होली लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
होली लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 1 मार्च 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर का गीत ..... रंग पुराने लेकर आना, ओ हुरियारे


रंग पुराने लेकर आना,

ओ हुरियारे ।


मर्यादा का मुख इस युग में,

इतना काला । 

खुलने से ही कतराता है,

कुण्डी - ताला ।

तुम ही बोलो, चहकें कैसे,

घर - चौबारे ।

रंग पुराने लेकर आना, 

ओ हुरियारे ।


मीठी चिक-चिक- हुल्लड़बाजी,

या बतियाना ।

होगा कब चौका सखियों का,

फिर मस्ताना । 

पूछ रहे हैं गुझिया मठरी,

पापड़ - पारे ।

रंग पुराने लेकर आना,

ओ हुरियारे । 


आस लगाए सोच रही है,

प्यारी होली ।

वापस झूमे चौपाई पर, 

घर-घर टोली । 

रहें न गुमसुम ढोल-मजीरे, 

या इकतारे । 

रंग पुराने लेकर आना, 

ओ हुरियारे ।


✍️ राजीव प्रखर

डिप्टी गंज

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

शनिवार, 19 मार्च 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार के पी सिंह सरल का गीत ----रंगों की बौछार होली खेलो रे ! -------


आई फाग बहार होली  खेलो रे !                                  रंगों का त्योहार , होली खेलो रे !!                  

रंग गुलाल हाथ में ले कर  ! 

साथी सभी साथ में ले कर  !! 

ले पिचकारी चल हुरियारे  ! 

कुछ भर लाओ रंग गुब्बारे  !! 

रंग पिचकारी रखो कमर पर ! 

चली है टोली गाँव डगर पर !! 

रंगों की बौछार होली खेलो रे ! -------       

इक दूजे को रंग लगाये  ! 

कोई घर पर भंग पिलाये !! 

गली गली में धूम मची है ! 

धरती मां भी खूब रची है !! 

हवा सुरमयी फिजा रॅगमयी ! 

हरियाली फसलों पर छा गयी !!

रंगीला संसार होली खेलो रे ! -----

दिल के सारे मैल हटा कर ! 

दुश्मन को भी गले लगा कर !! 

रंग लगाओ बैर भुलाओ ! 

सब को अपने गले लगाओ !! 

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई ! 

सब बन जाओ. भाई भाई  !! 

मिले प्यार को प्यार होली खेलो रे !

रंगों का त्यौहार होली खेलो रे !!

✍️ के पी सिंह 'सरल'

मिलन विहार

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत




गोरे गालों को किया , जब देवर ने लाल ....तो क्या हुआ बता रहे हैं मुरादाबाद मंडल के कुरकावली (सम्भल) के साहित्यकार त्यागी अशोक कृष्णम्


 

मुरादाबाद की साहित्यकार (वर्तमान में जकार्ता इंडोनेशिया ) निवासी वैशाली रस्तोगी के दोहे ----


 

शुक्रवार, 18 मार्च 2022

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ ममता सिंह का गीत --- होली खेलें नन्द के लाल


 

देवर-भाभी, जीजा-साली के मंसूबे....बता रहे हैं मुरादाबाद के साहित्यकार मनोज कुमार मनु


 

मुरादाबाद जनपद के बिलारी निवासी साहित्यकार नवल किशोर शर्मा नवल का गीत ---होली का त्योहार


 

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह की रचना ---होली आई ...होली आई


 

मुरादाबाद के साहित्यकार धन सिंह धनेन्द्र का गीत --खेल़ूं ऐसी होली सजन, मुख से छूटे कभी न रंग

     


      मनेगा फाग  हमारे संग,

       तुम घर आना बन ठन।

       करेंगे तुम्हें नहीं हम तंग,

       पीयेंगे बस थोड़ी भंग।।

       मनेगा फाग हमारे........

        सखियाँ आऐं घर-आंगन,

        भर-भर हाथों अपने रंग।

         मंजीरा बजता ढ़ोल मृदंग,

         मस्त हो नाचेंगे सब संग।।

          मनेगा फाग हमारे .......

         आज भीगें सब तन मन,

         प्रेम में होगा ना हुड़दंग।

         खेल़ूं ऐसी होली सजन,

         मुख से छूटे कभी न रंग।।

         मनेगा फाग हमारे.........     

         गले मिले सब प्रियजन,

         एक हुए बिखरे संबध।

         गुजिया भुजिया के संग 

          रंग-बिरंगी मंद सुगंध।।

           मनेगा फाग हमारे.......

         ✍️ धनसिंह 'धनेन्द्र'

          म०नं० - 05 , लेन नं० -01  

          श्रीकृष्ण कालौनी,

           चन्द्रनगर , मुरादाबाद पिन-244001

           उत्तर प्रदेश, भारत

            मो०- 9412138808

                                 




गोरी तेरे गले लगेंगे.... कह रही हैं मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर




 

जीन्स टॉप में कौन है कैसे हो पहचान..मुरादाबाद के साहित्यकार श्रीकृष्ण शुक्ल


 

ऐसा रंग चढ़ा गयो कान्हा चढ़कर जो न उतरे ...सुनिए मुरादाबाद के साहित्यकार मयंक शर्मा को


 

सजन को रंग से पूरा भिगोना आज होली है ... कह रहे हैं मुरादाबाद के साहित्यकार अखिलेश वर्मा


 

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता का गीत ----खेल रहे आंखों आंखों में होली सजनी से साजन ....


