सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम ने 6 फरवरी 2022 को किया मतदान एवं वसंत को समर्पित ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन


मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य संगम की ओर से रविवार 6 फरवरी 2022 को मतदान जागरूकता एवं वसंत पर आधारित एक ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर किया गया।                

राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ओंकार सिंह ओंकार ने वसंत के रंग में सभी को डुबोते हुए कहा  - 

फूल खिलते हैं हसीं हमको रिझाने के लिए। 

ये बहारों का है मौसम गुनगुनाने के लिए ।। 

बाग़ में चंपा, चमेली ,खेत में सरसों खिली,

 हर कली तैयार है अब मुस्कुराने के लिए ।।

 मुख्य अतिथि सरिता लाल ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा - 

जागो जागो हे देशवासियों अब तुम जागो, 

राष्ट्र हित का राष्ट्र प्रेम का बिगुल बजा दो और तुम जागो।

विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. मनोज रस्तोगी ने परिस्थितियों पर कटाक्ष व मतदान का आह्वान किया - 

रिझाने के दिन आ गए, 

लुभाने के दिन आ गए।

 पांच साल में लगी आग 

बुझाने के दिन आ गए। 

सोच समझ करें मतदान, 

बताने के दिन आ गए।

विशिष्ट अतिथि नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने मतदान का आव्हान करते हुए कहा - 

उत्सव है यह लोकतंत्र का सभी करें मतदान।

 पाँच वर्ष के बाद सुनहरा अवसर आता है,

 हमें हमारा फ़र्ज़ राष्ट्रहित जो समझाता है।

अच्छा-सच्चा चुनें, गढ़ें फिर स्वर्णिम हिन्दुस्तान।

संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने अपने उद्गार इस प्रकार व्यक्त किए - 

फिर विटप से गीत कोई, अब सुनाओ कोकिला। 

आस जीने की जगा कर कूक जाओ कोकिला। 

हों तुम्हारे शब्द कितने ही भले हमसे अलग, 

पर हमारे भी सुरों में सुर मिलाओ कोकिला। 

 कवयित्री मोनिका मासूम ने परिस्थिति पर सुंदर कटाक्ष किया - 

जीत का मंत्र है आजकल, 

वक्त के साथ में...दल - बदल। 

खेल दर'अस्ल सिक्कों का है, 

कोई कैसे न जाए फिसल। 

नकुल त्यागी की अभिव्यक्ति प्रकार रही - 

यह केवल अधिकार नहीं, है कर्तव्य हमारा 

 मताधिकार जनतंत्र में, है हथियार हमारा।

 कवयित्री डाॅ. प्रीति हुंकार की अभिव्यक्ति इस प्रकार थी  - 

लोकतंत्र का पर्व महान। 

आया है फिर से मतदान। 

वोट की कीमत समझ रहे हैं 

बच्चे ,बूढ़े और जवान। 

प्रशांत मिश्र का कहना था  - 

ज़िन्दगी एक शाम बन जाती है,

 जो सवेरा होने के इंतज़ार में ढलती जाती है।

 कवयित्री इंदु रानी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा -

 गर हालात बदलना है।

वोट देने चलना है। 

पछताओगे बाद में फिर, 

बैठे हाथ को मलना है। 

कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट का कहना था - 

शिशिर विचारों से हटे,हो बसंत सी भोर।

 'हेमा' मन रवि यदि बढ़े,सम्यक पथ की ओर।

प्रशांत मिश्र द्वारा आभार अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम विश्राम पर पहुँचा। 

------प्रस्तुति-----

राजीव 'प्रखर'

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

8941912642 , 9368011960 

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' की ओर से वसंतपंचमी पर साहित्यकार माहेश्वर तिवारी के नवीन नगर स्थित आवास पर "वसंत-राग"(काव्य एवं संगीत-संध्या) का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' की ओर से वसंतपंचमी  पांच फरवरी 2022 को सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी के नवीन नगर स्थित आवास पर "वसंत-राग"(काव्य एवं संगीत-संध्या) का आयोजन किया गया। 

   वरिष्ठ कवयित्री डा. पूनम बंसल द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से आरम्भ हुए कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने वसंत-गीत प्रस्तुत किया-

   "हमसे दुनिया जहान की बातें

   क्या हुईं फूल पान की बातें

   भूख पत्ते चबा रही है यहाँ

   मत करो आसमान की बातें।" 

  कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विख्यात हास्य-व्यंग्य कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी ने कविता प्रस्तुत की-

  "आजकल

  बड़ी अजीब सी

  ज़िन्दगी जी रहे हैं हम

  हमने

  दोस्तों के आंगन में

  गुलाब उगाये

  लेकिन उनके कांटे

  हमारे ही कपड़े

  फाड़ने के काम आये

  कुछ करने के नाम पर

  उन्हीं को

सी रहे हैं हम।" 

  मुख्य अतिथि डॉ. चन्द्रभान सिंह यादव ने कहा-"बसंत  मौसम की युवावस्था है।यह ऋतु और प्रकृति परिवर्तन का प्रतीक भी है।आज ही  महाकवि निराला  का जन्मदिन हुआ था।" 

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ शायर डॉ० कृष्ण कुमार नाज़ ने ग़ज़ल पेश की-

    "है अपने हश्र से वाक़िफ़ हर एक परवाना

    किसी चिराग़ की लौ में सिमट के रह जाना

    तेरे निज़ाम को समझे, तो किस तरह कोई

    यहीं पे रौनक़े-दुनिया, यहीं पे वीराना।" 

  कवयित्री विशाखा तिवारी ने कविता पढ़ी-

  "पेड़ों को

  नव पल्लवों से

  सजाने वाले

  मन में होरी-ठुमरी की मिठास

  घोलने वाले

  ऋतुराज

  तुम कहाँ विलय हो गये।" 

कवयित्री डा. पूनम बंसल ने रचना प्रस्तुत की-

    "लो वसंत है आ गया, लिए प्रेम के हार/

    मन-मंदिर में सज गए, अभिलाषा के द्वार/

    मौसम की है मादकता, मदन चलाए तीर/

    नैनों की भाषा कहे, मनवा प्रेम अधीर।" 

 साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने कविता प्रस्तुत की-

    "रिझाने के दिन आ गए

    लुभाने के दिन आ गए

    पाँच साल में लगी आग 

    बुझाने के दिन आ गए।" 

कवि योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने वासंती दोहे प्रस्तुत किए-

  "खुश हो कहा वसंत ने, देख धरा का रूप

  ठिठुरन के दिन जा चुके, जिओ गुनगुनी धूप

  महकी धरती देखकर, पहने अर्थ तमाम

  पीली सरसों ने लिखा, खत वसंत के नाम"

 शायर ज़िया ज़मीर ने ग़ज़ल पेश की-

   "जैसे हर पल तिरा ख़याल आऐ

   काश ऐसे शबे-विसाल आऐ

   कुछ तो हो रात काटने के लिए

   तू न आए तिरा ख़याल आऐ।"

कवि राजीव 'प्रखर' ने दोहे पढ़े-

    "छेड़े सम्मुख माघ के, कोकिल मीठी तान

    सरसों भी कुछ कम नहीं, फेंक रही मुस्कान

    बैर-भाव-विद्वेष का, कर भी डालो अंत

    पीली चुनरी ओढ़ कर, कहता यही वसंत"

कवि समीर तिवारी ने मुक्तक प्रस्तुत किया-

    "चाँदनी दीवार-सी ढहने लगी है

    नींद सपनों की कथा कहने लगी है

    एक चिड़िया पंख फैलाये हुए

    आँख के भीतर कहीं रहने लगी है।" 

 कवि श्रेष्ठ वर्मा ने कविता सुनाई-

  "बहुत कुछ नया सा है अब मगर

  फिर भी सबकुछ वही है

  कहानी किस्से नये हैं अब मगर

  लोग पुराने सब वही हैं

  नया साल तो फिर आ गया मगर

  दीवार पर टँगी वो घड़ी वही है।" 

  कवि प्रत्यक्ष देव त्यागी ने भी अपनी कई रचनाएं प्रस्तुत कर मन मोह लिया ।

  कार्यक्रम के दूसरे चरण में सुप्रसिद्ध संगीतज्ञा बालसुंदरी तिवारी, मुजफ्फरनगर की संगीतज्ञा सरिता शर्मा, सुप्रसिद्ध तबलावादक राधेश्याम एवं संगीत छात्राओं कृतिका, सिमरन, लिपिका, प्रगति, आदया ने सांगीतिक प्रस्तुतियां दीं।

  आभार अभिव्यक्ति आशा तिवारी  ने प्रस्तुत की।















::::::::प्रस्तुति:::::::

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'

संयोजक

साहित्यिक संस्था 'अक्षरा'

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल- 9412805981

बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

मुरादाबाद मंडल के बहजोई (जनपद सम्भल) के साहित्यकार दीपक गोस्वामी चिराग की रचना ---मतदान करो मतदान करो


 

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की रचना -देने अपना वोट चलो तुम अब के चुनावी मौसम में.


 

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर के दोहे -तू-तू, मैं-मैं छोड़कर करें सभी मतदान


 

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

मुरादाबाद मंडल के चन्दौसी (जनपद सम्भल ) निवासी साहित्यकार रमेश अधीर की रचना ---लोकतंत्र के पर्व में हिस्सा लें श्रीमान


 

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की रचना --करना है मतदान


 

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा ) की साहित्यकार रेखा रानी की रचना ---छोड़ कर सारे काम, पहले कीजिये मतदान


 

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की रचना -- हम वोट डालने जाएंगे ...


 

मुरादाबाद की साहित्यकार रश्मि प्रभाकर की रचना ---सब मत देने की तैयारी कर लें


 

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार मनोरमा शर्मा की रचना ---चलो मतदान करें हम


 

मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यन्त बाबा कर रहे हैं मतदान का आह्वान


 

मुरादाबाद की साहित्यकार इंदु रानी की रचना --देने वोट को चलना है ..


 

मुरादाबाद के साहित्यकार श्रीकृष्ण शुक्ल का गीत --वोट डालना जरूर ,आपका यह काम है ...

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मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ स्वदेश भटनागर की चौदह ग़ज़लें । ये ग़ज़लें हमने ली हैं उनके ग़ज़ल संग्रह 'जिस्म रोटी का नंगा होता है ' से । उनका यह ग़ज़ल संग्रह वर्ष 2016 में अयन प्रकाशन नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुआ है ।


 














✍️ डॉ स्वदेश भटनागर

निकट केल्टन स्कूल, लाइनपार

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9760929503, 7983639799

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग की बीस ग़ज़लें । ये गजलें हमने ली हैं उनके ग़ज़ल संग्रह 'धूप आती ही नहीं' से । उनकी यह कृति पार्थ प्रकाशन मुरादाबाद द्वारा वर्ष 2009 में प्रकाशित हुई थी ।


 




















:::::::;:प्रस्तुति:::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822