गुरुवार, 14 सितंबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या बुधवार 13 सितंबर 2023 को आयोजित समारोह में साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर को हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से हिन्दी दिवस सम्मान समारोह आकांक्षा विद्यापीठ मिलन विहार पर आयोजित हुआ। हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या बुधवार 13 सितंबर 2023 को आयोजित इस सम्मान समारोह में महानगर की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर को, हिन्दी भाषा के प्रति उनके समर्पण एवं साहित्यिक सक्रियता के लिए हिन्दी साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता  डॉ. अजय अनुपम ने की। मुख्य अतिथि डॉ. मक्खन मुरादाबादी और विशिष्ट अतिथि के रूप में ओंकार सिंह ओंकार मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संयुक्त संचालन राजीव प्रखर एवं प्रशांत मिश्र ने किया। 

    सम्मान स्वरूप मीनाक्षी ठाकुर को अंग वस्त्र, मान पत्र, प्रतीक चिह्न एवं श्रीफल अर्पित किए गए। सम्मानित रचनाकार मीनाक्षी ठाकुर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित आलेख का वाचन राजीव प्रखर एवं अर्पित मान-पत्र का वाचन जितेन्द्र जौली ने किया। उल्लेखनीय है कि मुरादाबाद के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार कीर्तिशेष राजेंद्र मोहन शर्मा शृंग द्वारा स्थापित इस संस्था की ओर से प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस पर, हिन्दी के लिए उल्लेखनीय योगदान करने वाले वरिष्ठ/कनिष्ठ रचनाकारों को सम्मानित किया जाता रहा है। इस अवसर पर उपस्थित विभिन्न साहित्यकारों/ रचनाकारों ने अपनी शुभकामनाएं एवं बधाइयां प्रेषित करते हुए कहा कि कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर ने अल्प समय में मुरादाबाद एवं मुरादाबाद से बाहर अपनी एक विशेष साहित्यिक पहचान बनाई है जो अन्य उभरते हुए रचनाकारों के लिए भी प्रेरणा बनेगी। 

     साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय के संस्थापक डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा मीनाक्षी ठाकुर बहुआयामी साहित्यकार हैं। काव्य की विभिन्न विधाओं के साथ साथ उन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं एकांकी, लघुकथा, कहानी, बाल साहित्य, रेखा चित्र, समीक्षा में लेखन कार्य किया है। उन्होंने भी शोधालय की ओर से मुरादाबाद के साहित्यकार माहेश्वर तिवारी और डॉ सरोजिनी अग्रवाल की कृतियां सम्मान स्वरूप प्रदान कीं।

    इस अवसर पर सम्मानित साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर ने कहा उनके रचनाकर्म में साहित्यिक मुरादाबाद पटल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने रचना पाठ करते हुए कहा.....

हिन्दी की बिंदी अब चमचम चमकेगी। 

भारती के गीत सब हिन्दी मे ही गाइये। 

हिन्दी हिन्दुस्तानी रंग, ओढ़ हिन्दी अंग अंग,

 हिन्दी से ही प्रीत कर, गले से लगाइए। 

     इसके अतिरिक्त अन्य उपस्थित रचनाकारों में डॉ. महेश 'दिवाकर', डॉ. अर्चना गुप्ता, हेमा तिवारी, अंकित गुप्ता अंक, योगेन्द्र वर्मा व्योम, दुष्यंत बाबा, अशोक विद्रोही, अशोक विश्नोई, डॉ. कृष्ण कुमार नाज़, राहुल शर्मा,  कमल सक्सेना, अनुराग सुरूर, सुनील ठाकुर, डॉ सोनम पुंडीर, श्रीकृष्ण शुक्ल, योगेन्द्र पाल विश्नोई, नकुल त्यागी, रामेश्वर वशिष्ठ, रघुराज सिंह निश्चल, मनोज मनु, रामगोपाल, प्रदीप विरल, रमेश गुप्त, अतुल जौहरी, रिशिपाल आदि ने भी अपनी-अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से हिन्दी की महिमा एवं महत्व तथा जीवन की विभिन्न अनुभूतियों को रेखांकित करने के साथ मीनाक्षी ठाकुर को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं। संस्था अध्यक्ष श्री रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।




























































मंगलवार, 12 सितंबर 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष आनंद स्वरूप मिश्रा का काव्य संग्रह ..."विस्मृतियाँ"। यह संग्रह वर्ष 1997 में नीलम प्रकाशन मुरादाबाद से प्रकाशित हुआ है। इस संग्रह में चौदह काव्य रचनाएं संकलित हैं ।


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::::::::प्रस्तुति:::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

संस्थापक

साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9456687822

रविवार, 10 सितंबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था जिगर मुरादाबादी फाउंडेशन की ओर से शायर जिगर मुरादाबादी के तिरेसठवें यौमे वफ़ात शनिवार 9 सितंबर 2023 को 'यादे-जिगर मुशायरा-2023' का आयोजन

मुरादाबाद की अदबी तन्ज़ीम जिगर मुरादाबादी फाउंडेशन (रजि०) के ज़ेरे एहतमाम बीसवीं सदी के ग़ज़ल के सबसे मक़बूल शायर जिगर मुरादाबादी के तिरेसठवें यौमे वफ़ात पर  'यादे-जिगर मुशायरा-2023' डिप्टी गंज रोड स्थित राॅयल बेंक्वेट हाल मुनाक़िद किया गया। मुशायरे की सदारत मशहूर शिक्षाविद और एमएलसी डॉ जयपाल सिंह व्यस्त और निज़ामत दिल्ली से आए मेहमान शायर डॉ रहमान मुसव्विर ने की। मेहमाने-ख़ुसूसी मेम्बर पार्लियामेंट डॉ एस टी हसन, मशहूर सहाफी मासूम मुरादाबादी और मेहमाने-ऐजा़ज़ी राज बहादुर राज पीसीएस, सऊद आलम डायरेक्टर माडर्न पब्लिक स्कूल रहे। सबसे पहले मुरादाबाद के मशहूर सहाफ़ी और नाज़िम सय्यद मौहम्मद हाशिम ने मुशायरे की कार्यवाही शुरू करते हुए सामईन से शायरों का तारुफ कराया और जिगर साहब को ख़िराजे-अक़ीदत पेश की। इसके बाद सभी मेहमानान ने शमा रौशन की। इसके बाद जिगर साहब की मशहूर नात मुरादाबाद के नातख़्वां फरहान राशिद ने पढ़ी। 

  देर रात तक चले मुशायरे में रामपुर से आए शायर अज़हर इनाइती ने कहा ...

भीड़ कितनी भी कहीं हो बड़े लोगों के लिए 

रास्ता दूर तलक छोड़ दिया जाता है 

अक़ील नौमानी का कहना था .....

दोस्तों ने भी सिखाया हमें जीने का हुनर

दुश्मनों ने भी बड़ी हौसला अफ़ज़ाई की

फाउंडेशन के सद्र मशहूर शायर मंसूर उस्मानी का कहना था .... 

शीशे से अदावत का यही हाल रहा तो

पत्थर पे भी हो जाएगा पथराव किसी दिन

दिल्ली से आए आलोक यादव ने कहा ....

इक ज़रा सी चाह में जिस रोज़ बिक जाता हूं मैं

आइने के सामने उस दिन नहीं आता हूं मैं

संचालन करते हुए डॉ रहमान मुसव्विर ने कहा..

मेरे कमरे में सिर्फ काग़ज़ हैं

मैं चराग़ों से ख़ौफ़ खाता हूं

डॉ जावेद नसीमी का कहना था ....

चांद का क़ुर्ब लगा कैसा चलो पूछ आएं

आसमानों के सफर से वो पलट आया है 

 देवबंद से आए डाॅ नदीम शाद ने कहा ....

तुम्हारी आंख में ठंडक तो पड़ गयी शायद

मगर किसी का नशेमन जला दिया तुमने 

डॉ मुजाहिद फराज़ का कहना था ...

हम ख़ुश हैं माहो-साल की ऊंची उड़ान पर

हालांकि ज़िन्दगी का सफर है ढलान पर

 डॉ कृष्ण कुमार नाज़ ने कहा .....

ये ज़िन्दगी है कि शतरंज की बिसात कोई

ज़रा सी चूक से पड़ती है मात खानी भी

राजबहादुर राज ने कहा ......

उसको सारे जग में ढूंढा

वो मिलना आसान नहीं है

राहुल शर्मा ने अपनी प्रस्तुति से देर तक तालियां बटोरीं । उन्होंने कहा ....

चांद तारों की न सूरज की निगहबानी से

दीप जलते हैं अंधेरों की मेहरबानी से

ज़िया ज़मीर ने  अपनी शायरी से सामईन की दाद हासिल की । उनका कहना था .... 

ज़रा सी बात पे आंखों के धागे खुल गए हैं

ज़रा सी देर में ख़ाली ख़जाना हो गया है

मुशायरे में डॉ मनोज रस्तोगी, मयंक शर्मा, अभिनव अभिन्न, दुष्यंत बाबा, राजीव प्रखर, जुबेर मुरादाबादी, शुभम कश्यप,फरहत अली खान, संजीव आकांक्षी, असद मौलाई, संदीप मेहरोत्रा, शोभित मेहरोत्रा, सय्यद यूसुफ अली, डॉ मौहम्मद आसिफ हुसैन, परवेज़ नाज़िम,  सलाहुद्दीन मंसूरी, मौ०नौमान मंसूरी, ज़ाहिद परवेज़,  अहमद मियां उस्मानी, तनवीर जमाल उस्मानी, नदीम उस्मानी,  आदि उपस्थित रहे।





























शनिवार, 9 सितंबर 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर (वर्तमान में गाजियाबाद निवासी ) की साहित्यकार रूपा राजपूत की ग़ज़ल ....रोएंगे किरदार कहानी में सारे ऐसा अभी इक मोड़ तो आना बाक़ी है


उनसे थोड़ा मिलना मिलाना बाक़ी है 

इश्क़ हुआ है, सिर्फ जताना बाक़ी है


रोएंगे किरदार कहानी में सारे 

ऐसा अभी इक मोड़ तो आना बाक़ी है


चाँद सितारों से तो बातें कर ली हैं 

अब सूरज से आँख मिलाना बाक़ी है


नींद की देवी तो पलकों तक आ ही चुकी 

अब आँखों में ख्वाब सजाना बाक़ी है


बाद में दुनिया देखेंगे तुझको, पहले 

रूठे हैं वो उनको मनाना बाक़ी है


तुम छाए हो विकीपीडिया पर लेकिन 

हमको अपना  नाम बनाना बाकी है


इश्क़ मुकम्मल हो जायेगा ऐ रुपा 

बस पानी में आग लगाना बाक़ी है

✍️ रुपा राजपूत

गाजियाबाद

उत्तर प्रदेश, भारत

सोमवार, 4 सितंबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार तीन सितंबर 2023 को किया गया काव्य-गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी रविवार तीन सितंबर 2023 को मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज पर हुई। अशोक विद्रोही द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। 

 रचनापाठ करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने समाज को संदेश दिया - 

ऐसे दृश्य दिखाएं जिससे, 

निज संस्कृति का ज्ञान मिले। 

    मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार का कहना था - 

हवा धुऑं से भरी और जल भी है दूषित 

उपाय कीजिए वातावरण बदलने का। 

योगेंद्र पाल विश्नोई की इन पंक्तियों ने भी सभी के हृदय को स्पर्श किया - 

सारा संसार शमशान का घर बना 

जन्म पाया यहीं मौत भी आएगी। 

लाख कोशिश करो किंतु बेकार है 

देह मिट्टी है मिट्टी में मिल जाएगी। 

अशोक विद्रोही ने अपनी पंक्तियों से राष्ट्र प्रेम की अलख जगाई - 

देश भर जाय अब ऐसे आनंद से, 

हों युवा देश के विवेकानंद से। 

है सदी हिन्द की अब समय आ गया। 

देश को आज केसरिया रंग भा गया। 

डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा .... 

 बीत गए कितने ही वर्ष ,

हाथों में लिए डिग्रियां

कितनी ही बार जलीं 

आशाओं की अर्थियां

आवेदन पत्र अब 

लगते तेज कटारों से।

राजीव प्रखर ने अपनी चिर-परिचित शैली में दोहे पढ़ते हुए कहा - 

लाया हूॅं उपहार में, मैं अपने ये बोल। 

मन के धागों से बनी, राखी है अनमोल।। 

जब अंगुल पर बैठ कर, छेड़ी खग ने तान। 

मायूसी की क़ैद से, छूट गयी मुस्कान।।  

जितेन्द्र जौली ने कहा - 

करना है क्या कैसे बताते रहे हैं जो 

भटके तो हमें राह दिखाते रहे है जो। 

ऐसे गुरु के ऋण को चुकाएं भला कैसे, 

दिया बनाके खुद को जलाते रहे हैं जो।  

प्रशांत मिश्र का कहना था - 

यह जग है, एक मुसाफिर खाना 

आज ठहरे हो, कल चले जाओगे। 

कार्यक्रम में कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर, रामकुमार गुप्त आदि भी उपस्थित रहे। रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया ।



















मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष आनंद स्वरूप मिश्रा का कहानी संग्रह ..."टूटती कड़ियां"। यह कहानी संग्रह वर्ष 1993 में सागर तरंग प्रकाशन मुरादाबाद से प्रकाशित हुआ है। इसकी भूमिका लिखी है शिव अवतार सरस ने । इस संग्रह में बारह कहानियां संकलित हैं ।


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:::::::::प्रस्तुति::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

संस्थापक

साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9456687822