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रविवार, 6 अप्रैल 2025

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा के दोहे


हर प्राणी से प्यार हो, सिखलाता यह धर्म ।

जीवन में शुचिता रखें, करें राम से कर्म ।।1।।


सदियां बीतीं 'राम' से,  भारत की पहचान ।

सभी देव भी अवतरित,  यह है भूमि महान ।।2।।


'राम' रूप में जन्म ले, आये 'श्रीभगवान' ।

बाल रूप लीला रची, नष्ट किये अभिमान ।।3।।


'राम' नाम है प्रेम का, त्याग तपस्या ज्ञान ।

नहीं भेद करते कभी, रखते सबका मान ।।4।।


छोड़े हैं जब साथ सब, तब दिखते बस 'राम' ।

जग तब बैरी-सा लगे, वह ही आते काम ।।5।।


राम नाम में है छिपा, जीवन का सब सार ।

जिसने इसको पढ़ लिया, समझो बेड़ा पार ।।6।।


जन्म हुआ श्रीराम का, आनंदित सब लोग ।

कष्ट हुए सब दूर ज्यों, घर-घर लगते भोग ।।7।।


राम नाम ही सार है, यह जीवन आधार ।

कर दायित्वों निर्वहन, होगा बेड़ा पार ।।8।।


माया में उलझा रहा, लिया न प्रभु का नाम ।

दुविधा में दोनों गये, माया मिली न राम ।।9।।


देते हैं शुभ कामना, खुशियां चारों ओर ।

राम जन्म पर हर नगर, सोहर का है शोर ।।10।।

  ✍️राम किशोर वर्मा 

रामपुर

उत्तर प्रदेश, भारत

   

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली ( जनपद संभल) के साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम् की रचना ...."अयोध्या में मंदिर था मंदिर है और मंदिर रहेगा"

 


पुरुषों में उत्तम मर्यादा पुरुषोत्तम,

बारह कलाओं के स्वामी अवधेश,

हारे के हरिराम निर्धनों के ईश,

दशरथ पुत्र कोशल्या नंदन रघुनंदन,

आपका आपके धाम में बारंबार वंदन अभिनंदन।

और प्रभु जी!

आपके इधर सब ठीक-ठाक है,

क्या हाल-चाल है ?

अपने यहां तो सभी राजी खुशी हैं ?

खुराफातियों के दिमाग में अब भी बड़े बवाल हैं,

भगवन यूं तो त्रेता में भी आपको,

कठोर बनवास काटते हुए 

राक्षसों से भयानक युद्ध करना पड़ा। 

किंतु इधर कलयुग में,

अपनी ही जन्म भूमि के लिए,

लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी,

बेईमानों से मुकदमा लड़ना पड़ा,

जिसमें अनगिनत प्रभु भक्तों ने,

करते हुए आप का गुणगान,

हंसते-हंसते दे दी अपनी जान।

आम जनों की छोड़ो,

आपने अपने मामले में देखा,

कलमुँहा कलयुगी आदमी,

कितना मक्कार मौकापरस्त मतलबी कामी है।

यहां एक से बढ़कर एक,

ढोंगी मायावी नामी-गिरामी है।

गंदी नाली के कीड़ों बारूदी जमीनों ने,

पहुंचे हुए शिकारी छठे हुए कमीनों ने,

अपनी करनी में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी है।

जहां भी मौका हाथ लगा,

मानवता की हांडी बीच चौराहे पर फोड़ी है।

शैतानों ने कभी प्रश्न उठाया,

आप के अस्तित्व पर,

कभी आपके होने पर,

कभी राम सेतु जैसे कृतित्व पर,

कोई पुछ रहा था आपकी पहचान,

मांग रहा था पत्रावली,

कोई कुलद्रोही खंगाल रहा था,

आप की वंशावली,

किसी ने आपको बताया कोरी कल्पना,

उड़ाई जमकर मजाक,

तो कोई मांग रहा था,

आपके जन्म का हिसाब किताब 

कोई कह रहा था,

हमारे होते पत्ता नहीं खड़क सकता,

आदमी क्या परिंदा भी नही फटक सकता।

लेकिन प्रभु जी!

जब आपकी कृपा से पत्ता खड़का,

पलक झपकते ही हो गया पत्ता साफ,

बंदा दूर तक रड़का।

भगवान कोई माने या ना माने,

हम तो थे अनजाने फिर भी जाने,

आप भी देख रहे थे,

किसमें कितना है दम कितना है पानी,

किसकी करानी है जय जयकार,

याद दिलानी है किसको नानी।

तभी तो अक्ल के अन्धो को भी,

दी खुली छूट करने दी मनमानी।

अच्छा अब सब छोड़ो एक बात बताओ,

कहीं आपकी इच्छा के बिना तिनका भी हिलता है,

ना कुछ खोता है ना ही मिलता है।

तो प्रभु जी!

