गुरुवार, 12 मार्च 2020

गजल एकेडमी की ओर से डॉ मक्खन मुरादाबादी , कंचन खन्ना और निकखत मुरादाबादी को किया गया सम्मानित

ग़ज़ल एकेडमी मुरादाबाद की ओर से रविवार आठ मार्च 2020  को स्वतंत्रता सेनानी भवन में होली के रंग मक्खन के संग "जश्न ए मक्खन मुरादाबादी'' उर्दू हिंदी फेस्टिवल के अंतर्गत आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली से पधारे शोएब फारूकी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ जयपाल सिंह व्यस्त एमएलसी, विशेष अतिथि प्रख्यात साहित्यकार यश भारती माहेश्वर तिवारी, डॉ अनुराग अग्रवाल, डॉ संजय शाह ,डॉ एस के सिंह, डॉ सैयद हिलाल वारसी, संजीव आकांक्षी, मजाहिर खां, अरविंद कुमार वर्मा , राकेश चंद्र शर्मा, गोपी किशन,  नावेद सिद्दीकी, उपस्थित रहे । कार्यक्रम का शुभारंभ नाते पाक व सरस्वती वंदना से हुआ।
कार्यक्रम में हास्य व्यंग्य के प्रख्यात कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ मक्खन मुरादाबादी सम्मान सुश्री कंचन खन्ना व निकखत मुरादाबादी को दिया गया।
  डॉ मक्खन मुरादाबादी को प्रदत्त सम्मान पत्र पढ़ते हुये साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा -भारतीय साहित्य में कबीरदास, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमधन’, प्रतापनारायण मिश्र से आरंभ हुई व्यंग्य लेखन की परंपरा बहुत समृद्ध रही है, कालान्तर में शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल, हरिशंकर परसाई, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लतीफ घोंघी, बेढब बनारसी के धारदार व्यंग्य-लेखन से संपन्न होती हुई यह परंपरा वर्तमान समय में ज्ञान चतुर्वेदी, सूर्यकुमार पांडेय, सुभाष चंदर, ब्रजेश कानूनगो आदि के सृजन के रूप में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज़ करा रही है, किन्तु व्यंग्य-कविता लेखन में माणिक वर्मा, प्रदीप चौबे, कैलाश गौतम, डॉ मक्खन मुरादाबादी सहित कुछ ही नाम हैं जिन्होंने अपनी कविताओं में विशुद्ध व्यंग्य लिखा है। व्यंग्य का सच्चा धर्म निभाने वाली मक्खन जी की अनेक कविताएं अत्यधिक लोकप्रिय एवं चर्चित हुईं किन्तु लगभग 5 दशकीय कविता-यात्रा में प्रचुर सृजन उपरान्त 51 कविताओं का प्रथम संग्रह ‘कड़वाहट मीठी सी’ के रूप में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। आपकी कविताओं को पढ़कर साफ-साफ महसूस किया जा सकता है कि कविताओं के माध्यम से समाज के, देश के, परिवेश के लगभग हर संदर्भ में अपनी तीखी व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया अभिव्यक्त की गई है और ये सभी कविताएं स्वतः स्फूर्तरूप से सृजित मुक्तछंद कविताएं हैं छंदमुक्त नहीं हैं संभवतः इसीलिए आपकी  कविताओं में एक विशेष प्रकार की छांदस खुशबू के यत्र-तत्र-सर्वत्र विचरते रहने के कारण सपाटबयानी या गद्य भूले से भी घुसपैठ नहीं कर सका है।
राजीव प्रखर ने कहा -
हास्य-व्यंग्य के रत्न वो, मक्खन जी अनमोल।
कड़वाहट मीठी लिये, जिनके प्यारे बोल।
रहती हो इस वक़्त की, चाहे जैसी चाल।
मक्खन जी की ताज़गी, खुद में एक कमाल‌।


वीरेन्द्र सिंह बृजवासी ने कहा -
शब्द शब्द में भर  रहे
हास्य  व्यंग्य का भाव
मक्खन जी से है यहां
सबको   बड़ा  लगाव
नमन उनको करते हैं
बनें प्रेरणा श्रोत दुआ
हम   सब  करते   हैं।


