सा रा रा रा आ गया,होली का त्योहार।
रूठे स्वजन मनाइए, जीवन है दिन चार।।
लाल रंग लेकर खड़ी,भावज घर के द्वार।
वाट्सएप पे देवरा,भेजे रंग फुहार।।
रंग वसंती तन सजा,चली छबीली नार।
हृदय सभी बस में किए,जैसे जादू डार।।
रंग गुलाबी साजना,हम पर दीन्हा डाल।
हाय शरम से और भी, हुए गुलाबी गाल।।
नीले रंग की देख के,रंगत औ' चमकार।
बच्चा-बच्चा झूमता,करे हर्ष किलकार।।
रंग बैंगनी ले लिया,जीजा ने है हाथ।
साली मुश्किल सा लगे,बचना तेरा आज।।
पीत रंग ले थाल से,अम्मा मलती भाल।
बोली सुखी रहो सदा,जुग जुग जीवो लाल।।
सतरंगी यह होलिका,रखनी हमें सँभाल।
कुत्सित मन फैंके कहीं,कालिख भीगे जाल।।
मन यदि उजले रंग का,ग्राहक सब संसार।
हँसी -खुशी दुनिया रँगो, चोखा यह व्यापार।।
✍️हेमा तिवारी भट्ट
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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