रविवार, 13 जुलाई 2025

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में दिल्ली निवासी) आमोद कुमार का गीत ....


तुम तो नीले अम्बर मे जा मस्त पवन के संग संग फिरतीं

मै धरा पर तुम्हें पुकारुॅं तुम न आतीं नभ पर उड़तीं


कुछ दिन तुम सपनों मे आईं

कुछ दिन तुमको गीत मे पाया

बहुत दूर तक मन तुम्हारे

संग संग जाकर वापस आया

   राह क्षितिज तक सीधी जाकर

   जाने कौन दिशा मे मुड़तीं

   मै धरा पर तुम्हें पुकारुॅं

   तुम न आतीं नभ पर उड़तीं


जब जब फूल खिले बगिया मे

याद किया टूटे सपनों को

भीड़ मे खुद ही गुम हो गए हम

हमने जब खोजा अपनो को

   गए दिनों की ठहरी यादें

   तुम्हारी स्मृति से आ जुड़तीं

   मै धरा पर तुम्हें पुकारुॅं

   तुम न आतीं नभ पर उड़तीं


बचपन के वह खेल निराले

याद बाबरी घर आंगन की

प्यार का अन्तिम भाव क्षमा है

मन मे ही रह जाती मन की

   अनकही सफर की बातें

    आॉंसू बनकर गिर गिर पड़तीं

    मै धरा पर तुम्हें पुकारुॅं

    तुम न आतीं नभ पर उड़तीं

तुम तो नीले अम्बर मे जा

मस्त पवन  के संग संग फिरतीं

  ✍️ आमोद कुमार, दिल्ली

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