जमके रंग गुलाल उड़ेंगे ,अब के बरस की होली में,
गोरी तुझसे गले मिलेंगे ,अब के बरस की होली में।
सोच समझ के आइये रे छोरे,बरसाने की गलियों को,
दीख गया तो लट्ठ पड़ेंगे ,अब के बरस की होली में ।
मैं हूँ माखन चोर कन्हैया, भेद न मेरा पावेगी
गोरी तेरे गाल रंगेंगे ,अब के बरस की होली में।
जा रे ओ कारे साँवरिया, मैं हूँ गोरी गूजरिया
हम न तेरे रंग में रंगेंगे, अब के बरस की होली में।
छोड़ दे गोरी झगड़ा करना,होली का त्योहार बड़ा,
लाल गुलाबी मुखड़े खिलेंगे अब के.बरस की होली में।
तू जीता मैं हारी रे छोरे,रंग दे अपने रंग में तू
जमुना जी में मुखड़े धुलेंगे अब के बरस की होली में।
** मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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