रविवार, 6 अप्रैल 2025

मुरादाबाद मंडल के कुरकावली ( जनपद संभल) के साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम् की रचना ...."अयोध्या में मंदिर था मंदिर है और मंदिर रहेगा"

 


पुरुषों में उत्तम मर्यादा पुरुषोत्तम,

बारह कलाओं के स्वामी अवधेश,

हारे के हरिराम निर्धनों के ईश,

दशरथ पुत्र कोशल्या नंदन रघुनंदन,

आपका आपके धाम में बारंबार वंदन अभिनंदन।

और प्रभु जी!

आपके इधर सब ठीक-ठाक है,

क्या हाल-चाल है ?

अपने यहां तो सभी राजी खुशी हैं ?

खुराफातियों के दिमाग में अब भी बड़े बवाल हैं,

भगवन यूं तो त्रेता में भी आपको,

कठोर बनवास काटते हुए 

राक्षसों से भयानक युद्ध करना पड़ा। 

किंतु इधर कलयुग में,

अपनी ही जन्म भूमि के लिए,

लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी,

बेईमानों से मुकदमा लड़ना पड़ा,

जिसमें अनगिनत प्रभु भक्तों ने,

करते हुए आप का गुणगान,

हंसते-हंसते दे दी अपनी जान।

आम जनों की छोड़ो,

आपने अपने मामले में देखा,

कलमुँहा कलयुगी आदमी,

कितना मक्कार मौकापरस्त मतलबी कामी है।

यहां एक से बढ़कर एक,

ढोंगी मायावी नामी-गिरामी है।

गंदी नाली के कीड़ों बारूदी जमीनों ने,

पहुंचे हुए शिकारी छठे हुए कमीनों ने,

अपनी करनी में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी है।

जहां भी मौका हाथ लगा,

मानवता की हांडी बीच चौराहे पर फोड़ी है।

शैतानों ने कभी प्रश्न उठाया,

आप के अस्तित्व पर,

कभी आपके होने पर,

कभी राम सेतु जैसे कृतित्व पर,

कोई पुछ रहा था आपकी पहचान,

मांग रहा था पत्रावली,

कोई कुलद्रोही खंगाल रहा था,

आप की वंशावली,

किसी ने आपको बताया कोरी कल्पना,

उड़ाई जमकर मजाक,

तो कोई मांग रहा था,

आपके जन्म का हिसाब किताब 

कोई कह रहा था,

हमारे होते पत्ता नहीं खड़क सकता,

आदमी क्या परिंदा भी नही फटक सकता।

लेकिन प्रभु जी!

जब आपकी कृपा से पत्ता खड़का,

पलक झपकते ही हो गया पत्ता साफ,

बंदा दूर तक रड़का।

भगवान कोई माने या ना माने,

हम तो थे अनजाने फिर भी जाने,

आप भी देख रहे थे,

किसमें कितना है दम कितना है पानी,

किसकी करानी है जय जयकार,

याद दिलानी है किसको नानी।

तभी तो अक्ल के अन्धो को भी,

दी खुली छूट करने दी मनमानी।

अच्छा अब सब छोड़ो एक बात बताओ,

कहीं आपकी इच्छा के बिना तिनका भी हिलता है,

ना कुछ खोता है ना ही मिलता है।

तो प्रभु जी!

आपकी इच्छा के विरुद्ध,

कोई भी कहीं भी उछलेगा कूदेगा,

जो आसमान पर थूकेगा,

उसके ही मुंह पर गिरेगा। 

अयोध्या में मंदिर था,

मंदिर है,

और मंदिर रहेगा।।

          

✍️त्यागी अशोका कृष्णम्

कुरकावली, संभल

उत्तर प्रदेश, भारत

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