मंगलवार, 10 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी.ठाकुर की गजल -ऐसा छाया खुमार होली का ...



छाया रंगे बहार होली का,
कब से था इंतज़ार होली का।

कैसे खुद को बचाएं ऐसे में  ,
ऐसा छाया खुमार होली का,

 वो मिले, ले गुलाल हाथो में,
करने हमको शिकार होली का

नफरतें मिट जहान से जायें,
प्यार  हो बेशुमार होली का

ढाया कोरोना ने कहर जबसे,
उतरा तब से बुखार होली का।

हैं सजन पास जो नहीं मेरे
आये कैसे  करार होली का ।

**मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

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