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शनिवार, 20 नवंबर 2021
मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर के साहित्यकारों डॉ अनिल कुमार शर्मा अनिल, रचना शास्त्री, इंद्र देव भारती, नरेंद्रजीत अनाम, डॉ भूपेंद्र कुमार, रंजना हरित और अजय जैन की बाल कविताएं...। ये सभी बाल कविताएं प्रकाशित हुई हैं धामपुर के साहित्यकार डॉ अनिल कुमार शर्मा अनिल के सम्पादन में प्रकाशित ई पत्रिका अभिव्यक्ति के अंक 96, अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस अंक में ।
शनिवार, 30 अक्तूबर 2021
रविवार, 24 अक्तूबर 2021
मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर के साहित्यकारों ने करवा चौथ के पर्व पर अपने जीवनसाथी के लिए लिखे गीत । इन गीतों को हमने लिया है धामपुर (जनपद बिजनौर ) से डॉ अनिल शर्मा अनिल के सम्पादन में प्रकाशित अनियतकालीन ई पत्रिका अभिव्यक्ति से ....
::::::प्रस्तुति::::::
शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021
गुरुवार, 29 जुलाई 2021
मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) निवासी साहित्यकार डॉ अनिल शर्मा अनिल की पांच लघुकथाएं -----
एक-
जिम्मेदारी
जिस दिन से गांव में टीकाकरण करने वाली टीम पंचायत भवन पर आने लगी।राघव ने तो मजदूरी करने जाना भी बंद कर दिया। घर घर जाता, आवाज लगाता, बुलाकर लाता।बड़े बूढ़ों को गोदी में ही उठा लाता या पीठ पर टांग लाता। बिना किसी लालच के सेवाभाव से यह सब करता राघव।
आज मुखिया जी ने बताया , शहर में मजदूरी करता था यह। वहां पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आया और उसकी भेंट चढ़ गया।एक भाई,भाभी,पत्नी और तीन बच्चे।बस यह ही बचा।अब गांव में किसी को ऐसा दुख न उठाना पड़े, इसीलिए राघव जिम्मेदारी के साथ सबका टीकाकरण कराने में पूरा सहयोग कर रहा है।
दो-
जगा दिया
बारात तो जाने की पूरी तैयारी थी।पच्चीस लोगों की लिस्ट थामें दीनानाथ ने एक एक चेहरा देख लिस्ट पर निशान लगाना शुरू कर दिया। अब उसने पूछना शुरू किया,"वैक्सीनेशन किस किसने नहीं कराया अभी?"
ये क्या सात बारातियों के साथ साथ एक उनके जीजा जी भी निकल आए बिना वैक्सीनेशन वाले।
दीनानाथ ने हाथ जोड़कर कहा," आपसे निवेदन है कि अपनी और अन्य लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आपका बारात में न जाना और अपने घर को वापस चले जाना बहुत ही आवश्यक है। मैं क्षमा चाहता हूं।"
दीनानाथ के जीजा जी सबसे पहले उठ खड़े हो गये, "तुमने सही कहा दीनानाथ, हम बहुत बड़ा खतरा मोल लेने और खुद खतरा बनने से बच गये भाई।आज तेरी बात ने हमें गहरी नींद से जगा दिया।"
तीन-
टीकाकरण
कविता,लेख, कहानी लिखकर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और सोशल मीडिया पर टीकाकरण अभियान का खूब प्रचार किया राजेश जी ने।
आज खबर मिली, अस्पताल में भर्ती है।
क्या हुआ? जानकारी ली तो पता चला,भाई साहब कोरोना की चपेट में आ गये।
उनको फोन लगाया तो बेटे ने उठाया,बोला " अंकल पापा ने बार बार कहने पर भी टीका नहीं लगवाया। हमारे समझाने पर हमें ही डॉट देते।अब सब परेशान हैं हम।"
"चिंता मत करो,सब ठीक होगा।"बस इतना ही कह सका मैं।
चार-
नियम से
लालाजी ने लाकडाउन के नियमों का पालन तो किया ही। सरकारी निर्देश और गाइडलाइन को मानते रहे।
