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शनिवार, 19 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार ( वर्तमान में दिल्ली निवासी )आमोद कुमार अग्रवाल का गीत ---- प्रीत नहीं जिनके अन्तर में,व्यर्थ ही ये काया पाई, खुद मंज़िल पे जा पहुँचे और,औरों को न राह दिखाई।

 

प्रीत नहीं जिनके अन्तर में,व्यर्थ ही ये काया पाई,
खुद मंज़िल पे जा पहुँचे और,औरों को न राह दिखाई।

सपन नहीं जिनकी निंदिया में,उन नयनों का सोना भी क्या 
आँसू निकले,दिल न रोया,उन आँखों का रोना भी क्या ।
मरहम नहीं रखा घावों पर,न किसी की जान बचाई,
प्रीत नहीं जिनके अन्तर में,व्यर्थ ही ये काया पाई।

सोने का सूरज ये क्षितिज पर,प्यार का संदेशा देता,
चाँदी का चँदा फिर आकर, नयनोंं में मोती भर देता।
प्रेम के अनमोल ये आँसू, इनकी   क्या  कीमत है लगाई, प्रीत नहीं जिनके अन्तर में, व्यर्थ ही ये काया पाई।

मत रो साथी,मृदु हास से ,अधरों का श्रंगार करो तुम,
बीत जायेगी ये निशा भी, भोर का इंतज़ार करो तुम।
नव प्रभात की पहली किरन ये,देखो सुख संदेशा लाई,
प्रीत नहीं जिनके अन्तर में, व्यर्थ ही ये काया पाई।
     
  ✍️ आमोद कुमार अग्रवाल

शनिवार, 12 सितंबर 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार ( वर्तमान में दिल्ली निवासी ) आमोद कुमार अग्रवाल की ग़ज़ल ----वीरान हो गए कितने,घर एक बीमारी से, ऐ मेरे मौला हमको, सज़ा ये मिली क्यों है


ज़िन्दगी बहती नदी है तो तिशनगी  क्यों  है,
गमों को साथ में लाए,ऐसी खुशी  क्यों  है।

राज़े हस्ती से दिल,   क्यों  ये दहल जाता है,
जो कली खिली भी नहीं,वह भी बिखरी  क्यों  है।

हमसफर का साथ अगर,साथ ये होता है,
सफर के हर गाम पर फिर,दरमियाँ दूरी  क्यों है।

ख्वाहिशें ज़िन्दगी में, जहाँ दम तोड़ती हैं,
राह मंज़िल की वहीं, खत्म होती क्यों  है।

वीरान हो गए कितने,घर एक बीमारी से,
ऐ मेरे मौला हमको, सज़ा ये मिली  क्यों  है।

अब तो मौतों पर भी, यहाँ ज़शन होते हैं,
शवों की भी स्वजनोंं के, ऐसी दुर्गति   क्यों  है।

"आमोद "चाँद तारे तो, सदियों से ऐसे ही हैं,
रोज़ रोज़ फिर दुनिया, ये बदलती क्यों है।
       
✍️आमोद कुमार अग्रवाल
सी -520, सरस्वती विहार
पीतमपुरा, दिल्ली -34
मोबाइल फोन नंबर  9868210248

शनिवार, 8 अगस्त 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में दिल्ली निवासी) आमोद कुमार की ग़ज़ल ---- ये होते हैं कुछ और दिखते हैं कुछ, झूठे वादों से रोज़ हमे बहलाने वाले।


रोज़ नया चेहरा चेहरे पर लगाने वाले,
खुद हैं गुमराह मुझे राह दिखाने वाले।

ये होते हैं कुछ और दिखते हैं कुछ,
झूठे वादों से रोज़ हमे बहलाने वाले।

रेल की पटरी पर सो जाते हैं थक कर,
वो जो बैडरूम हमारा बनाने वाले।

हम पैदल सड़क पर पुलिस न मारे कहीं,
हज़ारों वाहन हमे न पहुँचाने वाले।

गिरतों को थामे हैं हमे गिरा न कहो,
यहाँ लोग भी हैं उठतों को गिराने वाले।

बेदिली के दौर मे आ गए "आमोद"
न रहे दिल से दिल को लगाने वाले।
         
✍️आमोद कुमार अग्रवाल
सी -520, सरस्वती विहार
पीतमपुरा, दिल्ली -34
मोबाइल फोन नंबर  9868210248

सोमवार, 8 जून 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में दिल्ली निवासी) आमोद कुमार अग्रवाल के दो मुक्तक


जो स्वप्न देखा था, आओ उसकी एक तस्वीर बना लें,
ज़िन्दगी मे न सही, कागज़ पे कुछ लकीर बना लें,
जो दौलत के पीछे हैं, वह दिल की बात क्या  सुनेंगे,
जिन्दा रहने के लिए, अपना दोस्त एक फ़कीर बना लें।

सपन नहीं जिनकी निंदिया मे, उन नैनो का सोना भी   क्या
आँसू निकले,दिल न रोया, उन आँखों का रोना भी क्या
खुद मंज़िल पे जा पहुँचे और, औरों को न राह दिखाई,
प्रीत नही जिनके अंतर मे, उन लोगों का होना भी क्या।

 ✍️आमोद कुमार अग्रवाल
सी -520, सरस्वती विहार
पीतमपुरा, दिल्ली -34
मोबाइल फोन नंबर  9868210248

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार ( वर्तमान में दिल्ली निवासी ) आमोद कुमार के मुक्तक -- ये मुक्तक लिए गए हैं लगभग 56 साल पूर्व सन 1964 में हिंदी साहित्य निकेतन द्वारा प्रकाशित साझा काव्य संग्रह 'तीर और तरंग 'से। मुरादाबाद जनपद के 39 कवियों के इस काव्य संग्रह का संपादन किया था गिरिराज शरण अग्रवाल और नवल किशोर गुप्ता ने । भूमिका लिखी थी डॉ गोविंद त्रिगुणायत ने ।




              ::::::::::::प्रस्तुति :::::::::::::::

               डॉ मनोज रस्तोगी
               8, जीलाल स्ट्रीट
               मुरादाबाद 244001
                उत्तर प्रदेश, भारत
                मोबाइल फोन नंबर 9456687822