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मंगलवार, 7 मई 2024

उर्दू साहित्य शोध केंद्र मुरादाबाद की ओर से रविवार 5 मई 2024 को यादें सतीश फिगार कार्यक्रम आयोजित



मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष सतीश कुमार गुप्ता फि़गार मुरादाबादी को याद करते हुए उर्दू साहित्य शोध केंद्र मुरादाबाद की ओर से रविवार 5 मई  2024 को आयोजित परिचर्चा में साहित्यकारों ने कहा सतीश फिगार का मुरादाबाद के उर्दू साहित्य में उल्लेखनीय योगदान रहा है।

 दीवान का बाजार में आयोजित कार्यक्रम यादें सतीश फिगार  का प्रारंभ उनके द्वारा लिखित हम्द (ईश वंदना) से मोहम्मद ज़हीन ने किया । कार्यक्रम संयोजक डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन ने सतीश फिगार की शख्सियत और शायरी के हवाले से एक विस्तृत आलेख प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने फि़गार साहब की शायरी एवं उनकी रचना धर्मिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मुरादाबाद के साहित्यिक इतिहास में सतीश फ़िगार एकमात्र हिंदू शायर हैं जिनका नातिया काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ। उनका निधन बीती 7 अप्रैल को हो गया था।

    प्रख्यात शायर मंसूर उस्मानी ने सतीश फ़िगार की शायरी पर बात करते हुए बताया कि कुछ शायरों के दरमियान किसी बिंदु पर चर्चा हो रही थी, फिगार साहब ने उस में भाग लेना चाहा तो उनसे कहा गया कि आप शायर नहीं है, इस चर्चा में भाग नहीं ले सकते हैं। फिगार साहब ने  उसी समय ठान लिया कि वह एक बड़ा शायर बनकर दिखाएंगे। अतः वह तत्कालीन प्रसिद्ध उस्ताद शायर शाहबाज अमरोही की खिदमत में पहुंच गए और उन्होंने उर्दू शायरी के छंद शास्त्र एवं व्याकरण में महारत हासिल की और मुरादाबाद के साहित्यिक पटल पर इस तरह छाए कि उन्होंने फिकरे जमील, ख्वाबे परेशान, अक्से जमाल, कौसर मिदहत और ख़लवत के अलावा देवनागरी में कसक और भीगे नयन जैसे संग्रहों से साहित्य को मालामाल किया।

     प्रसिद्ध नवगीतकार योगेंद्र वर्मा व्योम ने कहा की फिगार साहब का जाना न सिर्फ उर्दू साहित्य की अपूरणीय क्षति है बल्कि हम लोगों का एक छायादार वृक्ष से वंचित हो जाना है। साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय के संस्थापक डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा कि हालांकि उम्र के आखिरी पड़ाव पर फि़गार साहब ने सजल जैसी नई विधा में भी कहने की कोशिश की और उनके दो सजल संग्रह भी प्रकाशित हुए लेकिन वास्तव में वह ग़ज़ल के ही शायर थे। मुरादाबाद में जब-जब ग़ज़ल की बात होगी तो फि़गार साहब को भुलाया नहीं जा सकता। रघुराज सिंह निश्चल जी ने कहा कि फ़िगार साहब मेरे बहुत करीबी मित्र थे उन्होंने अपनी सारी जिंदगी उर्दू साहित्य की सेवा में लगा दी। सैयद मोहम्मद हाशिम कुद्दूसी ने कहा कि फ़िगार साहब सादा मिज़ाज और साफ कहने वाले इंसान थे, तकल्लुफ, बनावट और दिखावा ना तो उनकी ज़िंदगी में था और ना ही उनकी ग़ज़लों में नजर आता है। वह जो कुछ कहते थे साफ-साफ कहते थे। असद मौलाई ने कहा कि फिगार साहब मेरे पिता राहत मौलाई साहब के पास आते और घंटों शेरो शायरी पर गुफ्तगू करते थे। उनके दुनिया से जाने पर निश्चित तौर पर मुरादाबाद के साहित्य में एक बड़ा स्थान रिक्त हो गया है। इस अवसर पर डॉ मुजाहिद फ़राज़, इंजीनियर फरहत अली खान और ज़िया ज़मीर एडवोकेट ने भी विचार व्यक्त किए । उर्दू साहित्य शोध केंद्र के संस्थापक डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन ने सभी मेहमानों का धन्यवाद ज्ञापित किया। 





























:::::::::प्रस्तुति:::::::::

डॉ मोहम्मद आसिफ हुसैन

संयोजक 

उर्दू साहित्य शोध केंद्र मुरादाबाद 

8410544252

9457880988

रविवार, 5 मई 2024

मुरादाबाद के दिवंगत साहित्यकार अखिलेश वर्मा की स्मृति में शनिवार 4 मई 2024 को श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन



मुरादाबाद के स्वतंत्रता सेनानी भवन में आयोजित श्रद्धांजलि-सभा में कीर्तिशेष अखिलेश वर्मा जी का स्मरण करते हुए आज उपस्थित सभी साहित्यकारों की आंखें नम हो गईं। विदित हो कि महानगर मुरादाबाद के साहित्यिक परिदृश्य  पर एक लंबे अरसे तक चर्चित व लोकप्रिय रहे सुविख्यात ग़ज़लकार एवं लघुकथा लेखक श्री अखिलेश वर्मा का रविवार 28 अप्रैल 2024 को बरेली में हुई सड़क दुर्घटना में असमय निधन हो गया था। उनकी स्मृति में हुई श्रद्धांजलि सभा में  साहित्यकारों ने उनके साथ अपने संस्मरणों को साझा करते हुए अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। 

कीर्तिशेष अखिलेश वर्मा का स्मरण करते हुए वरिष्ठ कवि रघुराज सिंह निश्चल ने कहा - "निष्ठुर काल ने हमसे एक और प्यारा इंसान व बेहतरीन शायर छीन लिया। उनकी रचनाएं हमें सदैव उनका स्मरण कराती रहेगी।" 

    वरिष्ठ कवि श्रीकृष्ण शुक्ल ने कहा -"अपने मधुर व्यवहार  से अखिलेश जी ने प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में एक विशिष्ट स्थान बनाया। उनके व्यक्तित्व की सरलता उनकी रचनाओं में भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है।" 

वरिष्ठ शायर डॉ. कृष्ण कुमार नाज़ की भावुकता भी अखिलेश जी को याद करते हुए इस प्रकार झलक उठी  - "अखिलेश वर्मा हमारे बीच में नहीं है, मन इस बात को मानने को अब भी तैयार नहीं। शायरी का एक जगमगाता दीपक समय से पूर्व ही विश्राम पर चला गया।" 

 डॉ. मनोज रस्तोगी के अनुसार -"कीर्तिशेष अखिलेश जी के अप्रकाशित साहित्य को सभी के प्रयासों से प्रकाशित कराया जायेगा। लोकप्रिय ब्लॉग साहित्यिक मुरादाबाद को आगे ले जाने में उनकी एक बड़ी भूमिका रही।" 

कवयित्री डॉ. अर्चना गुप्ता के अनुसार - "अखिलेश जी भौतिक रूप से आज भले ही हमारे बीच न हों परंतु अपने साहित्यिक अवदान में सदा उपस्थित रहेंगे।" 

वरिष्ठ नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम का कहना था -"श्री अखिलेश वर्मा ने अल्प समय में ही साहित्य को बहुत कुछ दिया। वह अपनी उत्कृष्ट रचनाओं में अमर रहेंगे। उनका अप्रकाशित साहित्य प्रकाशन तक जाना चाहिए।" 

कवि मनोज मनु के अनुसार - "अभी भी मन यही कह रहा है कि अखिलेश जी यहीं कहीं आसपास हैं। उनकी अद्भुत रचनाओं ने सभी के हृदय को भीतर तक स्पर्श किया।" 

महानगर के रचनाकार राजीव प्रखर का कहना था - "अखिलेश जी के व्यक्तित्व में विद्यमान सरलता, सौम्यता एवं जीवटता ने उन्हें एक बड़ा रचनाकार बनाया। उनका साहित्यिक समर्पण सभी को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।" 

कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर भी अखिलेश जी का स्मरण करते हुए अत्यंत भावुक हो उठीं। उनका कहना था - "अखिलेश जी ने साहित्य के क्षेत्र में पग पग पर मेरा मार्गदर्शन किया मेरी साहित्यिक-यात्रा में उनका बहुत बड़ा योगदान है।" 

वरिष्ठ समाजसेवी धवल दीक्षित का कहना था - "अल्प समय में ही अखिलेश जी साहित्य व समाज को ऐसी रोशनी दे गये हैं जिसे शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं।" 

कवि मयंक शर्मा का कहना था - "अखिलेश जी की रचनाएं ज़मीन से जुड़ी हुई रचनाएं हैं। उनका असमय चले जाना समाज की एक बड़ी क्षति है।" 

कवि दुष्यंत बाबा ने कहा - "अखिलेश वर्मा जी का असमय चले जाना साहित्य एवं मानवता दोनों के लिए एक ऐसी क्षति है जिसकी पूर्ति करना संभव नहीं होगा।" 

कवि राशिद हुसैन के अनुसार -"अखिलेश जी को पढ़ते-सुनते हुए ही मैं ग़ज़ल लेखन की ओर आकर्षित हुआ। उनका चले जाना निश्चित रूप से एक अपूर्णीय क्षति है।" 

युवा कवि आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ के अनुसार - "अखिलेश जी की रचनाएं उनकी उपस्थिति का आभास कराती रहेंगी।" 

इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी राजेश सक्सेना,  कीर्तिशेष अखिलेश वर्मा जी के परिवार से उनके बड़े भ्राता श्री अवनेश वर्मा, श्री अशोक वर्मा, श्रीमती इंदु वर्मा, अखिलेश जी के सुपुत्र लक्ष्य वर्मा तथा भतीजे ऋषभ वर्मा ने भी उनकी स्मृतियां को साझा करते हुए उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। अंत में अखिलेश जी की स्मृति में दो मिनट के मौन एवं शांति पाठ के पश्चात् श्रद्धांजलि-सभा पूर्ण हुई।