अरे सुनो !
कल शाम सड़क पर,
गली - गली कूचे - कूचे में
स्टेशन पर,
दोराहों पर,
चौराहों पर,
मटक मटक कर,
फुदक फुदक कर,
खूब कड़क कर,
कहता था तस्वीरों वाला ।
सुनो, मुसाफिर जाने वालों !
कल को गाँधी दिवस मना लो ।
चार आने में गाँधी ले लो,
आठ आने में गांधी ले लो,
एक रुपये में गाँधी ले लो
पाँच रुपये में गाँधी ले लो
खड़े पोज़ में,
पड़े पोज़ में,
मरे पोज़ में,
हँसे पोज़ में,
नमक बनाते,
सूत कातते,
झन्डा लेकर गोरों को फटकार बताते;
राम नाम धुन गाते-गाते
अन्त समय का;
जैसा चाहो मिल सकता है,
एक आने में भी मिलता है,
दो पैसे में भी मिलता है ।
तभी अचानक सोचा मैंने
जन्म दिवस है कल बापू का
ले लो कुछ तस्वीरें तुम भी,
दीवारें भी सज जायेंगी,
कुछ बातें भी सध जायेंगी;
यह अवसर है रोब जमा लू,
और छिपा लूं अपनी काली करतूतों को ।
एक आड़ तो हो जायगी
गांधी की इन तस्वीरों से;
बापू के आदर्श बता कर
जो चाहूँगा कर सकता हूँ,
अपनी कोठी भर सकता हूं।
भोली जनता क्या समझेगी दूरन्देशी ?
पर बापू
तुम तो जानोगे सारी बातें
सारी घातें,
जो इनके पीछे होती हैं ।
भूल चुके हैं हम सारे आदर्श तुम्हारे
जिनके द्वारा आज हमें
अधिकार मिला है आज़ादी का
सच पूछो तो याद किया करते हम दो दिन
जन्म दिवस पर,
मरण दिवस पर,
और टाँग देते हैं तुमको
कमज़ोरी पर आड़ लगाने ।
और मेरे बापू
तुम कितने उदार कितने अच्छे हो,
इस मँहगाई के युग में भी कितने सस्ते हो ?
बापू !
मन में मैल न लाना
क्षोभ न लाना ।
हम भारतवासी वर्षों से ही ऐसे हैं
मन से खोटे हैं ।
सच पूछो तो बेपेंदी के लोटे हैं |
जन्म दिवस पर आज तुम्हारे,
कोटि कोटि कन्ठों से तेरा अभिनन्दन है |
✍️ ज्ञान प्रकाश सोती ’ठुंठ’
::::::::प्रस्तुति::::;:
डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फ़ोन 9456687822
बहुत शानदार कविता है आदरणीय ठूंठको सादर श्रद्धा सुमन अर्पित
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएं