सोमवार, 27 सितंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद(जनपद बिजनौर) के साहित्यिक समूह 'सुमन साहित्यिक परी' की ओर से रविवार 26 सितंबर 2021 को स्ट्रीम यार्ड पर आयोजित ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी

       मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद (जनपद बिजनौर) के साहित्यिक समूह 'सुमन साहित्यिक परी'  की ओर से रविवार 26 सितंबर 2021 को स्ट्रीम यार्ड पर, विभिन्न काव्य विधाओं पर आधारित " उन्मुक्त काव्यधारा" नामक कार्यक्रम के अंतर्गत एक  ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका प्रसारण समूह के पेज दीपिका महेश्वरी 'सुमन'  पर लाइव किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ  मुरादाबाद के प्रतिष्ठित साहित्यकार राजीव प्रखर जी द्वारा  माँ सरस्वती की वंदना से किया गया।  

 कार्यक्रम में मुरादाबाद से वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कोरोना काल के संदर्भ में मुक्तक प्रस्तुत करते हुए कहा -

"सुन  रहे यह साल  आदमखोर है। 

हर तरफ  चीख, दहशत, शोर है ॥

मत कहो वायरस जहरीला बहुत। 

 इंसान ही आजकल कमजोर है॥"

मुरादाबाद से चर्चित रचनाकार राजीव प्रखर ने अपने मुक्तकों की प्रस्तुति से मंच को इस प्रकार सुशोभित किया-

"दूरियों का इक बवंडर, जब कहानी गढ़ गया ।

मैं अकेला मुश्किलों पर, तान सीना चढ़ गया ।

हाल मेरा जानने को, फ़ोन जब तुमने किया,

सच कहूँ तो ख़ून मेरा, और ज़्यादा बढ़ गया ।" 

मुरादाबाद से युवा साहित्यकार अरविंद कुमार शर्मा 'आनंद' ने अपनी सुंदर ग़ज़ल से दर्शकों को भावविभोर किया-

"वही मंज़िलें हैं, वही रास्ते हैं।

वही हौसले हैं, वही हादसे हैं॥"

मुरादाबाद से उपस्थित कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार थी ----- 

"सूरज प्राची से जब झांके , धरती पर मुस्काता कौन ।

खग समूह में पर फैलाये , कलरव गीत सुनाता कौन ।"

नजीबाबाद की कवयित्री दीपिका माहेश्वरी 'सुमन' (अहंकारा) ने ग़ज़ल के माध्यम से विश्वकर्मा जी को नमन वंदन किया----

" विश्वकर्मा जी हो जाए जगह धन्य जहां आकर रुकें। 

बन जाए प्यारा आशियाना जहां आकर रुकें ॥" 

काव्य-पाठ करते हुए प्रयागराज के वरिष्ठ ग़ज़ल कार अशोक श्रीवास्तव ने अपनी सुंदर गजल से मंच को इस प्रकार से शोभित किया-

"किसी के हाथ पीले हो रहे हैं, 

किसी के नैन गीले हो रहे हैं |" 

लखनऊ से व्यंग्य कवि मनमोहन बाराकोटी 'तमाचा लखनवी' ने मुक्तकों से मंच की शोभा बढ़ाई-

"संघर्ष की हर राह, कांटों की सेज होती है।

प्रतिभा विहीनों की चमक निस्तेज होती है।।

बनके यथार्थ चिन्तक, पैनी नजर जरूरी,

कलम की धार, तलवार से भी तेज होती है।।" 

कोलकाता से उपस्थित हुए वरिष्ठ कवि कृष्ण कुमार दुबे ने मनमोहक ग़ज़ल से मंच को सुशोभित किया-

"ले गया मंज़िल तलक जो रहगुज़र अच्छा लगा।

साथ जिसने है निभाया राहबर अच्छा लगा।"

कानपुर से साहित्यकार विद्याशंकर अवस्थी पथिक  ने कविता में चक्रव्यूह युद्ध नीति का वर्णन किया-

