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रविवार, 12 मई 2024
बुधवार, 17 मई 2023
मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की रचना ...... सौ कष्ट सह कर मां तू दुनिया में मुझको लाई
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सोमवार, 15 मई 2023
मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर का मुक्तक ......दुनिया भर की दौलत से भी बढ़ कर मां का साया है
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मुरादाबाद मंडल के शेरकोट (जनपद बिजनौर ) निवासी साहित्यकार शुचि शर्मा की रचना ..तू है मां तेरे कदमों
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रविवार, 14 मई 2023
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार की रचना ..... जीवन सा मां का स्पर्श
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मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की रचना ..... मां ही मेरी पहचान
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सोमवार, 9 मई 2022
रविवार, 8 मई 2022
मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल (वर्तमान में मेरठ निवासी ) के साहित्यकार सूर्यकांत द्विवेदी के मां को समर्पित तीन दोहे ....
1
बिना बीज होती नहीं, कभी फसल तैयार।
माँ क़ुदरत का नूर है, धरती पर अवतार।।
2
हर पल चिंता वो करे, सांसें करे उधार।
कागज, कलम दवात से, माँ है मीलों पार।।
3
हर दिन साँसों में चढ़े, जिसका क़र्ज़ अपार।
खिली खिली वह धूप है, ममता की बौछार।।
✍️ सूर्यकांत द्विवेदी
मेरठ
मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष दयानन्द गुप्त की रचना ----
मां शुभे स्नेह की आदि स्रोत,
अविरल अस्वार्थ, निर्मल अजस्त्र
आदर्श भावना भाव भूति
कल्याण मूर्ति, वरदान हर्ष।
***
जीवन पयस्विनी जगज्जननी,
मुद मोद मंगले मनननीय!
महिमावलीय प्रति चरण-चरण
लुंठित गुण गण ,ओ वंदनीय।
**
उज्ज्वल उदार उर से तेरे
वात्सल्य धवल सुरसरि फूटी
छूटी सन्तति से जग डाली
तेरी न कभी डाली छूटी।
रे जगत जननी जग अर्चनीय हे!
बार बार नित वर्णनीय हे !
संसृति शून्य असार स्नेह में
अतुल सर्व शुभ गणननीय है।
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रचयिता: स्व.दयानन्द गुप्त