आपकी इच्छा के विरुद्ध,

कोई भी कहीं भी उछलेगा कूदेगा,

जो आसमान पर थूकेगा,

उसके ही मुंह पर गिरेगा। 

अयोध्या में मंदिर था,

मंदिर है,

और मंदिर रहेगा।।

          

✍️त्यागी अशोका कृष्णम्

कुरकावली, संभल

उत्तर प्रदेश, भारत

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी राम किशोर वर्मा का गीत ....पुरुषोत्तम श्रीराम


भारत के कण-कण बसे, पुरुषोत्तम श्रीराम ।

हर जन के वह प्राण हैं, यही धारणा आम ।।


राम चरित वह ग्रंथ है, सारे शास्त्र समाय ।

मात-पिता गुरु के लिए, आदर भाव सिखाय ।।

सौतेली माँ हो कभी, करें न दुर्व्यवहार ।

दासी कैसी है सदा, करिए सोच-विचार ।।

पुरुषोत्तम श्रीराम के, कर्म सभी अभिराम ।

हर जन के वह प्राण हैं, यही धारणा आम ।।


प्रजा प्रेम का भी करें, बहुत अधिक सम्मान ।

केवट जैसे की सदा, रखें आय का ध्यान ।।

श्राप मुक्त पत्थर किया, दे नारी का रूप ।

पशु-पक्षी सबके बने, चिंतक राम अनूप ।।

भिलनी के उस प्रेम में, नहीं जाति का काम ।

हर जन के वह प्राण हैं, यही धारणा आम ।।


मित्र बने तो दीजिए, उसका पूरा साथ ।

शरण पड़े तो लीजिए, उसको हाथों-हाथ ।।

बुरी दृष्टि का कीजिए, तत्क्षण ही उपचार ।

कोई जब शंका करे, दिया सभी कुछ वार ।।

पग-पग पर सिखला रहे, वनवासी प्रभु राम ।

हर जन के वह प्राण हैं, यही धारणा आम ।।


विद्वजनों को दीजिए, सदा मान-सम्मान ।

लक्ष्मण भ्राता से कहा, लो रावण से ज्ञान  ।।

राक्षस सारे तर गये, सफल हुआ यह काज ।

जीती लंका सौंप दी, दिया विभीषण राज ।।

किये शत्रु हित कार्य भी, पुरुषोत्तम श्रीराम ।

हर जन के वह प्राण हैं, यही धारणा आम ।।

  

✍️राम किशोर वर्मा 

   रामपुर

उत्तर प्रदेश, भारत



गुरुवार, 23 जनवरी 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु का गीत ....राम का वंदन करें


 

मुरादाबाद के साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम के दोहे .....


 

मुरादाबाद के साहित्यकार विवेक निर्मल का गीत... सकल विश्व में गूंज रहा है, ऐसा अद्भुत नाम है जो ,प्रभु राम है वो सिया राम हे वो

 


रविवार, 21 जनवरी 2024

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (जनपद संभल ) के साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम् के दोहे


धर्म ध्वजा ले हाथ में, कंठ करें उद्घोष।

पूर्ण बलों के साथ है,राम नाम का जोश।।


आंखें बैठीं आस में,लाओ अक्षत धूप।

वंदन कर श्री राम का,पाएं रूप अनूप।।


वायु अग्नि के साथ में,नीर धरा आकाश।

राम आगमन पर मुदित,करा रहे आभास।।


शबरी रो रो कर कहे,बांधो आकर धीर।

पांच शतक से बाट में,बेर चखो रघुवीर।।


अवधपुरी के साथ में, सूने सरयू घाट।

आएंगे प्रभु राम जी,जोह रहे हैं वाट ।।


पंचतत्व ही अवध हैं,प्राण रूप श्री राम।

प्राण प्रतिष्ठा हो बना,अवध स्वर्ग सा धाम।।


✍️त्यागी अशोका कृष्णम्

कुरकावली, संभल 

उत्तर प्रदेश, भारत

मंगलवार, 16 जनवरी 2024

मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार का गीत .... कर रहे हम सब स्वागत गान , हमारे राम पधारे। क्लिक कीजिए⬇️⬇️⬇️⬇️



 हाथ में लेकर तीर-कमान, हमारे राम पधारे।

कर रहे हम उनके गुणगान, हमारे राम पधारे।।


हो भव्य सजावट अयोध्या धाम, फूल दीपक माला से,

मनोहर बाल रूप धर राम, देखें सुन्दर लाला से,

कर रहे हम सबका स्वागत गान, हमारे राम पधारे।।


दुष्ट रावण का कर संहार, बध कुंभकरण का,

और सब राक्षसों को मारा, दंड दिया गया सिया हरण का।

बड़े-बड़े बलवान, हमारे राम पधारे।।


साथ में हैं सुग्रीव कपीश, माता सीता को लेकर,

विभीषण भी लंकापति हैं, और लछमन जी आये हैं।

 साथ लेकर अंगद, हनुमान्, हमारे राम पधारे।।


ओंकार सिंह 'ओंकार'

1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला,

उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश) 244103