मोनिका मासूम का कहना था -
व्यंग्य विधा के बड़े धुरंधर मक्खन जी
अंजुलियों में भरें समंदर मक्खन जी
सर्द ज़रा सी हवा चले तो जम जाते
गर्मी में बह जाएं पिघल कर मक्खन जी
भरकर लाए हैं "कड़वाहट मीठी सी"
वर्षों के अनुभव से मथकर मक्खन जी


कंचन खन्ना ने कहा -
उसकी सादगी, उसका व्यक्तित्व, व्यवहार जुदा है
बात फन की चले तो वो अकेला फनकार जुदा है।
आसान  नहीं कोई लफ़्ज़ों का जादूगर हो जाये।
मीठी सी दे जो कड़वाहट ऐसा वो दिलफरेब कलाकार जुदा है।


हेमा तिवारी भट्ट का कहना था -
हो शुष्कता जो पास, तो मक्खन लगाइए।
जब हो न कोई आस, तो मक्खन लगाइए।
छपतीं किताबें इतनी कि, दीमक अघा गए।
हाँ पढ़ना हो गर ख़ास, तो मक्खन लगाइए ।


डॉ अजय अनुपम का कहना था -
भाव में व्यवहार में स्वाधीन मक्खनजी
मित्रता के हैं सदा आधीन मक्खनजी
हास्य में चिन्ता उठाते व्यंग्य में चिन्तन
हैं सभी में लोकप्रिय शालीन
मक्खनजी


मयंक शर्मा ने कहा -
छल प्रपंच मन में नहीं, रखते हैं पट खोल
सौम्य भाव से बोलते, मिसरी जैसे बोल,
तरकश में अपने रखें, हास्य व्यंग्य के बाण,
मक्खन जी के काव्य के, शब्द-शब्द अनमोल


अनवर कैफ़ी ने कहा -
जश्न मिल कर यूं मनाएं आप 'मक्खन' और हम
प्यार के कुछ गीत गायें आप 'मक्खन' और हम
जब 'कशिश' आवाज़ दें 'अनवर' मुहब्बत से हमें
मिल के सब होली मनायें आप 'मक्खन' और हम


अरविंद शर्मा आनन्द का कहना था -
बेरंग होके भी मै हर रंग हो गया।
मुरादाबादी जब से संग हो गया।
मन झूम उठा है जश्ने मक्खन  में
देख जिसे हर कोई दंग हो गया।


शोएब फारुखी ने कहा -
इल्मो अदब की शान हमारे मक्खन जी
शहरे जिगर की शान हमारे मक्खन जी
हिंदी उर्दू जिन पर दोनों नाज़
करें
फख्रे हिंदुस्तान हमारे मक्खन जी


कशिश वारसी के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में गगन भारती , मुईन शादाब डॉ शाकिर , डॉ कृष्ण कुमार नाज़ , नसीम वारसी ,रिफत मुरादाबादी , साहिल कुरेशी ,फरहत खान आरिफा मसूद आदि ने काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से नूर जमाल नूर, डॉ मनोज रस्तोगी, राशिद मुरादाबादी, अंकित भटनागर, शावेज़ एडवोकेट,   शहजाद क़मर, उबेद वारसी ,पुलकित भटनागर ,तंजीम शास्त्री ,राहुल शर्मा ,  वसीम अली, अशोक विश्नोई , प्रशांत मिश्र, आवरण अग्रवाल, चांद मियां खान,  डॉ पूनम बंसल, उमेश प्रसाद कैरे ,अखिलेश शर्मा , उमाकांत गुप्ता, मधु मिश्रा, बृजपाल सिंह यादव,अशोक विद्रोही, केपी सिंह सरल, डॉ अर्चना गुप्ता ,पंकज दर्पण ,डॉ जगदीप भटनागर ,डॉ राकेश चक्र आदि उपस्थित थे।
ग़ज़ल एकेडमी के अध्यक्ष शफक शादानी  और   हकीम अहमद मुरादाबादी  ने  आभार व्यक्त किया।

::::::::: प्रस्तुति :::::::
कशिश वारसी
सचिव
गजल एकेडमी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत






















बुधवार, 11 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार नाज का गीत - बांधकर भुजपाश में तुमको प्रिय मैं चाहता हूं जी भरकर निहारूं....


