बुधवार, 11 दिसंबर 2024

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष आनन्द कुमार गौरव की काव्य कृति ...मेरा हिंदुस्तान कहां है । वर्ष 1985–86 में राज पब्लिशिंग हाउस दिल्ली से प्रकाशित इस कृति में उनकी 51 रचनाएं हैं । भूमिका लिखी है मदन लाल वर्मा क्रांत ने ।

 


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::::::प्रस्तुति::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

संस्थापक

साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

वाट्स एप नंबर 9456687822


मंगलवार, 3 दिसंबर 2024

मुरादाबाद की संस्था कला भारती की ओर से 30 नवंबर 2024 को आयोजित कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' को कलाश्री सम्मान प्रदान किया गया

मुरादाबाद की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था कला भारती की ओर से शनिवार 30 नवंबर 2024 को वरिष्ठ साहित्यकार एवं इतिहासकार डॉ. अजय 'अनुपम' को कलाश्री सम्मान से अलंकृत किया गया। सम्मान-समारोह का आयोजन मिलन विहार स्थित आकांक्षा इंटर कॉलेज में हुआ। मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता बाबा संजीव आकांक्षी  ने की। मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार  एवं विशिष्ट  अतिथियों के रूप में रामदत्त द्विवेदी तथा हरि प्रकाश शर्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। 

 अलंकरण स्वरूप श्री अनुपम को अंग वस्त्र, मान-पत्र एवं प्रतीक चिह्न भेंट किए गये। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने डॉ. अजय अनुपम के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा वह न केवल एक संवेदनशील, सुहदय कवि हैं बल्कि  संस्कृत भाषा में रचे वैदिक ग्रंथों के एक समर्थ, सुयोग्य व कुशल काव्यानुवादक भी हैं। यही नहीं वह मुरादाबाद की विरासत को समृद्ध करने वाले इतिहासकार भी हैं। आमुक्ति, आभास, अग्नि साक्षी है, धूप धरती पे जब उतरती है, दर्द अभी सोए हैं, अविराम , सामवेद और अथर्ववेद का संपूर्ण काव्यानुवाद उल्लेखनीय कृतियां हैं। मान-पत्र का वाचन योगेन्द्र वर्मा व्योम द्वारा किया गया। 

 कार्यक्रम के अगले चरण में एक काव्य-संध्या का भी आयोजन किया गया जिसमें रचना पाठ करते हुए डॉ. अजय अनुपम ने कहा - 

जैसी जिसकी बिसात देता है। 

ग़म को हॅंस-हॅंस के मात देता है। 

साफ़ दिल से मदद करे कोई, 

तो यूं समझो ज़कात देता है।

 इसके अतिरिक्त महानगर के रचनाकारों कमल शर्मा, राजीव प्रखर, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ, पल्लवी भारद्वाज, ज़िया ज़मीर, राजीव सक्सेना, नकुल त्यागी, रामसिंह निशंक, ओंकार सिंह ओंकार, वीरेन्द्र ब्रजवासी, रामदत्त द्विवेदी, बाबा संजीव आकांक्षी आदि ने काव्य-पाठ किया। 

कार्यक्रम के अंत में नजीबाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार श्री महेन्द्र अश्क के निधन पर उपस्थित साहित्यकारों द्वारा दो मिनट का मौन रखते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने आभार-अभिव्यक्त किया।