बुधवार, 6 अक्तूबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग की अप्रकाशित कृति - 'सीख बड़ों ने हमको दी' । इस कृति में उनकी 19 बाल कविताएं और कुछ मुक्तक व दोहे हैं। यह कृति हमें उपलब्ध कराई है हिन्दी साहित्य संगम के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी ने ।


 क्लिक कीजिए और पढ़िये पूरी कृति

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::::::::::: प्रस्तुति ::::::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

मंगलवार, 5 अक्तूबर 2021

सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित ग्रंथ 'अशोक विश्नोई : एक विलक्षण साधक' का अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की ओर से रविवार 3 अक्टूबर को किया गया लोकार्पण । इस ग्रन्थ का सम्पादन किया है डॉ महेश दिवाकर ने।

 मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार एवं लघु फ़िल्म निर्माता-निर्देशक अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' द्वारा सम्पादित ग्रंथ 'अशोक विश्नोई : एक विलक्षण साधक ' का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह का आयोजन रविवार तीन अक्टूबर 2021 को एम.आई.टी. सभागार में हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद  मुरादाबाद की ओर से आयोजित इस भव्य समारोह में अशोक विश्नोई को 'साहित्य सागर सम्मान' से सम्मानित भी किया गया।  महानगर के रचनाकार राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता  सुधीर गुप्ता (ट्रस्टी एम. आई. टी., मुरादाबाद) ने कहा कि मुरादाबाद के साहित्यिक व सांस्कृतिक पटल पर आदरणीय अशोक विश्नोई जी का योगदान आने वाली रचनाकारों की पीढ़ियों को निरंतर प्रोत्साहित करेगा, ऐसा मेरा मानना है।       मुख्य अतिथि डॉ. विशेष गुप्ता (अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग  उ. प्र. सरकार) ने साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में श्री अशोक विश्नोई के योगदान की चर्चा करते हुए कहा - बहुमुखी प्रतिभा के धनी आदरणीय अशोक विश्नोई जी का मुरादाबाद सहित दूर-दूर के साहित्यिक पटलों पर योगदान किसी से छिपा नहीं है। उनका सतत साहित्यिक समर्पण व सक्रियता आज देश में दूर-दूर तक सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। निश्चित ही वह साहित्य जगत की अनमोल धरोहर हैं।

  विशिष्ट अतिथि के रुप में मुम्बई से आये साहित्यकार प्रदीप गुप्ता ने कहा कि अशोक विश्नोई ने न केवल हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया है बल्कि अपने प्रकाशन के माध्यम से साहित्यकारों की रचनाओं से हिन्दी संसार को अवगत भी कराया है। वह मेरे रोल मॉडल रहे हैं ।

   विशिष्ट अतिथि डॉ. बृजेश तिवारी के उद्गार थे - हिन्दी के अनन्य साधक श्री अशोक विश्नोई  का संपूर्ण जीवन माँ वीणापाणि की सतत साधना में व्यतीत हुआ है। आप एक कवि, लेखक,पत्रकार व समाजसेवी एवं फिल्म निर्माता-निर्देशक के रूप में मुरादाबाद ही नहीं अपितु अखिल सॄजन संसार में चिरस्मणीय रहेंगे। 

     सम्मानित विभूति अशोक विश्नोई  के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' का कहना था - "मुरादाबाद निवासी साहित्यकार श्री अशोक विश्नोई  हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। अपने 75 वर्षीय जीवन में से पांच दशक आपने हिन्दी की सेवा में दिए। साहित्य सर्जक, पत्रकार और सागर तरंग प्रकाशन के स्वामी के रूप में साहित्य के क्षेत्र में मुरादाबाद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करने वाले श्री अशोक विश्नोई का अकूत योगदान साहित्य जगत को सदैव प्रेरित करता रहेगा।"

    कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ रचनाकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा कि अशोक विश्नोई ने मुरादाबाद की साहित्यिक पत्रकारिता की परंपरा को आगे बढ़ाया। छात्र जीवन में ही उनके भीतर साहित्य के अंकुर फूटने लगे थे। वर्ष 1967 में जब वह हिंदू महाविद्यालय में स्नातक के छात्र थे तब उन्होंने प्रख्यात साहित्यकार एवं संगीतज्ञ पंडित मदन मोहन व्यास और प्रोफेसर महेंद्र प्रताप जी के संरक्षण में मासिक पत्रिका 'हृदय-उद्गार' का प्रकाशन-संपादन शुरु किया। इस पत्रिका के परामर्शदाता थे साहित्यकार आमोद कुमार अग्रवाल जी। साहित्यिक पत्रकारिता की यह यात्रा फिल्म पत्रिका 'सिने पायल', 'चित्रक' साप्ताहिक, 'वसंत-विहार' साप्ताहिक, 'ज्योतिष पथ मासिक' एवं 'सागर-तरंग' मासिक के पड़ाव को पार करती हुई निरंतर गतिशील रही। वर्ष 1995 में उन्होंने वार्षिक पत्रिका 'आकार' का प्रकाशन- संपादन प्रारंभ किया। इस पत्रिका का उद्देश्य था-'समाज के लिए अज्ञात एवं अप्रत्यक्ष रचनात्मकता को ज्ञात एवं प्रत्यक्ष करना।' 

