गुरुवार, 29 जुलाई 2021

मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) निवासी साहित्यकार डॉ अनिल शर्मा अनिल की पांच लघुकथाएं -----

 


एक-

जिम्मेदारी

जिस दिन से गांव में टीकाकरण करने वाली टीम पंचायत भवन पर आने लगी।राघव ने तो मजदूरी करने जाना भी बंद कर दिया। घर घर जाता, आवाज लगाता, बुलाकर लाता।बड़े बूढ़ों को गोदी में ही उठा लाता या पीठ पर टांग लाता। बिना किसी लालच के सेवाभाव से यह सब करता राघव।

आज मुखिया जी ने  बताया , शहर में मजदूरी करता था यह। वहां पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आया और उसकी भेंट चढ़ गया।एक भाई,भाभी,पत्नी और तीन बच्चे।बस यह ही बचा।अब गांव में किसी को ऐसा दुख न उठाना पड़े, इसीलिए राघव जिम्मेदारी के साथ सबका टीकाकरण कराने में पूरा सहयोग कर रहा है।

दो-

जगा दिया

बारात तो जाने की पूरी तैयारी थी।पच्चीस लोगों की लिस्ट थामें दीनानाथ ने एक एक चेहरा देख लिस्ट पर निशान लगाना शुरू कर दिया। अब उसने पूछना शुरू किया,"वैक्सीनेशन किस किसने नहीं कराया अभी?" 

ये क्या सात बारातियों के साथ साथ एक उनके जीजा जी भी निकल आए बिना वैक्सीनेशन वाले।

दीनानाथ ने हाथ जोड़कर कहा," आपसे निवेदन है कि अपनी और अन्य लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आपका बारात में न जाना और अपने घर को वापस चले जाना बहुत ही आवश्यक है। मैं क्षमा चाहता हूं।"

दीनानाथ के जीजा जी सबसे पहले उठ खड़े हो गये, "तुमने सही कहा दीनानाथ, हम बहुत बड़ा खतरा मोल लेने और खुद खतरा बनने से बच गये भाई।आज तेरी बात ने हमें गहरी नींद से जगा दिया।"

तीन-

टीकाकरण

कविता,लेख, कहानी लिखकर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और सोशल मीडिया पर  टीकाकरण अभियान का खूब प्रचार किया राजेश जी ने।

आज खबर मिली, अस्पताल में भर्ती है।

क्या हुआ? जानकारी ली तो पता चला,भाई साहब कोरोना की चपेट में आ गये।

उनको फोन लगाया तो  बेटे ने उठाया,बोला " अंकल पापा ने बार बार कहने पर भी टीका नहीं लगवाया। हमारे समझाने पर हमें ही डॉट देते।अब सब परेशान हैं हम।"

"चिंता मत करो,सब ठीक होगा।"बस इतना ही कह सका मैं।

चार-

नियम से

लालाजी ने लाकडाउन के नियमों का पालन तो किया ही। सरकारी निर्देश और गाइडलाइन को मानते रहे।

आज अस्पताल में लाइन में खड़े देखा। वैक्सीनेशन कराने आए थे। डॉ.गुप्ता ने भीतर से ही आवाज लगायी,"अंदर आ जाइए लालाजी।बाहर मत खड़े रहिए।"

लालाजी ने हवा में हाथ लहरा दिया," ठीक हूं डॉ.साहब यहीं पर हम कोई अलग थोड़े ही है।

हम भी तो अपनी दुकान पर लाइन लगवा देते हैं।"


पांच-

गाइडलाइन

"कभी अट्ठाइस दिन कभी पैंतालीस,कभी चौरासी दिन बाद आखिर माजरा क्या है सर।"

पत्रकार ने डॉ.शुक्ला से वैक्सीन की दूसरी डोज के अंतर की बाबत सवाल किया।

"पत्रकार जी, गाइडलाइन हम तो बनाते नहीं।हम केवल उसको इंप्लीमेंट करते हैं। यह दिनों का अंतर भी मिली गाइडलाइन अनुसार बताया गया है।" डॉ.शुक्ला ने उत्तर दिया।

"सर,फिर भी आपकी निजी राय क्या है?"पत्रकार ने फिर प्रश्न कर दिया।

डॉ.शुक्ला मुस्कुराएं, बोले," आप देख रहे हैं, सरकार के स्तर से कितना बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। इसमें सहयोग कीजिए और प्रयास कीजिए कि कोई भी पात्र व्यक्ति इससे वंचित न रहे। बाकी गाइडलाइन के मुताबिक हम काम कर ही रहे हैं। इसमें हमारे स्तर से कुछ कमी हो तो बताना।"

✍️  डॉ.अनिल शर्मा अनिल, धामपुर,जनपद बिजनौर,उत्तर प्रदेश, भारत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें