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गुरुवार, 9 जुलाई 2020

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (जनपद सम्भल) के गीतकार स्मृति शेष रामावतार त्यागी की जयंती 8 जुलाई पर 'मुरादाबाद लिटरेरी क्लब' द्वारा दो दिवसीय ऑन लाइन साहित्यिक आयोजन


वाट्स एप पर संचालित  साहित्यिक समूह 'मुरादाबाद लिटरेरी क्लब' द्वारा "ज़मीं खा गयी आसमां कैसे कैसे" शीर्षक के तहत 8 व 9 जुलाई 2020 को प्रख्यात गीतकार रामावतार त्यागी के व्यक्तित्व एंव कृतित्व पर ऑन लाइन चर्चा की गई। क्लब द्वारा मुरादाबाद के दिवंगत साहित्यकारों को उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर याद किया जाता है । 8 जुलाई को स्मृतिशेष रामावतार त्यागी की जयंती थी ।
     
   सबसे पहले ग्रुप के सदस्य वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने रामावतार त्यागी के शुरुआती जीवन, उनके जीवन संघर्षों और साहित्यिक योगदान के बारे में विस्तार से बताया और उनके प्रतिनिधि गीत पटल पर रखे। बताया कि उनका पहला काव्य संग्रह वर्ष 1953 में 'नया खून' नाम से प्रकाशित हुआ। उसके पश्चात 'आठवां स्वर' ,(1958) 'मैं दिल्ली हूं'( 1959), 'सपने महक उठे'( 1965), 'गुलाब और बबूल'( 1973), ' गाता हुआ दर्द'( 1982), ' लहू के चंद कतरे'( 1984), 'गीत बोलते हैं'(1986) काव्य संग्रह प्रकाशित हुए। वर्ष 1954 में उनका उपन्यास 'समाधान' प्रकाशित हुआ। इसके अतिरिक्त 1957 में  उनकी कृति 'चरित्रहीन के पत्र'  पाठकों के समक्ष आई ।
 
 उनकी रचनाधर्मिता पर चर्चा शुरू करते हुए विख्यात नवगीतकार  यशभारती माहेश्वर तिवारी ने कहा कि "रामवतार त्यागी  हिंदी खड़ीबोली के ऐसे रचनाकार हैं जो काव्यत्व के धरातल पर अपने समकालीन बहुत से लोक विश्रुत कवियों से बहूत आगे थे। जमीदराना ठसक और विद्रोह का स्वर उनके निजी व्यक्तित्व के साथ साथ उनकी कविता में भी देखी जा सकती है ।उनके गीतों में भी नवगीत के आरंभिक लक्षणों की पहचान की जा सकती है"।     

वरिष्ठ कवि डॉ अजय अनुपम ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि रामावतार त्यागी कवि नहीं बल्कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत की चेतना के सोए हुए भावों में पुनर्जागरण का शंख फूंकने वाले मनीषी हैं।"

प्रख्यात व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि "रामावतार त्यागी गीत के बड़े कवि हैं। ऐसे बड़े जो लम्बे अंतराल से जन्म लेते हैं। अपनी पीढ़ी के सर्वाधिक प्रखर रहे गीत कवि रामावतार त्यागी निश्चित ही अद्भुत हैं। आधुनिक हिन्दी गीत का इतिहास जब कभी भी कायदे से लिखा जायेगा तो हिन्दी गीत रामावतार त्यागी के नाम से ही करवट लेगा।"

मशहूर शायरा डाॅ मीना नक़वी ने कहा कि "रामावतार त्यागी जी के गीतों में जनभावना के साथ साथ मन की कोमल संवेदनाओं की स्पर्श करने कीभी अद्भुत क्षमता है। भावों की कोमलता मन को छूती है।"       

वरिष्ठ कवियत्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने कहा कि "डॉ मनोज रस्तोगी द्वारा प्रस्तुत रामावतार त्यागी जी के गीतों को आज पढ़ कर ऐसा लगा जैसे अनेक प्रकार के दुख द्वंद में भी दूसरों के सुख की परवाह करने वाला मन त्यागी जीके पास था।"

मशहूर शायर डॉ कृष्ण कुमार नाज़ ने कहा कि "रामावतार त्यागी जी स्वाभिमानी रचनाकार थे और यह बात उनकी रचनाओं में भी स्पष्ट झलकती है।"


जनवादी कवि शिशुपाल मधुकर ने कहा कि " रामवतार त्यागी जी की रचनाएं साहित्य की महत्वपूर्ण विरासत है।उन्होंने गीतों की परम्परागत धारा को मोड़ने का कार्य किया है।"

मशहूर शायर डॉ मुजाहिद फराज़ ने कहा कि " मुरादाबाद लिट्रेरी ग्रुप में डॉ मनोज रस्तोगी द्वारा प्रस्तुत सामग्री पढ़ कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस मिट्टी से कैसे कैसे अनमोल हीरे वाबस्ता रहे हैं।"

 समीक्षक डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन ने कहा कि "हमें गर्व  होता है कि ऐसे महान गीतकार ने हमारे जिले से जन्म लिया। मुरादाबाद के साहित्य के इंसाइकोक्लोपीडिया डॉ मनोज रस्तोगी ने उनका जीवन परिचय एवं गीत प्रस्तुत करके हम पर उपकार किया है ।
 युवा शायर राहुल शर्मा ने उनकी रचनाधर्मिता पर कहा कि "त्यागी जी हिंदी साहित्य समाज की अनुपम धरोहर के साथ साथ मुरादाबाद की ऐसी धरोहर हैं जहाँ दर्द भी आकर शरण प्राप्त करता है"।

युवा कवि राजीव प्रखर ने कहा कि "यह परिस्थितियों की विडंबना ही कही जायेगी कि, वर्तमान पीढ़ी अभी तक रामावतार त्यागी के महान रचना कर्म से उतनी परिचित नहीं हो सकी थी जितना उसे होना चाहिये था।" उनकी रचनाएं कालजयी हैं ।

युवा शायर फरहत अली खान ने कहा कि " वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने रामावतार त्यागी की रचनाओं से हमें परिचित कराया । वह बधाई के पात्र हैं। ऐसे गुणी और सरस गीतकार पर तो बहुत रिसर्च की ज़रूरत है।"

युवा कवियत्री हेमा तिवारी भट्ट ने कहा कि "वे निस्संदेह एक स्वाभिमानी और स्पष्टवादी रचनाकार थे, जिसे चाटुकारिता कतई पसंद नहीं थी।"


युवा कवि मयंक शर्मा ने विचार व्यक्त हुए कहा कि "काव्य लेखन  रामावतार त्यागी जी का नैसर्गिक गुण था। जीवन में संघर्ष करते हुए भी उनकी लेखनी  कभी अवरुद्ध नहीं हुई।"

युवा कवियत्री मीनाक्षी ठाकुर ने कहा कि "स्मृतिशेष रामावतार त्यागी जी की रचनाओं में विद्रोही तेवर, राष्ट्रवाद की भावना, जनजागरण, दार्शनिकता व कहीं कहीं कल्पनाओं का समावेश भी मिलता है।"


समीक्षक डॉ अज़ीमुल हसन ने कहा कि " रामवतार त्यागी ने  पूरे देश में मुरादाबाद का नाम रोशन किया । अपने ही जिले में जन्मे ऐसे महान कवि से आज समूह के माध्यम से परिचित होकर हमें  गर्व की अनूभूति हो रही है।"

 युवा शायरा मोनिका मासूम ने कहा कि "श्री रामावतार त्यागी जी के गीत सुप्त ह्रदय में प्राण फूंकने की क्षमता रखते हैं।"


 मुरादाबाद लिट्रेरी ग्रुप के  एडमिन और संचालक शायर ज़िया ज़मीर ने कहा कि "रामावतार त्यागी जी के गीतों की भाषा, गीतों की पंक्तियों की तकरार और गीतों के जो भाव हैं उन्हें पहली सफ़ के गीतकारों में शामिल करने के लिए काफ़ी हैं।"

:::::::::प्रस्तुति:::::::::

ज़िया ज़मीर
ग्रुप एडमिन
मुरादाबाद लिटरेरी क्लब
मो०8755681225

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (जनपद सम्भल) निवासी साहित्यकार स्मृति शेष रामावतार त्यागी के दो गीत ----- ये लिए गए हैं लगभग 56 साल पूर्व सन 1964 में हिंदी साहित्य निकेतन द्वारा प्रकाशित साझा काव्य संग्रह 'तीर और तरंग 'से। मुरादाबाद जनपद के 39 कवियों के इस काव्य संग्रह का संपादन किया था गिरिराज शरण अग्रवाल और नवल किशोर गुप्ता ने । भूमिका लिखी थी डॉ गोविंद त्रिगुणायत ने ।




::::::   प्रस्तुति::::: 

डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

रविवार, 12 अप्रैल 2020

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली ( जनपद सम्भल ) निवासी साहित्यकार स्मृति शेष रामावतार त्यागी की पुण्यतिथि 12 अप्रैल पर डॉ मक्खन मुरादाबादी का विशेष आलेख --- पीड़ा को गीत बनाने में सिद्धहस्त साधक थे रामावतार त्यागी


      आज 12 अप्रैल , 2020 की तारीख हिन्दी साहित्य के लिए बहुत अहम है।आज की ही तारीख को 1985 में आधुनिक हिंदी गीत के शिरोमणि आदरणीय रामावतार त्यागी ने पीड़ाओं को गाते - गाते इस संसार से विदा ली थी। वह मार्च 1925 में  तत्कालीन जनपद मुरादाबाद की सम्भल तहसील ( वर्तमान जनपद )के गांव कुरकावली में जन्में थे। कुरकावली सम्भल - हसनपुर मार्ग पर नौवें माइल स्टोन पर स्थित है ।
      रामावतार त्यागी की डेढ़ दर्जन से भी अधिक सृजित कृतियां हैं। देश भर में छोटी कक्षाओं से लेकर विश्वविद्यालय - कक्षाओं तक के पाठ्यक्रमों में उनकी रचनाओं ने आदर पाया है।वह दिनकर , बच्चन , नेपाली , नरेन्द्र शर्मा , शिवमंगल सिंह सुमन , बलवीर सिंह रंग , देवराज दिनेश , वीरेन्द्र मिश्र आदि की पीढ़ी के अनूठे गीतकार हैं और इन सभी से प्रदत्त अपने अनुपम और अद्भुत होने के प्रमाण -  पत्र भी उनके ललाट पर मुकुट - रूप में  शोभायमान हैं। आधुनिक हिन्दी गीत का इतिहास भी जब  कायदे से लिखा जायेगा तो हिन्दी गीत रामावतार त्यागी के नाम से ही करवट लेता हुआ दिखाई पड़ेगा।
        शिव विष पीकर उसको कंठ ही में सोखकर नीलकंठ हो जाते हैं । निराला पीड़ाओं को बिछा - ओढ़ कर महाप्राण हो जाते हैं तो रामावतार त्यागी पीड़ाओं को दुलार - पुचकार कर उनमें ही रमकर, उन्हीं को पी - जी कर आत्मसात करके उनके साथ सोकर और जागकर पीड़ा के महागायक होकर हिन्दी गीत के महानायक होकर सामने आते हैं -
     शिशुपालसिंह ' निर्धन ' जी की पंक्तियां याद आ रही हैं -
एक पुराने दु:ख ने पूछा क्या तुम अभी वहीं रहते हो ।
उत्तर दिया चले मत आना मैंने वह घर बदल दिया है ।।
       लेकिन रामावतार त्यागी तो इससे भी बहुत आगे निकल गए हैं--
मैं न जन्म लेता तो शायद
रह जातीं विपदाएं  क्वारीं
मुझको याद नहीं है मैंने
सोकर कोई रात गुज़ारी
 
इतना ही नहीं । अपनी पीड़ाओं को ऐसा सादर सम्मान देने वाला हिन्दी साहित्य जगत में कहीं नहीं मिलने वाला --
सारी रात जागकर मन्दिर
कंचन को तन रहा बेचता
मैं पहुंचा जब दर्शन करने
तब दरवाजे बन्द हो गये ।
छल को मिली अटारी सुख की
मन को मिला  दर्द का  आंगन
नवयुग के लोभी पंचों ने
ऐसा ही कुछ किया विभाजन
शब्दों में अभिव्यक्ति देह की
सुनती रही शौक से दुनिया
मेरी पीड़ा अगर गा उठी
दूषित सारे छन्द हो गये ।
 
    रामावतार त्यागी पीड़ा को गीत बनाने में सिद्धहस्त साधक थे।ध्यान से देखेंगे तो भी पता नहीं लगा पायेंगे कि उन्होंने अपनी पीड़ा को गाया है या उनकी पीड़ा ने उनको गाया है।उनके गीतों में यह तत्त्व गहरे शोध का विषय है। उनके गीत - गीत को बार-बार पढ़ कर देखिए तो सही , आपको लगेगा कि उन्होंने जो कहा है वह संभवतः पहली - पहली बार कहा गया है। कविता में  यह आभास रचनाकार की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है जो उसे वास्तव में अप्रतिम बनाती है।
     मध्यम कद और सांवली सूरत वाला  अक्कखड़, तुनकमिजाज , बेपरवाह, शुष्क - शुष्क सा , घमंडी कहा जाने वाला आत्माभिमान से लबालब दो टूक अपने को प्रस्तुत करने वाला अजीबोगरीब यह आदमी बड़ों - बड़ों का और अपने श्रोताओं तथा पाठकों का कितना प्रिय होकर उभरा है,यह तो किसी की भी सोच के परे की स्थिति है। रामावतार त्यागी के सामने मैंने स्वयं अच्छों - अच्छों को पानी भरते देखा है।क्यों ? क्योंकि पीड़ा का यह गायक पीड़ाओं में से जीवन का  यह दर्शन भी निकालना जानता है --       
गजब का एक सन्नाटा, कहीं पत्ता नहीं हिलता
किसी कमजोर तिनके का समर्थन तक नहीं मिलता
कहीं उन्माद हंसता है कहीं उम्मीद रोती है
यहीं से,हां यहीं से ज़िन्दगी प्रारंभ होती है।
     
     रामावतार त्यागी उस उदधि के जैसे हैं जिसकी तरंग - तरंग में पीड़ा ही पीड़ा है। तरंगों का उछाल वाष्पीकृत होकर जब बादलों में तब्दील होता है तब उससे मूसलाधार पीड़ाएं बरस कर रामावतार त्यागी का गीत हो जाती हैं।उनका गीत संसार पीड़ाओं की मूसलाधार बरसात से कमाई गई खेती है।   


✍️  डॉ मक्खन मुरादाबादी
झ-28, नवीन नगर, कांठ रोड
मुरादाबाद- 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9319086769

शनिवार, 4 अप्रैल 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल के गांव कुरकावली निवासी साहित्यकार स्मृति शेष रामावतार त्यागी के नौ गीत--- ये गीत लिए गए हैं क्षेमचंद सुमन द्वारा संपादित कृति 'रामावतार त्यागी परिचय एवं प्रतिनिधि कविताएं ' से । इस कृति का प्रकाशन राजपाल एंड संस दिल्ली ने किया था। इसमें उनके 45 गीत हैं ----











 
                ::::::::::::: प्रस्तुति ::::::::::::
   
                 डॉ मनोज रस्तोगी
                  8, जीलाल स्ट्रीट
                  मुरादाबाद 244001
                  उत्तर प्रदेश, भारत
                   मोबाइल फोन नंबर 9456687822



मंगलवार, 1 जनवरी 2019

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (जनपद सम्भल ) निवासी साहित्यकार स्मृतिशेष रामावतार त्यागी पर केंद्रित डॉ मनोज रास्तो




रामावतार त्यागी का जन्म 8 जुलाई सन 1925 को जनपद संभल के कुरकावली नामक ग्राम के त्यागी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके दादा चौधरी श्री इमरत सिंह एक अच्छे जमींदार थे । उनके पिता का नाम श्री उदल सिंह तथा माता का नाम भागीरथी देवी था। निरंतर मुकदमें बाजी में लगे रहने के कारण इनका परिवार कालांतर में एक मामूली किसान परिवार में बदल गया परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होते हुए भी उनके परिवार के रीति रिवाज व्यवहार सब जमींदारों जैसे ही थे।

    चार भाइयों रामावतार त्यागी, रामकुमार त्यागी, रामनिवास त्यागी, राजेन्द्र त्यागी एवं एक बहन लीलावती  में सबसे बड़े रामावतार त्यागी छोटी जाति के बच्चों के साथ खेलते थे जो उनके परिवार को पसंद नहीं था। यही नहीं वह अपने विरोधी परिवारों में भी प्रतिदिन आया जाया करते थे।इस पर उन्हें परिवार से प्रताड़ना भी मिलती थी । इसका परिणाम यह हुआ कि अपने जीवन के प्रारंभिक काल में ही उनके अंदर विद्रोह के स्वर फूटने लगे । उनकी रुचि भजन, गाने ,कीर्तन, रामायण , आल्हा आदि में शुरू से ही अधिक थी। वह बचपन से ही तुकें मिलाया करते थे इस प्रकार उनके अंदर काव्यांकुर भी फूटने लगे थे 

  उन्होंने संभल के किंग जॉर्ज यूनियन हाई स्कूल जो वर्तमान में हिंद इंटर कॉलेज के नाम से जाना जाता है, से वर्ष 1944 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। मैट्रिक के बाद उन्होंने आगे पढ़ने की इच्छा प्रकट की तो घर वालों ने इसका विरोध किया । इसके बावजूद उन्होंने चंदौसी के एसएम डिग्री कॉलेज में दाखिला ले लिया और वहां से 1948 में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद वह दिल्ली चले गए व हिंदू कॉलेज से उन्होंने 1950 में एम ए हिंदी की परीक्षा उत्तीर्ण की।

   रामावतार त्यागी का विवाह वर्ष 1941 में उस समय हो गया था जब वह सातवीं कक्षा में अध्ययन रत थे। कालांतर में उनकी पत्नी क्रांति ने उनसे नाता तोड़ लिया था। उनसे उनकी पुत्री राजबाला त्यागी का जन्म हुआ । वह वर्तमान में दिल्ली निवास कर रही हैं । दूसरा विवाह वर्ष 1960 में सुश्री सुयश से हुआ। उनसे उन्हें पुत्र सन्देश पवन त्यागी की प्राप्ति हुई । वह वर्तमान में मुंबई निवास कर रहे हैं।

  सन 1950 में उनकी भेंट नवभारत टाइम्स के रविवारीय संस्करण के संपादक और नवयुग के सहायक संपादक श्री महावीर अधिकारी से हुई और इसके बाद उनकी  रचनाओं का प्रकाशन नवभारत टाइम्स और नवयुग में शुरू हो गया। धीरे धीरे उनकी ख्याति एक कवि के रूप में फैलने लगी। इसी दौरान उन्होंने दिल्ली में ही राम रूप विद्या मंदिर नामक शिक्षण संस्था में अध्यापन कार्य भी किया लेकिन कुछ समय बाद उनकी यह नौकरी छूट गई और वह बेरोजगार हो गए। 

 लगभग दो साल तक बेरोजगार रहने के बाद उन्होंने समाज पत्रिका में 6 महीने संपादन का कार्य भी किया उसके बाद वह समाज कल्याण पत्रिका में 1 साल तक संपादक रहे ।कुछ दिन साप्ताहिक हिंदुस्तान में भी काम किया। उसके बाद वह नवभारत टाइम्स के संपादकीय विभाग में कार्यरत रहे ।

