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गुरुवार, 15 मई 2025
बुधवार, 14 मई 2025
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रेमवती उपाध्याय की सजल ....भारत सैन्यबलों के आगे, पूँछ दबा छिप जाता है
पाक नियत नापाक हो गईं छल -बल -सब अपनाता है।।
पक्का धोखेबाज दुष्ट यह अन करनी कर जाता है।।
एक बार दो बार नहीं यह वार पीठ पीछे करता।
भारत सैन्यबलों के आगे, पूँछ दबा छिप जाता है।।
शर्म नहीं आती है इसको, डूबे चुल्लू भर पानी में।
गीदड़ जैसी घुड़की देता, पिटे नहीं शर्माता है।।
आतंकी आकाओं के बल, निर्दोषों को मार रहा।
अरे अनाड़ी चापलूस क्यों, भारत से बैर बढ़ाता है।।
तेरी प्रजा तुझे कदाचित, क्षमा नहीं कर पायेगी।
त्राहि -त्राहि मची हुई क्यों, तू इनको बिलखाता है।।
✍️डॉ प्रेमवती उपाध्याय
मुरादाबाद
मंगलवार, 13 मई 2025
मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम की कविता...कुत्ते की दुम हो...
अठहत्तर साल हो गये लगभग
हमारे तुम्हारे बीच हुए बँटवारे को
लेकिन तुम आज भी वैसे ही हो
जैसे पहले थे
झूठे, उद्दण्ड, हिंसक, धूर्त, शातिर
ईर्ष्यालु, नकारात्मक,धर्मांध
इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी
नहीं आया कोई भी बदलाव
तुम्हारे भीतर
नहीं की तुमने कोई तरक्की
नहीं ला पाये तुम अपने भीतर
इंसानियत
सिर्फ लकीर के ही नहीं
हकीकत में भी
फकीर ही रहे तुम
अनगिनत बार
केवल ज़ख़्म ही दिए हैं तुमने
और हमने
सहन करने के साथ-साथ
मुँहतोड़ जबाब भी दिया है तुम्हें
हर बार की तरह इस बार भी
लेकिन तुम हो कि
नाम ही नहीं लेते हो सुधरने का
और प्रयास भी नहीं करते हो
अपने भीतर पल-पल पलती
नफ़रत को ख़त्म करने का
ज़माना कहाँ से कहाँ पहुँच गया, पर
जहाँ से चले थे
खड़े अब भी वहीं तुम हो
दरअसल
सच तो यह है कि
कभी सीधी न होने वाली
कुत्ते की दुम हो
✍️योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
सोमवार, 12 मई 2025
मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यंत बाबा की कविता....सैनिक का शौर्य
हम भारत के शूर समर में
भीषण विध्वंस मचाते हैं
आँख उठे भारत माता पर
हम अपना शौर्य दिखाते हैं
भारत की यह पावन माटी,
यहाँ बच्चा-बच्चा वीर है
मत समझो इन्हें तृण अकिंचन
यहाँ तिनका-तिनका तीर है
तनक हवा का मिले इशारा
आंखों में घुस जाते हैं
ठहरे हुए सिंधु में तूने
पहले पत्थर मारा है
मौत मिली उसको ही निश्चित
जो हम से टकराया हैं
अब लहरों की रोक सुनामी
हम तेरे तट पर आते हैं
धर्म नही सिखलाता हिंसा
पर हमको धर्म बचाना है
जन्म लिया है जिस माटी में
उसका भी कर्ज चुकाना है
हाथ में लेकर शस्त्र-शास्त्र
सब इष्ट देव समझाते हैं
जब भी गज की मद मस्ती को
कुत्तों ने कमजोरी माना
ऐसी मार लगाई गज ने
याद आ गए नानी नाना
पिटे हुए कुत्ते भी अक्सर
ऐसे ही दाँत दिखाते है
हम भारत के शूर समर में
भीषण विध्वंस मचाते हैं
आँख उठे भारत माता पर
हम अपना शौर्य दिखाते हैं
✍️ दुष्यंत ‘बाबा’
मानसरोवर,
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
शनिवार, 10 मई 2025
मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह के दोहे और गीत ...आतंकी अड्डे हुए देखो मटियामेट...
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मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह 'ओंकार' के सात मुक्तक .....रण वीरों ने कर दिया, आप्रेशन सिंदूर। आतंकी गढ़ कर दिए, बिल्कुल चकनाचूर ।।
(1)
जाति-धर्म के नाम पर, फैलाते आतंक।
पूरी धरती के लिए, वे हैं बड़े कलंक।।
ऐसे दुष्टों से करो, नहीं नर्म व्यवहार,
इनको अब दण्डित करो, होकर सभी निशंक।।
(2)
निर्दोषों को मारना, कहें धर्म का काज।
ऐसा कहने पर उन्हें, तनिक न आती लाज। ।
इन्हें पढ़ाकर भेजते, कई बड़े शैतान,
लाशों पर इंसान की, करते हैं ये राज।।
(3)
पहलगाम में धर्म की, कर-करके पहचान।
दुष्टों ने मारे सभी, सज्जन थे इंसान।।
इनको दण्डित कीजिए, कहीं न जाएँ भाग,
ये मानव के नाम पर, सब ही हैं शैतान।।
(4)
निर्दोषों को मारकर, करें घिनौना कर्म।
और बताते हैं उसे, सबसे उत्तम धर्म।।
रची सृष्टि जब ईश ने, मानव थे तब एक,
दुष्ट सोच के लोग यह, कभी न समझें मर्म।।
(5)
गीता में श्रीकृष्ण ने, दिया एक निर्देश।
रक्षित मानवता करो, तभी बचेगा देश।।
दुर्जन की पहचान कर, धनुष वाण ले हाथ,
दुष्टों से संग्राम का, देते हैं आदेश।।
(6)
रण वीरों ने कर दिया, आप्रेशन सिंदूर।
आतंकी गढ़ कर दिए, बिल्कुल चकनाचूर।।
आतंकी आका सभी, चकित रह गए देख,
दुष्टों के अभिमान को, चोट लगी भरपूर।।
(7)
अब भी यदि सुधरा नहीं, सुन ले पाकिस्तान।
धरती से मिट जायगा, तेरा नाम- निशान।।
भारत माँ के वीर ने, भरी अगर हुंकार,
मिट्टी में मिल जाएंगे, तेरे सब शैतान।।
✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार'
मुरादाबाद 24400111
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की रचना ....सिंदूर उजाड़ा था जिसने, अब उसको सबक सिखाना है। हर भारतवासी अंगारा, अब पाकिस्तान निशाना है।।
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1)
बच्चा-बच्चा अब भारत का, भारत मॉं का सेनानी है।
बंदूक हाथ में लिए हुए, समझो हर हिंदुस्तानी है।।
2)
सिंदूर उजाड़ा था जिसने, अब उसको सबक सिखाना है।
हर भारतवासी अंगारा, अब पाकिस्तान निशाना है।।
3)
हम भूल नहीं सकते उसको, जो पहलगाम हत्यारा है।
आतंकवाद के सॉंपों को, उनके घर घुसकर मारा है।।
4)
हम बुद्ध अहिंसक की धरती, लेकिन कमजोर नहीं मानो।
हम तांडव नृत्य जानते हैं, हमको त्रिशूल शिव का जानो।।
5)
हर युवा हिंद का सैनिक है, हर वृद्ध आग का गोला है।
खुल गया तीसरा नेत्र आज, अब दुश्मन डोला-डोला है।।
6)
संवाद कर रही बंदूकें, पापी को सबक सिखाती हैं।
अभिनंदन सेना का करतीं, आवाजें बढ़कर आती हैं।।
7)
हम हिंद नागरिक सच पूछो, तन-मन से युद्धाभ्यासी हैं।
मरने से नहीं डरे हैं हम, मृत्युंजय भारतवासी हैं।।
✍️ रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज),
रामपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल 9997615451
गुरुवार, 8 मई 2025
मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यंत बाबा की रचना ...सेना की सौगंध
सेना ने सौगंध उठाकर, अपने मन में ठाना है
भारत माँ को वचन दे दिया, पाकिस्तान मिटाना है
जब-जब पुष्प दिए तुमको, तुमने शूल बिखेरे हैं
जब भी तम को खोना चाहा, तुमने चुने अँधेरे हैं
बहुत हुए संवाद दया के, अब गीता ज्ञान सुनाना है।
अन्न दिया खाने को तुमको, और नीर भी पीने को
पर कश्मीर जुवां पर लाकर, आग लगा दी सीने को
खूब पिलाया पानी तुमको, अब भूखे पेट सुलाना है
कितने सुहाग उजाड़े तुमने, अब उजड़े सिंदूर नही
पाकिस्तान नही होगा अब, शुभ अवसर यह दूर नही
दानवता के अंत समय तक, सिंदूरी मिशन चलाना है
सत्य, अहिंसा और दया का, सबको ज्ञान दिया हमने
हिंसा बोकर सकल विश्व में, इज्जत खोई है तुमने
धर्म पूछकर गलती कर दी, तुमको धर्म सिखाना है
सेना ने सौगंध उठाकर, अपने मन में ठाना है
भारत माँ को बचन दे दिया, पाकिस्तान मिटाना है
✍️दुष्यंत बाबा
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
बुधवार, 7 मई 2025
मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का मुक्तक.... सिंदूर हिंद का अभिमानी, सिंदूरी अब जयकारा है
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सिंदूर हिंद का अभिमानी, सिंदूरी अब जयकारा है
लातों के भूतों के सिर से, भारत ने भूत उतारा है
भारत माता की जय कहते, सड़कों पर भारत के वासी
मंगल की रात हुआ मंगल, जय महावीर जय नारा है
✍️ रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज)
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल 9997615451
मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी की सजल.....भारत माँ का गुस्सा तेरा, सर्वनाश ही कर देगा, चुन-चुन कर मारेगा उनको, जिनसे हाथ मिलाता तू!
दो-दो बार हराया तुझको,
फिर भी बाज न आता तू,
भारत भू पर पग धरने का,
दुस्साहस दिखलाता तू,
तेरे पाले हुए सपोले,
तुझको ही डस जाएंगे,
शीघ्र मिला देंगे मिट्टी में,
जिनको दूध पिलाता तू!
भारत माँ का गुस्सा तेरा,
सर्वनाश ही कर देगा,
चुन-चुन कर मारेगा उनको,
जिनसे हाथ मिलाता तू!
बम-परमाणु क्या कर लेगा?
समय तुझे समझा देगा!
खो देगा तुझको दुनिया से,
जिस बम पर इठलाता तू!
बड़े - बड़े आतंकी आका,
तेरे काम न आएंगे!
बेमतलब सोने - चांदी के,
उनको कौर खिलाता तू!
भुला दिया तूने उस रब को,
तू कैसा रहमानी है?
अजहर,हाफिज के नामों की,
माला रोज हिलाता तू!
अभी समय है हद में रह ले,
बार - बार चेताता हूँ!
सबको ही मिटने का डर है,
क्यों मन को बहलाता तू?
हम भारत माता के बेटे,
आदर्शों में जीते हैं!
अल्लाहकी रहमत को पगले,
अक्सर ही झुठलाता तू!
✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर
9719275453
मुरादाबाद के साहित्यकार केपी सिंह सरल की दो कुंडलियां ... "पहलगाम का बदला"
फौजी इस अभियान का, नाम रखा सिंदूर।
घर बैठे ही पा गये, दुष्ट बहत्तर हूर।।
दुष्ट बहत्तर हूर, हो गयी बल्ले बल्ले।
कर भारी संहार, दुखी हैं अब कठमुल्ले।।
वीरों को जयहिंद, 'सरल' कह मन का मौजी।
कहता सब संसार, वीर भारत के फौजी।।
(2)
बदला भारत ने लिया, भारी किया प्रहार।
नौ आतंकी जगह को, कर दीन्हा बिसमार।।
कर दीन्हा बिसमार, मच गयी हाहाकारी।
मरे सैकड़ों दुष्ट, मिसाइल बरसीं भारी।।
पन्द्रह दिन के बाद, किया फौजौं ने हमला।
नाम रखा सिंदूर, लिया सिंदूरी बदला।।
✍️ के पी सिंह 'सरल'
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की हुंकार .... सिंदूर देखकर मारा था, हम ढूँढ- ढूँढ कर मारेंगे।
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सिंदूर देखकर मारा था, हम ढूँढ- ढूँढ कर मारेंगे
1) मत फूल समझकर भूल करो, हम फूल नहीं अंगारे हैं।
हम राम -कृष्ण के वंशज हैं, लाखों दानव संहारे हैं।।
2)सिंदूर देखकर मारा था, हम ढूँढ- ढूँढ कर मारेंगे।
है कसम हमें भारत माँ की, धरती का भार उतारेंगे।।
3)यह धर्म सनातन अक्षय है, ,यह धर्म सदा से निर्भय है।
पूरब -पश्चिम,उत्तर- दक्षिण, केवल भारत की जय जय है।।
✍️मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
बुधवार, 30 अप्रैल 2025
रविवार, 27 अप्रैल 2025
मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम के पहलगाम में आतंकवादी हमले पर बारह दोहे
1.
सन सैंतालिस में हुआ, भारत जब आज़ाद ।
उसी समय से चल रहा, यह कश्मीर विवाद।।
2.
हर दिन आतंकवाद से, त्रस्त रहा कश्मीर ।
सहन न अब कर पा रहा, अपने मन की पीर।।
3.
कब से सीमा पर खड़ीं, सेनाएं तैनात ।
खत्म नहीं अब भी हुआ, घाटी में उत्पात ।।
4.
निर्दोषों के खून से, हुई धरा भी लाल ।
भारत मां इस हाल पर, करती बहुत मलाल ।।
5.
पहलगाम ने देश को, दिया यही संदेश ।
अबकी जड़ से खत्म हो, आतंकवादी क्लेश ।।
6.
बनना अब बिल्कुल नहीं, हमें शांति का दूत।
बातों से ना मानते, हैं लातों के भूत ।।
7.
लोहे से लोहा कटे, काट सके ना फूल ।
चुभे पैर में शूल तो, उसे निकाले शूल ।।
8.
पढ़ लो तुम इतिहास को, हो यदि नहीं यकीन ।
दुष्ट साथ हो दुष्टता, नीति यही प्राचीन ।।
9.
गोली खाकर बर्फ में, सोये वीर जवान ।
व्यर्थ न जाना चाहिए, वीरों का बलिदान ।।
10.
दृढ़ता से हो फैसला, असमंजसता छोड़ ।
अबकी पाकिस्तान को, दो जबाब मुँहतोड़ ।।
11.
ये ही है जन भावना, ये ही हैं उदगार ।
यादगार यह युद्ध हो, अबकी अंतिम बार ।।
12.
करो युद्ध प्रारंभ ! हो, विजयी हिंदुस्तान ।
नक्शे पर दीखे नहीं, पापी पाकिस्तान ।।
✍️ योगेन्द्र वर्मा व्योम
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत