मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी रविवार तीन सितंबर 2023 को मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज पर हुई। अशोक विद्रोही द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता रामदत्त द्विवेदी ने की। मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया।
रचनापाठ करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने समाज को संदेश दिया -
ऐसे दृश्य दिखाएं जिससे,
निज संस्कृति का ज्ञान मिले।
मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार का कहना था -
हवा धुऑं से भरी और जल भी है दूषित
उपाय कीजिए वातावरण बदलने का।
योगेंद्र पाल विश्नोई की इन पंक्तियों ने भी सभी के हृदय को स्पर्श किया -
सारा संसार शमशान का घर बना
जन्म पाया यहीं मौत भी आएगी।
लाख कोशिश करो किंतु बेकार है
देह मिट्टी है मिट्टी में मिल जाएगी।
अशोक विद्रोही ने अपनी पंक्तियों से राष्ट्र प्रेम की अलख जगाई -
देश भर जाय अब ऐसे आनंद से,
हों युवा देश के विवेकानंद से।
है सदी हिन्द की अब समय आ गया।
देश को आज केसरिया रंग भा गया।
डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा ....
बीत गए कितने ही वर्ष ,
हाथों में लिए डिग्रियां
कितनी ही बार जलीं
आशाओं की अर्थियां
आवेदन पत्र अब
लगते तेज कटारों से।
राजीव प्रखर ने अपनी चिर-परिचित शैली में दोहे पढ़ते हुए कहा -
लाया हूॅं उपहार में, मैं अपने ये बोल।
मन के धागों से बनी, राखी है अनमोल।।
जब अंगुल पर बैठ कर, छेड़ी खग ने तान।
मायूसी की क़ैद से, छूट गयी मुस्कान।।
जितेन्द्र जौली ने कहा -
करना है क्या कैसे बताते रहे हैं जो
भटके तो हमें राह दिखाते रहे है जो।
ऐसे गुरु के ऋण को चुकाएं भला कैसे,
दिया बनाके खुद को जलाते रहे हैं जो।
प्रशांत मिश्र का कहना था -
यह जग है, एक मुसाफिर खाना
आज ठहरे हो, कल चले जाओगे।
कार्यक्रम में कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर, रामकुमार गुप्त आदि भी उपस्थित रहे। रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया ।
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