हर प्राणी से प्यार हो, सिखलाता यह धर्म ।
जीवन में शुचिता रखें, करें राम से कर्म ।।1।।
सदियां बीतीं 'राम' से, भारत की पहचान ।
सभी देव भी अवतरित, यह है भूमि महान ।।2।।
'राम' रूप में जन्म ले, आये 'श्रीभगवान' ।
बाल रूप लीला रची, नष्ट किये अभिमान ।।3।।
'राम' नाम है प्रेम का, त्याग तपस्या ज्ञान ।
नहीं भेद करते कभी, रखते सबका मान ।।4।।
छोड़े हैं जब साथ सब, तब दिखते बस 'राम' ।
जग तब बैरी-सा लगे, वह ही आते काम ।।5।।
राम नाम में है छिपा, जीवन का सब सार ।
जिसने इसको पढ़ लिया, समझो बेड़ा पार ।।6।।
जन्म हुआ श्रीराम का, आनंदित सब लोग ।
कष्ट हुए सब दूर ज्यों, घर-घर लगते भोग ।।7।।
राम नाम ही सार है, यह जीवन आधार ।
कर दायित्वों निर्वहन, होगा बेड़ा पार ।।8।।
माया में उलझा रहा, लिया न प्रभु का नाम ।
दुविधा में दोनों गये, माया मिली न राम ।।9।।
देते हैं शुभ कामना, खुशियां चारों ओर ।
राम जन्म पर हर नगर, सोहर का है शोर ।।10।।
✍️राम किशोर वर्मा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
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