शनिवार, 7 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता की गजल - कि पहला प्यार आ जाता है बरबस याद होली में ...


खिले रंगों से मन होता बड़ा आह्लाद होली में
पुरानी यादें हो जाती हैं फिर आबाद होली में

सिखाता हैे ये रंगों से भरा त्यौहार आ हमको
भुला कर नफ़रतें हों प्यार का सम्वाद होली में

करो रंगीन अपनी ज़िंदगी खुशियों के रंगों से
जला दो होलिका में मन के सब अवसाद होली में

बिखरती है मुहब्बत इस तरह फागुन की बाहों में
कि पहला प्यार आ जाता है बरबस याद होली में

महकते ,खिलते, हँसते उपवनों को देख लगता है
कि जैसे चढ़ गया कुदरत पे हो उन्माद होली में

नशा भी कम नहीं मेरी ग़ज़ल में ध्यान से सुनना
मुझे भी हो नशा जाए यूँ देना दाद होली में

लगाओ रंग कितना भी जो खेलो होली अपनो से
न होना अपनी गरिमा से मगर आज़ाद होली में

महकती सी हवाएं ‘अर्चना’ मदहोश कर देती
दिलों में डाल देती प्यार की बुनियाद होली में

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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