मंगलवार, 22 जुलाई 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष माहेश्वर तिवारी की याद में भोपाल के साहित्यकार मनोज जैन का गीत ...



याद माहेश्वर तिवारी जी हमें,

अब आ रहे हैं।


हों जहाँ भी वहीं महफ़िल, 

लूट लेते थे।

आरोह या अवरोह में कब, 

छूट लेते थे।


हैं जहाँ भी इस समय वह मगन,

हो मुस्का रहे हैं।

याद माहेश्वर तिवारी जी हमें,

अब आ रहे हैं।


प्रेम रस के थे पुजारी,

प्रेम करते थे।

बोल हों ज्यों मोंगरे के,

फूल झरते थे।


गीत गजलों में पराई वेदना,

को गा रहे हैं।

याद माहेश्वर तिवारी जी हमें,

अब आ रहे हैं।


वह समय की नब्ज़ पर, 

रख हाथ गाते थे।

गीत की संवेदना में,

देश लाते थे।


मार्गदर्शक बन सभी को 

राह नव,

दिखला रहे हैं।

याद माहेश्वर तिवारी ,

जी हमें,

अब आ रहे हैं।


✍️ मनोज जैन, 

संस्थापक संपादक 

समूह / ब्लॉग वागर्थ 

106 विट्ठलनगर

गुफ़ामन्दिर रोड लालघाटी 

भोपाल 462030 

मध्य प्रदेश,भारत




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