शनिवार, 10 मई 2025

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह के दोहे और गीत ...आतंकी अड्डे हुए देखो मटियामेट...

 

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मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह 'ओंकार' के सात मुक्तक .....रण वीरों ने कर दिया, आप्रेशन सिंदूर। आतंकी गढ़ कर दिए, बिल्कुल चकनाचूर ।।



(1)

जाति-धर्म के नाम पर, फैलाते आतंक। 

पूरी धरती के लिए, वे हैं बड़े कलंक।। 

ऐसे दुष्टों से करो, नहीं नर्म व्यवहार, 

इनको अब दण्डित करो, होकर सभी निशंक।। 

(2)

निर्दोषों को मारना, कहें धर्म का काज। 

ऐसा कहने पर उन्हें, तनिक न आती लाज। । 

इन्हें पढ़ाकर भेजते,      कई बड़े शैतान, 

लाशों पर इंसान की,    करते हैं ये राज।। 

(3)

पहलगाम में धर्म की, कर-करके पहचान। 

दुष्टों ने मारे सभी,   सज्जन थे इंसान।। 

इनको दण्डित कीजिए, कहीं न जाएँ भाग, 

ये मानव के नाम पर, सब ही हैं शैतान।। 

(4)

निर्दोषों को मारकर, करें घिनौना कर्म। 

और बताते हैं उसे, सबसे उत्तम धर्म।। 

रची सृष्टि जब ईश ने, मानव थे तब एक, 

दुष्ट सोच के लोग यह, कभी न समझें मर्म।। 

(5)

गीता में श्रीकृष्ण ने, दिया एक निर्देश। 

रक्षित मानवता करो, तभी बचेगा देश।। 

दुर्जन की पहचान कर, धनुष वाण ले हाथ, 

दुष्टों से संग्राम का, देते हैं आदेश।। 

(6)

रण वीरों ने कर दिया, आप्रेशन सिंदूर। 

आतंकी गढ़ कर दिए, बिल्कुल चकनाचूर।। 

आतंकी आका सभी, चकित रह गए देख, 

दुष्टों के अभिमान को, चोट लगी भरपूर।। 

(7)

अब भी यदि सुधरा नहीं, सुन ले पाकिस्तान। 

धरती से मिट जायगा, तेरा नाम- निशान।। 

भारत माँ के वीर ने, भरी अगर हुंकार, 

मिट्टी में मिल जाएंगे, तेरे सब शैतान।। 

✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार' 

मुरादाबाद 24400111

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की रचना ....सिंदूर उजाड़ा था जिसने, अब उसको सबक सिखाना है। हर भारतवासी अंगारा, अब पाकिस्तान निशाना है।।

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1)

बच्चा-बच्चा अब भारत का, भारत मॉं का सेनानी है।

बंदूक हाथ में लिए हुए, समझो हर हिंदुस्तानी है।। 

2)

सिंदूर उजाड़ा था जिसने, अब उसको सबक सिखाना है।

हर भारतवासी अंगारा, अब पाकिस्तान निशाना है।।

3)

हम भूल नहीं सकते उसको, जो पहलगाम हत्यारा है।

आतंकवाद के सॉंपों को, उनके घर घुसकर मारा है।।

4)

हम बुद्ध अहिंसक की धरती, लेकिन कमजोर नहीं मानो।

हम तांडव नृत्य जानते हैं, हमको त्रिशूल शिव का जानो।।

5)

हर युवा हिंद का सैनिक है, हर वृद्ध आग का गोला है।

खुल गया तीसरा नेत्र आज, अब दुश्मन डोला-डोला है।।

6)

संवाद कर रही बंदूकें, पापी को सबक सिखाती हैं।

अभिनंदन सेना का करतीं, आवाजें बढ़कर आती हैं।।

7)

हम हिंद नागरिक सच पूछो, तन-मन से युद्धाभ्यासी हैं।

मरने से नहीं डरे हैं हम, मृत्युंजय भारतवासी हैं।।

✍️  रवि प्रकाश 

बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), 

रामपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल 9997615451

गुरुवार, 8 मई 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यंत बाबा की रचना ...सेना की सौगंध

 


सेना ने सौगंध उठाकर, अपने मन में ठाना है

भारत माँ को वचन दे दिया, पाकिस्तान मिटाना है


जब-जब पुष्प दिए तुमको, तुमने शूल बिखेरे हैं

जब भी तम को खोना चाहा, तुमने चुने अँधेरे हैं

बहुत हुए संवाद दया के, अब गीता ज्ञान सुनाना है।


अन्न दिया खाने को तुमको, और नीर भी पीने को

पर कश्मीर जुवां पर लाकर, आग लगा दी सीने को

खूब पिलाया पानी तुमको, अब भूखे पेट सुलाना है


कितने सुहाग उजाड़े तुमने, अब उजड़े सिंदूर नही

पाकिस्तान नही होगा अब, शुभ अवसर यह दूर नही 

दानवता के अंत समय तक, सिंदूरी मिशन चलाना है


सत्य, अहिंसा और दया का, सबको ज्ञान दिया हमने

हिंसा बोकर सकल विश्व में, इज्जत खोई है तुमने

धर्म पूछकर गलती कर दी, तुमको धर्म सिखाना है


सेना ने सौगंध उठाकर, अपने मन में ठाना है

भारत माँ को बचन दे दिया, पाकिस्तान मिटाना है

✍️दुष्यंत बाबा 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

बुधवार, 7 मई 2025

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का मुक्तक.... सिंदूर हिंद का अभिमानी, सिंदूरी अब जयकारा है

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सिंदूर हिंद का अभिमानी, सिंदूरी अब जयकारा है

लातों के भूतों के सिर से, भारत ने भूत उतारा है 

भारत माता की जय कहते, सड़कों पर भारत के वासी 

मंगल की रात हुआ मंगल, जय महावीर जय नारा है 


 ✍️ रवि प्रकाश

बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज) 

रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल 9997615451

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी की सजल.....भारत माँ का गुस्सा तेरा, सर्वनाश ही कर देगा, चुन-चुन कर मारेगा उनको, जिनसे हाथ मिलाता तू!


दो-दो  बार  हराया   तुझको,

फिर  भी  बाज  न  आता तू,

भारत भू  पर पग  धरने  का,

दुस्साहस    दिखलाता     तू,


तेरे     पाले     हुए    सपोले,

तुझको    ही   डस    जाएंगे,

शीघ्र  मिला   देंगे   मिट्टी   में,

जिनको   दूध   पिलाता   तू!


भारत  माँ  का  गुस्सा   तेरा,

सर्वनाश    ही    कर     देगा,

चुन-चुन  कर  मारेगा उनको,

जिनसे   हाथ   मिलाता   तू!


बम-परमाणु क्या  कर लेगा?

समय   तुझे   समझा   देगा!

खो देगा  तुझको  दुनिया  से,

जिस  बम  पर  इठलाता  तू!


बड़े - बड़े   आतंकी   आका,

तेरे    काम      न      आएंगे!

बेमतलब   सोने - चांदी   के,

उनको  कौर   खिलाता   तू!


भुला दिया तूने उस  रब  को,

तू     कैसा     रहमानी      है?

अजहर,हाफिज के नामों की,

माला    रोज    हिलाता    तू!


अभी समय है  हद में रह  ले,

बार  -  बार    चेताता       हूँ!

सबको ही मिटने  का डर  है,

क्यों  मन  को  बहलाता   तू?


हम   भारत   माता   के  बेटे,

आदर्शों      में     जीते      हैं!

अल्लाहकी रहमत को पगले,

अक्सर  ही   झुठलाता     तू!

✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी" 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर       

9719275453

                 

मुरादाबाद के साहित्यकार केपी सिंह सरल की दो कुंडलियां ... "पहलगाम का बदला"

(1)
फौजी इस  अभियान का, नाम रखा सिंदूर। 

घर   बैठे  ही    पा    गये, दुष्ट बहत्तर  हूर।।

दुष्ट  बहत्तर   हूर, हो   गयी    बल्ले   बल्ले। 

कर  भारी  संहार, दुखी  हैं अब  कठमुल्ले।। 

वीरों को जयहिंद, 'सरल' कह मन का मौजी। 

कहता सब  संसार, वीर  भारत के   फौजी।।

(2)

बदला भारत ने लिया, भारी    किया   प्रहार। 

नौ आतंकी जगह को, कर  दीन्हा   बिसमार।। 

कर  दीन्हा   बिसमार, मच   गयी  हाहाकारी। 

मरे     सैकड़ों      दुष्ट, मिसाइल बरसीं भारी।। 

पन्द्रह   दिन  के  बाद, किया फौजौं ने हमला। 

नाम    रखा    सिंदूर, लिया   सिंदूरी   बदला।। 

✍️ के पी सिंह 'सरल'

मिलन विहार

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत




  

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की हुंकार .... सिंदूर देखकर मारा था, हम ढूँढ- ढूँढ कर मारेंगे।

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सिंदूर देखकर मारा था, हम ढूँढ- ढूँढ कर मारेंगे 


1) मत फूल समझकर भूल करो, हम फूल नहीं अंगारे हैं। 

हम राम -कृष्ण के वंशज हैं, लाखों दानव संहारे हैं।। 


2)सिंदूर देखकर मारा था, हम ढूँढ- ढूँढ कर मारेंगे। 

है कसम हमें  भारत माँ की, धरती का भार उतारेंगे।। 


3)यह धर्म सनातन अक्षय है, ,यह धर्म सदा से निर्भय है। 

पूरब -पश्चिम,उत्तर- दक्षिण, केवल भारत की जय जय है।। 


✍️मीनाक्षी ठाकुर

मिलन विहार

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मंगलवार, 6 मई 2025

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से चार मई 2025 को आयोजित काव्य-गोष्ठी

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार चार मई 2025 को काव्य-गोष्ठी का आयोजन मिलन विहार स्थित मिलन धर्मशाला में हुआ। 

       ओंकार सिंह ओंकार द्वारा प्रस्तुत माॅं शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रघुराज सिंह निश्चल ने आतंकवाद पर विचार रखते हुए कहा - 

जय पाना आतंकवाद पर, लगता कठिन प्रतीत रे। 

घर में ही जब साॅंप पल रहे, कैसे होवे जीत रे।।

    मुख्य अतिथि डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा - 

गोलों के बीच, 

तोपों के बीच , 

दब गई आवाज 

चीखों के बीच, 

घुटता है दम अब 

बारूदी झोंको के बीच 

       विशिष्ट अतिथि के रूप में समीर तिवारी ने व्यंग्य के पैने तीर इस प्रकार छोड़े - 

पैर पसारे सो रहे, अफसर लेकर घूस। 

आग ओढ़कर जी रही, झोपड़ियों की फूस।।

  कार्यक्रम का संचालन करते हुए जितेंद्र जौली ने कहा ....

दो वक्त की रोटियाॅं, उसको नहीं नसीब। 

गर्मी में फुटपाथ पर, सोता मिला गरीब।।

    रामदत्त द्विवेदी की व्यथा थी - 

स्थिति उसकी हुई है मीन जैसी। 

या तड़फती जल बिना कोई मीन जैसी।

   ओंकार सिंह ओंकार ने अपने भावों को शब्द देते हुए कहा - 

जाति-धर्म के नाम पर, फैलाते आतंक। 

पूरी धरती के लिए, वे हैं बड़े कलंक।।

 ऐसे दुष्टों से करो, नहीं नर्म व्यवहार। 

अब इनको दण्डित करो, होकर सभी निशंक।।

     पदम बेचैन के अनुसार - 

शिक्षक आपस में नाराज,

खुशहाली कहाॅं से आए। 

      योगेन्द्र वर्मा व्योम के उद्गार थे - 

निर्दोषों के खून से, हुई धरा भी लाल। 

भारत मां इस हाल पर, करती बहुत मलाल।। 

पहलगाम से देश को, मिला यही संदेश। 

अबकी जड़ से ख़त्म हो, आतंकवादी क्लेश।। 

       मनोज वर्मा मनु का कहना था - 

उम्मीद थी कि उनसे मिलेंगे ज़रूर हम, 

होगी कभी किस्मत भी मेहरबान एक दिन।

     राजीव प्रखर ने देश के लिए बलिदान करने वालों को नमन करते हुए कहा - 

मातृभूमि पर बलि होने के, अनगिन सपने पलते हैं।कोमल कण कोमलता तज कर, अंगारों में ढलते हैंतब नैनों का नीर सूख कर, रच देता है नवगाथा, जब भारत के वीर बाॅंकुरे, लिए तिरंगा चलते हैं।

      रवि चतुर्वेदी ने दुश्मन देश को चेतावनी देते हुए कहा - 

भारत का हर बच्चा-बच्चा, 

घातक एटम बम होगा।

मीनाक्षी ठाकुर की अभिव्यक्ति थी - 

उग रहा सूरज नया 

हर एक पथ पर, 

सो गया दानव, 

मनुज में देव जागा। 

देख अपनी ओर 

आता रोशनी को, 

मुँह छुपा अंँधकार 

उल्टे पांँव भागा।

 धूप आकर अंजुरी में 

भर गयी है। 

रात ने देखी सुबह तो 

 डर गयी है। 

रामदत्त द्विवेदी ने आभार अभिव्यक्त किया। 




























रविवार, 27 अप्रैल 2025

मुरादाबाद के भारतेंदु युगीन साहित्यकार पंडित बलदेव प्रसाद मिश्र की नाट्य कृति ...प्रभास मिलन । इसका प्रकाशन श्री वेंकटेश्वर स्टीम प्रेस द्वारा वर्ष 1903 में हुआ था। इस दुर्लभ कृति की एक प्रति साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय में संरक्षित है।


 क्लिक कीजिए और पढ़िए पूरी कृति 

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प्रस्तुति

डॉ मनोज रस्तोगी

संस्थापक

साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9456687822

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष वीरेन्द्र कुमार मिश्र के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित डॉ मनोज रस्तोगी का आलेख। यह प्रकाशित हुआ है दैनिक जागरण मुरादाबाद संस्करण के 27 अप्रैल 2025 के सबरंग पेज पर

 


मुरादाबाद के साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा व्योम के पहलगाम में आतंकवादी हमले पर दस दोहे

 


1.

सन सैंतालिस में हुआ, भारत जब आज़ाद ।

उसी समय से चल रहा, यह कश्मीर विवाद।।

2.

हर दिन आतंकवाद से, त्रस्त रहा कश्मीर । 

सहन न अब कर पा रहा, अपने मन की पीर।।

3.

कब से सीमा पर खड़ीं, सेनाएं तैनात ।

खत्म नहीं अब भी हुआ, घाटी में उत्पात ।।

4.

निर्दोषों के खून से, हुई धरा भी लाल ।

भारत मां इस हाल पर, करती बहुत मलाल ।। 

5.

पहलगाम ने देश को, दिया यही संदेश ।

अबकी जड़ से खत्म हो, आतंकवादी क्लेश ।।

6.

बनना अब बिल्कुल नहीं, हमें शांति का दूत।

बातों से ना मानते, हैं लातों के भूत ।।

7.

लोहे से लोहा कटे, काट सके ना फूल ।

चुभे पैर में शूल तो, उसे निकाले शूल ।।

8.

पढ़ लो तुम इतिहास को, हो यदि नहीं यकीन । 

दुष्ट साथ हो दुष्टता, नीति यही प्राचीन ।।

9.

गोली खाकर बर्फ में, सोये वीर जवान ।

व्यर्थ न जाना चाहिए, वीरों का बलिदान ।।

10.

दृढ़ता से हो फैसला, असमंजसता छोड़ । 

अबकी पाकिस्तान को, दो जबाब मुँहतोड़ ।।

11.

ये ही है जन भावना, ये ही हैं उदगार ।

यादगार यह युद्ध हो, अबकी अंतिम बार ।।

12.

करो युद्ध प्रारंभ ! हो, विजयी हिंदुस्तान । 

नक्शे पर दीखे नहीं, पापी पाकिस्तान ।।


✍️ योगेन्द्र वर्मा व्योम

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

सोमवार, 21 अप्रैल 2025

साहित्य एवं संगीत को समर्पित मुरादाबाद की संस्था 'हरसिंगार' की ओर से प्रख्यात साहित्यकार कीर्तिशेष माहेश्वर तिवारी की प्रथम पुण्यतिथि 16 अप्रैल 2025 को आयोजित समारोह में देहरादून से प्रकाशित मासिक पत्रिका सरस्वती सुमन के माहेश्वर तिवारी स्मृति विशेषांक का लोकार्पण तथा पत्रिका के संपादक आनन्द सुमन सिंह को सम्मानित किया गया....


 साहित्य एवं संगीत को समर्पित मुरादाबाद  की संस्था 'हरसिंगार' के तत्वावधान में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भवन में प्रख्यात साहित्यकार कीर्तिशेष माहेश्वर तिवारी की प्रथम पुण्यतिथि पर 16 अप्रैल 2025 को आयोजित भव्य समारोह में देहरादून से प्रकाशित प्रतिष्ठित साहित्यिक मासिक पत्रिका 'सरस्वती सुमन' के "माहेश्वर तिवारी स्मृति विशेषांक" का लोकार्पण किया गया तथा पत्रिका के यशस्वी सम्पादक आनन्द सुमन सिंह को अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह, मानपत्र, श्रीफल भेंट कर 'माहेश्वर तिवारी स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया गया। 

    कवयित्री डॉ प्रेमवती उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से आरंभ कार्यक्रम में साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय के संस्थापक डॉ. मनोज रस्तोगी ने कीर्तिशेष दादा माहेश्वर तिवारी जी का परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा ....22 जुलाई 1939 को जनपद बस्ती (संत कबीर नगर) के ग्राम मलौली में जन्में माहेश्वर तिवारी ने मुरादाबाद के साहित्यिक इतिहास में न केवल हिन्दी काव्य की विधा नवगीत को जन्म दिया बल्कि उसे पल्लवित और पुष्पित भी किया। यही नहीं उन्होंने यहां एक ऐसा साहित्यिक परिदृश्य भी निर्मित किया जिसमें समकालीन और पूर्ववर्ती लेखन पर विचार-विमर्श हो और रचनाकर्म में मानवीय संवेदनाओं तथा जनसरोकारों की बात हो ।

   कार्यक्रम का संचालन करते हुए योगेन्द्र वर्मा व्योम ने लोकार्पित "माहेश्वर तिवारी स्मृति विशेषांक" के संदर्भ में जानकारी दी कि इस दस्तावेजी विशेषांक में देश भर के 51 साहित्यकारों के सारगर्भित आलेख और 17 साहित्यकारों के श्रद्धांजलि गीतों के अलावा माहेश्वर जी के गीत, गजलें, दोहे और एक कहानी सम्मिलित की गई है। इसके अतिरिक्त माहेश्वर जी से प्रयागराज के गीतकार यश मालवीय द्वारा लिया गया साक्षात्कार भी शामिल किया गया है। 

   कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अजय अनुपम ने कहा कि माहेश्वर तिवारी जी अपने समय के बड़े नवगीतकारों में शामिल थे। कविता के ताजेपन और भावों की भंगिमा के टटकेपन को  धारदार बनाने का काम उन्होंने बड़ी दक्षता के साथ किया। वह भारतीय सांस्कृतिक चेतना के सागर के गोताखोर थे।

    मुख्य अतिथि मंडलीय उपनिदेशक कृषि रक्षा प्रशांत कुमार ने कहा कि माहेश्वर तिवारी जी का समूचा सृजन मुरादाबाद ही नहीं देश की समृद्ध साहित्यिक विरासत है। अपनी विरासत को याद करना और याद रखना दोनों ही महत्वपूर्ण है, माहेश्वर जी अपने गीतों के माध्यम से हमारे बीच हमेशा जीवित रहेंगे।

    सम्मानित व्यक्तित्व आनंद सुमन सिंह ने कहा कि माहेश्वर जी एक बड़े साहित्यकार थे। उनकी स्मृति में सरस्वती सुमन का अप्रैल 2025 अंक माहेश्वर तिवारी स्मृति अंक के रूप में प्रकाशित किया गया है  जिसका अतिथि संपादन मुरादाबाद के नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम के द्वारा किया गया है। 

   विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ महेश दिवाकर ने कहा माहेश्वर तिवारी ने सृजन और मंच दोनों के द्वारा हिन्दी नवगीत को समृद्ध किया। उसे जन जन से जोड़ने का प्रयास किया। उनके नवगीतों में जन जीवन के विविध चित्र और अनुभूतियों की सहज अभिव्यक्ति मिलती है।उनकी भाषा शैली, बिंब विधान, प्रतीक विधान प्रभावी हैं और उसकी संवेदना आम आदमी से सहज ही जुड़ जाती है। यही नहीं संप्रेषण की क्षमता बेजोड़ है।

    विशिष्ट अतिथि के रूप में आकाशवाणी रामपुर की पूर्व सहायक केंद्र निदेशक मंदीप कौर ने अपने संस्मरण साझा करते हुए कहा माहेश्वर जी का आकाशवाणी रामपुर से संबंध केंद्र के स्थापना काल  से रहा। उनकी रचनाओं का काव्य सौष्ठव, नवगीतों की शास्त्रीयता, गीतों का प्रवाह, और विराट व्यक्तित्व का प्रभाव, ऐसा अद्भुत कि सभी के दिलों को छुए। जैसी अनोखी कविता, वैसा ही गीत सुनाने का विलक्षण अंदाज़, पारंपरिक शैली से बिल्कुल अलग, बिल्कुल निराला, यही निरालापन, यही अनूठापन माहेश्वर तिवारी जी की पहचान बना। 

     विशिष्ट अतिथि के के मिश्र ने कहा कि माहेश्वर तिवारी का सान्निध्य मन को ऊर्जा से भर देता था। दयानंद आर्य कन्या महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्ता ने कहा कि मुरादाबाद की साहित्यिक गतिविधियों के वह केंद्र बिंदु थे । उनकी उपस्थिति के बिना कोई भी साहित्यिक आयोजन अधूरा माना जाता था। 

      आकाशवाणी रामपुर के वरिष्ठ उद्घोषक असीम सक्सेना ने कहा आकाशवाणी संग्रहालय के लिए उनके तीन घंटे के साक्षात्कार की रिकॉटिंग के दौरान मिला, मैं इसे अपना सौभाग्य ही कहूँगा कि यह अमूल्य रिकॉर्डिंग मैने की। साक्षात्कारकर्ता श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' के हर प्रश्न का इतनी सरलता और सहजता के साथ माहेश्वर जी ने ऐसे जवाब दिया मानो अपनी जिन्दगी की परत दर परत खोल रहे हों। निश्छल मन, सादगी भरी मुस्कान, यह छवि मेरे मन में सदैव विद्यमान रही और आगे भी रहेगी, शायद हमेशा रहेगी। 

   वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई ने संकेत द्वारा उनको सम्मानित किए जाने तथा सागर तरंग प्रकाशन द्वारा उनके नवगीतों का संग्रह सच की कोई शर्त नहीं के प्रकाशन का उल्लेख करते हुए संस्मरण साझा किए।

   बाबा संजीव आकांक्षी, विवेक निर्मल, शिखा गुप्ता, डॉ कृष्ण कुमार नाज आदि ने भी यशभारती कीर्तिशेष दादा माहेश्वर तिवारी जी का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उनके कालजयी रचनाकर्म पर चर्चा की। 

     इस अवसर पर स्थानीय रचनाकारों द्वारा कीर्तिशेष दादा माहेश्वर तिवारी जी के कुछ लोकप्रिय गीतों की प्रस्तुति दी गई। उनके सुपुत्र कवि समीर तिवारी ने दादा माहेश्वर जी का भोजपुरी गीत प्रस्तुत किया- "चढ़त असड़वा के बादर,अंखियां में काजर पारै, बुनिया सनेहिया का सागर रहि रहि मनवा में ढारै..."। वरिष्ठ कवयित्री डा. प्रेमवती उपाध्याय ने दादा का गीत प्रस्तुत किया- "याद तुम्हारी जैसे कोई कंचन कलश भरे...", युवा कवि मयंक शर्मा ने दादा का गीत प्रस्तुत किया- "मन का वृन्दावन हो जाना कितना अच्छा है...", वरिष्ठ कवि वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने दादा का गीत प्रस्तुत किया- " डबडबाई है नदी की आँख बादल आ गए हैं..." कवि एवं शायर मनोज मनु ने दादा का गीत प्रस्तुत किया- " छोड़ आए हम अजानी घाटियों में, प्यार की शीतल हिमानी छाँह..." कवयित्री डा. अर्चना गुप्ता ने दादा का गीत प्रस्तुत किया- "एक तुम्हारा होना क्या से क्या कर देता है, बेजुबान छत-दीवारों को घर कर देता है..." अतुल गुप्ता ने दादा का गीत प्रस्तुत किया- "यह पीले कुरते सा दिन, नारंगी पगड़ी सी शाम,आजा कर दूं तेरे नाम..." एवं योगेंद्र वर्मा व्योम ने ....एक चिड़िया धड़कनों में चहचहाती है.. गीत प्रस्तुत किया।

    कार्यक्रम में ऋचा पाठक, हेमा तिवारी भट्ट, शिखा रस्तोगी, धवल दीक्षित, सुशील शर्मा, दुष्यंत बाबा, डॉ उन्मेश सिन्हा, जय प्रकाश मिश्र, डॉ मीनू मेहरोत्रा, संतोष गुप्ता, राजीव सक्सेना, डॉ प्रदीप शर्मा, रामदत्त द्विवेदी, ओंकार सिंह ओंकार, जिया जमीर, फरहत अली खान, राहुल शर्मा, डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन, राजीव प्रखर, राजू , राजीव व्यास, शिवम वर्मा आदि उपस्थित थे। संयोजक  बाल सुंदरी तिवारी, आशा तिवारी, समीर तिवारी एवं अक्षरा तिवारी द्वारा आभार-अभिव्यक्ति की गई।