 

गुरुवार, 17 मार्च 2022

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट कह रही हैं--रंग गुलाबी साजना,हम पर दीन्हा डाल। हाय शरम से और भी, हुए गुलाबी गाल


सा रा रा रा आ गया,होली का त्योहार।

रूठे स्वजन मनाइए, जीवन है दिन चार।।

लाल रंग लेकर खड़ी,भावज घर के द्वार।

वाट्सएप पे देवरा,भेजे रंग फुहार।।

रंग वसंती तन सजा,चली छबीली नार।

हृदय सभी बस में किए,जैसे जादू डार।।

रंग गुलाबी साजना,हम पर दीन्हा डाल।

हाय शरम से और भी, हुए गुलाबी गाल।।

नीले रंग की देख के,रंगत औ' चमकार।

बच्चा-बच्चा झूमता,करे हर्ष किलकार।।

रंग बैंगनी ले लिया,जीजा ने है हाथ।

साली मुश्किल सा लगे,बचना तेरा आज।।

पीत रंग ले थाल से,अम्मा मलती भाल।

बोली सुखी रहो सदा,जुग जुग जीवो लाल।।

सतरंगी यह होलिका,रखनी हमें सँभाल।

कुत्सित मन फैंके कहीं,कालिख भीगे जाल।।

मन यदि  उजले रंग का,ग्राहक सब संसार।

हँसी -खुशी दुनिया रँगो, चोखा यह व्यापार।।


✍️हेमा तिवारी भट्ट

मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार जिया जमीर का कहना है ---प्यार का रंग उसी रंग को कहते है ज़िया, रंग राधा के जो कान्हा ने लगाया हुआ है ....


 

बिल्ली कुत्ते से पट गयी लिये नौलखा हार, चुहिया हाथी से कहे मैं तुमको करती प्यार.... सुनिए होली की तरंग में क्या कह रहे हैं मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यन्त बाबा ...


 

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ ममता सिंह के फागुनी दोहे ----चली हवा जब फागुनी, मोहक, मादक, मन्द। गोरी भी लिखने लगी, प्यार भरे फिर छन्द।।


चली हवा जब फागुनी, मोहक, मादक, मन्द। 

गोरी भी लिखने लगी, प्यार भरे फिर छन्द।।

जब बासन्ती रंग से, धरा करे श्रृंगार। 

भौंरें फिर करने लगे ,कलियों पर गुंजार ।।

मस्ती के त्यौहार पर, चढ़ जाये जब भंग। 

लगें नाचने झूम के , तब होली के रंग।।

होली का त्यौहार ये, मन में भरे उमंग। 

रोम रोम हर्षित करे, फागुन का ये संग।।

रंगों के इस पर्व पर, बाँटो जग में प्यार। 

खुशियों से झोली भरे, होली का त्यौहार।।

✍️ डाॅ ममता सिंह 

मुरादाबाद

मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम दो नवगीत --- इंद्रधनुष से रंग ... और..... होली का अनुवाद


 

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी के होली के रंगों में रंगे दोहे ---होली की ये मस्तियां, अद्भुत इनके सीन। मीठी-मीठी भाभियां,दीख रहीं रंगीन।।



होली मन से खेल ली,खिलकर आया खेल।

ऊपर हैं सकुचाहटें , भीतर चलती रेल।


तन मन होली खेलते, निकले इतनी दूर।

वापस मन लौटा नहीं, कोशिश की भरपूर।।


मठरी बर्फ़ी सेब की,रही न तब औकात।

गुझिया जब करने लगी,मथे दही से बात।।


उसने उसके रंग दिए, रंग में सारे गात।

तुम पर पत्थर फिर पड़े,दिन से बोली रात।।


हाथों के सौभाग्य ने, मसले रंग गुलाल।

अधर फड़कते रह गए,लगी न उनकी ताल।।


होली है त्योहार भी,जीने का भी मंत्र।

बचे नहीं यदि प्रेम तो,भटके सारा तंत्र।।


होली की ये मस्तियां, अद्भुत इनके सीन।

मीठी-मीठी भाभियां,दीख रहीं रंगीन।।


भाभी के हों भाव या, फिर देवर के राग।

होली रंग पवित्र हैं, नहीं छोड़ते दाग।।


रंग चढ़ों के सामने,फीके सब पकवान।

रिश्तों की सब गालियां, होली का मिष्ठान।।

✍️ डॉ मक्खन मुरादाबादी

झ-28, नवीन नगर
कांठ रोड, मुरादाबाद
पिनकोड: 244001
मोबाइल: 9319086769
ईमेल: makkhan.moradabadi@gmail.com