     वरिष्ठ साहित्यकार शिशुपाल सिंह मधुकर ने कहा कि विश्नोई जी जितने साधारण दिखाई देते हैं वे उतने ही असाधारण प्रतिभा अपने अन्दर समेटे हैं।  वे न केवल कविता व साहित्य के क्षेत्र में अपनी धमक बनाए हुए हैं बल्कि प्रकाशन, पत्रकारिता, रंगमंच व फ़िल्म के क्षेत्र में भी अपनी सक्रियता से कई उपलब्धियां अपने खाते में दर्ज कराते हैं।  उनका सारा लेखन आम जनता को समर्पित है । आम आदमी की समस्याएं, दुख-तकलीफें ही उनकी कविताओं का मूल केंद्र हैं। वह समाज में व्याप्त तमाम बुराइयों, विसंगतियों, कुरीतियों, अन्ध विश्वासों व गलत परम्पराओं के ख़िलाफ़ विद्रोह का स्वर बुलंद करते हैं। राजनीति की अस्वस्थ होती जा रही परम्पराओं पर भी उनकी पैनी नज़र रहती है। उनका समस्त रचना संसार का अस्तित्व इन्हीं यथार्थ परक भावनाओं और संवेदनाओं पर टिका है जो कि उन्हें एक सच्चे साहित्यकार होने का गौरव प्रदान करता है ।

वैदिक वानप्रस्थ आश्रम मुरादाबाद के व्यवस्थापक काले सिंह 'साल्टा' ने कहा कि अशोक विश्नोई से  मेरे सम्बंध लगभग 60 वर्ष पुराने हैं। वह जैसे पहले थे आज भी वैसे ही हैं । वह एक अच्छे कवि, उत्कृष्ट लेखक हैं। उनके द्वारा अनेक पुस्तकें, सागर तरंग प्रकाशन, मुरादाबाद द्वारा प्रकाशित की गई हैं।

  रामपुर से आये वरिष्ठ कवि राम किशोर वर्मा ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर दोहे प्रस्तुत किये ---

निर्माता लेखक सभी, गुण रखें कवि अशोक । विश्नोई इच्छा सदा, कहीं नहीं हो शोक |


मेरे तो भ्राता बड़े, करें बहुत ही प्यार । 

जितना उनको मान दूँ, देते सभी उतार ।।


मुंह पर कहते साफ़ हैं, वह मन से ही साफ । 

ग़लती जो स्वीकार ले, कर देते हैं माफ़


अभिनेता फ़िल्मी सभी, देखे उनके साथ । 

लघु फ़िल्में होतीं सफल, जिन पर रखते हाथ ॥


काव्य कला में आपका, उच्च बहुत नाम । 

सभी कनिष्ठों में सदा, हित भी करते काम ।


कम शब्दों में हैं कही, गहरी गहरी बात । 

माला में चुनकर सभी छंद पिरोते आप | 


नये लेखकों को सदा, मार्ग दिखाते आप | 

आपके व्यक्तित्व की, यही अनोखी बात ॥ 


करे लेखनी आपकी, ऐसे उद्धत काज । 

जिनको पढ़ होता सदा, इस समाज को नाज़ ॥ 


उस व्यक्तित्व में भरा, इतना ज्ञान अपार । 

उनके मन में है भरा, परहित पर उपकार ।।

रामपुर से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार रवि प्रकाश ने अशोक विश्नोई को बधाई देते हुए कुण्डलिया प्रस्तुत की -----

विश्नोई  जी  को  नमन ,प्रतिभा से संपन्न

वृद्ध हुआ है तन मगर ,मन से युवा प्रसन्न

मन  से  युवा  प्रसन्न ,समीक्षा  करते पाते 

लिखे  हायकू काव्य ,छटा अद्भुत फैलाते

कहते  रवि कविराय ,क्षेत्र कब छूटा कोई

अभिनय  के सम्राट , धन्य श्री श्री विश्नोई

गजरौला (अमरोहा) से पधारीं कवयित्री  प्रीति चौधरी ने भी इस अवसर पर कुछ दोहे प्रस्तुत किये ----

कम शब्दों में हैं कही, गहरी गहरी बात ।

 माला में चुनकर सभी, छंद पिरोते आप ॥ 

 नये लेखकों को सदा, मार्ग दिखाते आप । 

 आपके व्यक्तित्व की, यही अनोखी बात ॥ 

 करे लेखनी आपकी, ऐसे उद्धत काज । 

 जिनको पढ़ होता सदा, इस समाज को नाज़ || 

 उस व्यक्तित्व में भरा, इतना ज्ञान अपार । 

 उनके मन में है भरा, परहित पर उपकार ॥

वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने भी इस अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उन्हें सम्मानित किया। 