आज अस्पताल में लाइन में खड़े देखा। वैक्सीनेशन कराने आए थे। डॉ.गुप्ता ने भीतर से ही आवाज लगायी,"अंदर आ जाइए लालाजी।बाहर मत खड़े रहिए।"
लालाजी ने हवा में हाथ लहरा दिया," ठीक हूं डॉ.साहब यहीं पर हम कोई अलग थोड़े ही है।
हम भी तो अपनी दुकान पर लाइन लगवा देते हैं।"
पांच-
गाइडलाइन
"कभी अट्ठाइस दिन कभी पैंतालीस,कभी चौरासी दिन बाद आखिर माजरा क्या है सर।"
पत्रकार ने डॉ.शुक्ला से वैक्सीन की दूसरी डोज के अंतर की बाबत सवाल किया।
"पत्रकार जी, गाइडलाइन हम तो बनाते नहीं।हम केवल उसको इंप्लीमेंट करते हैं। यह दिनों का अंतर भी मिली गाइडलाइन अनुसार बताया गया है।" डॉ.शुक्ला ने उत्तर दिया।
"सर,फिर भी आपकी निजी राय क्या है?"पत्रकार ने फिर प्रश्न कर दिया।
डॉ.शुक्ला मुस्कुराएं, बोले," आप देख रहे हैं, सरकार के स्तर से कितना बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। इसमें सहयोग कीजिए और प्रयास कीजिए कि कोई भी पात्र व्यक्ति इससे वंचित न रहे। बाकी गाइडलाइन के मुताबिक हम काम कर ही रहे हैं। इसमें हमारे स्तर से कुछ कमी हो तो बताना।"
✍️ डॉ.अनिल शर्मा अनिल, धामपुर,जनपद बिजनौर,उत्तर प्रदेश, भारत
बुधवार, 21 जुलाई 2021
मुरादाबाद मंडल के अफजलगढ़ (जनपद बिजनौर) निवासी साहित्यकार डॉ अशोक रस्तोगी के उपन्यास समर्पण की डॉ अनिल शर्मा अनिल द्वारा की गई समीक्षा-
समर्पण--- परिवार व समाज के विभिन्न पात्रों की जीवन यात्रा के विभिन्न मोड़ों व विभिन्न पड़ावों से गुजरता हुआ एक ऐसा उलझाव भरा, किंतु हृदय के गहरे समुद्र में उतर जाने वाला कथानक...जिसे आप पढ़ते- पढ़ते द्रवीभूत हो उठेंगे...बार -बार आंखें छलछला आएंगी आपकी! लगेगा ... सब कुछ आपकी आंखों के सामने ही घटित हो रहा है।
पात्र भी आपको अपने जाने -पहचाने से ही प्रतीत होंगे। ऐसे ऐसे अकल्पित रहस्योद्घाटन कि आप आश्चर्य चकित हुए बिना न रह सकेंगे। और... एक विश्व विख्यात धर्मोपदेशक, कथावाचक, योगीराज का तो आप ऐसा रुप देखेंगे कि नेत्र विस्फारित रह जाएंगे आपके... दांतों तले अंगुली दबाने को विवश हो जाएंगे आप।
सुरुचिपूर्ण कथानक,अनुपम शिल्प, विश्लेषणात्मक चिंतन, लालित्य पूर्ण भाषा व रोचक शैली में लिखा गया एक ऐसा उपन्यास, जिसे आपका मन चाहेगा कि एक ही सांस में पढ़ जाएं।
'समर्पण' में है विविध चरित्रों का विश्लेषण... जैसे--- दिव्यप्रभा ---कथानक की केंद्रबिंदु... धर्मांधता की ओट में छली गई अभागी युवती... कोमलांगी,,करुणहृदयी, संवेदनशील, छुईमुई सी, कोंपल सी वयस वाली, धर्म भीरु...विवशताओं के बंधन हैं जिसमें... उमंगों की हत्या से उपजी वेदनाएं हैं।
मन के किसी कोने में पारिवारिक चिकित्सक डॉ अनंत श्रीवास्तव कब दबे पांव आ समाया, कोई आहट न हो सकी?
एक है 'डॉ अनंत श्रीवास्तव'--- ऐसा भावुक प्रवृत्ति का प्रतिभाशाली डॉक्टर,जो दिव्यप्रभा के परिवार का चिकित्सक तो है ही,शुभाकांक्षी भी है। वैदिक विचारधारा का अनुयाई, श्रेष्ठाचरणी, गंभीर प्रवृत्ति का आदर्श युवा चिकित्सक।
हृदय में दिव्यप्रभा के प्रति प्रेमांकुर प्रस्फुटित होने लगे थे, परंतु कभी अभिव्यक्ति का साहस न संजो सका।
उपन्यास की धुरी 'योगीराज देवमूर्ति आचार्य'--- असफल डॉ दिवाकर का वह परिवर्तित स्वरुप... जिसने उसे न केवल स्वदेश अपितु विदेशों में भी ऐसी अपार ख्याति दिलाई...कि आसमान की ऊंचाइयों की उड़ान भरने लगा वह...
