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🎤✍️प्रत्यक्ष देव त्यागी
झ-28, नवीन नगर, कांठ रोड
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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::::::::प्रस्तुति::::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822
जनता पिसती जाती है आज गरीबी में
हो रहा आज जीना दूभर है जनता का
तुम मस्त हो रहे फिर भी आज अमीरी में
रेशमी वस्त्र पहनो बैठो सिंहासन पर
शोभा न कभी ये जनप्रतिनिधि को देता है
हम भूखे-नंगे तड़पें दो-दो दानों को
तुम ऐश करो ज़ेबा न तुम्हें ये देता है
हमने ही तुम्हें बनाया और मिटा सकते
ये शक्ति छिपी मुट्ठीभर इसी फ़कीरी में
हर भारतवासी नाच रहा महँगाई के संकेतों पर
नारियाँ दे रहीं ताल आज है महँगाई के गानों को
दुधमुँहे बिलखते आज दूध बिन घर-घर में
पर माता-पिता विवश हैं उन्हें रुलाने को
ओ गाँधी के मानस पुत्रो कुछ सोचो तो
क्यों असंतोष है आज़ादी की पीढ़ी में
भ्रष्टाचारी फल-फूल रहे हर ओर यहाँ
ईमानदार की कोई कदर नहीं होती
हर ओर यहाँ पर आज झूठ का शासन है
सच्चाई आँखें ढक अँधियारे में रोती
ओ कर्णधार भारत की जनता के सोचो
क्यों भ्रष्टाचार पनपता है हर सीढ़ी में
✍️ राजेन्द्रमोहन शर्मा 'श्रृंग'
मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद (जनपद बिजनौर) के साहित्यिक समूह 'सुमन साहित्यिक परी' की ओर से रविवार 26 सितंबर 2021 को स्ट्रीम यार्ड पर, विभिन्न काव्य विधाओं पर आधारित " उन्मुक्त काव्यधारा" नामक कार्यक्रम के अंतर्गत एक ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका प्रसारण समूह के पेज दीपिका महेश्वरी 'सुमन' पर लाइव किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुरादाबाद के प्रतिष्ठित साहित्यकार राजीव प्रखर जी द्वारा माँ सरस्वती की वंदना से किया गया।
कार्यक्रम में मुरादाबाद से वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कोरोना काल के संदर्भ में मुक्तक प्रस्तुत करते हुए कहा -
"सुन रहे यह साल आदमखोर है।
हर तरफ चीख, दहशत, शोर है ॥
मत कहो वायरस जहरीला बहुत।
इंसान ही आजकल कमजोर है॥"
मुरादाबाद से चर्चित रचनाकार राजीव प्रखर ने अपने मुक्तकों की प्रस्तुति से मंच को इस प्रकार सुशोभित किया-
"दूरियों का इक बवंडर, जब कहानी गढ़ गया ।
मैं अकेला मुश्किलों पर, तान सीना चढ़ गया ।
हाल मेरा जानने को, फ़ोन जब तुमने किया,
सच कहूँ तो ख़ून मेरा, और ज़्यादा बढ़ गया ।"
मुरादाबाद से युवा साहित्यकार अरविंद कुमार शर्मा 'आनंद' ने अपनी सुंदर ग़ज़ल से दर्शकों को भावविभोर किया-
"वही मंज़िलें हैं, वही रास्ते हैं।
वही हौसले हैं, वही हादसे हैं॥"
मुरादाबाद से उपस्थित कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार थी -----
"सूरज प्राची से जब झांके , धरती पर मुस्काता कौन ।
खग समूह में पर फैलाये , कलरव गीत सुनाता कौन ।"
नजीबाबाद की कवयित्री दीपिका माहेश्वरी 'सुमन' (अहंकारा) ने ग़ज़ल के माध्यम से विश्वकर्मा जी को नमन वंदन किया----
" विश्वकर्मा जी हो जाए जगह धन्य जहां आकर रुकें।
बन जाए प्यारा आशियाना जहां आकर रुकें ॥"
काव्य-पाठ करते हुए प्रयागराज के वरिष्ठ ग़ज़ल कार अशोक श्रीवास्तव ने अपनी सुंदर गजल से मंच को इस प्रकार से शोभित किया-
"किसी के हाथ पीले हो रहे हैं,
किसी के नैन गीले हो रहे हैं |"
लखनऊ से व्यंग्य कवि मनमोहन बाराकोटी 'तमाचा लखनवी' ने मुक्तकों से मंच की शोभा बढ़ाई-
"संघर्ष की हर राह, कांटों की सेज होती है।
प्रतिभा विहीनों की चमक निस्तेज होती है।।
बनके यथार्थ चिन्तक, पैनी नजर जरूरी,
कलम की धार, तलवार से भी तेज होती है।।"
कोलकाता से उपस्थित हुए वरिष्ठ कवि कृष्ण कुमार दुबे ने मनमोहक ग़ज़ल से मंच को सुशोभित किया-
"ले गया मंज़िल तलक जो रहगुज़र अच्छा लगा।
साथ जिसने है निभाया राहबर अच्छा लगा।"
कानपुर से साहित्यकार विद्याशंकर अवस्थी पथिक ने कविता में चक्रव्यूह युद्ध नीति का वर्णन किया-
"चक्रव्यूह का नाम सुना तो धर्माचार्य भी घबड़ाये।
रणभूमि में कल क्या होगा सोंच सोच कर चकराये। "
जबलपुर से सुप्रसिद्ध साहित्यकार बसंत कुमार शर्मा ने मंच को ग़ज़ल से सुशोभित किया-
" कुछ और नहीं यूँ ही सताने के लिए आ
हक़ है मेरे दिल पर ये जताने के लिए आ
लखनऊ से ही प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ कुलदीप नारायण सक्सेना ने मंच को इस अंदाज़ में सुशोभित किया -
" स्वप्न संजोना व्यर्थ नहीं है
बाधाओं का तर्क यही है
गिरना फिर साहस कर उठना
जीवन का बस अर्थ यही है
मेरठ से वयोवृद्ध साहित्यकार गोविंद रस्तोगी ने गीत विधा में मंच को इस प्रकाश शोभित किया-
" धरती के कण कण में राधे
मन में मन दर्पण में राधे।"
लखनऊ से वरिष्ठ कवि मनोज कुमार श्रीवास्तव ने अपनी कविताओं से मंच को सुशोभित किया-
" मैं राष्ट्र धर्म मैं पुण्यकर्म
जो बलिदानों के गीत लिखे"
लखनऊ से सुप्रसिद्ध गीतकार राममूर्ति सिंह अधीर ने सुमधुर गीत से मंच को सुशोभित किया-----
"ये बादल क्यों आ जाते हैं,
क्यों मनमीत नहीं आते हैं?"
खंडवा मध्य प्रदेश से प्रसिद्ध नाटककार सुधीर देशपांडे ने अपनी कविता से मंच को इस प्रकार सुशोभित किया-----
"बच्चों की चाहत
होती है
कंधों पर चढकर
आसमान को छूने की"
अशोक चौधरी लखनऊ, आलोक रावत लखनऊ, मिथिलेश बडगैयाजबलपुर, अनिल शर्मा अनिल धामपुर,डॉ संगम लाल त्रिपाठी भंवर जी प्रतापगढ़, अशोक गिरि कोटद्वार, अमर चंद जैन फरीदाबाद आदि साहित्यकारों ने समीक्षा चरण में भाग लिया
समूह-संस्थापिका तथा कार्यक्रम-संचालिका दीपिका महेश्वरी 'सुमन' द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया।
दीपिका महेश्वरी सुमन
संस्थापिका'
सुमन साहित्यिक परी' समूह
नजीबाबाद, जनपद बिजनौर
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से आशियाना में कवयित्री डॉ रीता सिंह के आवास पर चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में काव्य- गोष्ठी का आयोजन मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया।
युवा कवि मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने अपनी चिर परिचित शैली में व्यंग्य का रंग भरते हुए कहा -
"सुन रहे यह साल आदमखोर है।
हर तरफ चीख, दहशत, शोर है।
मत कहो वायरस जहरीला बहुत,
इंसान ही आजकल कमज़ोर है।"
मुख्य अतिथि के रूप में चंदौसी के वरिष्ठ रचनाकार रमेश अधीर ने कहा --
"मैं धरती का बाशिंदा हूँ धरती मुझको भाती है।
आसमान में उड़ने वाली कला मुझे कब आती है।
आज हवाओं का भी दामन दानवता ने दाग़ दिया,
सुन-सुन कर क़िस्से कुटिलों के धरती धैर्य गँवाती है।"
विशिष्ट अतिथि के रूप में अखिलेश वर्मा ने ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए कहा ----
"जो सोच रक्खे हैं सारे सवाल बदलेंगे
ये उम्र बदलेगी तेरे ख़याल बदलेंगे
उगलते ज़ह्र हैं इंसान का लबादा है
बरोज़ हश्र के ये अपनी खाल बदलेंगे"
कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने सुरक्षा के लिये सजग रहने वाले वीर सैनिकों को नमन करते हुए कहा -
"निराशा ओढ़ कर कोई, न वीरों को लजा देना।
नगाड़ा युद्ध का तुम भी, बढ़ा कर पग बजा देना।
तुम्हें सौगन्ध माटी की, अगर मैं काम आ जाऊँ।
बिना रोये प्रिये मुझको, तिरंगे से सजा देना।"
कवयित्री डॉ. अर्चना गुप्ता ने अपने भावों को अपनी ग़ज़ल से अभिव्यक्ति देते हुए कहा -
