बुधवार, 22 मई 2019

वाट्स ऍप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में रविवार 19 मई 2019 को आयोजित 150 वां हस्त लिपि वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरा

 वाट्स ऍप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में रविवार 10 जुलाई 2016 को एक अनूठा और अभिनव प्रयोग किया गया था- हस्त लिपि वाट्स ऍप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन । उसके बाद प्रत्येक रविवार को इसका आयोजन होता रहा । रविवार 19 मई 2019 को 150 वां आयोजन सम्पन्न हुआ। सोशल मीडिया पर  इस अनूठे आयोजन को सर्वत्र सराहना मिली यही नहीं हम से प्रेरित होकर  देश के विभिन्न शहरों में  कई साहित्यकारों ने भी इस तरह के आयोजन की शुरुआत की । प्रिंट मीडिया में भी इसकी चर्चा करते हुए इसे एक अभिनव प्रयोग बताया गया । देशभर में इस आयोजन ने अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित कर ली है । इस आयोजन में  केवल मुरादाबाद मंडल के रचनाकार एक सादे कागज पर अपनी हस्तलिपि में रचना लिखते हैं, रचना के अंत में अपने हस्ताक्षर करके अपना नाम,पता और मोबाइल फोन नंबर लिखते हैं। कागज के एक कोने में अपना पासपोर्ट साइज फोटो लगाते हैं । इसका चित्र लेकर वह समूह में साझा करते हैं । बाद में माह के दूसरे रविवार को वीडियो/आडियो कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन होने लगा । 150 वें आयोजन में 51 रचनाकारों सर्वश्री ओंकार सिंह विवेक जी, राजीव प्रखर जी, नृपेंद्र शर्मा सागर जी, रवि प्रकाश जी, ऋचा पाठक जी, सूर्यकांत द्विवेदी जी, मुजाहिद चौधरी जी, मयंक शर्मा जी, डॉ ममता सिंह जी, डॉ इंदिरा गुप्ता जी, अमित कश्यप जी,डॉ कृष्ण कुमार नाज जी, दीपिका माहेश्वरी जी, जितेंद्र कमल आनन्द जी, मीनाक्षी ठाकुर जी, संतोष कुमार शुक्ल जी, डॉ रीता सिंह जी, श्रीकृष्ण शुक्ल जी, डॉ राकेश चक्र जी, डॉ अलका अग्रवाल जी, डॉ अर्चना गुप्ता जी, डॉ मीना नकवी जी, डॉ अंचल गुप्ता जी, मोनिका शर्मा मासूम जी, कंचन खन्ना जी, शिव अवतार रस्तोगी सरस जी, सुमित सिंह जी, कंचन लता पांडेय जी, अनवर कैफ़ी जी, योगेंद्र वर्मा व्योम जी, माहेश्वर तिवारी जी, डॉ अजय अनुपम जी, किरण बाला झा जी, अखिलेश वर्मा जी, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ जी, डॉ जगदीश शरण जी, मनोरमा शर्मा जी, शिशुपाल सिंह मधुकर जी, कमाल जैदी जी, हेमा तिवारी भट्ट जी, मंगलेश लता यादव जी, प्रदीप शर्मा जी, वहाजुल हक काशिफ जी, अमितोष शर्मा जी, मंसूर उस्मानी जी, आरिफा मसूद जी, डॉ मुजाहिद फराज जी, शशि त्यागी जी, निवेदिता सक्सेना जी  और मैंने अपनी रचनाएं साझा की  ।

















































::::::प्रस्तुति::::::
  डॉ मनोज रस्तोगी 
 8,  जीलाल स्ट्रीट 
मुरादाबाद 244001 
उत्तर प्रदेश, भारत 
 मोबाइल फोन नंबर 94566 87822  

