प्रख्यात साहित्यकार, इतिहासकार एवं पुरातत्ववेत्ता पुष्पेंद्र वर्णवाल का जन्म मुरादाबाद नगर के नबावपुरा मोहल्ले में 4 नवंबर 1946 को हुआ था ।
तीन भाइयों एवं दो बहनों में सबसे बड़े पुष्पेंद्र वर्णवाल का वास्तविक नाम उमेश पाल वर्णवाल था ।आपके पिता नेत्र पाल एवं माता जी शांति देवी के व्यक्तित्व का आप पर पूरा प्रभाव पड़ा। आपने अपने पिताजी से ही छंद और गति पर अधिकार प्राप्त कर दिया था। विद्यार्थी जीवन काल में सन 1966 में पुस्तकालय विज्ञान में प्रमाण पत्र परीक्षा उत्तीर्ण कर कुछ समय उपरांत उत्तर प्रदेश पुस्तकालय संघ की मुरादाबाद शाखा के सचिव पद पर 1974 से 1976 ईस्वी तक रहे। नियमित अध्ययन करते हुए आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में 1972 ईस्वी में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की ।इसी बीच 25 जून 1972 को मृदुला गुप्ता से परिणय हुआ किंतु संयुक्त परिवार में आस्थावान, स्वभाव से फक्कड़, अपने ही ढंग से जीने की अलमस्त शैली वाले कवि का साथ न दे पाने के कारण विवाह के तुरंत बाद ही पत्नी का आपसे संबंध विच्छेद हो गया ।श्री वर्णवाल कुछ समय उत्तरकाशी में प्राध्यापक भी रहे । आप यहां नगर निगम में कार्यरत भी रहे ।परंतु स्पष्टवादिता और सत्य के प्रतिपादन में अपने स्वाभिमान को भी बनाए रखने की हठ में इनका किसी भी नौकरी में निर्वाह नहीं हो पाया और आपने नगर निगम की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। विद्यार्थी काल से ही आपकी रुचि लेखन के प्रति हो गई थी ।आपकी रचनाएं वर्ष 1965 में पहली बार दिल्ली से प्रकाशित सैलानी पत्र में प्रकाशित हुई ।उसके पश्चात प्रदेश पत्रिका, दैनिक भास्कर,नव सत्यम, वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं ।
श्री पुष्पेंद्र वर्णवाल की कृतियों में मुक्तक संग्रह- रिमझिम, लघु काव्य - अभीक, ऋषि, खण्डकाव्य - शब्द मौन , विराधोद्धार, प्रबंध काव्य - उत्पविता, सिंधु विजय, गीत- विगीत संग्रह- प्रणय दीर्घा, प्रणय योग, प्रणय बंध, प्रणय प्रतीति, प्रणय परिधि, प्रणय पर्व, नाट्य वार्तिक- बीज और बंजर जमीन, कविता संग्रह - अबला,इतिहास- ब्रज यान की आधार भूमि, समीक्षा- विजय पताका एक विहंगम दृष्टि ,निबंधकार महामोपाध्याय पंडित रघुवर आचार्य , उपन्यास - रामानन्द बाल विरद उल्लेखनीय हैं।
आपकी मुरादाबाद के शिक्षण संस्थान, मुरादाबाद के पूजा स्थान और बलि विज्ञान नामक तीन कृतियों का जापानी भाषा में अनुवाद ओसाका(जापान) निवासी प्रसिद्ध हिंदीविद डॉ कात्सुरा कोगा द्वारा किया जा चुका है ।इसके अतिरिक्त आपकी कृति विरोधोद्धार का डॉ भूपति शर्मा जोशी द्वारा संस्कृत और शब्द मौन का ऋषिकांत शर्मा द्वारा अंग्रेजी में अनुवाद हो चुका है । आपकी कुछ कहानियों व लघुकथाओं का गुजराती व पंजाबी भाषा में भी अनुवाद हुआ है । मुरादाबाद जनपद के इतिहास के संबंध में उनके खोजपूर्ण लेख अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए ।
आपके कृतित्व पर शोध प्रबंध - प्रणय मूल्यों की अभिव्यक्ति :नूतन शिल्प विधान (पुष्पेंद्र वर्णवाल के काव्य लोक में) -जय प्रकाश तिवारी 'जेपेश', पुष्पेंद्र वर्णवाल के विगीत-एक तात्विक विवेचन -डॉ कृष्ण गोपाल मिश्र, कवि पुष्पेंद्र वर्णवाल और उनका साहित्य - डॉ एस पी शर्मा, विगीत और प्रेयस- डॉ छोटे लाल शर्मा नागेंद्र प्रकाशित हो चुके हैं ।
आपका पत्रकारिता के क्षेत्र में भी एक उल्लेखनीय योगदान रहा ।आपने प्रदेश पत्रिका का संपादन, चित्रक साप्ताहिक का समाचार संपादन किया तथा सिने पायल, फिल्मी जागृति , सागर तरंग के प्रबंध संपादक रहे ।
पुष्पेन्द्र वर्णवाल जी को साहित्य के क्षेत्र में विशेष उल्लेखनीय योगदान के लिए समय- समय पर भारत की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विविध उपाधियों, अलंकरणों और सम्मानों द्वारा विभूषित भी किया गया है जिनका विवरण इस प्रकार है-- विश्व हिन्दू सम्मेलन काठमाण्डू नेपाल द्वारा 'साहित्यालंकार' सम्मान (1982), साहू शिव-शक्तिशरण कोठीवाल स्मारक समिति, मुरादाबाद द्वारा साहित्य सम्मान' (1988), हैदराबाद हिन्दी अकादमी, आन्ध्र प्रदेश द्वारा साहित्य सम्मान' (1992), जगद्गुरु रामानन्दाचार्य पीठ, अहमदाबाद (गुजरात) द्वारा साहित्य सम्मान' (1994), सृजन (साहित्यिक - सांस्कृतिक-संस्था), उत्तरकाशी (उत्तराखण्ड) द्वारा साहित्य सम्मान' (2004), हिन्दी साहित्य संगम, मुरादाबाद (उ.प्र.) द्वारा 'साहित्य श्री सम्मान' (2005), राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति मुरादाबाद (उ.प्र.) द्वारा साहित्य गौरव सम्मान (2006), श्री पुष्पेन्द्र वर्णवाल हीरक जयन्ती अभिनन्दन समिति द्वारा हीरक जयन्ती सम्मान (2006), रूहेलखण्ड साहित्य-साधना संस्था, बरेली द्वारा सृजन सम्मान' (2009), अखिल भारतीय साहित्य कला मंच, मेरठ (उ.प्र.) द्वारा 'साहित्य भूषण सम्मान' (2012), अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच, मुरादाबाद (उ.प्र.) द्वारा काठमाण्डू (नेपाल) में 'साहित्य श्री सम्मान' (2013), अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य संगम, सम्भल (उ.प्र.) द्वारा साहित्य - वैभव सम्मान' ( 2018 ) ।
विभिन्न संस्थाओं के अध्यक्ष और पदाधिकारी भी रहे। वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद के वह वरिष्ठ सदस्य थे ।
4 जनवरी 2019 को उन्होंने मुरादाबाद में यह नश्वर देह त्याग दी ।
8, जीलाल स्ट्रीट
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