हिन्दी अपनी प्यारी भाषा , बच्चों सब अपनाओ रे ।
मां की लोरी सी यह भाषा,सपनों में खो जाओ रे।
भारत मां के भाल पे बिंदी,हिन्दी से ही सजाओ रे।
परियों वाली एक कहानी, इस भाषा में सुनाओ रे।
पेंग बढ़ाओ झूला झूलो,मिल सब सावन गाओ रे।
वही पुरानी चरखे वाली, पुस्तक मुझे दिलाओ रे।
वेदों वाली अपनी हिन्दी, बच्चों सब अपनाओ रे।
छोटी बहन है संस्कृत की,हिन्दी यह समझाओ रे।
जग में मान बढ़े हिन्दी का, कुछ ऐसा कर जाओ रे।
घर फैले रत्न हिन्दी का, मिलकर जुगत लगाओ रे।
भावों की स्नेहिल नदिया, हिन्दी है बतलाओ रे।
रेखा भारत की संस्कृति, राष्ट्र भाषा अपनाओ रे।
अपनी भाषा,अपना गौरव,परचम तुम लहराओ रे।
चहुँ ओर हो हिन्दी फैली, ज्ञान पुंज बिखराओ रे।
✍️ रेखा रानी
विजय नगर गजरौला,
जनपद अमरोहा,
उत्तर प्रदेश, भारत।
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