बुधवार, 28 जून 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर (वर्तमान में गाजियाबाद निवासी ) की साहित्यकार रूपा राजपूत की ग़ज़ल ...जाकर वापस आने में यार! ज़माना लगता है


 ख़ुद को ढूँढ़ के लाने में यार! ज़माना लगता है

यूँ पागल हो जाने में यार ! ज़माना लगता है


मेरी हँसती आँखों में आँसू ठहरे पाओगे

रोके अश्क बहाने में यार ! ज़माना लगता है


हमको उनसे इश्क़ हुआ जाने कब कह पाएँगे

दिल की बात बताने में यार! ज़माना लगता है


कितनी रातों की नींदें  लूटीं उला-सानी ने

 मिसरों को बैठाने में यार! जमाना लगता है


'रूपा' आख़िर कब तक तू उनका रस्ता देखेगी 

जाकर वापस आने में यार! ज़माना लगता है


✍️ रूपा राजपूत 

गाजियाबाद

उत्तर प्रदेश, भारत


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