बुधवार, 1 मार्च 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर का गीत ..... रंग पुराने लेकर आना, ओ हुरियारे


रंग पुराने लेकर आना,

ओ हुरियारे ।


मर्यादा का मुख इस युग में,

इतना काला । 

खुलने से ही कतराता है,

कुण्डी - ताला ।

तुम ही बोलो, चहकें कैसे,

घर - चौबारे ।

रंग पुराने लेकर आना, 

ओ हुरियारे ।


मीठी चिक-चिक- हुल्लड़बाजी,

या बतियाना ।

होगा कब चौका सखियों का,

फिर मस्ताना । 

पूछ रहे हैं गुझिया मठरी,

पापड़ - पारे ।

रंग पुराने लेकर आना,

ओ हुरियारे । 


आस लगाए सोच रही है,

प्यारी होली ।

वापस झूमे चौपाई पर, 

घर-घर टोली । 

रहें न गुमसुम ढोल-मजीरे, 

या इकतारे । 

रंग पुराने लेकर आना, 

ओ हुरियारे ।


✍️ राजीव प्रखर

डिप्टी गंज

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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