मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से रविवार एक दिसंबर 2024 को वरिष्ठ साहित्यकार रामदत्त द्विवेदी के काव्य-संग्रह "खुद को बदलना होगा" का लोकार्पण मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में हुआ। राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से एवं उनके संचालन में आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. महेश 'दिवाकर' ने की। मुख्य अतिथि डॉ. प्रेमवती उपाध्याय एवं विशिष्ट अतिथियों के रूप में रघुराज सिंह निश्चल एवं ओंकार सिंह ओंकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। सम्मानित साहित्यकार रामदत्त द्विवेदी का जीवन परिचय अमर सक्सेना ने प्रस्तुत किया।
श्री द्विवेदी जी की साहित्यिक साधना पर अपने विचार रखते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. महेश 'दिवाकर' ने कहा - "द्विवेदी जी का साहित्यिक समर्पण व सक्रियता सभी के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण है। बढ़ती आयु में भी समाज को निरंतर कुछ अच्छा देने का प्रयास निश्चित रूप से वंदनीय है। समाज के आम व्यक्ति के जीवन को वह कुशलतापूर्वक अपनी रचनाओं में चित्रित करते हैं।"
कार्यक्रम के अगले चरण में एक काव्य-संध्या का भी आयोजन किया गया जिसमें काव्य-पाठ करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा -
"हर बार नहीं खुद की कही चाल पर चलो,
कभी दूसरों के दिल में भी दिल डालकर चलो।
तुम सिर्फ़ अपने घर को ही सजाने में मत लगो,
औरों के झोंपड़े में दीये बाल कर चलो।"
इसके अतिरिक्त दुष्यंत बाबा, राजीव प्रखर, योगेन्द्र वर्मा व्योम, वीरेन्द्र ब्रजवासी, डॉ. मनोज रस्तोगी, जितेन्द्र जौली, नकुल त्यागी, प्रतीक्षा, ऊषा शर्मा, प्रतीक, डॉ. ब्रजेश तिवारी, डॉ. राजबाला, नकुल त्यागी आदि ने अपना-अपना काव्य-पाठ एवं विचार-अभिव्यक्ति करते हुए श्री द्विवेदी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित कीं।
इस अवसर पर साहित्यिक संस्था "हस्ताक्षर" की ओर से योगेन्द्र वर्मा व्योम एवं राजीव प्रखर द्वारा श्री द्विवेदी को अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया। जितेन्द्र जौली द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम समापन पर पहुॅंचा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें