रविवार, 10 सितंबर 2023

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था जिगर मुरादाबादी फाउंडेशन की ओर से शायर जिगर मुरादाबादी के तिरेसठवें यौमे वफ़ात शनिवार 9 सितंबर 2023 को 'यादे-जिगर मुशायरा-2023' का आयोजन

मुरादाबाद की अदबी तन्ज़ीम जिगर मुरादाबादी फाउंडेशन (रजि०) के ज़ेरे एहतमाम बीसवीं सदी के ग़ज़ल के सबसे मक़बूल शायर जिगर मुरादाबादी के तिरेसठवें यौमे वफ़ात पर  'यादे-जिगर मुशायरा-2023' डिप्टी गंज रोड स्थित राॅयल बेंक्वेट हाल मुनाक़िद किया गया। मुशायरे की सदारत मशहूर शिक्षाविद और एमएलसी डॉ जयपाल सिंह व्यस्त और निज़ामत दिल्ली से आए मेहमान शायर डॉ रहमान मुसव्विर ने की। मेहमाने-ख़ुसूसी मेम्बर पार्लियामेंट डॉ एस टी हसन, मशहूर सहाफी मासूम मुरादाबादी और मेहमाने-ऐजा़ज़ी राज बहादुर राज पीसीएस, सऊद आलम डायरेक्टर माडर्न पब्लिक स्कूल रहे। सबसे पहले मुरादाबाद के मशहूर सहाफ़ी और नाज़िम सय्यद मौहम्मद हाशिम ने मुशायरे की कार्यवाही शुरू करते हुए सामईन से शायरों का तारुफ कराया और जिगर साहब को ख़िराजे-अक़ीदत पेश की। इसके बाद सभी मेहमानान ने शमा रौशन की। इसके बाद जिगर साहब की मशहूर नात मुरादाबाद के नातख़्वां फरहान राशिद ने पढ़ी। 

  देर रात तक चले मुशायरे में रामपुर से आए शायर अज़हर इनाइती ने कहा ...

भीड़ कितनी भी कहीं हो बड़े लोगों के लिए 

रास्ता दूर तलक छोड़ दिया जाता है 

अक़ील नौमानी का कहना था .....

दोस्तों ने भी सिखाया हमें जीने का हुनर

दुश्मनों ने भी बड़ी हौसला अफ़ज़ाई की

फाउंडेशन के सद्र मशहूर शायर मंसूर उस्मानी का कहना था .... 

शीशे से अदावत का यही हाल रहा तो

पत्थर पे भी हो जाएगा पथराव किसी दिन

दिल्ली से आए आलोक यादव ने कहा ....

इक ज़रा सी चाह में जिस रोज़ बिक जाता हूं मैं

आइने के सामने उस दिन नहीं आता हूं मैं

संचालन करते हुए डॉ रहमान मुसव्विर ने कहा..

मेरे कमरे में सिर्फ काग़ज़ हैं

मैं चराग़ों से ख़ौफ़ खाता हूं

डॉ जावेद नसीमी का कहना था ....

चांद का क़ुर्ब लगा कैसा चलो पूछ आएं

आसमानों के सफर से वो पलट आया है 

 देवबंद से आए डाॅ नदीम शाद ने कहा ....

तुम्हारी आंख में ठंडक तो पड़ गयी शायद

मगर किसी का नशेमन जला दिया तुमने 

डॉ मुजाहिद फराज़ का कहना था ...

हम ख़ुश हैं माहो-साल की ऊंची उड़ान पर

हालांकि ज़िन्दगी का सफर है ढलान पर

 डॉ कृष्ण कुमार नाज़ ने कहा .....

ये ज़िन्दगी है कि शतरंज की बिसात कोई

ज़रा सी चूक से पड़ती है मात खानी भी

राजबहादुर राज ने कहा ......

उसको सारे जग में ढूंढा

वो मिलना आसान नहीं है

राहुल शर्मा ने अपनी प्रस्तुति से देर तक तालियां बटोरीं । उन्होंने कहा ....

चांद तारों की न सूरज की निगहबानी से

दीप जलते हैं अंधेरों की मेहरबानी से

ज़िया ज़मीर ने  अपनी शायरी से सामईन की दाद हासिल की । उनका कहना था .... 

ज़रा सी बात पे आंखों के धागे खुल गए हैं

ज़रा सी देर में ख़ाली ख़जाना हो गया है

मुशायरे में डॉ मनोज रस्तोगी, मयंक शर्मा, अभिनव अभिन्न, दुष्यंत बाबा, राजीव प्रखर, जुबेर मुरादाबादी, शुभम कश्यप,फरहत अली खान, संजीव आकांक्षी, असद मौलाई, संदीप मेहरोत्रा, शोभित मेहरोत्रा, सय्यद यूसुफ अली, डॉ मौहम्मद आसिफ हुसैन, परवेज़ नाज़िम,  सलाहुद्दीन मंसूरी, मौ०नौमान मंसूरी, ज़ाहिद परवेज़,  अहमद मियां उस्मानी, तनवीर जमाल उस्मानी, नदीम उस्मानी,  आदि उपस्थित रहे।





























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