सोमवार, 4 अक्टूबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित ग्रंथ 'अशोक विश्नोई : एक विलक्षण साधक' का अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की ओर से रविवार 3 अक्टूबर को किया गया लोकार्पण । इस ग्रन्थ का सम्पादन किया है डॉ महेश दिवाकर ने।

 मुरादाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार एवं लघु फ़िल्म निर्माता-निर्देशक अशोक विश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' द्वारा सम्पादित ग्रंथ 'अशोक विश्नोई : एक विलक्षण साधक ' का लोकार्पण एवं सम्मान समारोह का आयोजन रविवार तीन अक्टूबर 2021 को एम.आई.टी. सभागार में हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद  मुरादाबाद की ओर से आयोजित इस भव्य समारोह में अशोक विश्नोई को 'साहित्य सागर सम्मान' से सम्मानित भी किया गया।  महानगर के रचनाकार राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता  सुधीर गुप्ता (ट्रस्टी एम. आई. टी., मुरादाबाद) ने कहा कि मुरादाबाद के साहित्यिक व सांस्कृतिक पटल पर आदरणीय अशोक विश्नोई जी का योगदान आने वाली रचनाकारों की पीढ़ियों को निरंतर प्रोत्साहित करेगा, ऐसा मेरा मानना है।       मुख्य अतिथि डॉ. विशेष गुप्ता (अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग  उ. प्र. सरकार) ने साहित्यिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में श्री अशोक विश्नोई के योगदान की चर्चा करते हुए कहा - बहुमुखी प्रतिभा के धनी आदरणीय अशोक विश्नोई जी का मुरादाबाद सहित दूर-दूर के साहित्यिक पटलों पर योगदान किसी से छिपा नहीं है। उनका सतत साहित्यिक समर्पण व सक्रियता आज देश में दूर-दूर तक सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। निश्चित ही वह साहित्य जगत की अनमोल धरोहर हैं।

  विशिष्ट अतिथि के रुप में मुम्बई से आये साहित्यकार प्रदीप गुप्ता ने कहा कि अशोक विश्नोई ने न केवल हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया है बल्कि अपने प्रकाशन के माध्यम से साहित्यकारों की रचनाओं से हिन्दी संसार को अवगत भी कराया है। वह मेरे रोल मॉडल रहे हैं ।

   विशिष्ट अतिथि डॉ. बृजेश तिवारी के उद्गार थे - हिन्दी के अनन्य साधक श्री अशोक विश्नोई  का संपूर्ण जीवन माँ वीणापाणि की सतत साधना में व्यतीत हुआ है। आप एक कवि, लेखक,पत्रकार व समाजसेवी एवं फिल्म निर्माता-निर्देशक के रूप में मुरादाबाद ही नहीं अपितु अखिल सॄजन संसार में चिरस्मणीय रहेंगे। 

     सम्मानित विभूति अशोक विश्नोई  के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. महेश 'दिवाकर' का कहना था - "मुरादाबाद निवासी साहित्यकार श्री अशोक विश्नोई  हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। अपने 75 वर्षीय जीवन में से पांच दशक आपने हिन्दी की सेवा में दिए। साहित्य सर्जक, पत्रकार और सागर तरंग प्रकाशन के स्वामी के रूप में साहित्य के क्षेत्र में मुरादाबाद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करने वाले श्री अशोक विश्नोई का अकूत योगदान साहित्य जगत को सदैव प्रेरित करता रहेगा।"

    कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ रचनाकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा कि अशोक विश्नोई ने मुरादाबाद की साहित्यिक पत्रकारिता की परंपरा को आगे बढ़ाया। छात्र जीवन में ही उनके भीतर साहित्य के अंकुर फूटने लगे थे। वर्ष 1967 में जब वह हिंदू महाविद्यालय में स्नातक के छात्र थे तब उन्होंने प्रख्यात साहित्यकार एवं संगीतज्ञ पंडित मदन मोहन व्यास और प्रोफेसर महेंद्र प्रताप जी के संरक्षण में मासिक पत्रिका 'हृदय-उद्गार' का प्रकाशन-संपादन शुरु किया। इस पत्रिका के परामर्शदाता थे साहित्यकार आमोद कुमार अग्रवाल जी। साहित्यिक पत्रकारिता की यह यात्रा फिल्म पत्रिका 'सिने पायल', 'चित्रक' साप्ताहिक, 'वसंत-विहार' साप्ताहिक, 'ज्योतिष पथ मासिक' एवं 'सागर-तरंग' मासिक के पड़ाव को पार करती हुई निरंतर गतिशील रही। वर्ष 1995 में उन्होंने वार्षिक पत्रिका 'आकार' का प्रकाशन- संपादन प्रारंभ किया। इस पत्रिका का उद्देश्य था-'समाज के लिए अज्ञात एवं अप्रत्यक्ष रचनात्मकता को ज्ञात एवं प्रत्यक्ष करना।' 

