गुरुवार, 17 मार्च 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी के होली के रंगों में रंगे दोहे ---होली की ये मस्तियां, अद्भुत इनके सीन। मीठी-मीठी भाभियां,दीख रहीं रंगीन।।



होली मन से खेल ली,खिलकर आया खेल।

ऊपर हैं सकुचाहटें , भीतर चलती रेल।


तन मन होली खेलते, निकले इतनी दूर।

वापस मन लौटा नहीं, कोशिश की भरपूर।।


मठरी बर्फ़ी सेब की,रही न तब औकात।

गुझिया जब करने लगी,मथे दही से बात।।


उसने उसके रंग दिए, रंग में सारे गात।

तुम पर पत्थर फिर पड़े,दिन से बोली रात।।


हाथों के सौभाग्य ने, मसले रंग गुलाल।

अधर फड़कते रह गए,लगी न उनकी ताल।।


होली है त्योहार भी,जीने का भी मंत्र।

बचे नहीं यदि प्रेम तो,भटके सारा तंत्र।।


होली की ये मस्तियां, अद्भुत इनके सीन।

मीठी-मीठी भाभियां,दीख रहीं रंगीन।।


भाभी के हों भाव या, फिर देवर के राग।

होली रंग पवित्र हैं, नहीं छोड़ते दाग।।


रंग चढ़ों के सामने,फीके सब पकवान।

रिश्तों की सब गालियां, होली का मिष्ठान।।

✍️ डॉ मक्खन मुरादाबादी

झ-28, नवीन नगर
कांठ रोड, मुरादाबाद
पिनकोड: 244001
मोबाइल: 9319086769
ईमेल: makkhan.moradabadi@gmail.com

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