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सोमवार, 20 अक्टूबर 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार श्रीकृष्ण शुक्ल के दस दोहे


घोर अमावस की निशा छिपा रही मुख आज।

जगमग है दीपावली, उसको आती लाज।।1।।


ज्यों दीपों की ज्योत से मिटे धरा का शोक।

ऐसे ही करते रहें जग भर में आलोक।।2।।


दीप देहरी पर सखे, करें प्रज्वलित आप।

धन्वंतरि काटें सभी, पाप ताप, संताप।।3।।


जो समर्थ हैं बाल दें, दीपक कई हजार।

घना ॲंधेरा दूर हो, जगमग सब संसार।।4।।


कोना कोना झाड़ कर, स्वच्छ करें घर द्वार।

मन के नरकासुर मिटें, खुशियां मिलें हजार।।5।।


दीप और रंगोलियां,  तोरण वंदनवार।

लक्ष्मी स्वागत हेतु सब, सजे हुए घर द्वार।।6।।


मात्र कनिष्ठा पर उठा, गोवर्धन गिरि राज।

कौतुक लीलाधर किया, हर्षित गोप समाज।।7।।


मिल जुलकर सबने लिया, अन्नकूट का भोग।

सिखा दिया  श्रीकृष्ण ने, समरसता का योग।।8।।


यमुना के घर यम गये, हुआ खूब सत्कार।

भगिनी को निज बंधु से, मिला प्यार उपहार।।9।।


सुख संपति वैभव बढ़े, और बढ़े व्यापार।

मंगलमय हो आपको, दीपों का त्योहार।।10।।


✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल

T-5/1103

आकाश रेजीडेंसी एपार्टमेंट्स

आदर्श कालोनी, कांठ रोड

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार ओंकार सिंह विवेक के छह दोहे


बना लिया  जिनको  यहाँ, निर्धनता ने  दास।

धनतेरस  पर हो भला, उनमें  क्या उल्लास।।1।।


खील-बताशे-फुलझड़ी, दीपों  सजी   क़तार।

ले   आई   दीपावली, कितने   ही   उपहार।।2।।


हो   जाये   संसार   में, निर्धन  भी   धनवान।

लक्ष्मी  माता   दीजिए, कुछ  ऐसा   वरदान।। 3।। 


हो   जाये    संसार   में, अँधियारे   की   हार।

भर  दे  यह  दीपावली, हर मन  में उजियार।। 4।।


निर्धन  को  देें वस्त्र-धन, खील  और  मिष्ठान।  

उसके मुख  पर भी सजे, दीपों  सी मुस्कान।। 5।।  


दीवाली   के    दीप   हों, या   होली  के   रंग।

इनका आकर्षण  तभी, जब हों प्रियतम संग।।6।।


✍️ओंकार सिंह विवेक

रामपुर

उत्तर प्रदेश, भारत 

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार शशि त्यागी के दस दोहे ...


दीपक  राह  निहारते,  है   अँधियारी  रात।

सबसे पहले सुमर लें,गणपति जी की बात।।1।।


अंतर्मन गणपति बसा, जीमे  छप्पन  भोग।

मोदक  सोहे  हाथ  में, कैसा  शुभ  संयोग।।2।।


राम चरित मानस भला,सु रचित तुलसी संत।

जन -मन की पीड़ा हरे, करें  कष्ट  का  अंत।।3।।


इस  अंधेरी  रात  में,  दीप  दिखाता  राह।

सुमिरन हो श्री राम का, कष्टों का  हो  दाह।।4।।


श्वास -श्वास में  राम  हैं, तन में  मन में  राम।

हर पल मन यह गा रहा,राम नाम अविराम।।5।।


राम नाम  विश्वास  है, सुमिरन  का  आधार।

राम नाम  की  नाव से, भव सागर  हो पार।।6।।


दीप कहो दीपक कहो, या कहो शुभ चिराग।

उर  सदा  उल्लसित  रहे, गूंँजे  जीवन  राग।।7।।


सूनि   देहरी   साजते, जलते   बाती   तेल।

जलते दीपक कह रहे,बिछड़ों का हो मेल।।8।।


पिता तुल्य इह लोक में, अन्य नहीं इनसान।

हर बालक के मन बसा, यथा होत भगवान।।9।।


सारी  धरती  गेह   है, अंबर  तक  फैलाव।

मानवता  अपनाइए, तब ही  होत  लगाव।।10।।

✍️शशि त्यागी 

अमरोहा

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद जनपद के बिलारी निवासी साहित्यकार नवल किशोर शर्मा नवल का गीत ....आओ तम को दूर भगायें

 


दीप प्रज्ज्वलित करके यारो,

आओ तम को दूर भगायें।

अन्तर्मन को करें प्रकाशित,

जन-जन में जागृति हम लायें।


मन के कलुषित पाप मिटेंगे,

द्वेष कुहासा छट जायेगा।

जीवन है अनमोल धरा पर,

हर बन्धन फिर कट जायेगा।


मुक्त कण्ठ से गीत खुशी के,

आओ सब मिलजुलकर गायें।

दीप प्रज्ज्वलित करके यारो 

आओ तम को दूर भगायें।


सुख,समृद्धि अरु खुशहाली का

सूर्य उदय होगा घर-घर में।

निर्धन की किस्मत चमकेगी

खूब धान्य होगा हर कर में।


मुस्काते बच्चों के चेहरे,

उछल-कूद करते इतरायें।

दीप प्रज्ज्वलित करके यारो,

आओ तम को दूर भगायें।


चौदह बरस बाद फिर रघुवर 

लौटेंगे अपने महलों में।

वनवासी कष्टों को सहकर

दुष्ट दलन कर कठिन पलों में।


सभी नगरवासी खुश होकर

स्वागत में हँस दीप जलायें।

दीप प्रज्ज्वलित करके यारो

आओ तम को दूर भगायें।


✍️नवल किशोर शर्मा नवल 

बिलारी 

जनपद मुरादाबाद

उत्तर प्रदेश, भारत


मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह 'ओंकार' की सजल ......आज तो दीपावली है ....


दीप-शोभा को निरखकर, खिल गई मन की कली है। 

हर तरफ दिखता उजाला, आज तो दीपावली है।।


हो रहे बच्चे मगन सब,  छोड़कर वे बम पटाखे। 

फुलझड़ी को छोड़ने की, होड़ अब उनमें चली है।। 


झालरें अब टँग रही हैं, द्वार, घर, दीवार पर। 

रोशनी से जगमगाती, दिख रही सुंदर गली है।। 


बन रहे पकवान घर-घर, गृहणियाँ मिलकर बनातीं, 

एक पूड़ी बेलती है,  दूसरी ने फिर तली है।। 


बेटियाँ आँगन सजातीं,  खींचकर सुंदर रँगोली। 

दिख रहा सुंदर अधिक है, घर जहाँ छोटी लली है।। 


पूजते 'ओंकार' मिलकर, आज देवी लक्ष्मी को। 

स्वच्छ मन से पूजता जो, लक्ष्मी उसको फली है।।

 

✍️ओंकार सिंह 'ओंकार' 

मुरादाबाद 244001

भारत, उत्तर प्रदेश