मंगलवार, 21 मई 2019

तमाशा जन्मदिन का

लोग आये
उन्होंने
मोमबत्तियां बुझाईं
केक काटा
तालियां बजाईँ
और
नारे उछाले
“हैप्पी बर्थ डे टू यू ”
फिर उन्होंने
बच्चे को देखा
उसके मम्मी -डैडी को देखा
एक अर्थभरी
मुस्कान फैंकी
और
बच्चे के हाथ में
पकड़ा दिया एक
वज़नी लिफाफा
और बढ़ते गये
खाने की टेबिल की ओर
देर रात तक
यह सिलसिला
चलता रहा
और बच्चा
टुकुर टुकुर देखता रहा
मम्मी डैडी को
लिफाफों को
और लोगों की
मुस्कान को
देखते देखते
यह तमाशा
अपने जन्मदिन का
जब थक गया बच्चा
तब, सबकी नजर बचा
एक बूढ़ी नौकरानी आई
उसने
सिर्फ उसके सिर पर
प्यार भरा हाथ फेरा
और
मुस्कराई
अब बच्चा
टुकुर टुकुर नहीं देख रहा था
खिलखिला रहा था

 डा. मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822

सोमवार, 20 मई 2019

 रविवार 19 मई 2019 को आयोजित 150 वें वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में 51 साहित्यकारों ने लिया हिस्सा

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साथियों,

 मेरे द्वारा वाट्स ऍप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में रविवार 10 जुलाई 2016 को एक अनूठा और अभिनव प्रयोग किया गया था-  वाट्स ऍप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का  आयोजन । उसके बाद प्रत्येक रविवार को इसका आयोजन होता रहा । रविवार 19 मई 2019 को 150 वां आयोजन सम्पन्न हुआ। सोशल मीडिया पर  इस अनूठे आयोजन को सर्वत्र सराहना मिली यही नहीं हम से प्रेरित होकर  देश के विभिन्न शहरों में  कई साहित्यकारों ने भी इस तरह के आयोजन की शुरुआत की । प्रिंट मीडिया में भी इसकी चर्चा करते हुए इसे एक अभिनव प्रयोग बताया गया । देशभर में इस आयोजन ने अपनी एक विशिष्ट पहचान स्थापित कर ली है । 

 इस आयोजन में  केवल मुरादाबाद मंडल के रचनाकार एक सादे कागज पर अपनी हस्तलिपि में रचना लिखते हैं, रचना के अंत में अपने हस्ताक्षर करके अपना नाम,पता और मोबाइल फोन नंबर लिखते हैं। कागज के एक कोने में अपना पासपोर्ट साइज फोटो लगाते हैं । इसका चित्र लेकर वह समूह में साझा करते हैं ।

बाद में माह के दूसरे रविवार को वीडियो/आडियो कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन होने लगा ।

 150 वें आयोजन में 51 रचनाकारों सर्वश्री ओंकार सिंह विवेक जी, राजीव प्रखर जी, नृपेंद्र शर्मा सागर जी, रवि प्रकाश जी, ऋचा पाठक जी, सूर्यकांत द्विवेदी जी, मुजाहिद चौधरी जी, मयंक शर्मा जी, डॉ ममता सिंह जी, डॉ इंदिरा गुप्ता जी, अमित कश्यप जी,डॉ कृष्ण कुमार नाज जी, दीपिका माहेश्वरी जी, जितेंद्र कमल आनन्द जी, मीनाक्षी ठाकुर जी, संतोष कुमार शुक्ल जी, डॉ रीता सिंह जी, श्रीकृष्ण शुक्ल जी, डॉ राकेश चक्र जी, डॉ अलका अग्रवाल जी, डॉ अर्चना गुप्ता जी, डॉ मीना नकवी जी, डॉ अंचल गुप्ता जी, मोनिका शर्मा मासूम जी, कंचन खन्ना जी, शिव अवतार रस्तोगी सरस जी, सुमित सिंह जी, कंचन लता पांडेय जी, अनवर कैफ़ी जी, योगेंद्र वर्मा व्योम जी, माहेश्वर तिवारी जी, डॉ अजय अनुपम जी, किरण बाला झा जी, अखिलेश वर्मा जी, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ जी, डॉ जगदीश शरण जी, मनोरमा शर्मा जी, शिशुपाल सिंह मधुकर जी, कमाल जैदी जी, हेमा तिवारी भट्ट जी, मंगलेश लता यादव जी, प्रदीप शर्मा जी, वहाजुल हक काशिफ जी, अमितोष शर्मा जी, मंसूर उस्मानी जी, आरिफा मसूद जी, डॉ मुजाहिद फराज जी, शशि त्यागी जी, निवेदिता सक्सेना जी  और मैंने अपनी रचनाएं साझा की  । सभी की रचनाएं सराहनीय रहीं । 


डॉ मनोज रस्तोगी 

8,  जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत 

मोबाइल फोन नंबर 94566 87822


जिंदाबाद जिंदाबाद साहित्यिक मुरादाबाद जिंदाबाद

प्रस्तुत हैं आयोजन में शामिल रचनाएं ।तकनीकी कारणों से तीस रचनाकारों की रचनाएं ही शामिल हो सकी हैं ।शेष रचनाकारों की रचनाएं कमेंट बॉक्स में दी गई हैं ------

रविवार, 14 अप्रैल 2019

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' द्वारा 13 अप्रैल 2019 को किया गया लघु-कथा गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'हस्ताक्षर' की ओर से एक लघु-कथा गोष्ठी 13 अप्रैल 2019 को विश्नोई धर्मशाला, लाइनपार पर आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अजय 'अनुपम' ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार  अशोक विश्नोई एवं विशिष्ट अतिथि  शिशुपाल 'मधुकर' रहे। 

       हेमा तिवारी भट्ट द्वारा प्रस्तुत माँ सरस्वती की वंदना से आरंभ हुई इस गोष्ठी में उपस्थित रचनाकारों द्वारा, भिन्न-भिन्न संदर्भों एवं परिवेशों पर आधारित लघुकथाएं प्रस्तुत की गयीं। डॉ अजय 'अनुपम' द्वारा 'पत्थर' शीर्षक से,  अशोक विश्नोई द्वारा 'ममता', 'अपनापन' एवं 'इन्सान तो हूँ' शीर्षकों से, शिशुपाल 'मधुकर' द्वारा 'प्यास' एवं 'कातर दृष्टि' शीर्षकों से, हेमा तिवारी भट्ट द्वारा, 'कंजिका पूजन' एवं 'पापा रोते नहीं हैं' शीर्षकों से, राजीव 'प्रखर' द्वारा 'सभ्य' एवं 'भिखारी' शीर्षकों से, अंकित गुप्ता 'अंक' द्वारा 'नारी सशक्तिकरण' एवं 'मोबाइल' शीर्षकों से,  डॉ मनोज रस्तोगी द्वारा 'पाँच सौ के सोलह नोट' एवं 'शान्ति भंग' शीर्षकों से, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' द्वारा 'कीटाणु' एवं 'फेसबुक' शीर्षकों से लघु कथाएं प्रस्तुत की गयीं।  संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया तथा आभार अभिव्यक्ति योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' द्वारा की गयी। कार्यक्रम में नकुल त्यागी, राम सिंह 'नि:शंक', योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई आदि भी उपस्थित रहे। 










गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

मुरादाबाद की संस्था 'आरोही कला संस्थान' की ओर से 21 फरवरी 2016 को 'बसंत की एक शाम-शब्द पुष्पों के नाम' का आयोजन

 मुरादाबाद की संस्था 'आरोही कला संस्थान' की ओर से मिगलानी सेलिब्रेशन्स के सभागार में 21 फरवरी 2016 को 'बसंत की एक शाम-शब्द पुष्पों के नाम' का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता दिल्ली से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार  आमोद कुमार ने की, मुख्य अतिथि सुविख्यात नवगीतकार माहेश्वर तिवारी रहे। कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित मनोज जैन मधुर (भोपाल), डा. कृष्ण कुमार नाज़, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', ज़िया ज़मीर, अम्बरीश गर्ग, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, अहमद मुरादाबादी, डा. मनोज रस्तोगी, अंकित गुप्ता अंक, प्रदीप शर्मा आदि ने काव्य पाठ किया। संचालन संस्था के सचिव डॉ. जगदीप भटनागर ने किया।









रविवार, 6 जनवरी 2019

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष पुष्पेंद्र वर्णवाल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित डॉ मनोज रस्तोगी का आलेख

 




प्रख्यात साहित्यकार, इतिहासकार एवं पुरातत्ववेत्ता  पुष्पेंद्र वर्णवाल का जन्म मुरादाबाद नगर के नबावपुरा मोहल्ले में 4 नवंबर 1946 को हुआ था ।  

         तीन भाइयों एवं दो बहनों में सबसे बड़े पुष्पेंद्र वर्णवाल का वास्तविक नाम उमेश पाल वर्णवाल था ।आपके पिता नेत्र पाल एवं माता जी शांति देवी के व्यक्तित्व का आप पर पूरा प्रभाव पड़ा। आपने अपने पिताजी से ही छंद और गति पर अधिकार प्राप्त कर दिया था। विद्यार्थी जीवन काल में सन 1966 में पुस्तकालय विज्ञान में प्रमाण पत्र परीक्षा उत्तीर्ण कर कुछ समय उपरांत उत्तर प्रदेश पुस्तकालय संघ की मुरादाबाद शाखा के सचिव पद पर 1974 से 1976 ईस्वी तक रहे। नियमित अध्ययन करते हुए आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में 1972 ईस्वी में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की ।इसी बीच 25 जून 1972 को मृदुला गुप्ता से परिणय हुआ किंतु संयुक्त परिवार में आस्थावान, स्वभाव से फक्कड़, अपने ही ढंग से जीने की अलमस्त शैली वाले कवि का साथ न दे पाने के कारण विवाह के तुरंत बाद ही पत्नी का आपसे संबंध विच्छेद हो गया ।श्री वर्णवाल कुछ समय उत्तरकाशी में प्राध्यापक भी रहे । आप यहां नगर निगम में कार्यरत भी रहे ।परंतु स्पष्टवादिता और सत्य के प्रतिपादन में अपने स्वाभिमान को भी बनाए रखने की हठ में इनका किसी भी नौकरी में निर्वाह नहीं हो पाया और आपने नगर निगम की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। विद्यार्थी काल से ही आपकी रुचि लेखन के प्रति हो गई थी ।आपकी रचनाएं वर्ष 1965 में पहली बार दिल्ली से प्रकाशित सैलानी पत्र में प्रकाशित हुई ।उसके पश्चात प्रदेश पत्रिका, दैनिक भास्कर,नव सत्यम, वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं ।
        श्री पुष्पेंद्र वर्णवाल की कृतियों में  मुक्तक संग्रह- रिमझिम,  लघु काव्य -  अभीक, ऋषि, खण्डकाव्य - शब्द मौन , विराधोद्धार, प्रबंध काव्य - उत्पविता, सिंधु विजय, गीत- विगीत संग्रह- प्रणय दीर्घा, प्रणय योग, प्रणय बंध, प्रणय प्रतीति,  प्रणय परिधि, प्रणय पर्व, नाट्य वार्तिक- बीज और बंजर जमीन, कविता संग्रह - अबला,इतिहास- ब्रज यान की आधार भूमि, समीक्षा- विजय पताका एक विहंगम दृष्टि ,निबंधकार महामोपाध्याय पंडित रघुवर आचार्य ,  उपन्यास - रामानन्द बाल विरद उल्लेखनीय हैं।  
    आपकी मुरादाबाद के शिक्षण संस्थान, मुरादाबाद के पूजा स्थान और बलि विज्ञान नामक तीन कृतियों का जापानी भाषा में अनुवाद ओसाका(जापान) निवासी प्रसिद्ध हिंदीविद डॉ कात्सुरा  कोगा द्वारा किया जा चुका है ।इसके अतिरिक्त आपकी कृति विरोधोद्धार का डॉ भूपति शर्मा जोशी द्वारा संस्कृत और शब्द मौन का ऋषिकांत शर्मा द्वारा अंग्रेजी में अनुवाद हो चुका है । आपकी कुछ कहानियों व लघुकथाओं का गुजराती व पंजाबी भाषा में भी अनुवाद हुआ है । मुरादाबाद जनपद के इतिहास के संबंध में उनके खोजपूर्ण लेख अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए ।
        आपके कृतित्व पर शोध प्रबंध - प्रणय मूल्यों की अभिव्यक्ति :नूतन शिल्प विधान (पुष्पेंद्र वर्णवाल के काव्य लोक में) -जय प्रकाश तिवारी 'जेपेश', पुष्पेंद्र वर्णवाल के विगीत-एक तात्विक विवेचन -डॉ कृष्ण गोपाल मिश्र, कवि पुष्पेंद्र वर्णवाल और उनका साहित्य - डॉ एस पी शर्मा,  विगीत और प्रेयस- डॉ छोटे लाल शर्मा नागेंद्र प्रकाशित हो चुके हैं । 

     आपका पत्रकारिता के क्षेत्र में भी एक उल्लेखनीय योगदान रहा ।आपने प्रदेश पत्रिका का संपादन, चित्रक साप्ताहिक का समाचार संपादन किया तथा सिने पायल, फिल्मी जागृति , सागर तरंग के प्रबंध संपादक रहे ।

       पुष्पेन्द्र वर्णवाल जी को साहित्य के क्षेत्र में विशेष उल्लेखनीय योगदान के लिए समय- समय पर भारत की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विविध उपाधियों, अलंकरणों और सम्मानों द्वारा विभूषित भी किया गया है जिनका विवरण इस प्रकार है-- विश्व हिन्दू सम्मेलन काठमाण्डू नेपाल द्वारा 'साहित्यालंकार' सम्मान (1982), साहू शिव-शक्तिशरण कोठीवाल स्मारक समिति, मुरादाबाद द्वारा साहित्य सम्मान' (1988), हैदराबाद हिन्दी अकादमी, आन्ध्र प्रदेश द्वारा साहित्य सम्मान' (1992), जगद्गुरु रामानन्दाचार्य पीठ, अहमदाबाद (गुजरात) द्वारा साहित्य सम्मान' (1994), सृजन (साहित्यिक - सांस्कृतिक-संस्था), उत्तरकाशी (उत्तराखण्ड) द्वारा साहित्य सम्मान' (2004), हिन्दी साहित्य संगम, मुरादाबाद (उ.प्र.) द्वारा 'साहित्य श्री सम्मान' (2005), राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति मुरादाबाद (उ.प्र.) द्वारा साहित्य गौरव सम्मान (2006), श्री पुष्पेन्द्र वर्णवाल हीरक जयन्ती अभिनन्दन समिति द्वारा हीरक जयन्ती सम्मान (2006), रूहेलखण्ड साहित्य-साधना संस्था, बरेली द्वारा सृजन सम्मान' (2009), अखिल भारतीय साहित्य कला मंच, मेरठ (उ.प्र.) द्वारा 'साहित्य भूषण सम्मान' (2012), अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच, मुरादाबाद (उ.प्र.) द्वारा काठमाण्डू (नेपाल) में 'साहित्य श्री सम्मान' (2013), अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य संगम, सम्भल (उ.प्र.) द्वारा साहित्य - वैभव सम्मान' ( 2018 ) ।
     विभिन्न संस्थाओं के अध्यक्ष और पदाधिकारी भी रहे। वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद  के वह वरिष्ठ सदस्य थे ।
4 जनवरी 2019 को उन्होंने मुरादाबाद में यह नश्वर देह त्याग दी ।


✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

Sahityikmoradabad.blogspot.com
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मंगलवार, 1 जनवरी 2019

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ भूपति शर्मा जोशी पर केंद्रित डॉ मनोज रस्तोगी का आलेख

 




डॉ भूपति शर्मा जोशी का जन्म तहसील अमरोहा के ग्राम सरकड़ा कमाल में मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया तदनुसार *13 दिसंबर 1920* को सोमवार के दिन हुआ था। आपके पिता का नाम तेजो राम शर्मा तथा माता का नाम रिसालो देवी था। उनके पूर्वज महाराष्ट्र में कोंकण क्षेत्र के निवासी थे। कालांतर में आपके पितामह नंदराम के पितामह  पंजाब होकर मुरादाबाद जनपद में आ बसे थे। 