     वरिष्ठ साहित्यकार शिशुपाल सिंह मधुकर ने कहा कि विश्नोई जी जितने साधारण दिखाई देते हैं वे उतने ही असाधारण प्रतिभा अपने अन्दर समेटे हैं।  वे न केवल कविता व साहित्य के क्षेत्र में अपनी धमक बनाए हुए हैं बल्कि प्रकाशन, पत्रकारिता, रंगमंच व फ़िल्म के क्षेत्र में भी अपनी सक्रियता से कई उपलब्धियां अपने खाते में दर्ज कराते हैं।  उनका सारा लेखन आम जनता को समर्पित है । आम आदमी की समस्याएं, दुख-तकलीफें ही उनकी कविताओं का मूल केंद्र हैं। वह समाज में व्याप्त तमाम बुराइयों, विसंगतियों, कुरीतियों, अन्ध विश्वासों व गलत परम्पराओं के ख़िलाफ़ विद्रोह का स्वर बुलंद करते हैं। राजनीति की अस्वस्थ होती जा रही परम्पराओं पर भी उनकी पैनी नज़र रहती है। उनका समस्त रचना संसार का अस्तित्व इन्हीं यथार्थ परक भावनाओं और संवेदनाओं पर टिका है जो कि उन्हें एक सच्चे साहित्यकार होने का गौरव प्रदान करता है ।

वैदिक वानप्रस्थ आश्रम मुरादाबाद के व्यवस्थापक काले सिंह 'साल्टा' ने कहा कि अशोक विश्नोई से  मेरे सम्बंध लगभग 60 वर्ष पुराने हैं। वह जैसे पहले थे आज भी वैसे ही हैं । वह एक अच्छे कवि, उत्कृष्ट लेखक हैं। उनके द्वारा अनेक पुस्तकें, सागर तरंग प्रकाशन, मुरादाबाद द्वारा प्रकाशित की गई हैं।

  रामपुर से आये वरिष्ठ कवि राम किशोर वर्मा ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर दोहे प्रस्तुत किये ---

निर्माता लेखक सभी, गुण रखें कवि अशोक । विश्नोई इच्छा सदा, कहीं नहीं हो शोक |


मेरे तो भ्राता बड़े, करें बहुत ही प्यार । 

जितना उनको मान दूँ, देते सभी उतार ।।


मुंह पर कहते साफ़ हैं, वह मन से ही साफ । 

ग़लती जो स्वीकार ले, कर देते हैं माफ़


अभिनेता फ़िल्मी सभी, देखे उनके साथ । 

लघु फ़िल्में होतीं सफल, जिन पर रखते हाथ ॥


काव्य कला में आपका, उच्च बहुत नाम । 

सभी कनिष्ठों में सदा, हित भी करते काम ।


कम शब्दों में हैं कही, गहरी गहरी बात । 

माला में चुनकर सभी छंद पिरोते आप | 


नये लेखकों को सदा, मार्ग दिखाते आप | 

आपके व्यक्तित्व की, यही अनोखी बात ॥ 


करे लेखनी आपकी, ऐसे उद्धत काज । 

जिनको पढ़ होता सदा, इस समाज को नाज़ ॥ 


उस व्यक्तित्व में भरा, इतना ज्ञान अपार । 

उनके मन में है भरा, परहित पर उपकार ।।

रामपुर से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार रवि प्रकाश ने अशोक विश्नोई को बधाई देते हुए कुण्डलिया प्रस्तुत की -----

विश्नोई  जी  को  नमन ,प्रतिभा से संपन्न

वृद्ध हुआ है तन मगर ,मन से युवा प्रसन्न

मन  से  युवा  प्रसन्न ,समीक्षा  करते पाते 

लिखे  हायकू काव्य ,छटा अद्भुत फैलाते

कहते  रवि कविराय ,क्षेत्र कब छूटा कोई

अभिनय  के सम्राट , धन्य श्री श्री विश्नोई

गजरौला (अमरोहा) से पधारीं कवयित्री  प्रीति चौधरी ने भी इस अवसर पर कुछ दोहे प्रस्तुत किये ----

कम शब्दों में हैं कही, गहरी गहरी बात ।

 माला में चुनकर सभी, छंद पिरोते आप ॥ 

 नये लेखकों को सदा, मार्ग दिखाते आप । 

 आपके व्यक्तित्व की, यही अनोखी बात ॥ 

 करे लेखनी आपकी, ऐसे उद्धत काज । 

 जिनको पढ़ होता सदा, इस समाज को नाज़ || 

 उस व्यक्तित्व में भरा, इतना ज्ञान अपार । 

 उनके मन में है भरा, परहित पर उपकार ॥

वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी ने भी इस अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं देते हुए उन्हें सम्मानित किया। 

लोकार्पण एवं सम्मान समारोह के पश्चात् श्री अशोक विश्नोई की प्रस्तुति  में बनी लघु फ़िल्म 'शपथ' का प्रथम प्रदर्शन भी हुआ। बलात्कार जैसी जघन्य बुराई के विरुद्ध अधिवक्ताओं के उत्तरदायित्व पर आधारित इस लघु फ़िल्म उपस्थित जन समूह की ओर से भरपूर सराहना व समर्थन प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में योगेन्द्र वर्मा व्योम, डाॅ. कृष्ण कुमार नाज़, उमाकांत गुप्ता, डाॅ. मधु सक्सेना, डॉ. मीरा कश्यप, शलभ गुप्ता, अरविन्द आनंद, मयंक शर्मा, अतुल जौहरी, डाॅ. शीनुल इस्लाम, अनिल कांत बंसल, फक्कड़ मुरादाबादी, अशोक विद्रोही, एमपी बादल जायसी, रूप किशोर गुप्ता, ओंकार सिंह ओंकार आदि उपस्थित रहे।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद मुरादाबाद इकाई की अध्यक्ष डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अशोक विश्नोई को सम्मानित करते हुए संस्था गर्व का अनुभव कर रही है ।













































     

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा ) की साहित्यकार प्रीति चौधरी की ग़ज़ल ---- सीख लो अब बेवज़ह तुम मुस्कुराना इस तरह भाँप कोई गम न ले आसूँ छिपाना इस तरह


 

रविवार, 3 अक्टूबर 2021

मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार विद्या वारिधि पंडित ज्वाला प्रसाद मिश्र की कृति वेणीसंहार नाटक

मुरादाबाद के प्रख्यात साहित्यकार विद्या वारिधि  पंडित ज्वाला प्रसाद मिश्र की कृति वेणीसंहार नाटक । यह कृति  कविराज भट्ट नारायण के संस्कृत नाटक का हिंदी भाषा में अनुवाद है । इसका प्रकाशन पूर्व संवत 1957 में हुआ था ।   खेमराज श्री कृष्णदास  ने इसे अपने वेंकटेश्वर प्रेस  मुम्बई में छापा था । पंडित ज्वाला प्रसाद जी यहां मुहल्ला दिनदारपुरा में रहते थे ।





✍️डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नंबर 9456687822

शनिवार, 2 अक्टूबर 2021

शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष राजेन्द्रमोहन शर्मा श्रृंग की प्रथम काव्य कृति - अर्चना के गीत । यह कल्पतरु प्रकाशन मुरादाबाद द्वारा प्रकाशित हुई थी । इस कृति में उनके 41 गीत संग्रहीत हैं ।




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::::::::प्रस्तुति::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8,जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर  9456687822

मुरादाबाद मंडल के धामपुर (जनपद बिजनौर) से डॉ अनिल शर्मा अनिल द्वारा संपादित अनियतकालीन ई-पत्रिका 'अभिव्यक्ति' का विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस विशेषांक 84 ( 01-10-2021, शुक्रवार)-----


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गुरुवार, 30 सितंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष राजेंद्रमोहन शर्मा श्रृंग का गीत ---भ्रष्टाचारी फल-फूल रहे हर ओर यहाँ / ईमानदार की कोई कदर नहीं होती/ हर ओर यहाँ पर आज झूठ का शासन है / सच्चाई आँखें ढक अँधियारे में रोती....। यह गीत हमने लिया है उनके गीत संग्रह -'मैंने कब ये गीत लिखे हैं ' से । उनकी यह कृति श्रेष्ठ प्रकाशन मुरादाबाद द्वारा वर्ष 2007 में प्रकाशित हुई ।

 


ओ राजनगर के नेताओ कुछ सोचो तो 

जनता पिसती जाती है आज गरीबी में 

हो रहा आज जीना दूभर है जनता का 

तुम मस्त हो रहे फिर भी आज अमीरी में


रेशमी वस्त्र पहनो बैठो सिंहासन पर

 शोभा न कभी ये जनप्रतिनिधि को देता है 

 हम भूखे-नंगे तड़पें दो-दो दानों को

  तुम ऐश करो ज़ेबा न तुम्हें ये देता है 

  हमने ही तुम्हें बनाया और मिटा सकते 

  ये शक्ति छिपी मुट्ठीभर इसी फ़कीरी में


हर भारतवासी नाच रहा महँगाई के संकेतों पर 

नारियाँ दे रहीं ताल आज है महँगाई के गानों को 

दुधमुँहे बिलखते आज दूध बिन घर-घर में 

पर माता-पिता विवश हैं उन्हें रुलाने को

ओ गाँधी के मानस पुत्रो कुछ सोचो तो 

क्यों असंतोष है आज़ादी की पीढ़ी में


भ्रष्टाचारी फल-फूल रहे हर ओर यहाँ 

ईमानदार की कोई कदर नहीं होती 

हर ओर यहाँ पर आज झूठ का शासन है

सच्चाई आँखें ढक अँधियारे में रोती

ओ कर्णधार भारत की जनता के सोचो

 क्यों भ्रष्टाचार पनपता है हर सीढ़ी में


✍️ राजेन्द्रमोहन शर्मा 'श्रृंग'

सोमवार, 27 सितंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद(जनपद बिजनौर) के साहित्यिक समूह 'सुमन साहित्यिक परी' की ओर से रविवार 26 सितंबर 2021 को स्ट्रीम यार्ड पर आयोजित ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी

       मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद (जनपद बिजनौर) के साहित्यिक समूह 'सुमन साहित्यिक परी'  की ओर से रविवार 26 सितंबर 2021 को स्ट्रीम यार्ड पर, विभिन्न काव्य विधाओं पर आधारित " उन्मुक्त काव्यधारा" नामक कार्यक्रम के अंतर्गत एक  ऑनलाइन काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका प्रसारण समूह के पेज दीपिका महेश्वरी 'सुमन'  पर लाइव किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ  मुरादाबाद के प्रतिष्ठित साहित्यकार राजीव प्रखर जी द्वारा  माँ सरस्वती की वंदना से किया गया।  

 कार्यक्रम में मुरादाबाद से वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कोरोना काल के संदर्भ में मुक्तक प्रस्तुत करते हुए कहा -

"सुन  रहे यह साल  आदमखोर है। 

हर तरफ  चीख, दहशत, शोर है ॥

मत कहो वायरस जहरीला बहुत। 

 इंसान ही आजकल कमजोर है॥"

मुरादाबाद से चर्चित रचनाकार राजीव प्रखर ने अपने मुक्तकों की प्रस्तुति से मंच को इस प्रकार सुशोभित किया-

"दूरियों का इक बवंडर, जब कहानी गढ़ गया ।

मैं अकेला मुश्किलों पर, तान सीना चढ़ गया ।

हाल मेरा जानने को, फ़ोन जब तुमने किया,

सच कहूँ तो ख़ून मेरा, और ज़्यादा बढ़ गया ।" 

मुरादाबाद से युवा साहित्यकार अरविंद कुमार शर्मा 'आनंद' ने अपनी सुंदर ग़ज़ल से दर्शकों को भावविभोर किया-

"वही मंज़िलें हैं, वही रास्ते हैं।

वही हौसले हैं, वही हादसे हैं॥"

मुरादाबाद से उपस्थित कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार थी ----- 

"सूरज प्राची से जब झांके , धरती पर मुस्काता कौन ।

खग समूह में पर फैलाये , कलरव गीत सुनाता कौन ।"

नजीबाबाद की कवयित्री दीपिका माहेश्वरी 'सुमन' (अहंकारा) ने ग़ज़ल के माध्यम से विश्वकर्मा जी को नमन वंदन किया----

" विश्वकर्मा जी हो जाए जगह धन्य जहां आकर रुकें। 

बन जाए प्यारा आशियाना जहां आकर रुकें ॥" 

काव्य-पाठ करते हुए प्रयागराज के वरिष्ठ ग़ज़ल कार अशोक श्रीवास्तव ने अपनी सुंदर गजल से मंच को इस प्रकार से शोभित किया-

"किसी के हाथ पीले हो रहे हैं, 

किसी के नैन गीले हो रहे हैं |" 

लखनऊ से व्यंग्य कवि मनमोहन बाराकोटी 'तमाचा लखनवी' ने मुक्तकों से मंच की शोभा बढ़ाई-

"संघर्ष की हर राह, कांटों की सेज होती है।

प्रतिभा विहीनों की चमक निस्तेज होती है।।

बनके यथार्थ चिन्तक, पैनी नजर जरूरी,

कलम की धार, तलवार से भी तेज होती है।।" 

कोलकाता से उपस्थित हुए वरिष्ठ कवि कृष्ण कुमार दुबे ने मनमोहक ग़ज़ल से मंच को सुशोभित किया-

"ले गया मंज़िल तलक जो रहगुज़र अच्छा लगा।

साथ जिसने है निभाया राहबर अच्छा लगा।"

कानपुर से साहित्यकार विद्याशंकर अवस्थी पथिक  ने कविता में चक्रव्यूह युद्ध नीति का वर्णन किया-

"चक्रव्यूह का नाम सुना तो धर्माचार्य भी घबड़ाये। 

रणभूमि में कल क्या होगा सोंच सोच कर चकराये। "

जबलपुर से सुप्रसिद्ध साहित्यकार बसंत कुमार शर्मा ने मंच को ग़ज़ल से सुशोभित किया-

" कुछ और नहीं यूँ ही सताने के लिए आ 

हक़ है मेरे दिल पर ये जताने के लिए आ

लखनऊ से ही प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ कुलदीप नारायण सक्सेना ने मंच को इस अंदाज़ में सुशोभित किया -

 " स्वप्न संजोना व्यर्थ नहीं है

बाधाओं का तर्क यही है

गिरना फिर साहस कर उठना

जीवन का बस अर्थ यही है

मेरठ से वयोवृद्ध साहित्यकार गोविंद रस्तोगी ने गीत विधा में मंच को इस प्रकाश शोभित किया-

" धरती के कण कण में राधे

मन में मन दर्पण में राधे।"

लखनऊ से वरिष्ठ कवि  मनोज कुमार श्रीवास्तव ने अपनी कविताओं से मंच को सुशोभित किया-

" मैं राष्ट्र धर्म मैं पुण्यकर्म

जो बलिदानों के गीत लिखे"

लखनऊ से सुप्रसिद्ध गीतकार राममूर्ति सिंह अधीर ने सुमधुर गीत से मंच को सुशोभित किया-----

"ये बादल क्यों आ जाते हैं,

क्यों मनमीत नहीं आते हैं?" 

खंडवा मध्य प्रदेश से प्रसिद्ध नाटककार सुधीर देशपांडे ने अपनी कविता से मंच को इस प्रकार सुशोभित किया-----

"बच्चों की चाहत

होती है

कंधों पर चढकर

आसमान को छूने की" 

 अशोक चौधरी  लखनऊ, आलोक रावत  लखनऊ, मिथिलेश बडगैयाजबलपुर, अनिल शर्मा अनिल  धामपुर,डॉ संगम लाल त्रिपाठी भंवर जी प्रतापगढ़, अशोक गिरि कोटद्वार, अमर चंद जैन फरीदाबाद आदि साहित्यकारों  ने समीक्षा चरण में भाग लिया

समूह-संस्थापिका तथा कार्यक्रम-संचालिका दीपिका महेश्वरी 'सुमन' द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया।











 :::::::: प्रस्तुति ::::::

 दीपिका महेश्वरी सुमन

 संस्थापिका'

 सुमन साहित्यिक परी' समूह

 नजीबाबाद, जनपद बिजनौर

 उत्तर प्रदेश, भारत

मंगलवार, 21 सितंबर 2021

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया काव्य गोष्ठी का आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था काव्यप्रवाह अनुगूंज की ओर से आशियाना में कवयित्री डॉ रीता सिंह के आवास पर चंदौसी (जनपद सम्भल) के साहित्यकार रमेश अधीर के सम्मान में  काव्य- गोष्ठी का आयोजन मंगलवार 21 सितंबर 2021 को किया गया। 

युवा कवि मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने अपनी चिर परिचित शैली में व्यंग्य का रंग भरते हुए कहा  - 

"सुन  रहे यह साल  आदमखोर है। 

हर तरफ  चीख, दहशत, शोर है। 

मत कहो वायरस जहरीला बहुत, 

इंसान ही आजकल कमज़ोर है।"

 मुख्य अतिथि के रूप में चंदौसी के वरिष्ठ रचनाकार  रमेश अधीर ने कहा --

 "मैं धरती का बाशिंदा हूँ धरती मुझको भाती है।

 आसमान में उड़ने वाली कला मुझे कब आती है।

 आज हवाओं का भी दामन दानवता ने दाग़ दिया,

 सुन-सुन कर क़िस्से कुटिलों के धरती धैर्य गँवाती है।" 

  विशिष्ट अतिथि के रूप में अखिलेश वर्मा ने ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए कहा ----

  "जो सोच रक्खे हैं सारे सवाल बदलेंगे

   ये उम्र बदलेगी तेरे ख़याल बदलेंगे

   उगलते ज़ह्र हैं इंसान का लबादा है 

   बरोज़ हश्र के ये अपनी खाल बदलेंगे"

कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने सुरक्षा के लिये सजग रहने वाले वीर सैनिकों को नमन करते हुए कहा - 

"निराशा ओढ़ कर कोई, न वीरों को लजा देना।

 नगाड़ा युद्ध का तुम भी, बढ़ा कर पग बजा देना।

 तुम्हें सौगन्ध माटी की, अगर मैं काम आ जाऊँ।

 बिना रोये प्रिये मुझको, तिरंगे से सजा देना।" 

कवयित्री डॉ. अर्चना गुप्ता ने अपने भावों को अपनी ग़ज़ल से अभिव्यक्ति देते हुए कहा - 

"मुहब्बत करेगी असर धीरे धीरे। 

उठेगी झुकी सी नज़र धीरे धीरे। 

चलो साथ मेरे क़दम तुम मिलाकर, 

लगेगा हसीं ये सफ़र धीरे धीरे।"

संयोजिका कवयित्री डाॅ. रीता सिंह की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही - 

"मैं वेद पुराणों की गाथा। 

मैं भू का उन्नत सा माथा। 

मैं गंगा सतलज की धारा, 

मैं जग की आँखों का तारा।

मैं राम कृष्ण की धरती की,

नित लिखता नयी इबारत हूँ । 

मैं भारत हूँ , मैं भारत हूँ ....।"

युवा साहित्यकार मयंक शर्मा ने गीत की सुरीली तान कुछ इस प्रकार छेड़ी  -

 "मन ले चल अपने गाँव हमें शहर हुआ बेगाना,

  दुख का क्या है दुख से अपना पहले का याराना।"  

अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति करते हुए दुष्यंत बाबा ने कहा - 

  "सपने कागज पर उकेर कर खुद ही मिटाता हूँ।

 गर्मी, सर्दी, बर्षा के साथ गम भी सह जाता हूँ।

 भोजन के बाद सलाद में गालियां भी खाता हूँ।

 इतनी आसानी से कहाँ पुलिसकर्मी बन जाता हूँ।"  

 कवयित्री डॉ. रीता सिंह द्वारा आभार अभिव्यक्त

किया गया ।

















::::::::प्रस्तुति::::::::

राजीव प्रखर

डिप्टी गंज

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

सोमवार, 20 सितंबर 2021

वाट्स एप पर संचालित समूह "साहित्यिक मुरादाबाद" में प्रत्येक रविवार को वाट्स एप कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया जाता है । इस आयोजन में समूह में शामिल साहित्यकार अपनी हस्तलिपि में चित्र सहित अपनी रचना प्रस्तुत करते हैं । रविवार 19 सितंबर 2021 को आयोजित 270 वें आयोजन में शामिल साहित्यकारों की रचनाएं उन्हीं की हस्तलिपि में ......














    :::::::::प्रस्तुति:;:;;;;;;
डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822