मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से आशियाना में कवयित्री डॉ रीता सिंह के आवास पर चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में काव्य- गोष्ठी का आयोजन मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया।
युवा कवि मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने अपनी चिर परिचित शैली में व्यंग्य का रंग भरते हुए कहा -
"सुन रहे यह साल आदमखोर है।
हर तरफ चीख, दहशत, शोर है।
मत कहो वायरस जहरीला बहुत,
इंसान ही आजकल कमज़ोर है।"
मुख्य अतिथि के रूप में चंदौसी के वरिष्ठ रचनाकार रमेश अधीर ने कहा --
"मैं धरती का बाशिंदा हूँ धरती मुझको भाती है।
आसमान में उड़ने वाली कला मुझे कब आती है।
आज हवाओं का भी दामन दानवता ने दाग़ दिया,
सुन-सुन कर क़िस्से कुटिलों के धरती धैर्य गँवाती है।"
विशिष्ट अतिथि के रूप में अखिलेश वर्मा ने ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए कहा ----
"जो सोच रक्खे हैं सारे सवाल बदलेंगे
ये उम्र बदलेगी तेरे ख़याल बदलेंगे
उगलते ज़ह्र हैं इंसान का लबादा है
बरोज़ हश्र के ये अपनी खाल बदलेंगे"
कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने सुरक्षा के लिये सजग रहने वाले वीर सैनिकों को नमन करते हुए कहा -
"निराशा ओढ़ कर कोई, न वीरों को लजा देना।
नगाड़ा युद्ध का तुम भी, बढ़ा कर पग बजा देना।
तुम्हें सौगन्ध माटी की, अगर मैं काम आ जाऊँ।
बिना रोये प्रिये मुझको, तिरंगे से सजा देना।"
कवयित्री डॉ. अर्चना गुप्ता ने अपने भावों को अपनी ग़ज़ल से अभिव्यक्ति देते हुए कहा -
"मुहब्बत करेगी असर धीरे धीरे।
उठेगी झुकी सी नज़र धीरे धीरे।
चलो साथ मेरे क़दम तुम मिलाकर,
लगेगा हसीं ये सफ़र धीरे धीरे।"
संयोजिका कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही -
"मैं वेद पुराणों की गाथा।
मैं भू का उन्नत सा माथा।
मैं गंगा सतलज की धारा,
मैं जग की आँखों का तारा।
मैं राम कृष्ण की धरती की,
नित लिखता नयी इबारत हूँ ।
मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ ....।"
युवा साहित्यकार मयंक शर्मा ने गीत की सुरीली तान कुछ इस प्रकार छेड़ी -
"मन ले चल अपने गाँव हमें शहर हुआ बेगाना,
दुख का क्या है दुख से अपना पहले का याराना।"
अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति करते हुए दुष्यंत बाबा ने कहा -
"सपने कागज पर उकेर कर खुद ही मिटाता हूँ।
गर्मी, सर्दी, बर्षा के साथ गम भी सह जाता हूँ।
भोजन के बाद सलाद में गालियां भी खाता हूँ।
इतनी आसानी से कहाँ पुलिसकर्मी बन जाता हूँ।"
कवयित्री डॉ. रीता सिंह द्वारा आभार अभिव्यक्त
किया गया ।
::::::::प्रस्तुति::::::::
राजीव प्रखर
डिप्टी गंज
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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