रामपुर की आध्यात्मिक, साहित्यिक संस्था काव्यधारा के तत्वावधान में रविवार 25 फरवरी 2024 को आनंद कान्वेंट स्कूल ज्वाला नगर में कृति लोकार्पण, कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।
समारोह में हिंदी की उत्कृष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए डॉ प्रेमवती उपाध्याय, डॉ मनोज रस्तोगी, योगेन्द्र वर्मा व्योम, (सभी मुरादाबाद ),पुष्पा जोशी प्राकाम्य(सितारगंज) और अभिषेक अग्निहोत्री(बरेली) को सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न व अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संस्था द्वारा प्रकाशित कृति "काव्यधारा के स्तम्भ " ( काव्य संग्रह) का लोकार्पण डा मनोज रस्तोगी एवं मंचासीन सभी अतिथियों द्वारा किया गया । सभी सम्मानित साहित्यकारों का जीवन परिचय राजीव प्रखर ने प्रस्तुत किया ।
समारोह की अध्यक्षता संस्थापक अध्यक्ष जितेंद्र कमल आनंद ने की। मुख्य अतिथि डॉ प्रेमवती उपाध्याय, विशिष्ट अतिथि द्वय डॉ मनोज रस्तोगी, योगेंद्र वर्मा " व्योम" रहे। संचालन महासचिव राम किशोर वर्मा ने किया।
मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन और पुष्पा जोशी प्राकाम्य द्वारा सरस्वती वंदना से आरंभ कवि सम्मेलन रचनाकारों ने विभिन्न विधाओं में भक्ति , शृंगार रस,हास्य व्यंग्य और सम- सामयिक सस्वर रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाह- वाही लूटी--
डॉ मनोज रस्तोगी ने व्यंग्य कसा--
" गोलों के बीच,तोपों के बीच
दब गयी आवाज,चीखों के बीच।"
डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने प्रेरक रचना प्रस्तुत की---
" वट जैसे विनयी बनें,
त्याग सभी अभिमान।"
योगेंद्र वर्मा व्योम ने अपनी बात इस तरह कही---
" यह विकास का शाप है,या फिर यह वरदान।
मोबाइल ने छीन ली, चिट्ठी की पहचान!!"
संस्थापक संरक्षक सुरेश अधीर ने कहा--
" ठेल रहा है नाव को, बिन पतवार अधीर।
डूबे या मंजिल मिले,यह जाने रघुवीर।"
जितेंद्र कमल आनंद ने एकता पर बल देते हुए कहा --
" एकता के लिये अग्रसर हो गये।
खुशबुएं को लिये खिल गया जब " कमल"!"
संचालक राम किशोर वर्मा ने हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने पर जोर दिया---
" हिंदी बने राष्ट्र की भाषा,हम सबकी अभिलाषा है।
टाल- मटोल बहुत हो चुकी,अब निर्णय की आशा है।।"
शायर डॉ अश्फाक जैदी ने तरन्नुम में उम्दा ग़ज़ल पेश की---
" मेरे चराग से जिसका चराग जलता है
ये सुनके मेरे मुखालिफ का दम निकलता है।"
पुष्पा जोशी प्राकाम्य ने प्राकृतिक चित्रण शब्दायित किया--
" कल्लोलिनी कल्लोल करती, छलछलाती आ रही।
है शुभ वसना झिलमिलाती, लोक को हर्षा रही।"
राम रतन यादव ने यों कहा---
" जा चुकी ठण्ड मौसम सुहाना हुआ।
कोकिला का मधुर गीत गाना हुआ!"
डॉ प्रीति अग्रवाल ने नारी उत्थान की बात कहई--
" नारी अब अबला नहीं,नहीं रही नादान!
जग में आज बना रही, यह अपनी पहचान।"
बरेली के अभिषेक अग्निहोत्री ने जीवन के सम्बंध में कहा---
" अभी साॅसों की डोरी का सहारा है,
जिओ जी भर।
ये डोरी टूट जाने पर,कोई मोहलत नहीं होगी।"
राजीव प्रखर ने इस तरह कहा---
" मन की आंखें खोलकर, देख सके तो देख।
कोई है जो रच रहा,कर्मों के अभिलेख।।"
इनके अतिरिक्त अनमोल रागिनी, राजवीर सिंह राज़, जसवंत कौर जस्सी, सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी, शिव कुमार शर्मा चंदन, बलवीर सिंह,सोहन लाल भारती, रवि प्रकाश, संस्था के संरक्षक पीयूष प्रकाश सक्सेना ,आशा सक्सेना आदि कवियों ने भी काव्य पाठ किया।