रामावतार त्यागी का जन्म 8 जुलाई सन 1925 को जनपद संभल के कुरकावली नामक ग्राम के त्यागी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके दादा चौधरी श्री इमरत सिंह एक अच्छे जमींदार थे । उनके पिता का नाम श्री उदल सिंह तथा माता का नाम भागीरथी देवी था। निरंतर मुकदमें बाजी में लगे रहने के कारण इनका परिवार कालांतर में एक मामूली किसान परिवार में बदल गया परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होते हुए भी उनके परिवार के रीति रिवाज व्यवहार सब जमींदारों जैसे ही थे।
चार भाइयों रामावतार त्यागी, रामकुमार त्यागी, रामनिवास त्यागी, राजेन्द्र त्यागी एवं एक बहन लीलावती में सबसे बड़े रामावतार त्यागी छोटी जाति के बच्चों के साथ खेलते थे जो उनके परिवार को पसंद नहीं था। यही नहीं वह अपने विरोधी परिवारों में भी प्रतिदिन आया जाया करते थे।इस पर उन्हें परिवार से प्रताड़ना भी मिलती थी । इसका परिणाम यह हुआ कि अपने जीवन के प्रारंभिक काल में ही उनके अंदर विद्रोह के स्वर फूटने लगे । उनकी रुचि भजन, गाने ,कीर्तन, रामायण , आल्हा आदि में शुरू से ही अधिक थी। वह बचपन से ही तुकें मिलाया करते थे इस प्रकार उनके अंदर काव्यांकुर भी फूटने लगे थे
उन्होंने संभल के किंग जॉर्ज यूनियन हाई स्कूल जो वर्तमान में हिंद इंटर कॉलेज के नाम से जाना जाता है, से वर्ष 1944 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। मैट्रिक के बाद उन्होंने आगे पढ़ने की इच्छा प्रकट की तो घर वालों ने इसका विरोध किया । इसके बावजूद उन्होंने चंदौसी के एसएम डिग्री कॉलेज में दाखिला ले लिया और वहां से 1948 में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद वह दिल्ली चले गए व हिंदू कॉलेज से उन्होंने 1950 में एम ए हिंदी की परीक्षा उत्तीर्ण की।
रामावतार त्यागी का विवाह वर्ष 1941 में उस समय हो गया था जब वह सातवीं कक्षा में अध्ययन रत थे। कालांतर में उनकी पत्नी क्रांति ने उनसे नाता तोड़ लिया था। उनसे उनकी पुत्री राजबाला त्यागी का जन्म हुआ । वह वर्तमान में दिल्ली निवास कर रही हैं । दूसरा विवाह वर्ष 1960 में सुश्री सुयश से हुआ। उनसे उन्हें पुत्र सन्देश पवन त्यागी की प्राप्ति हुई । वह वर्तमान में मुंबई निवास कर रहे हैं।
सन 1950 में उनकी भेंट नवभारत टाइम्स के रविवारीय संस्करण के संपादक और नवयुग के सहायक संपादक श्री महावीर अधिकारी से हुई और इसके बाद उनकी रचनाओं का प्रकाशन नवभारत टाइम्स और नवयुग में शुरू हो गया। धीरे धीरे उनकी ख्याति एक कवि के रूप में फैलने लगी। इसी दौरान उन्होंने दिल्ली में ही राम रूप विद्या मंदिर नामक शिक्षण संस्था में अध्यापन कार्य भी किया लेकिन कुछ समय बाद उनकी यह नौकरी छूट गई और वह बेरोजगार हो गए।
लगभग दो साल तक बेरोजगार रहने के बाद उन्होंने समाज पत्रिका में 6 महीने संपादन का कार्य भी किया उसके बाद वह समाज कल्याण पत्रिका में 1 साल तक संपादक रहे ।कुछ दिन साप्ताहिक हिंदुस्तान में भी काम किया। उसके बाद वह नवभारत टाइम्स के संपादकीय विभाग में कार्यरत रहे ।
उनका पहला काव्य संग्रह वर्ष 1953 में 'नया खून' नाम से पुष्प प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुआ। इस संग्रह में उनका विद्रोही स्वर मुखरित हुआ है। उसके पश्चात 1958 में 'आठवां स्वर' प्रकाशित हुआ। इस संग्रह में उनके 58 गीत हैं । इस कृति की भूमिका प्रख्यात साहित्यकार रामधारी सिंह दिनकर ने लिखी । 'मैं दिल्ली हूं'( 1959), 'सपने महक उठे'( 1965), 'गुलाब और बबूल'( 1973), ' गाता हुआ दर्द'( 1982), ' लहू के चंद कतरे'( 1984), 'गीत बोलते हैं'(1986) काव्य संग्रह प्रकाशित हुए। वर्ष 1954 में उनका उपन्यास 'समाधान' प्रकाशित हुआ। इसके अतिरिक्त 1957 में उनकी कृति 'चरित्रहीन के पत्र' पाठकों के समक्ष आई ।
राजपाल एंड संस प्रकाशन दिल्ली ने आज के लोकप्रिय हिंदी कवि पुस्तक माला के अंतर्गत रामावतार त्यागी परिचय एवं प्रतिनिधि कविताएं का प्रकाशन प्रकाशन किया । क्षेमचंद्र सुमन के संपादन में प्रकाशित इस कृति में उनके 45 गीत संग्रहित हैं। इसके अतिरिक्त वाणी प्रकाशन द्वारा शेरजंग गर्ग के संपादन में' हमारे लोकप्रिय गीतकार - रामावतार त्यागी' तथा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ द्वारा केशव प्रसाद वाजपेई के संपादन में 'रामावतार त्यागी- व्यक्तित्व एवं कृतित्व' कृतियों का भी प्रकाशन हो चुका है ।
उनका निधन 12 अप्रैल 1985 को हुआ ।
चर्चित रहा फ़िल्म में लिखा गीत
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रामावतार त्यागी ने महावीर अधिकारी की कहानी पर केंद्रित उमेश माथुर के निर्देशन में निर्मित फ़िल्म 'जिंदगी और तूफान' के लिए एक गीत ' जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है' भी लिखा था यह गीत हिंदी फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ गीतों में गिना जाता है। इस गीत को सुप्रसिद्ध गायक मुकेश ने गाया था। संगीत दिया था। यह फ़िल्म 1975 में रिलीज हुई थी।
हिंदी पाठ्यक्रम में भी शामिल रही उनकी रचनायें
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उनकी रचनाएं एनसीईआरटी के हिंदी पाठ्यक्रम में भी शामिल की गई । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के कक्षा 8 के पाठ्यक्रम में शामिल उनका गीत 'मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित / चाहता हूं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं। ' सर्वाधिक चर्चित रहा ।
व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोधकार्य
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स्मृति शेष रामावतार त्यागी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संभल की सिंधु त्यागी ने प्रख्यात साहित्यकार एवं एमजीएम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ डीएन शर्मा के निर्देशन में शोध कार्य पूर्ण किया है। इसके अतिरिक्त धनोरा के अंकित त्यागी गुलाब सिंह पीजी कॉलेज चांदपुर की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ साधना के निर्देशन में 'रामावतार त्यागी के गीतों का विश्लेषणात्मक अध्ययन' शीर्षक पर शोध कार्य कर रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संजय गांधी को पढ़ाई थी हिंदी
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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रामावतार त्यागी को राजीव गांधी और संजय गांधी की हिंदी स्पीकिंग क्लास के लिए निजी शिक्षक भी नियुक्त किया था बाद में इंदिरा गांधी द्वारा उन्हें गुलमोहर पार्क दिल्ली में मकान भी आवंटित किया गया ।
✍️ डॉ मनोज रस्तोगी8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822
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