वती का आगमन मुरादाबाद में दो बार हुआ था। दोनों ही बार वह यहां राजा जयकृष्ण दास की कोठी में ठहरे और धर्म प्रचार किया।पहली बार महर्षि सन 1876 में मुरादाबाद आये और राजा साहब की कोठी के चबूतरे पर कई दिन व्याख्यान दिये। इसी दौरान रैबरेंड डब्ल्यू पार्कर साहब से लगभग पंद्रह दिन महर्षि दयानंद जी का लिखित शास्त्रार्थ हुआ था। शास्त्रार्थ के अंतिम दिन सृष्टि कब उत्पन्न हुई पर विशद् चर्चा हुई। उन्होंने उस समय यहां आर्य समाज की शाखा भी स्थापित की थी ,परन्तु उनके चले जाने के बाद यह समाप्त हो गयी थी।
 सन 1879 में 20 जुलाई को विधिवत हुई आर्य समाज मुरादाबाद की स्थापना
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महर्षि दयानन्द सरस्वती जब दूसरी बार तीन जुलाई सन 1879 को मुरादाबाद आये । राजा जयकृष्ण दास की कोठी पर ही उन्होंने पुनः आर्य समाज की स्थापना के संदर्भ में चर्चा की । चर्चा के दौरान साहू श्यामसुंदर ब्रजरतन कोठीवाल ने आर्यसमाज मंदिर के लिए भवन देने का वचन दिया। इसपर महर्षि ने राजा जयकृष्ण दास की कोठी पर ही 20 जुलाई 1879 को आर्य समाज की स्थापना कर दी और मुंशी इंद्रमणि को प्रधान बना दिया । मुंशी इंद्रमणि अरबी,फ़ारसी के विद्वान होने के साथ साथ इस्लाम व ईसाई धर्म के प्रखर आलोचक थे । राजा जयकृष्ण दास के पुत्र कुंवर परमानंद और ठाकुर शंकर ंिसंह को मंत्री नियुक्त किया। कोषाध्यक्ष श्यामसुंदर जी और पुस्तकालयाध्यक्ष जगन्नाथ दास जी बनाये। इसके अतिरिक्त 38 सदस्य बनाए गए ।
मंडी बांस में निर्मित भवन में स्थापित हुआ आर्य समाज मंदिर
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आर्य समाज के गठन के पश्चात साहू श्यामसुंदर की कोठी में विधिवत साप्ताहिक सत्संग प्रारम्भ हो गया। मंडी बांस में आर्य समाज मंदिर का भवन जब सन 1881 में बनकर तैयार हो गया तो यहां नियमित रूप से साप्ताहिक सत्संग प्रारम्भ हो गया। इस भवन के ऊपरी कक्ष में सत्संग होता था। नीचे के कक्ष में बलदेव संस्कृत पाठशाला स्थापित की गई जो कालांतर में स्थानांतरित हो गई। इस भवन का जीर्णोद्धार सन 1952 में डॉ कृष्ण कुमार ने तथा सन1998 में डॉ हंसराज चोपड़ा ने कराया। वर्तमान में इसी भवन में स्त्री आर्य समाज का भी संचालन हो रहा है । 
 प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा का मुख्यालय भी था यहां
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 आर्य प्रतिनिधि सभा पश्चिमोत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की स्थापना सन 1886 में हुई थी। प्रतिनिधि सभा का मुख्यालय भी सन उन्नीस सौ तक मुरादाबाद में ही रहा । यहीं से प्रांत की समस्त आर्य समाजों का संचालन किया जाता था। प्रतिनिधि सभा द्वारा सन1896 में उर्दू साप्ताहिक पत्र मुहर्रिक का प्रकाशन शुरू किया गया। इस पत्र के संपादक प्रतिनिधि सभा के तत्कालीन मंत्री मुंशी नारायण प्रसाद (महात्मा नारायण स्वामी ) थे। इसका प्रकाशन आर्य भास्कर प्रेस से होता था। लगभग 1 वर्ष बाद यही मुहर्रिक हिंदी साप्ताहिक आर्यमित्र नाम से प्रकाशित होने लगा। लगभग छह वर्ष तक इसका प्रकाशन मुरादाबाद से हुआ।
 धूमधाम से मनाया गया था आर्य समाज स्थापना शताब्दी समारोह