'विजयश्री वैल्फेयर सोसाइटी' मुरादाबाद के तत्वावधान में 9 मार्च 2020 को 'काव्यरस-फुहार' का आयोजन





















 मुरादाबाद की प्रमुख संस्था विजयश्री वेलफेयर सोसाइटी की ओर से रामगंगा विहार मुरादाबाद स्थित शिव मंदिर परिसर में होली पर सोमवार 9 मार्च को 'काव्यरस-फुहार' का आयोजन हुआ जिसमें उपस्थित स्थानीय कवियों ने कविताओं के माध्यम से होली पर हास्य कविताओं से सभी को गुदगुदाया और देश व समाज में व्याप्त विद्रूपताओं पर कटाक्ष किए। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवि रामवीर सिंह वीर ने की, मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई, विशिष्ट अतिथि डा. मनोज रस्तोगी रहे. तथा संचालन हास्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी ने किया।

काव्यपाठ करते हुए मनोज मनु ने कहा-
भीतर से बाहर तलक, भरता गज़ब मिठास
होली का त्योहार तो, होता इतना खास

नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा-
मनके सारे त्याग कर, कष्ट और अवसाद ।
पिचकारी करने लगी, रंगो से संवाद ।।

राजीव प्रखर ने काव्य-पाठ करते हुए कहा -
सिमट गयी संवेदना, बदल गये सब ढंग।
पहले जैसे अब कहाँ, होली के हुड़दंग।।

वरिष्ठ कवि विवेक निर्मल ने कविता प्रस्तुत की-
होली के हुड़दंग में, बदले सबके चित्र
दुश्मन भी लगने लगे, प्यारे प्यारे मित्र

प्रशांत मिश्र ने कुछ इस प्रकार कहा -
मैं क्यों खेलूं तुम संग होली,
सखियाँ मुझे चिढ़ाती हैं।

आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ' का कहना था -
आओ मिलकर अबकी खेले ऐसी होली,
देश से मिट जाए बैर भाव और कटु बोली।।

अरविंद कुमार शर्मा आनंद ने कहा -
हुल्लड़ भी हुड़दंग भी शोर हम मचायेंगे।
अरे भैया फाल्गुन आयो होली हम मनाएंगे।

वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने रचना प्रस्तुत की-
धूप में सोता था अपने गाँव में
आज छाले पड़ गए हैं पांव में
चाहकर भी आपसे कैसे मिलूँ
रस्म की बेड़ी पड़ी है पांव में

वरिष्ठ साहित्यकार ‌ डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा-
महकी आकाश में चांदनी की गंध
अधरों की देहरी लांघ आए छंद
गंगाजल से छलके नेह के पिटारे
उड़ रही रेत गंगा किनारे।

कवि रवि चतुर्वेदी ने कविता सुनाई-
देश के दीवानों की मैं भक्ति हूँ
और उनके आत्मबल की शक्ति हूँ

वरिष्ठ शायर डॉ० कृष्ण कुमार 'नाज़' ने कहा -
सोहबत बुरी मिली तो गलत काम भी हुए
वैसे कमी तो ना थी कोई खानदान में

रामवीर सिंह 'वीर' ने काव्य-पाठ करते हुए कहा -
कैसे बताएं हम आपन बीती।
जो कहना था कह नहीं पाए,
बदल गई जीवन की रीति।

इस अवसर पर  इंदु रानी, सविता निर्मल, महेंद्र शर्मा, देवेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह, अनिल पाल सिंह क्षय, अजय सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।

:::::::प्रस्तुति::::::

**विवेक निर्मल
सचिव
विजयश्री वैल्फेयर सोसाइटी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश


मंगलवार, 10 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अलका अग्रवाल कहती हैं -- मिलेगा मन से मन, तब मनेगी मेरी होली।