प्रत्येक क्रिया फल प्राप्ति की आशा से अनुप्राणित... वर्तमान के सुप्रसिद्ध कथावाचकों अथवा धर्मगुरुओं का प्रतिनिधि।
सेठ भानुशरण--- कानपुर का उद्योग पति... धर्म प्रेम की ओट में धनार्जन... लोहे को स्वर्ण में परिवर्तित कर देने की कला में सिद्धहस्त... चिकित्सा क्षेत्र में असफल 'डॉ दिवाकर' को 'योगीराज देवमूर्ति' में परिवर्तित इसी शिल्प कार ने किया था।
और 'दीपेश '--- महत्वाकांक्षी और निर्मल विराट व्यक्तित्व का स्वामी,दिव्यप्रभा का सहोदर, राष्ट्र हितकारी विचारधारा का पक्षधर...
परिस्थितियों के मकड़जाल ने उसे कहां से कहां पहुंचा दिया... मानव धर्म रक्त के बिंदु बिंदु में समाहित... जीवन की विडम्बना ने उसे इतना ऊंचा उठा दिया कि उसके व्यक्तित्व के समक्ष सभी बौने प्रतीत होने लगे।
कृति : समर्पण (उपन्यास)
लेखक : डॉ अशोक रस्तोगी,अफजलगढ़, बिजनौर, उ.प्र.
प्रकाशक : काव्या पब्लिकेशन दिल्ली
पृष्ठ संख्या : 351 मूल्य : ₹499
धामपुर, जिला-बिजनौर, उत्तर प्रदेश,भारत
मोबाइल फोन नम्बर-9719064630
शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021
मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर ) के साहित्यकार डॉ अनिल शर्मा अनिल की लघुकथा------ होलिका दहन
होलिका दहन के लिए गली के बाहर ही लकड़ियों का ढेर लगवा दिया था भाई साहब ने। कुछ लोगों ने स्थान न होने की बात कही लेकिन भाई साहब नहीं माने।अब बस मुश्किल से एक फुट का रास्ता ही बचा था जाने आने के लिए।
दिन भर डी जे पर कानफोडू संगीत बजाया गया। भाई साहब युवा नेता ठहरे और उस पर संस्कृति के पोषक संगठन के नगर प्रमुख,तो इतना करना,बनता ही था।
रात को होलिका दहन के बाद सब अपने घर चले गये। भाई साहब के पिता जी की अचानक तबियत खराब हो गई। एंबुलेंस के लिए फोन कर दिया गया। लेकिन गली से बाहर निकलने के लिए रास्ते में गुंजाइश ही नहीं थी। होली पूरे जोर से जल रही थी।
✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल', धामपुर, उत्तर प्रदेश
शनिवार, 27 मार्च 2021
मंगलवार, 23 मार्च 2021
शनिवार, 20 मार्च 2021
गुरुवार, 4 मार्च 2021
बुधवार, 24 फ़रवरी 2021
मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) से डॉ अनिल शर्मा अनिल द्वारा संपादित अनियतकालीन ई-पत्रिका 'अभिव्यक्ति' का अंक 26 (रविवार 9-08-2020)। इस अंक में मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई के 75वें जन्मदिवस पर विशेष सामग्री प्रकाशित की गई है ।
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बुधवार, 22 जुलाई 2020
मुरादाबाद मंडल के धामपुर जनपद बिजनौर निवासी साहित्यकार डॉ अनिल शर्मा अनिल की लघुकथा-----मास्क
"मां मैं तुम्हारे लिए मास्क ले आया। लगा रखो मुंह पर, देखो टीवी में बताया था न।" बेटे ने मां को मास्क देते हुए कहा ।
" ठीक किया बेटा। सुरक्षा व बचाव जरूरी है। कोरोना से बचने के लिए।" मां ने खुशी जाहिर करते हुए कहा।
" वाह जी, आपने तो कमाल कर दिया। मुंह पर मास्क होगा तो, मां जी ज्यादा टोका टाकी नहीं करेगी।" बहू भी प्रसन्न नजर आई।
लॉकडाउन के दौरान बेटे ने घर में रहते हुए मां और बहू के बीच हुई टोका टाकी को कई बार सुनकर भी अनसुना कर दिया था।
डॉ अनिल शर्मा अनिल
धामपुर-246761,
जिला -बिजनौर, उत्तर प्रदेश
संपर्क-9719064630
बुधवार, 10 जून 2020
मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर निवासी साहित्यकार डॉ अनिल शर्मा अनिल की लघु कथा--------- काश
लाकडाउन में खूब नयी डिशेज बनाई गई घर में। रोज कुछ नया व्यंजन और नया स्वाद। दाल, रोटी, सब्जी,चावल के अलावा कभी और कुछ न बनाने वाली बहू से,सास ने पूछ ही लिया- " "यह रोज नई-नई डिश, बनाना कैसे सीख गयी?"
"मोबाइल पर,यूट्यूब पर सब कुछ है सीखने के लिए,मां जी।" बहू ने बताया।
सारे दिन टीवी सीरियल देखते रहने वाली सास ने कहा,-" काश हमारे समय में यह मोबाइल होता।"
✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर