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सोमवार, 16 मार्च 2020
वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में प्रत्येक रविवार को वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाता है । रविवार 15 मार्च 2020 को आयोजित 193 वें वाटसएप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में सर्व श्री डॉ मनोज रस्तोगी , रवि प्रकाश, राजीव प्रखर , डॉ रीता सिंह , मनोज मनु, अशोक विश्नोई , नृपेंद्र शर्मा सागर,अखिलेश वर्मा, इंदु रानी, राशिद मुरादाबादी, सन्तोष कुमार शुक्ल और श्री कृष्ण शुक्ल ने अपनी हस्तलिपि में रचनाएं प्रस्तुत की.....
रविवार, 15 मार्च 2020
मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की कुंडलियां
------------------ 1 -----------------------
छोटे शहरों के मजे , महानगर बेकार
अमरीका में मच रहा , देखो हाहाकार
देखो हाहाकार , गली अब पतली भाती
कोरोना की छींट , चीन से यहाँ न आती
कहते रवि कविराय , मास्क के पड़ते टोटे
बड़े - बड़े भयभीत , बड़ों के दर्शन छोटे
------------------- 2 ------------------------
शुरू नमस्ते कर रहे , लंदन वाले लोग
कोरोना का वायरस , दुनिया भर में रोग
दुनिया भर में रोग , प्रिंस ने चलन चलाया
खींचा अपना हाथ , याद फिर भारत आया
कहते रवि कविराय , सभी हैं अब इस रस्ते
हाथ मिलाना छोड़ , विश्व में शुरू नमस्ते
--------------------3-----––--------- ------
भारी बीमारी हुई , कोरोना हर ओर
जैसे सेंध लगा रहा , दुनिया भर में चोर
दुनिया भर में चोर , कहाँ रुकने में आई
आते - जाते लोग , हाथ छूना दुखदाई
कहते रवि कविराय ,जिंदगी इससे हारी
हल्के मत लें आप , महामारी यह भारी
–------------------4-------------------------
आए कवि - सम्मेलनी, बोरिंग कवि भरपूर
बैठे थे सब पास में , लेकिन छह फिट दूर
लेकिन छह फिट दूर , सभी श्रोता उकताए
हूटिंग से पर नहीं ,अडिग कवि जी हट पाए
कहते रवि कविराय , छींक कुछ श्रोता लाए
भागे कवि रण छोड़ , मंच पर नजर न आए
आयोजक कहने लगे , जाओ अब बैरंग
जाओ अब बैरंग , हास्य कवि हँसकर बोले
नहीं टलेंगे बिना , आपका बटुआ खोले
कहते रवि कविराय , देय देकर फिर सोना
आयोजक मायूस , हाय निर्दय कोरोना
---------------------- 6 ----------------------
झाड़ा - फूँकी चल रही , कुछ गंडे ताबीज
बाबाजी बतला रहे , कोरोना क्या चीज
कोरोना क्या चीज ,फूँक से इसे उड़ाएँ
बाबा जी के पास , आप आ इसे झड़ाएँ
कहते रवि कविराय , देह यदि खाए जाड़ा
डॉक्टर की लें राय , भूलकर करें न झाड़ा
** रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 999 7615451
छोटे शहरों के मजे , महानगर बेकार
अमरीका में मच रहा , देखो हाहाकार
देखो हाहाकार , गली अब पतली भाती
कोरोना की छींट , चीन से यहाँ न आती
कहते रवि कविराय , मास्क के पड़ते टोटे
बड़े - बड़े भयभीत , बड़ों के दर्शन छोटे
------------------- 2 ------------------------
शुरू नमस्ते कर रहे , लंदन वाले लोग
कोरोना का वायरस , दुनिया भर में रोग
दुनिया भर में रोग , प्रिंस ने चलन चलाया
खींचा अपना हाथ , याद फिर भारत आया
कहते रवि कविराय , सभी हैं अब इस रस्ते
हाथ मिलाना छोड़ , विश्व में शुरू नमस्ते
--------------------3-----––--------- ------
भारी बीमारी हुई , कोरोना हर ओर
जैसे सेंध लगा रहा , दुनिया भर में चोर
दुनिया भर में चोर , कहाँ रुकने में आई
आते - जाते लोग , हाथ छूना दुखदाई
कहते रवि कविराय ,जिंदगी इससे हारी
हल्के मत लें आप , महामारी यह भारी
–------------------4-------------------------
आए कवि - सम्मेलनी, बोरिंग कवि भरपूर
बैठे थे सब पास में , लेकिन छह फिट दूर
लेकिन छह फिट दूर , सभी श्रोता उकताए
हूटिंग से पर नहीं ,अडिग कवि जी हट पाए
कहते रवि कविराय , छींक कुछ श्रोता लाए
भागे कवि रण छोड़ , मंच पर नजर न आए
--------------------5 -------------------------कोरोना ने कर दिया , कवि सम्मेलन भंग
आयोजक कहने लगे , जाओ अब बैरंग
जाओ अब बैरंग , हास्य कवि हँसकर बोले
नहीं टलेंगे बिना , आपका बटुआ खोले
कहते रवि कविराय , देय देकर फिर सोना
आयोजक मायूस , हाय निर्दय कोरोना
---------------------- 6 ----------------------
झाड़ा - फूँकी चल रही , कुछ गंडे ताबीज
बाबाजी बतला रहे , कोरोना क्या चीज
कोरोना क्या चीज ,फूँक से इसे उड़ाएँ
बाबा जी के पास , आप आ इसे झड़ाएँ
कहते रवि कविराय , देह यदि खाए जाड़ा
डॉक्टर की लें राय , भूलकर करें न झाड़ा
** रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 999 7615451
मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी की कविता -- जागरूक होकर करो कोरोना से युद्ध
कोरोना का हो गया
दुनियाँ में फैलाव
औषधीश हैरान हैं
कैसे करें बचाव।
औषधि मिल पाई नहीं
मिला न कोई भेद
ताप,छींक, खांसी करे
श्वसन तंत्र में छेद।
करो नमन करबद्ध हो
नहीं मिलाओ हाथ
भीड़ भरे स्थान से
इसे न लाओ साथ।
मास्क लगाके हीचलो
रखो जेब में सोप
गर्म नीर में धोइये
धोती कुर्ता टोप।
जागरूक होकर करो
कोरोना से युद्ध
तभी बचेगी जिंदगी
होगा तन-मन शुद्ध।
शुद्ध बुद्धि के सामने
टिकता नहीं अशुद्ध
हार मानकर बैठता
नहीं कभी प्रबुद्ध
सफर त्यागकरके सभी
करो फोन पर बात
तभी संक्रमण को सखे
दे पाओगे मात।
**वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फ़ोन नम्बर 9719275453
दुनियाँ में फैलाव
औषधीश हैरान हैं
कैसे करें बचाव।
औषधि मिल पाई नहीं
मिला न कोई भेद
ताप,छींक, खांसी करे
श्वसन तंत्र में छेद।
करो नमन करबद्ध हो
नहीं मिलाओ हाथ
भीड़ भरे स्थान से
इसे न लाओ साथ।
मास्क लगाके हीचलो
रखो जेब में सोप
गर्म नीर में धोइये
धोती कुर्ता टोप।
जागरूक होकर करो
कोरोना से युद्ध
तभी बचेगी जिंदगी
होगा तन-मन शुद्ध।
शुद्ध बुद्धि के सामने
टिकता नहीं अशुद्ध
हार मानकर बैठता
नहीं कभी प्रबुद्ध
सफर त्यागकरके सभी
करो फोन पर बात
तभी संक्रमण को सखे
दे पाओगे मात।
**वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फ़ोन नम्बर 9719275453
शनिवार, 14 मार्च 2020
शुक्रवार, 13 मार्च 2020
गुरुवार, 12 मार्च 2020
मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' की ओर से सुप्रसिद्ध नवगीतकार माहेश्वर तिवारी के आवास पर 11 मार्च 2020 को काव्य-ठिठोली का आयोजन
मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था 'अक्षरा' की ओर से सुप्रसिद्ध नवगीतकार यशभारती माहेश्वर तिवारी के नवीन नगर स्थित आवास पर होली के अवसर पर बुधवार 11 मार्च 2020 को काव्य-ठिठोली का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित स्थानीय कवियों ने कविताओं के माध्यम से होली पर फागुन और होली के रंग-बिरंगे वातावरण से संबंधित गीतों-ग़ज़लों के साथ साथ हास्य कविताओं से सभी को गुदगुदाया और देश व समाज में व्याप्त विसंगतियों पर कटाक्ष किए। अध्यक्षता सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि डा. मक्खन मुरादाबादी ने की, मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री डा. प्रेमवती उपाध्याय रहीं तथा संचालन नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध नवगीतकार यशभारती माहेश्वर तिवारी ने गीत प्रस्तुत किया-
"बौरी है आमों की डाल
गीत फूटे फागुन के
दिन फूलों के रंग चुराये
फिरते सारे अंग सजाये
होरी मचाए धमाल
गीत फूटे फागुन के"
विख्यात हास्य-व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कविता प्रस्तुत की-
"सच को सच कहने में
उसके भीतर रहने में
अधिकतर डर लगता है
कब्जे में हो झूठ के जैसे
अब तो सारा घर लगता है"
योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने गीत प्रस्तुत किया-
"तुझमें रंग भरे जीवन के
मुझमें भरी मिठास
चल मिलकर वापस लाते हैं
रिश्तों में उल्लास
अपनेपन के गाढ़े रँग से
रचें नई रंगोली
विशाखा तिवारी ने कविता पढ़ी-
"सुनो शायद आ गए ऋतुराज
पहने हुए पीले फूलों का ताज
स्वागत को तैयार है पूरी धरती"
वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने सुनाया-
"आचरण की गंध से कर दें सुवासित यह धरा
नित बहे अंत:करण में प्राणदायिनी निर्झरा"
डा. मनोज रस्तोगी ने कहा -
"स्वाभिमान भी गिरवीं रख नागों के हाथ
भेड़ियों के सम्मुख टिका दिया माथ
इस तरह होता रहा अपना चीरहरण"
शायर ज़िया ज़मीर ने ग़ज़ल पेश की-
"जिंदगी रोक के अक्सर यही कहती है मुझे
तुझको जाना था किधर और किधर आ गया है"
कवयित्री निवेदिता सक्सेना ने सुनाया-
"बस तुमसे मुलाकात का मौसम नहीं आया
बिछड़े हैं जबसे साथ का मौसम नहीं आया"
गोष्ठी में शिखा रस्तोगी, राधेश्याम तबलावादक, आशा तिवारी, आयुष आदि उपस्थित रहे।
:::::::::प्रस्तुति:::::::::
**योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
संयोजक
साहित्यिक संस्था 'अक्षरा'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध नवगीतकार यशभारती माहेश्वर तिवारी ने गीत प्रस्तुत किया-
"बौरी है आमों की डाल
गीत फूटे फागुन के
दिन फूलों के रंग चुराये
फिरते सारे अंग सजाये
होरी मचाए धमाल
गीत फूटे फागुन के"
विख्यात हास्य-व्यंग्य कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कविता प्रस्तुत की-
"सच को सच कहने में
उसके भीतर रहने में
अधिकतर डर लगता है
कब्जे में हो झूठ के जैसे
अब तो सारा घर लगता है"
योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने गीत प्रस्तुत किया-
"तुझमें रंग भरे जीवन के
मुझमें भरी मिठास
चल मिलकर वापस लाते हैं
रिश्तों में उल्लास
अपनेपन के गाढ़े रँग से
रचें नई रंगोली
विशाखा तिवारी ने कविता पढ़ी-
"सुनो शायद आ गए ऋतुराज
पहने हुए पीले फूलों का ताज
स्वागत को तैयार है पूरी धरती"
वरिष्ठ कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने सुनाया-
"आचरण की गंध से कर दें सुवासित यह धरा
नित बहे अंत:करण में प्राणदायिनी निर्झरा"
डा. मनोज रस्तोगी ने कहा -
"स्वाभिमान भी गिरवीं रख नागों के हाथ
भेड़ियों के सम्मुख टिका दिया माथ
इस तरह होता रहा अपना चीरहरण"
शायर ज़िया ज़मीर ने ग़ज़ल पेश की-
"जिंदगी रोक के अक्सर यही कहती है मुझे
तुझको जाना था किधर और किधर आ गया है"
कवयित्री निवेदिता सक्सेना ने सुनाया-
"बस तुमसे मुलाकात का मौसम नहीं आया
बिछड़े हैं जबसे साथ का मौसम नहीं आया"
गोष्ठी में शिखा रस्तोगी, राधेश्याम तबलावादक, आशा तिवारी, आयुष आदि उपस्थित रहे।
:::::::::प्रस्तुति:::::::::
**योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
संयोजक
साहित्यिक संस्था 'अक्षरा'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
गजल एकेडमी की ओर से डॉ मक्खन मुरादाबादी , कंचन खन्ना और निकखत मुरादाबादी को किया गया सम्मानित
ग़ज़ल एकेडमी मुरादाबाद की ओर से रविवार आठ मार्च 2020 को स्वतंत्रता सेनानी भवन में होली के रंग मक्खन के संग "जश्न ए मक्खन मुरादाबादी'' उर्दू हिंदी फेस्टिवल के अंतर्गत आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली से पधारे शोएब फारूकी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ जयपाल सिंह व्यस्त एमएलसी, विशेष अतिथि प्रख्यात साहित्यकार यश भारती माहेश्वर तिवारी, डॉ अनुराग अग्रवाल, डॉ संजय शाह ,डॉ एस के सिंह, डॉ सैयद हिलाल वारसी, संजीव आकांक्षी, मजाहिर खां, अरविंद कुमार वर्मा , राकेश चंद्र शर्मा, गोपी किशन, नावेद सिद्दीकी, उपस्थित रहे । कार्यक्रम का शुभारंभ नाते पाक व सरस्वती वंदना से हुआ।
कार्यक्रम में हास्य व्यंग्य के प्रख्यात कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ मक्खन मुरादाबादी सम्मान सुश्री कंचन खन्ना व निकखत मुरादाबादी को दिया गया।
डॉ मक्खन मुरादाबादी को प्रदत्त सम्मान पत्र पढ़ते हुये साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा -भारतीय साहित्य में कबीरदास, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमधन’, प्रतापनारायण मिश्र से आरंभ हुई व्यंग्य लेखन की परंपरा बहुत समृद्ध रही है, कालान्तर में शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल, हरिशंकर परसाई, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लतीफ घोंघी, बेढब बनारसी के धारदार व्यंग्य-लेखन से संपन्न होती हुई यह परंपरा वर्तमान समय में ज्ञान चतुर्वेदी, सूर्यकुमार पांडेय, सुभाष चंदर, ब्रजेश कानूनगो आदि के सृजन के रूप में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज़ करा रही है, किन्तु व्यंग्य-कविता लेखन में माणिक वर्मा, प्रदीप चौबे, कैलाश गौतम, डॉ मक्खन मुरादाबादी सहित कुछ ही नाम हैं जिन्होंने अपनी कविताओं में विशुद्ध व्यंग्य लिखा है। व्यंग्य का सच्चा धर्म निभाने वाली मक्खन जी की अनेक कविताएं अत्यधिक लोकप्रिय एवं चर्चित हुईं किन्तु लगभग 5 दशकीय कविता-यात्रा में प्रचुर सृजन उपरान्त 51 कविताओं का प्रथम संग्रह ‘कड़वाहट मीठी सी’ के रूप में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। आपकी कविताओं को पढ़कर साफ-साफ महसूस किया जा सकता है कि कविताओं के माध्यम से समाज के, देश के, परिवेश के लगभग हर संदर्भ में अपनी तीखी व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया अभिव्यक्त की गई है और ये सभी कविताएं स्वतः स्फूर्तरूप से सृजित मुक्तछंद कविताएं हैं छंदमुक्त नहीं हैं संभवतः इसीलिए आपकी कविताओं में एक विशेष प्रकार की छांदस खुशबू के यत्र-तत्र-सर्वत्र विचरते रहने के कारण सपाटबयानी या गद्य भूले से भी घुसपैठ नहीं कर सका है।
राजीव प्रखर ने कहा -
हास्य-व्यंग्य के रत्न वो, मक्खन जी अनमोल।
कड़वाहट मीठी लिये, जिनके प्यारे बोल।
रहती हो इस वक़्त की, चाहे जैसी चाल।
मक्खन जी की ताज़गी, खुद में एक कमाल।
वीरेन्द्र सिंह बृजवासी ने कहा -
शब्द शब्द में भर रहे
हास्य व्यंग्य का भाव
मक्खन जी से है यहां
सबको बड़ा लगाव
नमन उनको करते हैं
बनें प्रेरणा श्रोत दुआ
हम सब करते हैं।
मोनिका मासूम का कहना था -
व्यंग्य विधा के बड़े धुरंधर मक्खन जी
अंजुलियों में भरें समंदर मक्खन जी
सर्द ज़रा सी हवा चले तो जम जाते
गर्मी में बह जाएं पिघल कर मक्खन जी
भरकर लाए हैं "कड़वाहट मीठी सी"
वर्षों के अनुभव से मथकर मक्खन जी
कंचन खन्ना ने कहा -
उसकी सादगी, उसका व्यक्तित्व, व्यवहार जुदा है
बात फन की चले तो वो अकेला फनकार जुदा है।
आसान नहीं कोई लफ़्ज़ों का जादूगर हो जाये।
मीठी सी दे जो कड़वाहट ऐसा वो दिलफरेब कलाकार जुदा है।
हेमा तिवारी भट्ट का कहना था -
हो शुष्कता जो पास, तो मक्खन लगाइए।
जब हो न कोई आस, तो मक्खन लगाइए।
छपतीं किताबें इतनी कि, दीमक अघा गए।
हाँ पढ़ना हो गर ख़ास, तो मक्खन लगाइए ।
डॉ अजय अनुपम का कहना था -
भाव में व्यवहार में स्वाधीन मक्खनजी
मित्रता के हैं सदा आधीन मक्खनजी
हास्य में चिन्ता उठाते व्यंग्य में चिन्तन
हैं सभी में लोकप्रिय शालीन
मक्खनजी
मयंक शर्मा ने कहा -
छल प्रपंच मन में नहीं, रखते हैं पट खोल
सौम्य भाव से बोलते, मिसरी जैसे बोल,
तरकश में अपने रखें, हास्य व्यंग्य के बाण,
मक्खन जी के काव्य के, शब्द-शब्द अनमोल
अनवर कैफ़ी ने कहा -
जश्न मिल कर यूं मनाएं आप 'मक्खन' और हम
प्यार के कुछ गीत गायें आप 'मक्खन' और हम
जब 'कशिश' आवाज़ दें 'अनवर' मुहब्बत से हमें
मिल के सब होली मनायें आप 'मक्खन' और हम
अरविंद शर्मा आनन्द का कहना था -
बेरंग होके भी मै हर रंग हो गया।
मुरादाबादी जब से संग हो गया।
मन झूम उठा है जश्ने मक्खन में
देख जिसे हर कोई दंग हो गया।
शोएब फारुखी ने कहा -
इल्मो अदब की शान हमारे मक्खन जी
शहरे जिगर की शान हमारे मक्खन जी
हिंदी उर्दू जिन पर दोनों नाज़
करें
फख्रे हिंदुस्तान हमारे मक्खन जी
कशिश वारसी के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में गगन भारती , मुईन शादाब डॉ शाकिर , डॉ कृष्ण कुमार नाज़ , नसीम वारसी ,रिफत मुरादाबादी , साहिल कुरेशी ,फरहत खान आरिफा मसूद आदि ने काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से नूर जमाल नूर, डॉ मनोज रस्तोगी, राशिद मुरादाबादी, अंकित भटनागर, शावेज़ एडवोकेट, शहजाद क़मर, उबेद वारसी ,पुलकित भटनागर ,तंजीम शास्त्री ,राहुल शर्मा , वसीम अली, अशोक विश्नोई , प्रशांत मिश्र, आवरण अग्रवाल, चांद मियां खान, डॉ पूनम बंसल, उमेश प्रसाद कैरे ,अखिलेश शर्मा , उमाकांत गुप्ता, मधु मिश्रा, बृजपाल सिंह यादव,अशोक विद्रोही, केपी सिंह सरल, डॉ अर्चना गुप्ता ,पंकज दर्पण ,डॉ जगदीप भटनागर ,डॉ राकेश चक्र आदि उपस्थित थे।
ग़ज़ल एकेडमी के अध्यक्ष शफक शादानी और हकीम अहमद मुरादाबादी ने आभार व्यक्त किया।
::::::::: प्रस्तुति :::::::
कशिश वारसी
सचिव
गजल एकेडमी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
कार्यक्रम में हास्य व्यंग्य के प्रख्यात कवि डॉ मक्खन मुरादाबादी को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ मक्खन मुरादाबादी सम्मान सुश्री कंचन खन्ना व निकखत मुरादाबादी को दिया गया।
डॉ मक्खन मुरादाबादी को प्रदत्त सम्मान पत्र पढ़ते हुये साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा -भारतीय साहित्य में कबीरदास, बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमधन’, प्रतापनारायण मिश्र से आरंभ हुई व्यंग्य लेखन की परंपरा बहुत समृद्ध रही है, कालान्तर में शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल, हरिशंकर परसाई, रवीन्द्रनाथ त्यागी, लतीफ घोंघी, बेढब बनारसी के धारदार व्यंग्य-लेखन से संपन्न होती हुई यह परंपरा वर्तमान समय में ज्ञान चतुर्वेदी, सूर्यकुमार पांडेय, सुभाष चंदर, ब्रजेश कानूनगो आदि के सृजन के रूप में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज़ करा रही है, किन्तु व्यंग्य-कविता लेखन में माणिक वर्मा, प्रदीप चौबे, कैलाश गौतम, डॉ मक्खन मुरादाबादी सहित कुछ ही नाम हैं जिन्होंने अपनी कविताओं में विशुद्ध व्यंग्य लिखा है। व्यंग्य का सच्चा धर्म निभाने वाली मक्खन जी की अनेक कविताएं अत्यधिक लोकप्रिय एवं चर्चित हुईं किन्तु लगभग 5 दशकीय कविता-यात्रा में प्रचुर सृजन उपरान्त 51 कविताओं का प्रथम संग्रह ‘कड़वाहट मीठी सी’ के रूप में हाल ही में प्रकाशित हुआ है। आपकी कविताओं को पढ़कर साफ-साफ महसूस किया जा सकता है कि कविताओं के माध्यम से समाज के, देश के, परिवेश के लगभग हर संदर्भ में अपनी तीखी व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया अभिव्यक्त की गई है और ये सभी कविताएं स्वतः स्फूर्तरूप से सृजित मुक्तछंद कविताएं हैं छंदमुक्त नहीं हैं संभवतः इसीलिए आपकी कविताओं में एक विशेष प्रकार की छांदस खुशबू के यत्र-तत्र-सर्वत्र विचरते रहने के कारण सपाटबयानी या गद्य भूले से भी घुसपैठ नहीं कर सका है।
राजीव प्रखर ने कहा -
हास्य-व्यंग्य के रत्न वो, मक्खन जी अनमोल।
कड़वाहट मीठी लिये, जिनके प्यारे बोल।
रहती हो इस वक़्त की, चाहे जैसी चाल।
मक्खन जी की ताज़गी, खुद में एक कमाल।
वीरेन्द्र सिंह बृजवासी ने कहा -
शब्द शब्द में भर रहे
हास्य व्यंग्य का भाव
मक्खन जी से है यहां
सबको बड़ा लगाव
नमन उनको करते हैं
बनें प्रेरणा श्रोत दुआ
हम सब करते हैं।
मोनिका मासूम का कहना था -
व्यंग्य विधा के बड़े धुरंधर मक्खन जी
अंजुलियों में भरें समंदर मक्खन जी
सर्द ज़रा सी हवा चले तो जम जाते
गर्मी में बह जाएं पिघल कर मक्खन जी
भरकर लाए हैं "कड़वाहट मीठी सी"
वर्षों के अनुभव से मथकर मक्खन जी
कंचन खन्ना ने कहा -
उसकी सादगी, उसका व्यक्तित्व, व्यवहार जुदा है
बात फन की चले तो वो अकेला फनकार जुदा है।
आसान नहीं कोई लफ़्ज़ों का जादूगर हो जाये।
मीठी सी दे जो कड़वाहट ऐसा वो दिलफरेब कलाकार जुदा है।
हेमा तिवारी भट्ट का कहना था -
हो शुष्कता जो पास, तो मक्खन लगाइए।
जब हो न कोई आस, तो मक्खन लगाइए।
छपतीं किताबें इतनी कि, दीमक अघा गए।
हाँ पढ़ना हो गर ख़ास, तो मक्खन लगाइए ।
डॉ अजय अनुपम का कहना था -
भाव में व्यवहार में स्वाधीन मक्खनजी
मित्रता के हैं सदा आधीन मक्खनजी
हास्य में चिन्ता उठाते व्यंग्य में चिन्तन
हैं सभी में लोकप्रिय शालीन
मक्खनजी
मयंक शर्मा ने कहा -
छल प्रपंच मन में नहीं, रखते हैं पट खोल
सौम्य भाव से बोलते, मिसरी जैसे बोल,
तरकश में अपने रखें, हास्य व्यंग्य के बाण,
मक्खन जी के काव्य के, शब्द-शब्द अनमोल
अनवर कैफ़ी ने कहा -
जश्न मिल कर यूं मनाएं आप 'मक्खन' और हम
प्यार के कुछ गीत गायें आप 'मक्खन' और हम
जब 'कशिश' आवाज़ दें 'अनवर' मुहब्बत से हमें
मिल के सब होली मनायें आप 'मक्खन' और हम
अरविंद शर्मा आनन्द का कहना था -
बेरंग होके भी मै हर रंग हो गया।
मुरादाबादी जब से संग हो गया।
मन झूम उठा है जश्ने मक्खन में
देख जिसे हर कोई दंग हो गया।
शोएब फारुखी ने कहा -
इल्मो अदब की शान हमारे मक्खन जी
शहरे जिगर की शान हमारे मक्खन जी
हिंदी उर्दू जिन पर दोनों नाज़
करें
फख्रे हिंदुस्तान हमारे मक्खन जी
कशिश वारसी के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में गगन भारती , मुईन शादाब डॉ शाकिर , डॉ कृष्ण कुमार नाज़ , नसीम वारसी ,रिफत मुरादाबादी , साहिल कुरेशी ,फरहत खान आरिफा मसूद आदि ने काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से नूर जमाल नूर, डॉ मनोज रस्तोगी, राशिद मुरादाबादी, अंकित भटनागर, शावेज़ एडवोकेट, शहजाद क़मर, उबेद वारसी ,पुलकित भटनागर ,तंजीम शास्त्री ,राहुल शर्मा , वसीम अली, अशोक विश्नोई , प्रशांत मिश्र, आवरण अग्रवाल, चांद मियां खान, डॉ पूनम बंसल, उमेश प्रसाद कैरे ,अखिलेश शर्मा , उमाकांत गुप्ता, मधु मिश्रा, बृजपाल सिंह यादव,अशोक विद्रोही, केपी सिंह सरल, डॉ अर्चना गुप्ता ,पंकज दर्पण ,डॉ जगदीप भटनागर ,डॉ राकेश चक्र आदि उपस्थित थे।
ग़ज़ल एकेडमी के अध्यक्ष शफक शादानी और हकीम अहमद मुरादाबादी ने आभार व्यक्त किया।
::::::::: प्रस्तुति :::::::
कशिश वारसी
सचिव
गजल एकेडमी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
बुधवार, 11 मार्च 2020
'विजयश्री वैल्फेयर सोसाइटी' मुरादाबाद के तत्वावधान में 9 मार्च 2020 को 'काव्यरस-फुहार' का आयोजन
मुरादाबाद की प्रमुख संस्था विजयश्री वेलफेयर सोसाइटी की ओर से रामगंगा विहार मुरादाबाद स्थित शिव मंदिर परिसर में होली पर सोमवार 9 मार्च को 'काव्यरस-फुहार' का आयोजन हुआ जिसमें उपस्थित स्थानीय कवियों ने कविताओं के माध्यम से होली पर हास्य कविताओं से सभी को गुदगुदाया और देश व समाज में व्याप्त विद्रूपताओं पर कटाक्ष किए। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवि रामवीर सिंह वीर ने की, मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई, विशिष्ट अतिथि डा. मनोज रस्तोगी रहे. तथा संचालन हास्य कवि फक्कड़ मुरादाबादी ने किया।
काव्यपाठ करते हुए मनोज मनु ने कहा-
भीतर से बाहर तलक, भरता गज़ब मिठास
होली का त्योहार तो, होता इतना खास
नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने कहा-
मनके सारे त्याग कर, कष्ट और अवसाद ।
पिचकारी करने लगी, रंगो से संवाद ।।
राजीव प्रखर ने काव्य-पाठ करते हुए कहा -
सिमट गयी संवेदना, बदल गये सब ढंग।
पहले जैसे अब कहाँ, होली के हुड़दंग।।
वरिष्ठ कवि विवेक निर्मल ने कविता प्रस्तुत की-
होली के हुड़दंग में, बदले सबके चित्र
दुश्मन भी लगने लगे, प्यारे प्यारे मित्र
प्रशांत मिश्र ने कुछ इस प्रकार कहा -
मैं क्यों खेलूं तुम संग होली,
सखियाँ मुझे चिढ़ाती हैं।
आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ' का कहना था -
आओ मिलकर अबकी खेले ऐसी होली,
देश से मिट जाए बैर भाव और कटु बोली।।
अरविंद कुमार शर्मा आनंद ने कहा -
हुल्लड़ भी हुड़दंग भी शोर हम मचायेंगे।
अरे भैया फाल्गुन आयो होली हम मनाएंगे।
वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने रचना प्रस्तुत की-
धूप में सोता था अपने गाँव में
आज छाले पड़ गए हैं पांव में
चाहकर भी आपसे कैसे मिलूँ
रस्म की बेड़ी पड़ी है पांव में
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा-
महकी आकाश में चांदनी की गंध
अधरों की देहरी लांघ आए छंद
गंगाजल से छलके नेह के पिटारे
उड़ रही रेत गंगा किनारे।
कवि रवि चतुर्वेदी ने कविता सुनाई-
देश के दीवानों की मैं भक्ति हूँ
और उनके आत्मबल की शक्ति हूँ
वरिष्ठ शायर डॉ० कृष्ण कुमार 'नाज़' ने कहा -
सोहबत बुरी मिली तो गलत काम भी हुए
वैसे कमी तो ना थी कोई खानदान में
रामवीर सिंह 'वीर' ने काव्य-पाठ करते हुए कहा -
कैसे बताएं हम आपन बीती।
जो कहना था कह नहीं पाए,
बदल गई जीवन की रीति।
इस अवसर पर इंदु रानी, सविता निर्मल, महेंद्र शर्मा, देवेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह, अनिल पाल सिंह क्षय, अजय सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।
:::::::प्रस्तुति::::::
**विवेक निर्मल
सचिव
विजयश्री वैल्फेयर सोसाइटी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश
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