शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' के तत्वावधान में 12 दिसंबर 2019 को हिमगिरि कॉलोनी स्थित 'गौरव सदन' में आयोजित सम्मान-अर्पण कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार आनन्द 'गौरव' को हस्ताक्षर साहित्य-साधक सम्मान

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' के तत्वावधान में  गुरुवार 12 दिसंबर 2019 को हिमगिरि कॉलोनी स्थित 'गौरव सदन' में सम्मान-अर्पण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार आनन्द कुमार गौरव को 'हस्ताक्षर साहित्य-साधक सम्मान' से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संस्था की ओर से उन्हें  सम्मान-पत्र, अंग वस्त्र, प्रतीक चिह्न एवं श्रीफल भेंट किया गया।

     इस अवसर पर संस्था के सह संयोजक राजीव 'प्रखर' ने गौरव जी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर केन्द्रित आलेख का वाचन करते हुए कहा कि 'गौरव जी हिन्दी साहित्य के बड़े हस्ताक्षर हैं जिनके 2 उपन्यास 'थका हारा सुख' और 'आंसुओं के उस पार' 2 गीत संग्रह 'मेरा हिन्दुस्तान कहां है' और 'सांझी सांझ' एक कविता संग्रह 'शून्य के मुखौटे' प्रकाशित हो चुके हैं।' 

    उल्लेखनीय है कि संस्था हस्ताक्षर की ओर से मुरादाबाद के वरिष्ठ एवं वयोवृद्ध साहित्यकारों को उनके जन्म दिवस‌ पर उनके आवास पर जाकर सम्मानित किए जाने की परंपरा में अब तक शिव अवतार रस्तोगी 'सरस', सुरेश दत्त शर्मा 'पथिक',  एस.पी. सक्सेना 'सूर्य', आर.पी.गहोई, राम दत्त द्विवेदी एवं ज़मीर दरवेश को सम्मानित किया जा चुका है। कार्यक्रम का शुभारंभ डा. प्रेमवती उपाध्याय  द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से हुआ।

   कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी ने कहा, " आनंद गौरव की कविता एक बाइस्कोप की तरह है जो न केवल अपने समय के परिदृश्य को परत दर परत खोलकर दिखाती है, वरन वह अपने समय का पोस्टमार्टम करते हुए सत्य मानवता नैतिकता की हत्या के यथार्थ के कारकों और कारणों की पड़ताल भी करती है।' 

मुख्य अतिथि विख्यात शायर ज़मीर दरवेश ने कहा कि 'आनंद गौरव के गीत तो विलक्षण होते ही हैं, उनकी ग़ज़लें भी अपनी एक अलग अदबी हैसियत रखती हैं।'

अतिविशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डा. अजय अनुपम ने कहा कि " गौरव जी आज के समय के महत्वपूर्ण रचनाकार हैं जिन्होंने जितना समृद्ध काव्य सृजन किया है उतना ही दस्तावेज़ी गद्य लेखन भी किया है।"

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने कहा कि ' गौरव जी की कहानियां अपने समय की विद्रूप स्थितियों को उजागर करने वाले विषय उठाती हैं, वहीं संवेदना के चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर पाठकों को उद्वेलित करती हैं। "

कार्यक्रम में सम्मानित साहित्यकार आनन्द गौरव ने रचना-पाठ करते हुए कहा-

"नगर-नगर गाँव-गांव

धूप-धूप छांव-छांव

बंजारा बन भटका मन"


"बिकने के चलन में

जहाँ चाहतें उभारों में हैं

हम उन बाजारों में हैं"


"जाने क्यों छिपे हुए हैं हम

खिड़कियों पर झुके हुए हैं हम"

कार्यक्रम का संचालन संस्था के संयोजक योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने किया तथा आभार-अभिव्यक्ति संस्था के सह संयोजक राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में सर्वश्री विवेक निर्मल, श्रीकृष्ण शुक्ल, मनोज मनु, डा. मनोज रस्तोगी, डा. पूनम बंसल, डॉ.कृष्ण कुमार नाज़, डॉ. प्रेमवती उपाध्याय, ज़िया ज़मीर आदि उपस्थित रहे।































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