मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में, संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी पावन स्मृति में महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार विवेक निर्मल को 'राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें मानपत्र, श्रीफल, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न भेंट किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.महेश दिवाकर ने की। मुख्य अतिथि बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में दयानंद महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्ता एवं गजलकार ओंकार सिंह ओंकार रहे। मां शारदे की वंदना कवि रामसिंह नि:शंक ने प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया।
इस अवसर पर सम्मानित कवि विवेक निर्मल ने काव्य पाठ करते हुए सुनाया-
"जिंदगी यदि प्रश्न है तो फिर, आओ इसमें हल तलाशें हम, जिंदगी में प्रश्न तो उलझे बहुत है, किंतु इसमें प्रश्न अनसुलझे बहुत है, जिनका हल करने में आते द्वंद भी, जिंदगी में हम स्वयं उलझे बहुत हैं, जिंदगी यदि आज है तो फिर, आओ इसमें कल तलाश में हम...।"
सम्मानित साहित्यकार विवेक निर्मल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रकाश डाला गया। सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने साहित्यिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में विवेक निर्मल द्वारा किए गए योगदान को सराहते हुए उन्हें साहित्य जगत का सशक्त रचनाकार बताया। डॉ.महेश दिवाकर ने कहा कि संस्था के संस्थापक स्व० राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग जी के हिन्दी के लिए किये गए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, उन्होंने अनेक रचनाकारों को प्रकाश में लाने का कार्य किया है।
इसके पश्चात कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जितेन्द्र कुमार जौली, योगेन्द्र वर्मा व्योम, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, रामदत्त द्विवेदी, डॉ. मनोज रस्तोगी, नकुल त्यागी, राजीव प्रखर, अशोक विद्रोही, पदम सिंह बेचैन, उमाकांत गुप्ता, राम सिंह नि:शंक, उदय सक्सेना अस्त, रवि चतुर्वेदी आदि ने काव्य पाठ किया। संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने आभार अभिव्यक्ति प्रस्तुत की।
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