रोज़ नया चेहरा चेहरे पर लगाने वाले,
खुद हैं गुमराह मुझे राह दिखाने वाले।
ये होते हैं कुछ और दिखते हैं कुछ,
झूठे वादों से रोज़ हमे बहलाने वाले।
रेल की पटरी पर सो जाते हैं थक कर,
वो जो बैडरूम हमारा बनाने वाले।
हम पैदल सड़क पर पुलिस न मारे कहीं,
हज़ारों वाहन हमे न पहुँचाने वाले।
गिरतों को थामे हैं हमे गिरा न कहो,
यहाँ लोग भी हैं उठतों को गिराने वाले।
बेदिली के दौर मे आ गए "आमोद"
न रहे दिल से दिल को लगाने वाले।
✍️आमोद कुमार अग्रवाल
सी -520, सरस्वती विहार
पीतमपुरा, दिल्ली -34
मोबाइल फोन नंबर 9868210248
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