शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद(जनपद बिजनौर) से अमन कुमार के संपादन में त्रैमासिक शोधादर्श का मक्खन मुरादाबादी अंक : इस अंक में हैं मक्खन मुरादाबादी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर देश के साहित्यकारों सर्वश्री मनोहर अभय, गिरीश पंकज, डॉ कृष्ण कुमार नाज, जिया जमीर, हेमा तिवारी भट्ट, भोलाशंकर शर्मा, डॉ अजय अनुपम, डॉ शंकर क्षेम, ए. टी. जाकिर, डॉ धनंजय सिंह, डॉ महेश दिवाकर, डॉ प्रदीप जैन, मंसूर उस्मानी, डॉ सुशील कुमार त्यागी, डॉ मनोज रस्तोगी, डॉ काव्य सौरभ जैमिनी, अशोक अंजुम, डॉ सुभाष वसिष्ठ, मनोज जैन, मुजाहिद चौधरी, डॉ अनिल शर्मा अनिल और राहुल शर्मा के सारगर्भित आलेख डॉ मक्खन मुरादाबादी के संस्मरण, अभिनव गीत, गजलें और कविताएं साथ में उनके विभिन्न चित्र और भी बहुत कुछ....। निश्चित रूप से 102 पेज का यह दस्तावेजी अंक संग्रहणीय है।

 


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डॉ मनोज रस्तोगी 

8,जीलाल स्ट्रीट 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत  

वाट्स एप नंबर 9456687822


बुधवार, 25 दिसंबर 2024

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की ओर से संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर रविवार 15 दिसंबर 2024 को उनकी स्मृति में महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार विवेक निर्मल को 'राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया गया

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में, संस्था के संस्थापक कीर्तिशेष साहित्यकार राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी पावन स्मृति में महानगर के वरिष्ठ साहित्यकार विवेक निर्मल को 'राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति सम्मान' से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप उन्हें मानपत्र, श्रीफल, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न भेंट किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.महेश दिवाकर ने की। मुख्य अतिथि बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में दयानंद महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्ता एवं गजलकार ओंकार सिंह ओंकार रहे। मां शारदे की वंदना कवि रामसिंह नि:शंक ने प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया।
 इस अवसर पर सम्मानित कवि विवेक निर्मल ने काव्य पाठ करते हुए सुनाया- 
"जिंदगी यदि प्रश्न है तो फिर, आओ इसमें हल तलाशें हम, जिंदगी में प्रश्न तो उलझे बहुत है, किंतु इसमें प्रश्न अनसुलझे बहुत है, जिनका हल करने में आते द्वंद भी, जिंदगी में हम स्वयं उलझे बहुत हैं, जिंदगी यदि आज है तो फिर, आओ इसमें कल तलाश में हम...।"
      सम्मानित साहित्यकार विवेक निर्मल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर राजीव 'प्रखर' द्वारा  प्रकाश डाला गया। सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने साहित्यिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में विवेक निर्मल द्वारा किए गए योगदान को सराहते हुए उन्हें साहित्य जगत का सशक्त रचनाकार बताया। डॉ.महेश दिवाकर ने कहा कि संस्था के संस्थापक स्व० राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग जी के हिन्दी के लिए किये गए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, उन्होंने अनेक रचनाकारों को प्रकाश में लाने का कार्य किया है।
      इसके पश्चात कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जितेन्द्र कुमार जौली, योगेन्द्र वर्मा व्योम, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, रामदत्त द्विवेदी, डॉ. मनोज रस्तोगी, नकुल त्यागी, राजीव प्रखर, अशोक विद्रोही, पदम सिंह बेचैन, उमाकांत गुप्ता, राम सिंह नि:शंक, उदय सक्सेना अस्त, रवि चतुर्वेदी आदि ने काव्य पाठ किया। संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने आभार अभिव्यक्ति प्रस्तुत की।
 











































बुधवार, 11 दिसंबर 2024

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष आनन्द कुमार गौरव की काव्य कृति ...मेरा हिंदुस्तान कहां है । वर्ष 1985–86 में राज पब्लिशिंग हाउस दिल्ली से प्रकाशित इस कृति में उनकी 51 रचनाएं हैं । भूमिका लिखी है मदन लाल वर्मा क्रांत ने ।

 


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::::::प्रस्तुति::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

संस्थापक

साहित्यिक मुरादाबाद शोधालय

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

वाट्स एप नंबर 9456687822


मंगलवार, 3 दिसंबर 2024

मुरादाबाद की संस्था कला भारती की ओर से 30 नवंबर 2024 को आयोजित कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ. अजय 'अनुपम' को कलाश्री सम्मान प्रदान किया गया

मुरादाबाद की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था कला भारती की ओर से शनिवार 30 नवंबर 2024 को वरिष्ठ साहित्यकार एवं इतिहासकार डॉ. अजय 'अनुपम' को कलाश्री सम्मान से अलंकृत किया गया। सम्मान-समारोह का आयोजन मिलन विहार स्थित आकांक्षा इंटर कॉलेज में हुआ। मयंक शर्मा द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता बाबा संजीव आकांक्षी  ने की। मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार  एवं विशिष्ट  अतिथियों के रूप में रामदत्त द्विवेदी तथा हरि प्रकाश शर्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राजीव प्रखर ने किया। 

 अलंकरण स्वरूप श्री अनुपम को अंग वस्त्र, मान-पत्र एवं प्रतीक चिह्न भेंट किए गये। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मनोज रस्तोगी ने डॉ. अजय अनुपम के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा वह न केवल एक संवेदनशील, सुहदय कवि हैं बल्कि  संस्कृत भाषा में रचे वैदिक ग्रंथों के एक समर्थ, सुयोग्य व कुशल काव्यानुवादक भी हैं। यही नहीं वह मुरादाबाद की विरासत को समृद्ध करने वाले इतिहासकार भी हैं। आमुक्ति, आभास, अग्नि साक्षी है, धूप धरती पे जब उतरती है, दर्द अभी सोए हैं, अविराम , सामवेद और अथर्ववेद का संपूर्ण काव्यानुवाद उल्लेखनीय कृतियां हैं। मान-पत्र का वाचन योगेन्द्र वर्मा व्योम द्वारा किया गया। 

 कार्यक्रम के अगले चरण में एक काव्य-संध्या का भी आयोजन किया गया जिसमें रचना पाठ करते हुए डॉ. अजय अनुपम ने कहा - 

जैसी जिसकी बिसात देता है। 

ग़म को हॅंस-हॅंस के मात देता है। 

साफ़ दिल से मदद करे कोई, 

तो यूं समझो ज़कात देता है।

 इसके अतिरिक्त महानगर के रचनाकारों कमल शर्मा, राजीव प्रखर, आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ, पल्लवी भारद्वाज, ज़िया ज़मीर, राजीव सक्सेना, नकुल त्यागी, रामसिंह निशंक, ओंकार सिंह ओंकार, वीरेन्द्र ब्रजवासी, रामदत्त द्विवेदी, बाबा संजीव आकांक्षी आदि ने काव्य-पाठ किया। 

कार्यक्रम के अंत में नजीबाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार श्री महेन्द्र अश्क के निधन पर उपस्थित साहित्यकारों द्वारा दो मिनट का मौन रखते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने आभार-अभिव्यक्त किया।