फूले टेसू कनेर, अवनी हुई लाल-गुलाबी।
आम भी बौराया है, बसंती पुरवैया शराबी।
मधु-मकरन्द मर्मर करते दिवानिश ठिठोली
मिलेगा मन से मन तब मनेगी मेरी होली।।

तन तानपूरा, बजाता रहा रागिनी अनगिन।
झंकृत ना कर सका पर, टूटा इकतारा मन।
परदेसी प्रिय की रिझाती,  मदभरी बोली
मिलेगा मन से मन, तब मनेगी मेरी होली।।

रंगो की बौछार में भीगी अंगिया-चदरिया।
मदिर नयन, उड़त गुलाल संग गावत रसिया।
भंग-तरंग की मस्ती, दिल की झोली खाली
मिलेगा मन से मन, तब मनेगी मेरी होली।।

कहने को तो हम एक हैं, विवाद अनेक हैं।
छोटी-छोटी बातों में भी मतभेद अनेक हैं।
ईद-दीवाली संग घूमेगी हिंदू-मुस्लिम टोली
मिलेगा मन से मन, तब मनेगी मेरी होली।।

✍️ डा. अलका अग्रवाल
एसोसिएट प्रोफेसर
अंग्रेजी विभाग
एन. के. बी. एम. जी. कालेज
चंदौसी , जिला सम्भल
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल ( वर्तमान में मेरठ निवासी ) के साहित्यकार सूर्यकांत द्विवेदी कहते हैं - करे तन कैसे चढूं, गिरगिट सब इंसान ...



मुरादाबाद के साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम कहते हैं - गधों की बढ़ गई है आजकल औकात होली में ....


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता दे रही है साहित्यकारों को उपाधियां ....


हम सबकी मीना दीदी तो, अपने ग्रुप की शान
हिंदी उर्दू इंग्लिश सबमें, कितना इनका ज्ञान
 जोगीरा सा रा रा रा रा

अपने भाई मनोज जी ग्रुपों में, खूब मारते फ्लिक
लिंक डाल डाल कर बस कहें, करो इसे सब क्लिक
जोगीरा सा रा रा रा रा

नृपेंद्र कहानी यूँ लिखते है, डर से उड़ते रंग
लेकिन भाता है हम सबको, उनको प्यारा संग
जोगीरा सा रा रा रा रा


शशि कमलेश इला सीमा, अब घूंघट दो खोल
आओ बोलो अब प्यार भरे, मीठे बस दो बोल
जोगीरा सा रा रा रा रा

रीता संगीता मीनाक्षी, खेल रही  हैं फाग
अलग  स्वरों  में सुना रहीं हैं ,तीनों  मीठे राग
जोगीरा सा रा रा रा रा

राजीव प्रखर श्री कृष्ण शुक्ल जी भाई सूर्यकांत
तरकस में इनके तीर बहुत हैं, दिखें भले ही शांत
जोगीरा सा रा रा रा रा

मोनिका अखिलेश जी फेंक रहे, हैं गज़लों के रंग
पिये हुये अशआर सभी हैं,ताज़ी ताज़ी भंग
जोगीरा सा रा रा रा रा


ममता खड़ी तेजस्विनी  का, लिये बड़ा सा ताज
इससे लेनी भैया पक्की , पार्टी हमको  आज
 जोगीरा सा रा रा रा रा

कर भी लो अब राहत जी, गुंझिया जैसी बात
वाह वाह की पिचकारी से, कर दो अब बरसात
जोगीरा सा रा रा रा रा


चढ़ा मयंक का नशा खूब है, फीकी सारी भंग
सुन मीठे  उसके गीतों को , जमा हुआ  है रंग
जोगीरा सा रा रा रा रा

करते अशोक विश्नोई जी, खरी खरी हर बात
अगर गलत कोई बात कही, तो खड़ी करेंगे खाट
जोगीरा सा रा रा रा रा

रवि प्रकाश जी के कितने सारे, कुंडलियों के रंग
राम किशोर जी के छंद भी , नाचे उनके संग
जोगीरा सा रा रा रा रा

**डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही दे रहे हैं साहित्यकारों को होली की उपाधियां ...


मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी.ठाकुर की गजल -ऐसा छाया खुमार होली का ...



छाया रंगे बहार होली का,
कब से था इंतज़ार होली का।

कैसे खुद को बचाएं ऐसे में  ,
ऐसा छाया खुमार होली का,

 वो मिले, ले गुलाल हाथो में,
करने हमको शिकार होली का

नफरतें मिट जहान से जायें,
प्यार  हो बेशुमार होली का

ढाया कोरोना ने कहर जबसे,
उतरा तब से बुखार होली का।

हैं सजन पास जो नहीं मेरे
आये कैसे  करार होली का ।

**मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु की रचना - जीजा साली देवर भाभी के मंसूबे पक्के थे...


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ ममता सिंह कह रही हैं -खुशियों से झोली भरे होली का त्योहार



चली हवा जब फागुनी, मोहक, मादक, मन्द।
गोरी भी लिखने लगी, प्यार भरे फिर छन्द।।

जब बासन्ती रंग से, धरती करे श्रृंगार।
भौंरें फिर करने लगे ,कलियों पर गुंजार ।।

मस्ती के त्यौहार पर, चढ़ जाये जब भंग।
लगें नाचने झूम के , तब होली के रंग।।

होली का त्यौहार ये, मन में भरे उमंग।
रोम रोम हर्षित करे, फागुन का ये संग।।

रंगों के इस पर्व पर, बाँटो जग में प्यार।
खुशियों से झोली भरे, होली का त्यौहार।।


डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार अखिलेश वर्मा की गजल -सजन को रंग से पूरा भिगाना आज होली है ...


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ मीना नकवी का गीत-- बिखरे रंग, गुलाल, तरंग


मुरादाबाद की साहित्यकार कंचन खन्ना की गजल -रंग तितली के चुराउं तो खेलूं होली ....


मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर का गीत - आओ टेसू, होली फिर से तुम्हें बुलाती है


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता --होली का त्योहार निराला ....


मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज मनु की रचना - होली का त्योहार तो होता इतना खास


सोमवार, 9 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम जी दे रहे हैं साहित्यकारों को उपाधियां। यह वीडियो लगभग पन्द्रह साल पुराना है और इसे रिकार्ड किया था शैलेन्द्र पांडेय ने । शैलेन्द्र मुरादाबाद में अमरउजाला और दैनिक जागरण में प्रेस फोटोग्राफर रह चुके हैं ।इस समय वह चर्चित फ़िल्म निर्देशक है।


मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की दो होली रचनाएँ -- गोरी तेरे गले लगेंगे आज बृज की होरी में ....और.....बिन साजन को गले लगाए होली है बेकार ....


मुरादाबाद की साहित्यकार कंचन खन्ना की गजल - कोई अपना सा पाऊं तो खेलूं होली ....


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रीति हुंकार का होली गीत - मैया समझा लो कान्हा को हमसे खेले होरी रे ....


मुरादाबाद के साहित्यकार नृपेन्द्र शर्मा सागर का मुक्तक


रविवार, 8 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर के होली पर कुछ दोहे


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ अजय अनुपम की रचना - अनुपम फगुनाहट में बाबा देवर लागे


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रेमवती उपाध्याय का गीत - रंग सहिष्णुता का मिलजुल कर एक दूजे पर डालें


मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की गीतिका - गले मत मिलिएगा इस बार नमस्ते करिए होली में ....


शनिवार, 7 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार श्री कृष्ण शुक्ल की रचना

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की गजल - कि पहला प्यार आ जाता है बरबस याद होली में ...


खिले रंगों से मन होता बड़ा आह्लाद होली में
पुरानी यादें हो जाती हैं फिर आबाद होली में

सिखाता हैे ये रंगों से भरा त्यौहार आ हमको
भुला कर नफ़रतें हों प्यार का सम्वाद होली में

करो रंगीन अपनी ज़िंदगी खुशियों के रंगों से
जला दो होलिका में मन के सब अवसाद होली में

बिखरती है मुहब्बत इस तरह फागुन की बाहों में
कि पहला प्यार आ जाता है बरबस याद होली में

महकते ,खिलते, हँसते उपवनों को देख लगता है
कि जैसे चढ़ गया कुदरत पे हो उन्माद होली में

नशा भी कम नहीं मेरी ग़ज़ल में ध्यान से सुनना
मुझे भी हो नशा जाए यूँ देना दाद होली में

लगाओ रंग कितना भी जो खेलो होली अपनो से
न होना अपनी गरिमा से मगर आज़ाद होली में

महकती सी हवाएं ‘अर्चना’ मदहोश कर देती
दिलों में डाल देती प्यार की बुनियाद होली में

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की ग़ज़ल -अब के बरस की होली में .....



जमके रंग गुलाल उड़ेंगे ,अब के बरस की होली में,
गोरी तुझसे गले मिलेंगे ,अब के बरस की होली में।

सोच समझ के आइये रे छोरे,बरसाने की गलियों को,
दीख गया तो लट्ठ पड़ेंगे ,अब के बरस की होली में ।

मैं हूँ माखन चोर कन्हैया, भेद न मेरा पावेगी
गोरी तेरे गाल रंगेंगे ,अब के बरस की होली में।

जा रे ओ कारे साँवरिया, मैं हूँ गोरी गूजरिया
हम न तेरे रंग में रंगेंगे, अब के बरस की होली में।

छोड़ दे गोरी झगड़ा करना,होली का त्योहार बड़ा,
लाल गुलाबी मुखड़े खिलेंगे अब के.बरस की होली में।

तू जीता मैं हारी रे छोरे,रंग दे अपने रंग में तू
जमुना जी में मुखड़े धुलेंगे अब के बरस की होली में।

** मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

शुक्रवार, 6 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ कृष्ण कुमार नाज का गीत - मैं तुम्हारा हूं तुम्हारा ही रहूंगा उम्रभर


मुरादाबाद के हास्य व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी का गीत - प्यार हुआ पर खुलने में तो पीछे हट जाते थे हम दोनों


मुरादाबाद के साहित्यकार सुरेश दत्त शर्मा पथिक का गीत - दो वर्ष जिये हम तो भी क्या सौ वर्ष जिये तो भी क्या ...


मुरादाबाद के साहित्यकार शचीन्द्र भटनागर का गीत -- याद आता है तुम्हारा टांककर टूटे बटन को देह छूते दांत से धागा कुतरना ....


मुरादाबाद के साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम का नवगीत - कैसे आग जले जब सबके सीने ठंडे हैं ...


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ अजय अनुपम का मुक्तक -देह इसकी गर्म सांसों से ढली होगी ...


मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर का गीत - सरकारी कागज में निर्मल बहती रहती हूं ...


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ राकेश चक्र की रचना - रिश्तों की भी गईं मिठासें सहज कब रहा बतियाना


मुरादाबाद के साहित्यकार रवि चतुर्वेदी की रचना- चम चम चपला सी चमक उठी काली की खडग निराली है ...


गुरुवार, 5 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार यशभारती माहेश्वर तिवारी का नवगीत - बौरी है आमों की डाल गीत फूटे फागुन के ...... न के


मुरादाबाद के साहित्यकार आमोद कुमार की रचना - बच्चा भी आज हमको सिखा रहा तहजीब...


मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की कविता - वह अभी जिंदा हैं इसका हमें खेद है...


मुरादाबाद के साहित्यकार प्रदीप गुप्ता ( वर्तमान में मुंबई निवासी) की कविता


मुरादाबाद के साहित्यकार शिशुपाल सिंह मधुकर का गीत --जितने झूठ तुम्हारे मन में उतने ही मन के बाहर हैं ....


मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी का गीत -इतना मेरा मन रख लेना


मुरादाबाद के साहित्यकार प्रशांत मिश्र की कविता -आओ सिंहनाद करें.....