लोकार्पण एवं सम्मान समारोह के पश्चात् श्री अशोक विश्नोई की प्रस्तुति  में बनी लघु फ़िल्म 'शपथ' का प्रथम प्रदर्शन भी हुआ। बलात्कार जैसी जघन्य बुराई के विरुद्ध अधिवक्ताओं के उत्तरदायित्व पर आधारित इस लघु फ़िल्म उपस्थित जन समूह की ओर से भरपूर सराहना व समर्थन प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में योगेन्द्र वर्मा व्योम, डाॅ. कृष्ण कुमार नाज़, उमाकांत गुप्ता, डाॅ. मधु सक्सेना, डॉ. मीरा कश्यप, शलभ गुप्ता, अरविन्द आनंद, मयंक शर्मा, अतुल जौहरी, डाॅ. शीनुल इस्लाम, अनिल कांत बंसल, फक्कड़ मुरादाबादी, अशोक विद्रोही, एमपी बादल जायसी, रूप किशोर गुप्ता, ओंकार सिंह ओंकार आदि उपस्थित रहे।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद इकाई की अध्यक्ष डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अशोक विश्नोई को सम्मानित करते हुए संस्था गर्व का अनुभव कर रही है ।













































     

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा ) की साहित्यकार प्रीति चौधरी की ग़ज़ल ---- सीख लो अब बेवज़ह तुम मुस्कुराना इस तरह भाँप कोई गम न ले आसूँ छिपाना इस तरह


 

रविवार, 3 अक्तूबर 2021

मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार विद्या वारिधि पंडित ज्वाला प्रसाद मिश्र की कृति वेणीसंहार नाटक

मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार विद्या वारिधि  पंडित ज्वाला प्रसाद मिश्र की कृति वेणीसंहार नाटक । यह कृति  कविराज भट्ट नारायण के संस्कृत नाटक का हिंदी भाषा में अनुवाद है । इसका प्रकाशन पूर्व संवत 1957 में हुआ था ।   खेमराज श्री कृष्णदास  ने इसे अपने वेंकटेश्वर प्रेस  मुम्बई में छापा था । पंडित ज्वाला प्रसाद जी यहां मुहल्ला दिनदारपुरा में रहते थे ।





✍️डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9456687822

शनिवार, 2 अक्तूबर 2021

शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष राजेन्द्रमोहन शर्मा श्रृंग की प्रथम काव्य कृति - अर्चना के गीत । यह कल्पतरु प्रकाशन मुरादाबाद द्वारा प्रकाशित हुई थी । इस कृति में उनके 41 गीत संग्रहीत हैं ।




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::::::::प्रस्तुति::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर  9456687822

मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) से डॉ अनिल शर्मा अनिल द्वारा संपादित अनियतकालीन ई-पत्रिका 'अभिव्यक्ति' का विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस विशेषांक 84 ( 01-10-2021, शुक्रवार)-----


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गुरुवार, 30 सितंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष राजेंद्रमोहन शर्मा श्रृंग का गीत ---भ्रष्टाचारी फल-फूल रहे हर ओर यहाँ / ईमानदार की कोई कदर नहीं होती/ हर ओर यहाँ पर आज झूठ का शासन है / सच्चाई आँखें ढक अँधियारे में रोती....। यह गीत हमने लिया है उनके गीत संग्रह -'मैंने कब ये गीत लिखे हैं ' से । उनकी यह कृति श्रेष्ठ प्रकाशन मुरादाबाद द्वारा वर्ष 2007 में प्रकाशित हुई ।

 


ओ राजनगर के नेताओ कुछ सोचो तो 

जनता पिसती जाती है आज गरीबी में 

हो रहा आज जीना दूभर है जनता का 

तुम मस्त हो रहे फिर भी आज अमीरी में


रेशमी वस्त्र पहनो बैठो सिंहासन पर

 शोभा न कभी ये जनप्रतिनिधि को देता है 

 हम भूखे-नंगे तड़पें दो-दो दानों को

  तुम ऐश करो ज़ेबा न तुम्हें ये देता है 

  हमने ही तुम्हें बनाया और मिटा सकते 

  ये शक्ति छिपी मुट्ठीभर इसी फ़कीरी में


हर भारतवासी नाच रहा महँगाई के संकेतों पर 

नारियाँ दे रहीं ताल आज है महँगाई के गानों को 

दुधमुँहे बिलखते आज दूध बिन घर-घर में 

पर माता-पिता विवश हैं उन्हें रुलाने को

ओ गाँधी के मानस पुत्रो कुछ सोचो तो 

क्यों असंतोष है आज़ादी की पीढ़ी में


भ्रष्टाचारी फल-फूल रहे हर ओर यहाँ 

ईमानदार की कोई कदर नहीं होती 

हर ओर यहाँ पर आज झूठ का शासन है

सच्चाई आँखें ढक अँधियारे में रोती

ओ कर्णधार भारत की जनता के सोचो

 क्यों भ्रष्टाचार पनपता है हर सीढ़ी में


✍️ राजेन्द्रमोहन शर्मा 'श्रृंग'