हरण कर त्रय ताप, माँ ,
पावन जगत को कर रही है ।
गिरि शिखर से अवतरित गंगे
तू कल - कल बह रही है
माँ ! विमल जलधार से तू ,
तृप्त करती ,तृषित जन को ।
रूपसी तू प्रकृति निर्मल ,
मौन रह कुछ कह रही है ।
हरण कर त्रय ताप जग के ,
तू जगत पावन कर रही है ।।
तेरी निर्मल धार अविरल ,
बह रही शिव शीश रह कर ।
तेरे तट उपजीं ऋचाएँ ,
गहन आरण्यक निरन्तर ।।
तोड़ गिरि - मरू श्र॔खलाएँ ,
चंचला सी बह रही है ।
हरण कर त्रय ताप जग के ,
पावन जगत को कर रही है ।।
समर्पित घृत , पुष्प चंदन ,
नैवेद्य अक्षत,अगरू ,रोली ।
पूर्ण कर मन कामनाएँ ,
माँ भरो जन जन की झोली ।।
बाँट कर जग को विमलता ,
नित कलुषता सह रही है ।
हरण कर त्रय ताप ,माँ ,
तू जगत पावन कर रही है ।।
✍️ शिव कुमार चंदन
सीआरपीएफ बाउण्ड्री , निकट- पानी की बड़ी टंकी ज्वालानगर, रामपुर ( उत्तर प्रदेश ) मोबाइल फोन नम्बर 6397338850
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