मुरादाबाद के साहित्यकार श्री कृष्ण शुक्ल की रचना


मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ विश्व अवतार जैमिनी द्वारा लगभग साठ साल पहले लिखा गया गीत -सिंदूर समाधि , इस गीत ने उस समय तहलका मचा दिया था


छुट्टी न मिलने पर क्या कहते हैं हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी फौजी सुनिये मुरादाबाद के हास्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी की जुबानी


बुधवार, 4 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ मीना कौल का गीत - वो चिड़िया थी परों से उड़ी मैं गुड़िया थी हौंसलो से उड़ी


मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की कविता - तेरे मेरे बीच


मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की रचना -तिरंगे की हिफाजत में मेरा भैया डटा होगा ....


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता का कहना है - तुम मिले जब हमें हम गजल हो गए ...


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ पूनम बंसल का गीत - अधरों पर मुस्कानें देखीं अंतस की पीड़ा कब जानी ....


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ प्रेमवती उपाध्याय का गीत -


मुरादाबाद की साहित्यकार निवेदिता सक्सेना की सुनिये रचना - बस तुमसे मुलाकात का मौसम नहीं आया ...


मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ ममता सिंह का कहना है - सुधबुध अपनी भूलकर गाऊं तेरे गीत ....


सोमवार, 2 मार्च 2020

हिंदी साहित्य संगम की ओर से रविवार 1 मार्च 2020 को काव्य गोष्ठी का आयोजन

 हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में रविवार 1 मार्च 2020 को कवि गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार, मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री ओंकार सिंह ओंकार ने की ।मुख्य अतिथि श्री के.पी. सिंह सरल और विशिष्ट अतिथि - श्रीमती इन्दु रानी थीं
सरस्वती वन्दना  मनोज वर्मा 'मनु' ने प्रस्तुत की तथा
संचालन  श्री राजीव प्रखर ने किया

  गोष्ठी में जितेंद्र कुमार जौली ने कहा -
 कल तक जो ना कहा,
 वो आज मुख से बसन्ती बोली ।
आओ गब्बर मिलकर खेलें होली ।।

 के० पी० सिंह सरल का कहना था -
दिल्ली में शैतान ने, नग्न किया था नांच ।
मार काट के साथ ही, खूब लगाई आंच ॥

 ओंकार सिंह ओंकार ने कहा -
नफरतों की आग से बस्ती बचाने के लिए,
प्यार की बरसात से ज्वाला शमन करते चलें।

 प्रदीप शर्मा 'विरल' ने कहा -
 दिल के राज बताता क्यूँ है
अपने गीत सुनाता क्यूँ है।

इन्दु रानी ने कहा -
कैसे कहूँ के निगाहों पे पर्दे हैं गिराए गए
चाहत जो भी सियासती वही है दिखाए गए|

विकास मुरादाबादी ने कहा -
हालात-ए-दिल्ली पर गये सब लोग तिलमिला
घरवाले ये अपने ही घर को क्यों रहे जला

राशिद मुरादाबादी ने कहा-
ना जाने मेरा शहर इस क़दर वीरान क्यूँ है
उठ रहा धुआं, जल रहे हर तरफ मकान क्यूँ है

 राजीव प्रखर ने कहा -
मिलजुल कर ऐसे हटें, आपस के संताप।
कुछ उलझन कम हम करे, कुछ सुलझायें आप

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' का कहना था-
चलो फिरकापरस्ती की मिटायें तीरगी मिलकर
उगायें फिर मुहब्बत की सुनहरी रोशनी मिलकर
सियासत की हजारों कोशिशें बेकार जायेंगी
अगर रिश्तों में हम कायम रखेंगे ताजगी मिलकर

 अशोक विद्रोही ने कहा -
जो सैनिक कल बाढ़ में, बचा रहे थे प्रान
उनको पत्थर मारते, वाह रे हिन्दुस्तान

 मनोज वर्मा 'मनु' ने कहा -
फागुन तेरे आ जाने पर ना जाने क्या बात हुई
खुशियों से दिल झूम उठा जब रंगों की बरसात हुई

रामदत्त द्विवेदी का कहना था -
होली की चौपाई में फंस गए दर्शनलाल
लड़कों ने कर दी उन्ही की टोपी लाल
::::::::: प्रस्तुति ::::::::::
**जितेंद्र कुमार जौली
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