"चक्रव्यूह का नाम सुना तो धर्माचार्य भी घबड़ाये। 

रणभूमि में कल क्या होगा सोंच सोच कर चकराये। "

जबलपुर से सुप्रसिद्ध साहित्यकार बसंत कुमार शर्मा ने मंच को ग़ज़ल से सुशोभित किया-

" कुछ और नहीं यूँ ही सताने के लिए आ 

हक़ है मेरे दिल पर ये जताने के लिए आ

लखनऊ से ही प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ कुलदीप नारायण सक्सेना ने मंच को इस अंदाज़ में सुशोभित किया -

 " स्वप्न संजोना व्यर्थ नहीं है

बाधाओं का तर्क यही है

गिरना फिर साहस कर उठना

जीवन का बस अर्थ यही है

मेरठ से वयोवृद्ध साहित्यकार गोविंद रस्तोगी ने गीत विधा में मंच को इस प्रकाश शोभित किया-

" धरती के कण कण में राधे

मन में मन दर्पण में राधे।"

लखनऊ से वरिष्ठ कवि  मनोज कुमार श्रीवास्तव ने अपनी कविताओं से मंच को सुशोभित किया-

" मैं राष्ट्र धर्म मैं पुण्यकर्म

जो बलिदानों के गीत लिखे"

लखनऊ से सुप्रसिद्ध गीतकार राममूर्ति सिंह अधीर ने सुमधुर गीत से मंच को सुशोभित किया-----

"ये बादल क्यों आ जाते हैं,

क्यों मनमीत नहीं आते हैं?" 

खंडवा मध्य प्रदेश से प्रसिद्ध नाटककार सुधीर देशपांडे ने अपनी कविता से मंच को इस प्रकार सुशोभित किया-----

"बच्चों की चाहत

होती है

कंधों पर चढकर

आसमान को छूने की" 

 अशोक चौधरी  लखनऊ, आलोक रावत  लखनऊ, मिथिलेश बडगैयाजबलपुर, अनिल शर्मा अनिल  धामपुर,डॉ संगम लाल त्रिपाठी भंवर जी प्रतापगढ़, अशोक गिरि कोटद्वार, अमर चंद जैन फरीदाबाद आदि साहित्यकारों  ने समीक्षा चरण में भाग लिया

समूह-संस्थापिका तथा कार्यक्रम-संचालिका दीपिका महेश्वरी 'सुमन' द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया।











 :::::::: प्रस्तुति ::::::

 दीपिका महेश्वरी सुमन

 संस्थापिका'

 सुमन साहित्यिक परी' समूह

 नजीबाबाद, जनपद बिजनौर

 उत्तर प्रदेश, भारत

मंगलवार, 21 सितंबर 2021

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से आशियाना में कवयित्री डॉ रीता सिंह के आवास पर चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में  काव्य- गोष्ठी का आयोजन मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया। 

युवा कवि मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने अपनी चिर परिचित शैली में व्यंग्य का रंग भरते हुए कहा  - 

"सुन  रहे यह साल  आदमखोर है। 

हर तरफ  चीख, दहशत, शोर है। 

मत कहो वायरस जहरीला बहुत, 

इंसान ही आजकल कमज़ोर है।"

 मुख्य अतिथि के रूप में चंदौसी के वरिष्ठ रचनाकार  रमेश अधीर ने कहा --

 "मैं धरती का बाशिंदा हूँ धरती मुझको भाती है।

 आसमान में उड़ने वाली कला मुझे कब आती है।

 आज हवाओं का भी दामन दानवता ने दाग़ दिया,

 सुन-सुन कर क़िस्से कुटिलों के धरती धैर्य गँवाती है।" 

  विशिष्ट अतिथि के रूप में अखिलेश वर्मा ने ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए कहा ----

  "जो सोच रक्खे हैं सारे सवाल बदलेंगे

   ये उम्र बदलेगी तेरे ख़याल बदलेंगे

   उगलते ज़ह्र हैं इंसान का लबादा है 

   बरोज़ हश्र के ये अपनी खाल बदलेंगे"

कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने सुरक्षा के लिये सजग रहने वाले वीर सैनिकों को नमन करते हुए कहा - 

"निराशा ओढ़ कर कोई, न वीरों को लजा देना।

 नगाड़ा युद्ध का तुम भी, बढ़ा कर पग बजा देना।

 तुम्हें सौगन्ध माटी की, अगर मैं काम आ जाऊँ।

 बिना रोये प्रिये मुझको, तिरंगे से सजा देना।" 

कवयित्री डॉ. अर्चना गुप्ता ने अपने भावों को अपनी ग़ज़ल से अभिव्यक्ति देते हुए कहा - 

"मुहब्बत करेगी असर धीरे धीरे। 

उठेगी झुकी सी नज़र धीरे धीरे। 

चलो साथ मेरे क़दम तुम मिलाकर, 

लगेगा हसीं ये सफ़र धीरे धीरे।"

संयोजिका कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही - 

"मैं वेद पुराणों की गाथा। 

मैं भू का उन्नत सा माथा। 

मैं गंगा सतलज की धारा, 

मैं जग की आँखों का तारा।

मैं राम कृष्ण की धरती की,

नित लिखता नयी इबारत हूँ । 

मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ ....।"

युवा साहित्यकार मयंक शर्मा ने गीत की सुरीली तान कुछ इस प्रकार छेड़ी  -

 "मन ले चल अपने गाँव हमें शहर हुआ बेगाना,

  दुख का क्या है दुख से अपना पहले का याराना।"  

अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति करते हुए दुष्यंत बाबा ने कहा - 

  "सपने कागज पर उकेर कर खुद ही मिटाता हूँ।

 गर्मी, सर्दी, बर्षा के साथ गम भी सह जाता हूँ।

 भोजन के बाद सलाद में गालियां भी खाता हूँ।

 इतनी आसानी से कहाँ पुलिसकर्मी बन जाता हूँ।"  

 कवयित्री डॉ. रीता सिंह द्वारा आभार अभिव्यक्त

किया गया ।

















::::::::प्रस्तुति::::::::

राजीव प्रखर

डिप्टी गंज

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

सोमवार, 20 सितंबर 2021

वाट्स एप पर संचालित समूह "साहित्यिक मुरादाबाद" में प्रत्येक रविवार को वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाता है । इस आयोजन में समूह में शामिल साहित्यकार अपनी हस्तलिपि में चित्र सहित अपनी रचना प्रस्तुत करते हैं । रविवार 19 सितंबर 2021 को आयोजित 270 वें आयोजन में शामिल साहित्यकारों की रचनाएं उन्हीं की हस्तलिपि में ......














    :::::::::प्रस्तुति:;:;;;;;;
डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822       

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव 'प्रखर' को मेरठ में काव्यसागर हिन्दी दिवस सम्मान से किया गया सम्मानित

मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर को मेरठ (उ. प्र.) की प्रतिष्ठित 'काव्यसागर साहित्यिक संस्था' द्वारा रविवार 19 सितंबर 2021 को आयोजित समारोह में काव्यसागर हिन्दी दिवस सम्मान से सम्मानित किया गया। समारोह का आयोजन आर्यसमाज भवन, मेहंदी मुहल्ला, कंकरखेड़ा मेरठ में हुआ। 

 कवि अजीत कुमार अजीत द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता    करते हुए मेरठ के वरिष्ठ रचनाकार जगदीश प्रसाद  ने कहा -"साहित्य जगत में अपनी सतत् साधना व समर्पण के चलते राजीव प्रखर अल्पावधि में ही सभी के लिये एक अनुकरणीय उदाहरण बन चुके हैं।" 

     मुख्य अतिथि डाॅ. सरोजिनी तनहा'  ने अपने उद्बोधन में कहा - "ऐतिहासिक मुरादाबाद की पावन माटी में जन्मे व पले-बढ़े लोकप्रिय रचनाकार राजीव 'प्रखर' का व्यक्तित्व व कृतित्व आज देश के विभिन्न साहित्यिक पटलों को गौरवान्वित कर रहा है जिसके लिये वह अभिनन्दन के पात्र हैं।" 

विशिष्ट अतिथि कवयित्री डाॅ. मीनाक्षी शंकर ने कहा कि राजीव प्रखर ने दोहाकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की है ।

विशिष्ट अतिथि कवयित्री डाॅ. क्षमा गुप्ता ने कहा कि  अपनी रचनाओं के माध्यम से श्री प्रखर हिन्दी की सेवा कर रहे हैं।

विशिष्ट अतिथि कवि बलजोर सिंह चिंतक ने कहा कि राजीव प्रखर हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन कार्य कर साहित्य की सेवा कर रहे हैं।

 इस अवसर पर वरिष्ठ कवि राधेश्याम 'अंजान' के संचालन में काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया ।

विभिन्न साहित्यकारों डॉ मक्खन मुरादाबादी, डाॅ. मनोज रस्तोगी, आनंद गौरव, योगेन्द्र वर्मा व्योम, डाॅ. संगीता महेश, अशोक विश्नोई, जितेन्द्र कमल आनंद, सुभाष राहत बरेलवी, डाॅ. पूनम बंसल. सत्यपाल सत्यम, सूर्यकांत द्विवेदी, ओंकार सिंह विवेक, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, ओंकार सिंह ओंकार, डाॅ. अर्चना गुप्ता, डाॅ. ममता सिंह,  मीनाक्षी ठाकुर, रामदत्त द्विवेदी, रामसिंह निशंक, रघुराज सिंह निश्चल, हेमा तिवारी भट्ट, जितेन्द्र जौली, मयंक शर्मा, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ, ईशांत शर्मा ईशू , दुष्यंत बाबा, डाॅ. रीता सिंह, प्रीति शर्मा, डाॅ. अंजना दास, अर्चना शर्मा, डाॅ. तुषार अग्रवाल, डाॅ. कंचन सिंह, कंचन खन्ना   आदि ने राजीव 'प्रखर' को मेरठ में सम्मानित किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।






मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की कृति -- कहते रवि कविराय । इस कृति में उनकी 260 कुंडलियां हैं । इस कृति का प्रकाशन वर्ष 2021 में सहित्यपीडिया पब्लिशिंग नोएडा द्वारा किया गया है ।



क्लिक कीजिए और पढ़िये पूरी कृति
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::::::::प्रस्तुति:::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822


बुधवार, 15 सितंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा )की साहित्यकार रेखा रानी की रचना ----हिन्दी अपनी प्यारी भाषा , बच्चों सब अपनाओ रे


हिन्दी अपनी प्यारी भाषा , बच्चों सब अपनाओ रे ।

     मां की लोरी सी यह भाषा,सपनों में खो जाओ रे। 

    भारत मां के भाल पे बिंदी,हिन्दी से ही सजाओ रे।

    परियों वाली एक कहानी, इस भाषा में सुनाओ रे।

    पेंग बढ़ाओ झूला झूलो,मिल सब सावन गाओ रे।

    वही पुरानी चरखे वाली, पुस्तक मुझे दिलाओ रे।

    वेदों वाली अपनी हिन्दी, बच्चों सब अपनाओ रे।

    छोटी बहन है संस्कृत की,हिन्दी यह समझाओ रे।

   जग में मान बढ़े हिन्दी का, कुछ ऐसा कर जाओ रे।

   घर फैले रत्न हिन्दी का, मिलकर जुगत लगाओ रे।

    भावों की स्नेहिल नदिया, हिन्दी है बतलाओ रे।

   रेखा भारत की संस्कृति, राष्ट्र भाषा अपनाओ रे।    

  अपनी भाषा,अपना गौरव,परचम तुम लहराओ रे।

चहुँ ओर हो हिन्दी फैली, ज्ञान पुंज बिखराओ रे।

✍️ रेखा रानी

विजय नगर गजरौला,

जनपद अमरोहा,

उत्तर प्रदेश, भारत।


मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की कहानी ----धरती का स्वर्ग


        डल झील में शिकारे की सैर सचमुच एक आलौकिक आनंद का अनुभव कराती है दूर-दूर तक फैली हुई झील ...पानी में तैरते हुए अनेकों शिकारे ...झील में ही तैरती हुई अनेक दुकानें, कुछ फूलों से लगी हुई नावें और दूर-दूर बड़े ही भव्य दिखाई देने वाले पानी की सतह पर तैरते हुए हाउसबोट जैसे वास्तव में धरती पर स्वर्ग उतर आया हो... राहुल का परिवार दो शिकारों में

सैर कर रहा था एक में राहुल उसकी पत्नी  अनीताऔर पौत्र यश, दूसरे में भूमिका पीयूष उसके बेटी , दामाद और... उनके बच्चे ऋषि,अपाला ! यह पल बड़े अनमोल और अविस्मरणीय थे ।

झील के बीच में टापू पर पार्क की भी सैर की  ... नियत समय पर वापस आकर शिकारे फिर से पकड़ लिये ..... जब ड्राई फ्रूट्स की दुकान वाली नाव पास से गुजरी उससे अखरोट बादाम पिस्ता की खरीदारी की गई ।

..... अब निश्चय किया गया कि रात किसी हाउसवोट में गुजारी जाए ....!  हाउसवोट में नहीं ठहरे तो   कश्मीर घूमने का क्या आनंद...? शानदार हाउसबोट किराए पर लिया और अलग-अलग कमरों में चले गए हाउसबोट पर सभी कुछ था 3 बैडरूम ,एक ड्राइंग रूम, किचन, बालकनी , लेट्रिन बाथरूम अटैच, थोड़ी देर में सभी के लिए कॉफी आई फिर खाना खाया फिर सब मिलकर बातें करने लगे......

    ....सोने के लिए जाने ही वाले थे कि अचानक गोली चलने की आवाज आई...!! सभी लोग डर गए .....यह तो ध्यान ही नहीं रहा था!! यहां आए दिन आतंकवादी गतिविधियां होती रहती हैं...! "अब रात के 12:00 बजे भागकर भी कहां जा सकते हैं.."....हाउसबोट जहां पर खड़ा था वहां 80 फीट गहरा पानी था और चारों ओर पानी ही पानी.... पर्यटकों की यह टोली बुरी तरह आतंकित और घबराई हुई थी ....हाउसवोट में जो सर्विस स्टाफ था उन्होंने आश्वस्त किया "डरने की कोई बात नहीं....! यहां पर यह सब होता रहता है!! परंतु पर्यटकों को कोई कुछ नहीं कहता.... क्योंकि उन्हीं से यहां वालों की  रोजी-रोटी चलती है....!!!!"" यह सुनकर भी राहुल और पीयूष का मन नहीं माना.... भूमिका और अनीता दोनों ही बहुत ज्यादा डर गई थी तीनों बच्चे सहम गए थे.....!!इसलिए सोने के लिए कमरों में जाने के बाद भी किसी को नींद नहीं आई ....!! हर आहट पर डरावने ख्याल डरा रहे थे ...... बाहर झील पर चांदनी तो बिखरी ही थी...... बिल्डिंग और हाउस फोटो की लाइटिंग भी जल में प्रतिबिंबित होकर अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रही थीं....... निश्चय ही यह यात्रा इन लोगों के लिए रहस्य ,रोमांच और आतंक कि भावों को समेटे हुए थी !! जहां आने वाले हर पल मैं अनहोनी आशंकाओं का भय व्याप्त था ...!!   

        सुबह होते ही इन लोगों ने हाउसबोट छोड़ दिया  आज पहाड़ी पर शंकराचार्य के मंदिर जाना था  बिना समय गंवाए यह लोग एक गाड़ी बुक कर शंकराचार्य मठ शिवजी के मंदिर पहुंचेऔर फिर शुरू हुई 85 सीढ़ियों की दुर्गम चढ़ाई ....अच्छी खासी भीड़ थी वहां पर शिव जी के भक्तों की ...इन्होंने भी दर्शन किए परंतु दिल को चैन नहीं था ....बहुत प्रयास करने के बाद बहुत घूम-घूम कर ढूंढने पर एक सरदार जी का ढाबा मिला जिसमें खाना खाया .... अब और रुकने का मन नहीं था परंतु तत्काल लौट पाना भी संभव नहीं था आज सारे रास्ते बंद थे.... नेहरू टनल पर आतंकवादियों ने मिलिट्री के कुछ ऑफिसर की हत्या कर दी थी ....पूरे शहर में कर्फ्यू जैसी स्थिति हो गई थी !!

कहने को श्रीनगर बहुत सुंदर है ... परंतु आतंकवादियों ने इस स्वर्ग को नर्क में बदल दिया था ....इन लोगों ने तब गुलमर्ग की राह पकड़ी पहले टैक्सी फिर काफी रास्ता घुड़सवारी से तय किया वहां स्नोफॉल होने लगा नजारे बहुत खूबसूरत थे....

परंतु दिल तो श्रीनगर की घटना से दहल रहा था ..... सड़क मार्ग बिल्कुल बंद कर दिया गया था..... अब एक ही रास्ता बचा था कि दिल्ली के लिए फ्लाइट  पकड़ें कड़ी मशक्कत और कोशिशों के बाद अगले दिन की फ्लाइट मिली बीच में एक रात अभी बाकी थी.... ! इन्हे चिंता हो रही थी किस होटल में रात गुजारी जाए क्योंकि श्रीनगर में  एक भी हिंदू होटल नहीं.. ... जहां सुकून मिल सके !! 

.....कश्मीरी पंडितों के साथ जो कुछ हुआ वह दिल दहला देने वाला था ही  दहशत के मारे इन लोगों का बुरा हाल था फिर भी रात तो  गुजारनी ही थी एक अच्छा सा होटल देखकर दो कमरे लिए गए और यह लोग एक मुस्लिम होटल में स्टे को विवश हो गए

रात में फिर से गोलियां चलने की आवाज आती रही वैसे भी श्रीनगर में सड़कों पर जगह-जगह मिलिट्री की पोस्टें बनी हुईं थीं जैसे कि युद्ध का मोर्चा लेने के लिए बनाई गईं हों.... शहर में कर्फ्यू जैसी स्थिति थी राहुल और पीयूष एक टैक्सी लेकर परिवार के साथ समय से पहले ही हवाई अड्डे निकल गए और काफी समय उनको एयरपोर्ट पर फ्लाइट की प्रतीक्षा  करनी पड़ी!!

    अंततः हवाई जहाज ने इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर लैंड किया ...... सभी को लगा जैसे अपने स्वर्ग में लौट आयें हों ..!!

   राहुल ने चैन की सांस लेते हुए कहा  हमारा असली स्वर्ग तो वास्तव में कश्मीर नहीं ......यही है !!!

✍️ अशोक विद्रोही

412, प्रकाश नगर, मुरादाबाद

उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल (वर्तमान में मेरठ निवासी) के साहित्यकार सूर्यकांत द्विवेदी का दोहा ----


 

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश की कुण्डलिया


 

मुरादाबाद की साहित्यकार कंचन खन्ना की रचना



मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार की रचना ---गमों के बीच से आओ खुशी तलाश करें .....


 

मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद (जनपद बिजनौर) की साहित्यकार दीपिका महेश्वरी सुमन का गीत--- बोले हम हिन्दी


 

मुरादाबाद के साहित्यकार रामदत्त द्विवेदी की रचना -----