"मुहब्बत करेगी असर धीरे धीरे।
उठेगी झुकी सी नज़र धीरे धीरे।
चलो साथ मेरे क़दम तुम मिलाकर,
लगेगा हसीं ये सफ़र धीरे धीरे।"
संयोजिका कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही -
"मैं वेद पुराणों की गाथा।
मैं भू का उन्नत सा माथा।
मैं गंगा सतलज की धारा,
मैं जग की आँखों का तारा।
मैं राम कृष्ण की धरती की,
नित लिखता नयी इबारत हूँ ।
मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ ....।"
युवा साहित्यकार मयंक शर्मा ने गीत की सुरीली तान कुछ इस प्रकार छेड़ी -
"मन ले चल अपने गाँव हमें शहर हुआ बेगाना,
दुख का क्या है दुख से अपना पहले का याराना।"
अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति करते हुए दुष्यंत बाबा ने कहा -
"सपने कागज पर उकेर कर खुद ही मिटाता हूँ।
गर्मी, सर्दी, बर्षा के साथ गम भी सह जाता हूँ।
भोजन के बाद सलाद में गालियां भी खाता हूँ।
इतनी आसानी से कहाँ पुलिसकर्मी बन जाता हूँ।"
कवयित्री डॉ. रीता सिंह द्वारा आभार अभिव्यक्त
किया गया ।
::::::::प्रस्तुति::::::::
राजीव प्रखर
डिप्टी गंज
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर को मेरठ (उ. प्र.) की प्रतिष्ठित 'काव्यसागर साहित्यिक संस्था' द्वारा रविवार 19 सितंबर 2021 को आयोजित समारोह में काव्यसागर हिन्दी दिवस सम्मान से सम्मानित किया गया। समारोह का आयोजन आर्यसमाज भवन, मेहंदी मुहल्ला, कंकरखेड़ा मेरठ में हुआ।
कवि अजीत कुमार अजीत द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मेरठ के वरिष्ठ रचनाकार जगदीश प्रसाद ने कहा -"साहित्य जगत में अपनी सतत् साधना व समर्पण के चलते राजीव प्रखर अल्पावधि में ही सभी के लिये एक अनुकरणीय उदाहरण बन चुके हैं।"
मुख्य अतिथि डाॅ. सरोजिनी तनहा' ने अपने उद्बोधन में कहा - "ऐतिहासिक मुरादाबाद की पावन माटी में जन्मे व पले-बढ़े लोकप्रिय रचनाकार राजीव 'प्रखर' का व्यक्तित्व व कृतित्व आज देश के विभिन्न साहित्यिक पटलों को गौरवान्वित कर रहा है जिसके लिये वह अभिनन्दन के पात्र हैं।"
विशिष्ट अतिथि कवयित्री डाॅ. मीनाक्षी शंकर ने कहा कि राजीव प्रखर ने दोहाकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की है ।
विशिष्ट अतिथि कवयित्री डाॅ. क्षमा गुप्ता ने कहा कि अपनी रचनाओं के माध्यम से श्री प्रखर हिन्दी की सेवा कर रहे हैं।
विशिष्ट अतिथि कवि बलजोर सिंह चिंतक ने कहा कि राजीव प्रखर हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन कार्य कर साहित्य की सेवा कर रहे हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि राधेश्याम 'अंजान' के संचालन में काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया ।
विभिन्न साहित्यकारों डॉ मक्खन मुरादाबादी, डाॅ. मनोज रस्तोगी, आनंद गौरव, योगेन्द्र वर्मा व्योम, डाॅ. संगीता महेश, अशोक विश्नोई, जितेन्द्र कमल आनंद, सुभाष राहत बरेलवी, डाॅ. पूनम बंसल. सत्यपाल सत्यम, सूर्यकांत द्विवेदी, ओंकार सिंह विवेक, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, ओंकार सिंह ओंकार, डाॅ. अर्चना गुप्ता, डाॅ. ममता सिंह, मीनाक्षी ठाकुर, रामदत्त द्विवेदी, रामसिंह निशंक, रघुराज सिंह निश्चल, हेमा तिवारी भट्ट, जितेन्द्र जौली, मयंक शर्मा, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ, ईशांत शर्मा ईशू , दुष्यंत बाबा, डाॅ. रीता सिंह, प्रीति शर्मा, डाॅ. अंजना दास, अर्चना शर्मा, डाॅ. तुषार अग्रवाल, डाॅ. कंचन सिंह, कंचन खन्ना आदि ने राजीव 'प्रखर' को मेरठ में सम्मानित किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।