       डॉ जोशी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई। वर्ष 1932 में अमरोहा के तहसीली स्कूल में प्रवेश लिया। वर्ष 1935 में हिंदी और वर्ष 1936 में उर्दू मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1944 तक विशेष योग्यता के साथ हिंदी प्रभाकर (ऑनर्स), साहित्य रत्न एवं संस्कृत साहित्य शास्त्री परीक्षाएं उत्तीर्ण की और धामपुर (जनपद बिजनौर स्थित के एम इंटर कॉलेज में हिंदी शिक्षक के रूप में नियुक्त हो गए। अध्यापन कार्य के दौरान उच्च अध्ययन के प्रति आप की ललक निरंतर बनी रही। वर्ष 1950 में साहित्याचार्य,  वर्ष 1955 में स्नातकोत्तर हिंदी और वर्ष 1958 में स्नातकोत्तर संस्कृत की परीक्षाएं उत्तीर्ण की । इसी मध्य आपका विवाह फतेहपुर विश्नोई निवासिनी लीलावती से हो गया। कुछ समय बाद पत्नी का अस्वस्थता के कारण असामयिक निधन हो गया। दूसरा विवाह अमरोहा निवासी मोहन लाल शर्मा की सुपुत्री मनोरमा जोशी से हुआ। 

       वर्ष 1957 में आपको केंद्रीय गृह मंत्रालय (वर्तमान में राजभाषा विभाग) की हिंदी शिक्षण योजना के अंतर्गत प्राध्यापक के रूप में कोचीन (केरल प्रदेश) में जाकर सरकारी कर्मचारियों को हिंदी सिखाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इस योजना के अंतर्गत आपने लगभग 20 वर्षों 1978 तक अहिंदी भाषी प्रांतों में हिंदी की अलख जगाई। सेवाकाल के दौरान ही उन्होंने बंगला, असमिया और मलयालम भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। इसके अलावा उन्हें फारसी भाषा का भी ज्ञान था। वर्ष 1968 में उन्होंने विविध भाषा मर्मज्ञ डॉ रमानाथ त्रिपाठी के निर्देशन में शोध कार्य पूर्ण किया ,जिसका विषय था- *फारसी भाषा से हिंदी में आगत शब्दों का भाषा शास्त्रीय अध्ययन* । 

      साहित्य सर्जन के नवांकुर तो आपके भीतर बाल्यकाल से ही प्रस्फुटित होने लगे थे। आप जब कक्षा 6 के विद्यार्थी थे तो आपने पहली कविता *बालचर* शीर्षक से लिखी थी। धामपुर में सेवाकाल के दौरान विद्यालय के प्रधानाचार्य और वीर रस के कवि पंडित अनूप शर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्हीं से प्रेरित होकर उन्होंने 68 छंदों की एक काव्य रचना *प्रोत्साहन* का प्रणयन किया। ( यह रचना 1960 में केरल प्रवास के दौरान केरल भारती पत्रिका में प्रकाशित भी हुई।)   उसके बाद तो उनकी लेखनी रुकी ही नहीं।केरल प्रवास के दौरान उनकी काव्य प्रतिभा को नए आयाम मिले। उन्होंने हिंदी के साथ-साथ संस्कृत भाषा में भी गीतों और छंदों की रचना की । इसके अतिरिक्त बंगला भाषा के पद्य नाटक *मीराबाई* और असमिया के उपन्यास *सपोन जोतिया मांगे* का हिंदी में अनुवाद किया। मलयालम की अनेक कविताओं का भी पद्यानुवाद किया। मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृति शेष पुष्पेंद्र वर्णवाल के खंडकाव्य *विराधोद्धार* का संस्कृत भाषा में रूपांतर भी किया। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि उनका संपूर्ण साहित्य अप्रकाशित है । 

अपने अनेक देशों में हिंदी व सनातन धर्म का प्रचार प्रसार भी किया। आपके अनुज ज्योतिषाचार्य पंडित डाल चंद शास्त्री महर्षि महेश योगी के सलाहकार थे। वर्ष 1955 में ममतामयी मां रिसालो देवी के निधन के उपरांत वह अपने अनुज के माध्यम से महर्षि महेश योगी के संपर्क में आये और पेरु, चिली, पनामा, मैक्सिको, हॉलैंड, कोलंबिया, जर्मनी, यूएसए आदि देशों में हिंदी व सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया।

     आपको महानगर की विभिन्न संस्थाओं साहू शिव शक्ति शरण कोठीवाल स्मारक समिति, राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, ब्राह्मण महासभा, मानसरोवर कन्या इंटर कालेज द्वारा सम्मानित भी किया गया ।

 आप का निधन 15 जून 2009 को गांधीनगर,मुरादाबाद स्थित आवास पर हुआ।

::::;;प्रस्तुति ::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822