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 आर्य समाज (मंडी बांस) मुरादाबाद का चार दिवसीय शताब्दी समारोह सन 1979 में धूमधाम से मनाया गया था । 21 अक्टूबर को शोभा यात्रा निकाली गई थी तथा 22 से 24 अक्टूबर तक यज्ञ, भजन, प्रवचन का आयोजन किया गया था । समारोह की अध्यक्षता आर्य विद्वान व इतिहासवेत्ता स्वामी ओमानंद सरस्वती ने की थी। संयोजक मंडल में डॉ हंसराज चोपड़ा, कृष्णलाल अरोड़ा, वीरेंद्र नाथ, रामप्रसाद गुप्त, महेश चंद्र आर्य, विनय कुमार, ज्ञान प्रकाश थे। इस अवसर पर डॉ कृष्ण कुमार के संपादन में स्मारिका का भी प्रकाशन हुआ था ।
 प्रत्येक मंगलवार को होता है साप्ताहिक सत्संग
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 आर्य समाज मंडी बांस के प्रधान निर्मल आर्य बताते हैं कि यहां प्रत्येक मंगलवार को सुबह साप्ताहिक सत्संग आयोजित होता है। प्रत्येक वर्ष होली पर्व से पूर्व तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव तथा जुलाई में तीन दिवसीय स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है । इसके अतिरिक्त नवसम्वत्सर पर प्रभातफेरी निकाली जाती है जो मंडी चौक, अमरोहा गेट, कोतवाली, गंज गुरहट्टी, कोर्ट रोड, गुलजारीमल धर्मशाला रोड, बुध बाजार होते हुए स्टेशन रोड आर्य समाज पर समाप्त होती है।
 होम्यो चिकित्सालय व योग शिक्षा केंद्र भी हो रहा है संचालित
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 मंत्री आर्य मनोज कुमार रस्तौगी ने बताया कि आर्य समाज मंडी बांस द्वारा गुरु बिरजानंद धार्मिक होम्यो चिकित्सालय का संचालन किया जा रहा है, जिसमें होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ संदीप कुमार प्रतिदिन प्रातः व सायं रोगियों की चिकित्सा व औषधि वितरण करते हैं। समाज द्वारा योग शिक्षा केंद्र भी संचालित किया जा रहा है ,जिसमें उनके द्वारा प्रतिदिन सुबह योग कक्षा संचालित की जाती है। प्रत्येक वर्ष जून में बीस दिवसीय योग शिविर भी आयोजित किया जाता है।
 स्त्री आर्य समाज का भी होता है सत्संग
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स्त्री आर्य समाज की मंत्राणी प्रीता आर्य बताती हैं यहां प्रत्येक शनिवार को सायं स्त्री समाज की ओर से साप्ताहिक सत्संग होता है ,जिसमें यज्ञ, भजन, प्रवचन का आयोजन किया जाता है। तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के अतिरिक्त मकर संक्रांति,होली व तीज पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं ।
 मनाया गया 141 वां स्थापना दिवस
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आर्य समाज मंडी बांस का तीन दिवसीय 141 वां स्थापना दिवस समारोह 20 से 22 जुलाई 2019 तक धूमधाम से मनाया गया ।प्रातः 7-30 से 11-00 बजे तक और सायं 5-00 से 8-30 बजे तक यज्ञ,भजन और प्रवचन आयोजित हुए । समारोह में बाराबंकी से आए वैदिक प्रवक्ता आचार्य सुरेश जोशी एवं भजनीक आचार्या रुक्मणि जोशी के व्याख्यान हुए।यज्ञ के ब्रह्मा आर्य पुरोहित पंडित ऋषिपाल शास्त्री रहे ।
 सत्यार्थ प्रकाश लिखने की प्रेरणा दी थी
राजा जय कृष्ण दास ने -
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 राजा जयकृष्ण दास की प्रेरणा से ही स्वामी दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश की रचना आरंभ की। राजा साहब ने ही अनेक ग्रन्थ जर्मनी से मंगा कर स्वामी जी को दिये। यही नहीं सत्यार्थ प्रकाश का प्रथम प्रकाशन भी उन्होंने स्टार प्रेस काशी में कराया। सत्यार्थ प्रकाश के चौदहवें समुल्लास के संशोधन का गौरव भी मुरादाबाद के मुंशी इंद्रमणि को प्राप्त होता है। ::::::::::::::::प्रस्तुति::::::::::::





✍️डॉ मनोज रस्तोगी 8, जीलाल स्ट्रीट मुरादाबाद 244001 उत्तर प्रदेश,भारत मोबाइल फोन नंबर 9456687822