उनका पहला काव्य संग्रह वर्ष 1953 में 'नया खून' नाम से पुष्प प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ। इस संग्रह में उनका विद्रोही स्वर मुखरित हुआ है। उसके पश्चात 1958 में 'आठवां स्वर' प्रकाशित हुआ। इस संग्रह में उनके 58 गीत हैं । इस कृति की भूमिका प्रख्यात साहित्यकार रामधारी सिंह दिनकर ने लिखी । 'मैं दिल्ली हूं'( 1959), 'सपने महक उठे'( 1965), 'गुलाब और बबूल'( 1973), ' गाता हुआ दर्द'( 1982), ' लहू के चंद कतरे'( 1984), 'गीत बोलते हैं'(1986) काव्य संग्रह प्रकाशित हुए। वर्ष 1954 में उनका उपन्यास 'समाधान' प्रकाशित हुआ। इसके अतिरिक्त 1957 में  उनकी कृति 'चरित्रहीन के पत्र'  पाठकों के समक्ष आई ।

     राजपाल एंड संस प्रकाशन दिल्ली ने आज के लोकप्रिय हिंदी कवि पुस्तक माला के अंतर्गत रामावतार त्यागी परिचय एवं प्रतिनिधि कविताएं का प्रकाशन प्रकाशन किया । क्षेमचंद्र सुमन के संपादन में प्रकाशित इस कृति में उनके 45 गीत संग्रहित हैं। इसके अतिरिक्त वाणी प्रकाशन द्वारा शेरजंग गर्ग के संपादन में' हमारे लोकप्रिय गीतकार - रामावतार त्यागी' तथा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ द्वारा केशव प्रसाद वाजपेई के संपादन में 'रामावतार त्यागी- व्यक्तित्व एवं कृतित्व' कृतियों का भी प्रकाशन हो चुका है ।

उनका निधन 12 अप्रैल 1985 को हुआ ।

 चर्चित रहा फ़िल्म में लिखा गीत 

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रामावतार त्यागी ने महावीर अधिकारी की कहानी पर केंद्रित उमेश माथुर के निर्देशन में निर्मित फ़िल्म 'जिंदगी और तूफान' के लिए एक गीत ' जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है' भी लिखा था यह गीत हिंदी फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ गीतों में गिना जाता है। इस गीत को सुप्रसिद्ध गायक मुकेश ने गाया था। संगीत दिया था। यह फ़िल्म 1975 में रिलीज हुई थी।

 हिंदी पाठ्यक्रम में भी शामिल रही उनकी रचनायें

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उनकी रचनाएं एनसीईआरटी के हिंदी पाठ्यक्रम में भी शामिल की गई । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के कक्षा 8 के पाठ्यक्रम में  शामिल उनका गीत 'मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित / चाहता हूं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं। ' सर्वाधिक चर्चित रहा ।

व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोधकार्य

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स्मृति शेष रामावतार त्यागी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संभल की सिंधु त्यागी ने प्रख्यात साहित्यकार एवं एमजीएम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ डीएन शर्मा के निर्देशन में शोध कार्य पूर्ण किया है। इसके अतिरिक्त धनोरा के अंकित त्यागी गुलाब सिंह पीजी कॉलेज चांदपुर की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ साधना के निर्देशन में 'रामावतार त्यागी के गीतों का विश्लेषणात्मक अध्ययन' शीर्षक पर शोध कार्य कर रहे हैं।

 पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संजय गांधी को पढ़ाई थी हिंदी 

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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रामावतार त्यागी को राजीव गांधी और संजय गांधी की हिंदी स्पीकिंग क्लास के लिए निजी शिक्षक भी नियुक्त किया था बाद में इंदिरा गांधी द्वारा उन्हें गुलमोहर पार्क दिल्ली में मकान भी आवंटित किया गया । 

✍️ डॉ मनोज रस्तोगी

 8, जीलाल स्ट्रीट

 मुरादाबाद 244001

 उत्तर प्रदेश, भारत

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